समलैंगिकता अधिकार का संघर्ष और भारत

रामपुर

 08-09-2018 12:07 PM

समलैंगिकता का अस्तित्व प्राचीनकाल से ही सभी देशों में पाया गया है। लेकिन यह कभी उस रूप में नजर नहीं आया जैसा कि वर्तमान युग में देखने में आता है। आधुनिक युग में कई देशों ने समलैंगिकता को कानूनी मान्यता दे दी है, जिनमें से एक भारत भी है। साधारण भाषा में समलैंगिकता का अर्थ किसी पुरुष का दूसरे पुरुष के प्रति या महिला का महिला के प्रति आकर्षण है। समलैंगिक, उभयलैंगिक और लिंगपरिवर्तित लोगों को मिलाकर एल जी बी टी (LGBT) समुदाय बनता है।

हालांकि भारत में पहले समलैंगिकता कानूनी रूप से मान्य नहीं थी। 1861 में ब्रिटिशों द्वारा बनाई गई भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के मुताबिक अगर 2 वयस्क आपसी सहमति से भी समलैंगिक संबंध बनाते हैं, तो वह अपराध होगा। इस धारा के विरुद्ध कई वर्षों से भारत में “समलैंगिक अधिकार आंदोलन” चलाया जा रहा था, जिसके फलस्वरूप सुप्रीम कोर्ट ने 06 सितम्बर 2018 को समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है और फ़ैसले में धारा 377 को रद्द कर दिया गया है। इसके अनुसार आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंध को अब अपराध नहीं माना जाएगा। एल॰जी॰बी॰टी अधिकार आंदोलन का प्रारंभ 1969 के न्यूयॉर्क शहर में भड़के 'स्टोनवॉल दंगों' से माना जाता हैं। ये दंगे पुलिस द्वारा लोगों के समलैंगिक होने पर उन्हें प्रताड़ित करने के परिणामस्वरूप हुए थे।

इस फैसले से समलैंगिक लोगों अब अपनी लैंगिकता को छिपानें की जरुरत नहीं है। वे लोग अब खुल कर सामने आ सकते हैं जो अभी तक कानून और सामाज के डर से छुप कर बैठे थे। रामपुर में भी समलैंगिक समुदाय की छुपी हुई परंतु एक बड़ी आबादी देखने को मिलती है। सोशल मीडिया पर देखेंगे तो आपको फेसबुक पर ‘रामपुर गे’ (https://www.facebook.com/gay.rampur?ref=br_rs) पेज बना हुआ मिल जाऐगा, जिससे 2500+ के करीब युवा जुड़े हुए हैं। ये ही नहीं मीट मेन (http://1man.in/meet/man/Uttar-Pradesh/Rampur-district) और मुराबाद कम्युनिटी (https://www.facebook.com/MbdGCommunity/) जैसे पेजों में आप समलैंगिक समुदाय कि अबतक छुपी हुई आबादी का एक बड़ा हिस्सा देख सकते हैं।

लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं समलैंगिकों को अपने जैविक निजता के इस अधिकार को किन-किन चरणों से गुजरते हुए हांसिल किया। आईये जानते हैं भारत में समलैंगिक अधिकार आंदोलन के संघर्ष के इतिहास के बारे में:

1. इसकी शुरुआत 1994 में एड्स भेदभाव विरोधी आंदोलन नाम के एनजीओ ने दिल्‍ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आईपीसी की धारा 377 को खत्‍म करने की मांग से हुई थी।
2. इसके बाद 2001 में नाज फाउंडेशन ने दिल्‍ली हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल कर ब्रिटिश शासनकाल से चली आ रही इस धारा को खत्‍म करने की मांग की थी।
3. 2003 में दिल्‍ली हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की, ऐक्टिविस्‍टों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसने हाईकोर्ट को फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा।
4. 2009 में दिल्‍ली हाईकोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था।
5. फिर 2012 में कई धार्मिक समूहों और व्‍यक्तियों ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, और 11 दिसंबर 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्‍ली हाईकोर्ट के 2009 के फैसले को पलटा और इस मसले पर फैसला संसद पर छोड़ दिया।
6. 2015 में लोकसभा ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर की तरफ से समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के लिए लाए गए प्राइवेट मेंबर बिल के खिलाफ वोट दिया। इस फैसले के बाद 2016 में LGBT समुदाय नें सुप्रीम कोर्ट का रूख किया।
7. 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेक्‍शुअल ओरिएंटेशन किसी भी व्‍यक्ति का निजी मामला है, और जनवरी, 2018 में सीजेआई दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 2013 के फैसले पर पुनर्विचार का फैसला किया और मामले को बड़ी बेंच में भेजा गया।
8. जुलाई, 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब यह बेंच के ऊपर है कि वह गे-सेक्‍स पर 150 साल पुराने प्रतिबंध पर क्‍या फैसला ले।
9. और अंत में छह सितंबर, 2018 सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर किया।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि समलैंगिक लोगों को सम्मान के साथ जीने का अधिकार है। बेंच ने माना कि समलैंगिकता अपराध नहीं है और इसे लेकर लोगों को अपनी सोच बदलनी होगी।'समलैंगिक' होना कोई बीमारी नहीं बल्कि यह जन्मजात होता है।

संदर्भ:

1. https://en.wikipedia.org/wiki/LGBT_history_in_India
2. https://www.britannica.com/topic/gay-rights-movement
3. https://www.jagranjosh.com/current-affairs/supreme-court-decriminalises-section-377-in-hindi-1536217938-2



RECENT POST

  • मेहरगढ़: दक्षिण एशियाई सभ्यता और कृषि नवाचार का उद्गम स्थल
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:26 AM


  • बरोट घाटी: प्रकृति का एक ऐसा उपहार, जो आज भी अनछुआ है
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, रोडिन द्वारा बनाई गई संगमरमर की मूर्ति में छिपी ऑर्फ़ियस की दुखभरी प्रेम कहानी
    म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

     19-11-2024 09:20 AM


  • ऐतिहासिक तौर पर, व्यापार का केंद्र रहा है, बलिया ज़िला
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:28 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर चलें, ऑक्सफ़र्ड और स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालयों के दौरे पर
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, विभिन्न पालतू और जंगली जानवर, कैसे शोक मनाते हैं
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:15 AM


  • जन्मसाखियाँ: गुरुनानक की जीवनी, शिक्षाओं और मूल्यवान संदेशों का निचोड़
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:22 AM


  • जानें क्यों, सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में संतुलन है महत्वपूर्ण
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, जूट के कचरे के उपयोग और फ़ायदों के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:20 AM


  • कोर अभिवृद्धि सिद्धांत के अनुसार, मंगल ग्रह का निर्माण रहा है, काफ़ी विशिष्ट
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:27 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id