क्या और कैसे होता है नदी से भूमि का कटान?

रामपुर

 09-09-2018 12:48 PM
भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

आज मृदा अपरदन या मिट्टी के कटान की समस्‍या काफी गंभीर होती जा रही है। यह समस्‍या पहाड़ों की अपेक्षा नदियों के किनारे तीव्रता से बढ़ रही है। अक्‍सर हम समाचारों में भी सुनते आ रहे हैं कि 'नदी में जल का स्तर बढ़ने से कटान होना शुरू हो गया है'। चलिए जानते हैं वास्‍तव में ये कटान है क्‍या और क्‍या हैं इसके प्रमुख कारण : मृदा अपरदन : पानी, हवा (प्रमुख कारक) और अनेक अन्‍य कारकों के दबाव के कारण जब मिट्टी अपने मूल स्‍थान से कट जाती है या खिसक जाती है, तो उसे मृदा अपरदन कहा जाता है। ये दो प्रकार के होते हैं भूगर्भीय मृदा क्षरण, त्‍वरित मृदा क्षरण।

मृदा अपरदन के प्रमुख कारण:
जल द्वारा कटाव
1. बहते जल द्वारा मिट्टी की ऊपरी परत का कटाव इसे शीट कटाव कहा जाता है। यह अत्‍यंत हानिकारक होता है क्‍योंकि ये मृदा की उर्वर सतह को बहा कर ले जाता है।
2. शीट कटाव के बाद मृदा के ऊपर छोटी छोटी दरांरे दिखाई देती हैं जो बढ़ती और गहरी होती जाती हैं जो फसलों की पैदावार में कमी लाती हैं। इसे रील कटाव कहा जाता है।
3. नदियों के किनारे तीव्र धाराप्रवाह के कारण मृदा का क्षरण तीव्रता से होता है।
4. ज्‍वारीय लहरें भी तटीय मृदा को क्षति पहुंचाती हैं।
5. तीव्र वर्षा के कारण पहाड़ी क्षेत्रों की मृदा अपने स्‍थान से खिसकने लगती हैं, तो वहीं रेगिस्‍तान में शुष्‍क हवा के कारण मिट्टी अपना स्‍थान छोड़ देती है।

मानवीय गतिविधियों द्वारा मृदा का क्षरण-
1. जनसंख्‍या में अप्रत्‍याशित वृद्ध‍ि के कारण वनों का अंधाधून कटान हो रहा है जिस कारण मृदा की पकड़ ढीली हो जाती है और वह जल को तीव्रता से अवशोषित करती है। जिससे मृदा अपरदन तीव्रता से बढ़ जाता है।
2. चारागाह में विस्‍तार के कारण पहाड़ी क्षेत्र बंजर हो जाते हैं जिससे हवा आसानी से मिट्टी को उसके स्‍थान से स्‍थानांतरित कर देती है।
3. पारंपरिक सीढ़ी नुमा खेत भी मिट्टी की पकड़ को कमजोर बनाते हैं।
4. भूमि की उर्वरकता बढ़ाने के लिए अनावश्‍यक रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग भी मृदा को कमजोर बनाता है।

कारण कोई भी हो किंतु मृदा क्षरण भविष्‍य के लिए विकट समस्‍या बनती जा रही है। इसकी हानि ज्‍यादातर किसानों को भूगतनी पड़ती है, भारत अब तक 80,000 हेक्टेयर खेती की भूमि मृदा क्षरण के कारण खो चुका है। बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के प्रायद्वीप के अर्ध शुष्क क्षेत्रों में रील कटाव सक्रिय है। हाल ही में रामपूर के निकट कोसी नदी से हुए मृदा कटान से किसानों की फसलें नष्‍ट हो गयीं। गन्‍ना किसानों को अपनी फसल पशुओं को खिलानी पड़ी।

हमें इस विषय में अपनी थोड़ी जगरूकता दिखानी होगी जमीनो में केवल खेती ना करके उसमें कुछ पेड़ों को भी उगाना चाहिये ताकि पेड़ों की जड़ें मिट्टी को पकड़ के रख सकें। साथ ही नदियों के किनारे भी पेड़ों को उगाना चाहिये।

संदर्भ:

1. http://www.shareyouressays.com/essays/soil-erosion-in-india-types-and-causes-essay/120613
2. https://www.techgape.com/2015/08/soil-erosion-causes-and-remedies.html#post-page-number-1
3. https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/rampur/water-decrease-of-kosi-in-rampur



RECENT POST

  • मेहरगढ़: दक्षिण एशियाई सभ्यता और कृषि नवाचार का उद्गम स्थल
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:26 AM


  • बरोट घाटी: प्रकृति का एक ऐसा उपहार, जो आज भी अनछुआ है
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, रोडिन द्वारा बनाई गई संगमरमर की मूर्ति में छिपी ऑर्फ़ियस की दुखभरी प्रेम कहानी
    म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

     19-11-2024 09:20 AM


  • ऐतिहासिक तौर पर, व्यापार का केंद्र रहा है, बलिया ज़िला
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:28 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर चलें, ऑक्सफ़र्ड और स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालयों के दौरे पर
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, विभिन्न पालतू और जंगली जानवर, कैसे शोक मनाते हैं
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:15 AM


  • जन्मसाखियाँ: गुरुनानक की जीवनी, शिक्षाओं और मूल्यवान संदेशों का निचोड़
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:22 AM


  • जानें क्यों, सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में संतुलन है महत्वपूर्ण
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, जूट के कचरे के उपयोग और फ़ायदों के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:20 AM


  • कोर अभिवृद्धि सिद्धांत के अनुसार, मंगल ग्रह का निर्माण रहा है, काफ़ी विशिष्ट
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:27 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id