जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, रामपुर के प्राथमिक व्यवसायों में से एक व्यवसाय वस्त्र सज्जा है। यहां के लोग वस्त्रों को अलंकरित करने में निपुण होते हैं। शायद यही कारण है कि उन्होंने इसे अपने व्यवसाय के रूप में भी चुना है। वस्त्र एक ऐसी वस्तु है, जिसमें दाग लगने की संभावना सबसे ज्यादा होती है और इस पर डिज़ाइन (Design) बनाते समय विभिन्न प्रकार के दाग लग सकते हैं जिस कारण इसके विक्रेता को नुकसान हो सकता है। वस्त्रों को बेच पाने के लिए उनका साफ होना आवश्यक है, जिसके लिए वर्तमान समय में विभिन्न उपाय अपनाए जाते हैं कुछ घरेलू तो कुछ तकनीकी। दाग निवारकों में से एक है बेकिंग सोडा (Baking Soda)। चलिए जानें इसकी खूबियों के बारे में और कैसे यह हमारे वस्त्रों से मुश्किल से मुश्किल दाग हटा देता है, वह भी बिना किसी मेहनत के।
सोडा के रूपांतर बेकिंग सोडा को रासायनिक भाषा में सोडियम बाइकार्बोनेट (Sodium Bicarbonate, NaHCO3) कहा जाता है। यह ठोस क्रिस्टलीय (Crystalline) अवस्था में होता है, जिसे बाद में पीसकर चूरे का रूप दिया जाता है। इसके क्षारीय गुणों में एंटीबैक्टीरियल (Antibacterial), एंटीफंगल (Antifungal), एंटीसेप्टिक (Antiseptic) और एंटी-इंफ्लेमेट्री (Anti-Inflammatory) विशेषताएं शामिल हैं। यह अपने मूल रसायन और भौतिक गुणों के कारण दाग हटाने, दुर्गन्ध दूर करने, भोजन पकाने और आग बुझाने आदि में सहायक सिद्ध होता है।
इसका उपयोग पेस्ट (Paste) के रूप में कपड़ों की सफाई के लिए किया जाता है, इसकी क्रिस्टलीय संरचना वस्त्रों में एक नर्म घर्षण उत्पन्न करती है, जो कि संवेदनशील सतहों को खरोंचे बिना दाग को हटाने में मदद करता है। इसकी हलकी क्षारीयता (Mild Alkalinity) दाग और वसायुक्त अम्ल (Fatty Acids) पर साबुन के समान ही कार्य करती है, जिससे यह दाग पानी में आसानी से घुलकर साफ हो जाता है।
1940 के दशक की शुरुआत में अमेरिका की मैनहैटन परियोजना में तैयार किये जा रहे परमाणु बम के यूरेनियम (Uranium) का रासायनिक विषैलापन एक समस्या बन गयी थी। यूरेनियम ऑक्साइड (Uranium Oxide) के दागों को सूती कपड़ों से हटाना मुश्किल होता जा रहा था, तब उन्होंने 2% सोडियम बाइकार्बोनेट (बेकिंग सोडा) की सहायता से वस्त्रों को साफ़ किया। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि बेकिंग सोडा जब यूरेनियम जैसे रेडियोएक्टिव रासायनिक तत्व के दाग भी निकाल सकता है तो इसका यह गुण कितना महत्वपूर्ण है।
बीसवीं शताब्दी की शुरुआत तक, बेकिंग सोडा का वार्षिक विक्रय लगभग 53,000 टन था, जो आज काफी स्तर तक घट गया है किंतु इसने अपने गुणों के कारण आधुनिकीकरण के इस युग में भी अपना अस्तित्व बनाये रखा है और भविष्य में भी यह एक दाग निवारक के रूप में और अन्य खाद्य पदार्थों में उपयोग किया जाता रहेगा।
संदर्भ:
1.https://www.encyclopedia.com/science-and-technology/chemistry/compounds-and-elements/baking-soda
2.अंग्रेज़ी पुस्तक: Kohli, Nitin. 2008. Longman Science Chemistry 10, Pearson Education India
3.https://www.aarp.org/home-family/friends-family/info-2017/baking-soda-cleans-fd.html
4.https://en.wikipedia.org/wiki/Sodium_bicarbonate
5.http://www.madehow.com/Volume-1/Baking-Soda.html
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