उत्तर प्रदेश भारतीय इतिहास का एक ऐसा अनोखा हिस्सा है जिसे कोई अनदेखा नहीं कर सकता| यह सिर्फ ऐतिहासिक घटनाओं का ही समर्थक नहीं है बल्कि पूरा उत्तर प्रदेश हमारी सभ्यता को दर्शाता है| अलग अलग खान-पान की बात करें या फिर पोशाकों की, उत्तर प्रदेश कई विशिष्ट और रोचक मिसाल प्रदान करने में कभी पीछे नहीं होता| कपड़ों के प्रकार, उनको बनाने एवं सजाने की वृहद् तकनीके और उसका इस्तेमाल पहले चित्र में देख सकते है|
आगरा के कालीन की बात करें या लखनऊ के चिकनकारी की, फर्रुखाबाद के ठप्पा छपाई या बरेली के खुबसूरत ज़रदोज़ी की, बनारस की अनोखी बनारसी सारी या फ़िर मिर्ज़ापुर में बने दरी और कालीन या रामपुर का फूल पत्ती (पट्टी) का काम; यहाँ हम कपड़ों के कई विविध प्रकार देख सकते है, जो की सराहनीय हैं और हमारी संस्कृति के प्रचारक भी|
कढ़ाई का काम तो हम सब जानते ही हैं लेकिन रामपुर का “फूल पत्ती” का काम ना ही सिर्फ कढ़ाई का है बल्कि यह किफ़ायती, बारीक और पर्यावरण हितैषी भी है| फूल पत्ती का काम बनाने के लिए छोटे कपड़ों को विशेष आकर में काट कर कपड़े के ऊपर सिल दिया जाता है| जैसे की इसके नाम से ही पता चलता है– ये फूल और पत्तियों के आकर में काटे जाते है| ये प्राकृतिक रचनाओं से काफी प्रेरित हैं और फूल पत्ती के अलावा मछली, सिंघोरा और दुसरे कई आकर भी यहाँ काफी प्रसिद्ध हैं| रामपुर में आज काफी महिलाएं इस रोजगार से जुडी हुई हैं जो कोई प्रशिक्षण केंद्र नहीं जाती, बल्कि अपने बड़े-बूढों को देख कर कढ़ाई और फूल पत्ती के काम में यह स्वशिक्षित हो जाती हैं| नवाबों के इस शहर की ऐतिहासिक इमारत- रज़ा टेक्सटाइल मिल; इस बात की पुष्टि करती है की कैसे यहाँ के लोग ना ही आज के दौर में, बल्कि बीते काल से ही कपड़ों का व्यापार एवं कढ़ाई सिलाई के तरफ रुझान रखते थे|
1. टेक्सटाइल ट्रेल इन उत्तर प्रदेश (ट्रेवल गाइड) – उत्तर प्रदेश टूरिज्म
2. हेंडीक्राफ्ट ऑफ़ इंडिया – कमलादेवी चट्टोपाध्याय