प्रत्येक व्यक्ति के शरीर का आकार, आँखें, बालों और त्वचा का रंग एक-दूसरे से भिन्न होता है, क्या आपके मन में कभी यह विचार आया है कि हमारे इस रंग-रूप और शरीर की बनावट ऐसी क्यों है? हम दूसरों से कैसे अलग दिखते हैं? हमारी आँखों, बालों और त्वचा का रंग, हमारी कद-काठी किसके द्वारा तय होती है? एक शोध से पता चलता है कि मानव आबादी में कम से कम 10% जीन (Gene) डीएनए (DNA) अनुक्रमों की प्रतियों की संख्या में भिन्न हो सकते हैं। यह खोज वर्तमान की इस सोच को बदल देती है कि किन्हीं भी दो मनुष्यों की डीएनए सामग्री और पहचान में 99.9% समानता होती है। शोधकर्ताओं द्वारा एशियाई, अफ्रीकी या यूरोपीय वंशों में से 270 लोगों के जीनोम (Genome) का निरीक्षण किया गया। जिससे उन्होंने प्रत्येक डीएनए के नमूने में औसतन 70 CNV और 2,50,000 न्यूक्लियोटाइड (Nucleotides) का विस्तार पाया। वहीं सभी समूह में 1,447 अलग-अलग CNV की पहचान की गई, जो सामूहिक रूप से मानव जीनोम के लगभग 12% और किसी भी गुणसूत्र के 6% से 19% का आवरण करता है।
मानव आबादी में किसी भी दिए गए जीन के विभिन्न प्रकार हो सकते हैं, इस स्थिति को बहुरूपता कहा जाता है। कोई भी दो मनुष्य आनुवंशिक रूप से समान नहीं होते हैं। यहाँ तक कि मोनोज़ाइगोटिक जुड़वा (Monozygotic Twins- जो एक युग्मज से विकसित होते हैं) में प्रत्येक का विकास और जीन प्रति-संख्या काफी भिन्न होती हैं। 2017 तक, अनुक्रमित मानव जीनोम के कुल 324 मिलियन ज्ञात प्रकार थे। मानव आनुवंशिक भिन्नता के अध्ययन में विकासवादी महत्व और चिकित्सा अनुप्रयोग भी शामिल हैं। यह वैज्ञानिकों को प्राचीन मानव जनसंख्या पलायन को समझने में मदद करता है साथ ही साथ यह इस बारे में भी जानकारी प्रदान करता है कि मानव समूह एक दूसरे से जैविक रूप से कैसे संबंधित हैं। मानव आनुवंशिक भिन्नता के अध्ययन में विकासवादी महत्व और चिकित्सा अनुप्रयोग शामिल हैं।
व्यक्तियों के बीच मतभेद के कारणों में स्वतंत्र वर्गीकरण, प्रजनन के दौरान जीनों का आदान-प्रदान और विभिन्न उत्परिवर्ती घटनाएं शामिल हैं। आबादी के बीच आनुवंशिक भिन्नता मौजूद होने के कम से कम तीन कारण हैं। यदि एक युग्मविकल्पी प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्रदान करता है, तो प्राकृतिक चयन विशिष्ट वातावरण में व्यक्तियों को एक अनुकूली लाभ प्रदान कर सकता है। एक दूसरी महत्वपूर्ण प्रक्रिया आनुवंशिक बहाव है, जो जीन निकाय में यादृच्छिक परिवर्तनों का प्रभाव है, ऐसी परिस्थितियों में जहां अधिकांश उत्परिवर्तन तटस्थ हैं। अंत में, छोटी प्रवासी आबादी में सांख्यिकीय अंतर होता है। मानव जीनोम में ए, सी, जी, और टी (A, C, G, and T) के तीन बिलियन प्रतिपादिका जुड़े हुए हैं, जो लगभग 20,000 जीन में विभाजित हैं। उदाहरण के लिए पूर्व एशियाई के लोगों में पाए जाने वाले घने बाल एक जीन में टी की जगह सी के परिवर्तन के कारण होते हैं।
इसी तरह, यूरोप के लोगों की गोरी त्वचा उत्परिवर्तन SLC24A5 नामक जीन में एक छोटे बदलाव के कारण होती है, जिसमें लगभग 20,000 प्रतिपादिका जोड़ होते हैं। कुछ अध्ययनों का यह दावा है कि एक यूरोपीय व्यक्ति के जीन उसके वंश को उसके मूल देश से इंगित करने के लिए पर्याप्त होते हैं। लगभग दो दर्जन देशों के लोगों के जीनोम में एकल न्यूक्लियोटाइड पॉलीमोर्फिस्म (Single Nucleotide Polymorphisms) नामक हज़ारों आम जीन के प्रकारों का विश्लेषण करके केसर और नोवम्ब्रे की टीमों ने जीन-भूगोल पैटर्न (Pattern) को उजागर किया है। उनके द्वारा जब जीनोम को उनके देशों के साथ एक ही ग्राफ (Graph) पर रखा गया, तो यूरोप का नक्शा उभर कर सामने आया। स्पैनिश और पुर्तगाली जीनोम का फ्रांसिसी जीनोम के दक्षिण-पश्चिम पर समूह बना, जबकि इतालवी जीनोम स्विस के दक्षिण-पूर्व में उभरा। यह नक्शा इतना सटीक था कि जब नोवम्ब्रे की टीम ने अपने आनुवंशिक "मानचित्र" पर एक भू-राजनीतिक नक्शा रखा, तो आधे जीनोम उनके देश के 310 किलोमीटर के दायरे में आ गए, जबकि 90% 700 किलोमीटर के भीतर आ गए।
कोरोनावायरस (Coronavirus) से उत्पन्न हुई कोविड-19 (Covid-19) महामारी काफी अजीब और दुखद रूप से चयनात्मक है। इससे संक्रमित कुछ ही लोग बीमार पड़ते हैं और अधिकांश मामलों में गंभीर रूप से केवल बुजुर्ग ही बीमार होते हैं या जिन्हें पहले से दिल की बीमारी जैसी जटिल समस्याएँ होती हैं। बहुत सारे स्वस्थ और अपेक्षाकृत युवा भी गंभीर रूप से इस बीमारी की चपेट में आए हैं। इस बीमारी के इस चयनात्मक रूप को समझने के लिए शोधकर्ताओ द्वारा डीएनए भिन्नताओं के लिए रोगियों के जीनोम की जांच की गई। जिसमें कई हजारों प्रतिभागियों और कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों के डीएनए को एकत्र किया गया।
इस परियोजना का लक्ष्य कोरोनावायरस से गंभीर रूप से प्रभावित लोगों (जो पहले किसी भी अंतर्निहित बीमारी जैसे मधुमेह, हृदय या फेफड़ों से पीड़ित नहीं थे) के डीएनए की तुलना करना है। कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि इन जीन की खोज से क्या होगा, इसका अनुमान लगाना कठिन है। लेकिन यह स्पष्ट है कि कोशिका सतह में मौजूद प्रोटीन एंजियोटेंसिन-परिवर्तित एंजाइम 2 (Angiotensin-Converting Enzyme 2) के लिए जीन कोडिंग (Gene Coding), जिसका उपयोग कोरोनोवायरस वायुमार्ग कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए करता है। संग्राहक को परिवर्तित करने वाले एंजियोटेंसिन-परिवर्तित एंजाइम 2 जीन में पाई जाने वाली भिन्नता विषाणु को कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए आसान या कठिन बना सकती है।
सुरक्षात्मक या अतिसंवेदनशील डीएनए रूपांतर की पहचान करने का एक और प्रयास हार्वर्ड विश्वविद्यालय (Harvard University) के जॉर्ज चर्च (George Church) के नेतृत्व में व्यक्तिगत जीनोम प्रोजेक्ट है, जो अनुसंधान के लिए अपने पूर्ण जीनोम, ऊतक के नमूने और स्वास्थ्य विवरण साझा करने के इच्छुक लोगों को शामिल करता है। मार्च के महीने की शुरुआत में, इसने अपने हजारों प्रतिभागियों को उनकी कोविड-19 की स्थिति के बारे में पूछताछ करने के लिए प्रश्नावली भेजी थी। वहीं एंजियोटेंसिन-परिवर्तित एंजाइम 2 संग्राहक के आनुवंशिक रूपांतर के अलावा, वैज्ञानिक यह देखना चाहते हैं कि मानव ल्यूकोसाइट एंटीजन जीन (Leukocyte Antigen Genes (जो वायरस और बैक्टीरिया के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को प्रभावित करते हैं)) में अंतर रोग की गंभीरता को कैसे प्रभावित करता है।
चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में DNA और भूगोल के बीच सम्बंध दिखाया गया है।(Youtube)
बाक़ी चित्रो में DNA का चित्र दिखाया गए हैं।(Wikimedia)
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