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रामपुर में जटिल सर्जरियों को संभव बनाने वाली महान हस्तियों से मिलिए

रामपुर

 25-09-2024 09:16 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
व्यायामात् लभते स्वास्थ्यं दीर्घायुष्यं बलं सुखं।
भावार्थ: व्यायाम से स्वास्थ्य, लम्बी आयु, बल और सुख की प्राप्ति होती है।
रामपुर में हल्के बुखार के उपचार से लेकर जटिल सर्जरी तक, सभी चिकित्सा प्रक्रियाएँ बिना अधिक दौड़-भाग के शहर के भीतर ही पूरी की जा सकती हैं। बहुत कम लोग इस तथ्य से परिचित होंगे कि सर्जरी की प्रथा, सर्वप्रथम भारत से ही शुरू हुई थी। सुश्रुत को सर्जरी का जनक माना जाता है। आज दुनियाभर में भारतीय चिकित्सा प्रणाली को एक अलग पहचान हासिल है। दुनिया में सबसे अधिक डॉक्टरों की संख्या भारत में है। ऐतिहासिक रूप से भी भारत की हमेशा से ही चिकित्सा के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। आज विश्व फ़ार्मेसिस्ट दिवस (World Pharmacist Day) के अवसर पर, हम विश्व में भारतीय चिकित्सा के योगदान को समझने का प्रयास करेंगे। अंत में हम चिकित्सा विज्ञान में महान योगदान देने वाली कुछ प्रसिद्ध भारतीय हस्तियों के बारे में जानेंगे।
चिकित्सा के क्षेत्र में प्राचीन काल से ही भारत का योगदान उल्लेखनीय रहा है। भारत ने विश्व को कई बहुपयोगी चिकित्सा सेवाएँ प्रदान की हैं।
आइए, भारत द्वारा विश्व को दी गई कुछ प्रमुख चिकित्सा सेवाओं पर एक नज़र डालते हैं:
⦁ सिद्ध चिकित्सा
: आयुर्वेद मुख्य रूप से उत्तर भारत में फल-फूल रहा था। हालांकि भारत के दक्षिणी क्षेत्र में मौसमी जड़ी-बूटियों का अभाव था! इसलिए वहां के लोगों को उपचार संबंधी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। इस समस्या के समाधान के लिए, वहां के सिद्ध संतों ने लगभग 500 ईसा पूर्व में स्वयं की औषधीय पद्धतियाँ विकसित कीं। इनमें से एक सिद्ध चिकित्सा थी, जिसमें रोगों के उपचार के लिए आम मसालों, फलों, धातुओं और खनिजों का उपयोग किया जाता था।
⦁ प्रारंभिक सर्जरी: महर्षि सुश्रुत को "सर्जरी के जनक" के रूप में जाना जाता है। उन्होंने प्राचीन भारत में शल्य चिकित्सा पद्धतियों के विकास में अभूतपूर्व योगदान दिया। उनके प्रमुख कार्य, "सुश्रुत संहिता" में 300 से अधिक शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं और लगभग 120 शल्य चिकित्सा उपकरणों का विवरण मिलता है। उन्होंने सर्जरी को आठ विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया, जिसमें हड्डी की मरम्मत से लेकर अंग की सर्जरी तक सब कुछ शामिल था। रोग के लक्षणों और उपचार विधियों के बारे में उनकी अंतर्दृष्टि अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है।
⦁ प्रारंभिक प्लास्टिक सर्जरी: पहली नज़र में प्लास्टिक सर्जरी (Plastic Surgery) एक आधुनिक आविष्कार की तरह लग सकती है, लेकिन इसकी जड़ें 2000 ईसा पूर्व के भारत में खोजी जा सकती हैं। उस समय विकसित की गई सर्जरी की तकनीकें आज की तकनीकों से काफ़ी मिलती-जुलती हैं। सुश्रुत के लेखन में शल्य चिकित्सा उपकरणों का वर्णन मिलता है, जो आधुनिक सर्जरी में भी प्रासंगिक हैं। उस समय प्लास्टिक सर्जरी का प्राथमिक उद्देश्य केवल कॉस्मेटिक सुधार (Cosmetic improvements) नहीं था, बल्कि विकृत अंगों, विशेष रूप से नाक और कान के पुनर्निर्माण पर केंद्रित था।
⦁ कुष्ठ रोग उपचार: भारत को कुष्ठ रोग के इलाज के कुछ शुरुआती उल्लेखों का श्रेय दिया जाता है। कुछ विद्वानों का तर्क है कि महर्षि सुश्रुत की "संहिता" में कुष्ठ रोग के उपचारों के संदर्भ मिलते हैं, जबकि ऑक्स्फ़ोर्ड (Oxford) का दावा है कि कुष्ठ रोग के लिए अनुष्ठानिक उपचार का वर्णन सबसे पहले अर्थ-वेद (Atharva Veda) में किया गया था। दोनों ही स्थितियों में कुष्ठ रोग का इलाज वास्तव में भारत में ही शुरू हुआ था।
⦁ लिथियासिस के लिए उपचार: लिथियासिस (Lithiasis) मानव शरीर में पथरी के निर्माण को संदर्भित करता है। पथरी अक्सर गुर्दे, पित्ताशय या मूत्राशय जैसे अंगों में होती है। सुश्रुत संहिता में पथरी के गठन के इलाज के लिए मूत्राशय को उजागर करने की प्रक्रियाओं का विस्तृत विवरण मिलता है।
⦁ विसरल लीशमैनियासिस उपचार (Visceral Leishmaniasis): 1929 में, उपेंद्र नाथ ब्रह्मचारी द्वारा यूरिया स्टिबामाइन (Urea Stibamine) की खोज की गई। इसका उपयोग, विसेरल लीशमैनियासिस (Visceral Leishmaniasis) के उपचार के लिए किया जाता है। इसे अक्सर काला बुखार (Kala Azar) भी कहा जाता है। इस महत्वपूर्ण खोज के कारण, उनका नामांकन, चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) के लिए भी किया गया था। हालाँकि उन्होंने यह पुरस्कार नहीं जीता, लेकिन उनके काम का वैश्विक स्तर पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है।
भारतीय इतिहास में कई ऐसी महान हस्तियों हुई हैं, जिन्होंने वैश्विक चिकित्सा विज्ञान में अतुलनीय योगदान दिया है। ऐसी ही कुछ प्रभावशालीहस्तियों में शामिल हैं:
⦁ हट्टंगडी शशिधर भट (1921-2010): हट्टंगडी शशिधर भट को भारत में यूरोलॉजी (Urology) के क्षेत्र में अग्रणी व्यक्ति माना जाता है। वे एक दूरदर्शी, असाधारण शिक्षक और कुशल सर्जन थे। वे पुनर्निर्माण यूरोलॉजी (Reconstructive Urology) में मूत्राशय फ़्लैप (Bladder Flap), आंत, टेफ्लॉन (Teflon) और पेनाइल प्रोस्थेसिस (Penile Prosthesis) का उपयोग करने वाले भारत के पहले सर्जन थे। उन्होंने सीएमसी (CMC), वेल्लोर में यूरोलॉजी विभाग (Urology Department) की शुरुआत की और इसे विकसित करने में मदद की। उनके अधीन यूरोलॉजी में प्रशिक्षण लेने के लिए अन्य संस्थानों के सर्जन भी पहुंचे। वे अपने अस्पतालों में अपना खुद का यूरोलॉजी विभाग स्थापित करना चाहते थे।
⦁ आर्थर सरवनमुथु थंबिया (1924-2011): आर्थर सरवनमुथु थंबिया को भारत में त्वचाविज्ञान (Dermatology) अभ्यास का जनक कहा जाता है। उनके प्रसिद्ध शोधपत्रों में, 1963 में लिपोइड प्रोटीनोसिस (Lipoid Proteinosis) का पहला एशियाई मामला और 1969 में डेरियर रोग (Darier's Disease) की हड्डियों में सिस्टिक परिवर्तनों की पहली विश्व रिपोर्ट शामिल है।
⦁ दरब केरसप दस्तूर (1924-2000) और औतार सिंह पेंटल (1925-2004): दरब केरसप दस्तूर और औतार सिंह पेंटल को भारतीय तंत्रिका विज्ञान (Neuroscience) के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। दरब केरसप दस्तूर ने मस्तिष्क ट्यूमर (Brain Tumor) और मांसपेशियों की बीमारियों पर महत्वपूर्ण शोध किये। उनके शोध ने न्यूरो-ट्यूबरकुलोसिस (Neuro-Tuberculosis), न्यूरो-ऑन्कोलॉजी (Neuro-Oncology), तंत्रिका तंत्र के विकास संबंधी विकारों और प्रोटीन-कैलोरी कुपोषण (Protein-Calorie Malnutrition) के विकृति विज्ञान को विकसित करने में मदद की। उन्हें बॉम्बे विश्वविद्यालय में न्यूरोपैथोलॉजी (Neuropathology) के प्रोफ़ेसर के रूप में नियुक्त किया गया था, जो भारत में अपनी तरह का पहला पद था।
⦁ हर गोबिंद खुराना (1922-2011): हर गोबिंद खुराना, रासायनिक जीव विज्ञान (Chemical Biology) के संस्थापक और आणविक जीव विज्ञान (Molecular Biology) के अग्रणी व्यक्ति थे। वे प्रोटीन संश्लेषण (Protein Synthesis) में न्यूक्लियोटाइड की कार्यविधि को दिखने वाले पहले शोधकर्ताओं में से एक थे। उन्होंने आनुवंशिक कोड (Genetic Code) को समझने में भी काफ़ी मदद की। उन्होंने कोएंजाइम ए (Coenzyme A) नामक एक जटिल अणु को संश्लेषित किया। इस सफलता ने उन्हें अपने समय के सबसे महत्वपूर्ण जैविक रसायनज्ञों (Biochemists) में से एक बना दिया। आनुवंशिक कोड को समझने में उनके योगदान के लिए, उन्हें 1968 में फ़िज़ियॉलोजी या मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize in Physiology or Medicine) भी प्रदान किया गया।

संदर्भ
https://tinyurl.com/22j5nhrn
https://tinyurl.com/295dn5gd
https://tinyurl.com/2afossdu
https://tinyurl.com/26qhqqkr

चित्र संदर्भ
1. हर गोबिंद खुराना जी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. विश्व फ़ार्मेसिस्ट दिवस लेखन को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
3. महर्षि सुश्रुत को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. आयुर्वेदिक उपचार को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. नोबेल पुरस्कार जीतने वाले रासायनिक जीव विज्ञान के संस्थापक हर गोबिंद खुराना को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)


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