Post Viewership from Post Date to 02-Oct-2024 (5th) Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2290 59 2349

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

रामपुर में सॉ-स्केल्ड वाइपर ना ही दिखे तो बेहतर है !

रामपुर

 27-09-2024 09:17 AM
रेंगने वाले जीव
रामपुर में लगे छुटपुट मेलों या यहां के बाज़ारों में आपको सपेरे भी दिखाई दे जाते होंगे। इन सपेरों के पिटारे में अलग-अलग प्रजाति के सांप होते हैं । हालांकि यह संभव है कि माहिर से माहिर सपेरा भी अपने पिटारे में भारतीय सॉ-स्केल्ड वाइपर (Indian Saw-scaled Viper) जैसे ज़हरीले सांप को रखना पसंद नहीं करेगा। ख़ासकर की तब जब उसका ज़हर निकाला न गया हो। इस सांप का नाम, एशिया में पाए जाने वाले सबसे विषैले सांपों में शुमार है।
आज के इस लेख में हम, सॉ-स्केल्ड वाइपर के दिलचस्प नाम के पीछे के कारण के साथ-साथ इसके प्राकृतिक आवास, आहार और व्यवहार पर भी करीब से नज़र डालेंगे। अंत में, हम भारतीय सॉ-स्केल्ड वाइपर के ज़हर और मनुष्यों के लिए इसके संभावित खतरों पर भी चर्चा करेंगे।
सॉ-स्केल्ड वाइपर, भारत में पाए जाने वाले "बिग फ़ोर (Big Four)" श्रेणी के विषैले साँपों में से एक है। इसे वैज्ञानिक रूप से इचिस कैरिनेटस (Echis carinatus) के नाम से जाना जाता है। इसे अपना यह नाम, इसके विशिष्ट शल्कों (Scales) के कारण मिला है। ये शल्क, तीखे और नुकीले होते हैं। जब इस साँप को खतरा महसूस होता है, तो यह अपने शरीर को "S" आकार में मोड़ लेता है। गति के दौरान जब इसके शल्क आपस में रगड़ते हैं, तो इनसे लकड़ी को काट रही आरी (Saw) जैसी ध्वनि निकलती है। यह आवाज़ संभावित शिकारियों के लिए चेतावनी का काम करती है।
सॉ-स्केल्ड वाइपर, अपेक्षाकृत छोटे साँप होते हैं। वे आम तौर पर केवल 1 से 3 फ़ीट लंबे होते हैं। हालाँकि, इनके छोटे आकार के कारण इनके शिकार कौशल पर कोई असर नहीं पड़ता है। यह वाइपर, छलावरण (Camouflage) में माहिर होता है और अपने वातावरण में अच्छी तरह घुल-मिल जाता है। यह साइडवाइंडिंग (Sidewinding) गति में सरकता है। यह हरकत उसे रेतीली सतहों पर कम घर्षण के साथ सरकने में मदद करती है। इस अनोखे तरीके से सरकने की वजह से, साँप को आसानी से पहचाना जा सकता है।
सॉ-स्केल्ड वाइपर का ज़हर, बेहद ख़तरनाक होता है। यह रक्त को जमने से रोक सकता है और शरीर की कोशिकाओं तथा ऊतकों को नुकसान पहुँचा सकता है। इस साँप से मुठभेड़ करने वाले जीव को साक्षात् यमराज के दर्शन हो जाते हैं।
सॉ-स्केल्ड वाइपर की कुल लंबाई, आमतौर पर 38 से 80 सेमी (लगभग 15 से 31 इंच) के बीच होती है। हालांकि अधिकांश सांप, 60 सेमी से कम लंबे होते हैं। इस सांप की सबसे उल्लेखनीय विशेषताओं में इसका अनोखा सिर भी शामिल है, जो इसके शरीर से स्पष्ट रूप से अलग होता है।
सिर और गर्दन:
सिर, गर्दन से स्पष्ट रूप से अलग होता है।
नाक छोटी और गोल होती है, जिसमें तीन ढाल होते हैं।
स्केल:
सिर पर छोटे, मुड़े हुए स्केल होते हैं।
आँखों के ऊपर बड़े सुप्राओकुलर स्केल (Supraocular scales) होते हैं।
खोपड़ी की विशेषताएँ:
आँखों के बीच, 9 से 14 इंटरऑक्यूलर स्केल (Interocular scales) होते हैं।
प्रत्येक आँख के चारों ओर, 14 से 21 सर्कमऑर्बिटल स्केल (Circumorbital scales) होते हैं।
होंठ के स्केल:
10 से 12 ऊपरी होंठ के स्केल (सुप्रालबियल - Supralabial) होते हैं।
10 से 13 निचले होंठ के स्केल (सबलैबियल - Sublabial) होते हैं।
पीठ के स्केल:
- पीठ पर, 25 से 39 पंक्तियों के घुमावदार स्केल होते हैं, जिनमें छोटे गड्ढे और दाँतेदार किनारे होते हैं।
पेट के स्केल:
पेट पर, 143 से 189 गोल स्केल होते हैं, जो इसकी चौड़ाई को कवर करते हैं।
सॉ-स्केल्ड वाइपर का रंग पीला, भूरा, लाल, ज़ैतून और हल्का भूरा होता है। इसके पीठ के बीच में विभिन्न रंगों के गहरे भूरे धब्बे होते हैं, जबकि शरीर के किनारों पर सफ़ेद मेहराब होते हैं। सिर के ऊपर सफ़ेद क्रॉस या त्रिशूल पैटर्न (Trident pattern) देखा जा सकता है, और आँख से जबड़े के कोने तक, एक पतली पट्टी होती है। इसका पेट हल्का गुलाबी रंग का होता है।
भारतीय सॉ-स्केल्ड वाइपर का वितरण और आवास: भारतीय सॉ-स्केल्ड वाइपर, आमतौर पर प्रायद्वीपीय और उत्तर-पश्चिम भारत में पाए जाते हैं। ये ओड़िशा और पश्चिम बंगाल के पूर्वोत्तर क्षेत्रों में नहीं पाए जाते हैं। ये वाइपर, खुले झाड़ीदार इलाकों, झाड़ियों वाले जंगलों और चट्टानी इलाकों में रहते हैं। ये ढीली चट्टानों के नीचे, दरारों में, पत्तों के ढेर के बीच और पेड़ की छाल के पीछे छिपते हैं।
आहार और व्यवहार: भारतीय सॉ-स्केल्ड वाइपर, मुख्य रूप से छोटे कृंतक, छिपकली और कभी-कभी कीड़े और बिच्छू आदि को खाते हैं। ये रात में सक्रिय होते हैं, विशेष रूप से बरसात और उमस भरी रातों के बाद । हालांकि ये मुख्य रूप से ज़मीन पर रहते हैं, लेकिन दिन के दौरान, धूप सेंकने के लिए झाड़ीदार वनस्पतियों पर चढ़ सकते हैं। जब बारिश होती है तब भी ये झाड़ियों पर चढ़ जाते हैं। उत्तरी वाइपर की प्रजातियों को ठंडे महीनों के दौरान हाइबरनेट (Hibernate) करने के लिए जाना जाता है। जब ख़तरा होता है, तो ये सरीसर्प कुंडलित हो जाते हैं और अपने शल्कों को आपस में रगड़कर तेज़ आवाज़ निकालते हैं। ये बेहद आक्रामक और काटने में तेज़ होते हैं, और तेज़ी से हमला करते हैं।
भारतीय सॉ-स्केल्ड वाइपर कितने घातक हो सकते हैं?
एक भारतीय सॉ-स्केल्ड वाइपर, औसतन लगभग 18 मिलीग्राम सूखा ज़हर पैदा करता है। इसकी अधिकतम दर्ज मात्रा 72 मिलीग्राम है। यह एक बार में 12 मिलीग्राम तक ज़हर इंजेक्ट कर सकता है। इसके विष के संपर्क में आने वाले व्यक्ति में गंभीर प्रणालीगत लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जो तुरंत इलाज न किए जाने पर घातक हो सकते हैं। सॉ-स्केल्ड वाइपर के दंश के शिकार लोगों को अक्सर काटी गई जगह पर तुरंत सूजन और दर्द का अनुभव होता है। गंभीर मामलों में, यह सूजन, 12 से 24 घंटों के भीतर पूरे अंग में फैल सकती है, जिससे संभावित रूप से त्वचा पर छाले पड़ सकते हैं। इंजेक्ट किए गए विष की मात्रा, साँपों के बीच और यहाँ तक कि एक ही साँप के अलग अलग जगह काटने पर भी काफ़ी भिन्न हो सकती है। इनके काटने से मृत्यु होने का अनुमान , लगभग 20% होता है। हालांकि एंटीवेनम (Antivenom) की उपलब्धता के कारण, मौतों की संख्या कम हो गई है ।

संदर्भ
https://tinyurl.com/22xs2xwk
https://tinyurl.com/233lb293
https://tinyurl.com/28933xhc
https://tinyurl.com/278p5c5m

चित्र संदर्भ
1. सॉ-स्केल्ड वाइपर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. चौकन्ने सॉ-स्केल्ड वाइपर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. पत्थर की आड़ में छिपे सॉ-स्केल्ड वाइपर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. जीभ बाहर निकाले सॉ-स्केल्ड वाइपर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)


***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • जानें कैसे लोगों का मन मोह रही है, कपड़ों पर ऊनी धागों से बनी क्रुएल कढ़ाई
    स्पर्शः रचना व कपड़े

     18-10-2024 09:20 AM


  • गंभीर रूप से लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध हैं रहस्यमयी मालाबार सिवेट
    स्तनधारी

     17-10-2024 09:22 AM


  • दुनिया भर में अपनाई जाती है लिनियस द्वारा विकसित पहली जीवों की पदानुक्रमित नामकरण प्रणाली
    कोशिका के आधार पर

     16-10-2024 09:25 AM


  • स्वचालन ने खनन कार्यों को विडियो गेम जैसा बना दिया है !
    खदान

     15-10-2024 09:19 AM


  • छुईमुई को स्पर्श करने पर, वह प्रदर्शित करेगा, निक्टिनैस्टिक व्यवहार
    व्यवहारिक

     14-10-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, कैसे बनते हैं आलू के चिप्स
    वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली

     13-10-2024 09:14 AM


  • द लायन, द विच, एंड द वार्डरोब: बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाती एक रोमांचक कहानी!
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-10-2024 09:23 AM


  • रामपुर जैसे छोटे शहरों के आर्थिक विकास में, विभिन्न बैंक कैसे मदद करते हैं?
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     11-10-2024 09:16 AM


  • अत्यंत भव्य एवं आकर्षक है, दक्षिण भारत के मंदिरों की द्रविड़ वास्तुकला
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     10-10-2024 09:15 AM


  • विश्व डाक दिवस विशेष: बाज़ार कार्ड, कैसे बन गए स्वतंत्रता-पूर्व भारत के सोशल मीडिया
    संचार एवं संचार यन्त्र

     09-10-2024 09:10 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id