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टाटा समूह, न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर औद्योगिक जगत के सबसे बड़े दिग्गजों में से एक है। दुनिया की कई कंपनियां साथ मिलकर जितना राजस्व जमा करती हैं, उससे अधिक राजस्व तो टाटा समूह द्वारा परोपकार के कार्यों में लगा दिया जाता है। यदि आप टाटा समूह के फर्श से अर्श तक पहुंचने के ऐतिहासिक सफर को साक्षात देखना चाहते हैं, तो आप झारखंड में स्थित देश के सबसे अत्याधुनिक औद्योगिक शहर "जमशेदपुर" का भ्रमण कर सकते हैं। 1.3 मिलियन की आबादी और 75% साक्षरता दर वाला जमशेदपुर इतना स्वच्छ है, कि जहां के निवासी आज भी बिना हिचके सीधे नल से पानी पी सकते हैं।
जमशेदपुर झारखंड का सबसे बड़ा और सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। इस शहर को अपने खूबसूरत जंगलों, प्राचीन मंदिरों और शाही महलों के लिए जाना जाता है। इसके अलावा जमशेदपुर को इसकी स्वच्छता के लिए भी जाना जाता है। 2019 और 2020 में इसे भारत का सबसे स्वच्छ शहर माना गया है। यह शहर दुनिया में 84वें सबसे तेज गति से विकसित होते शहर के रूप में रैंकिंग कर रहा है। जमशेदपुर, नया रायपुर के बाद भारत के पहले "स्मार्ट शहरों" में से एक है। भारत की कुछ सबसे बड़ी कंपनियां भी जमशेदपुर से ही अपना व्यवसाय चला रही हैं।
इनमें अधिकांश कंपनियां टाटा समूह द्वारा नियंत्रित की जाती हैं, जिनमें शामिल हैं:
- टाटा स्टील (Tata Steel)
- टाटा मोटर्स (Tata Motors)
- टाटा पावर (Tata Power)
- टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (Tata Consultancy Services)
इसके अलावा टेल्कॉन (Telcon), लाफार्ज सीमेंट (Lafarge Cement) और प्रैक्सेयर और बीओसी गैस (Praxair and BOC Gas) जैसी अन्य बड़ी कंपनियाँ भी शहर की औद्योगिक क्षमता को बढ़ाती हैं। जमशेदपुर के एक क्षेत्र आदित्यपुर में 1,200 छोटे और मध्यम उद्योग हैं, जो इसे एक महत्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र बनाते हैं। यह शहर अपने उच्च जीवन स्तर के लिए भी जाना जाता है। यहाँ पर चौड़ी सड़कें, छायादार पेड़, पार्क, बगीचे, मंदिर, मस्जिद, चर्च, स्कूल, कॉलेज और अस्पताल के साथ-साथ एक चिड़ियाघर भी है। इस शहर को बहुत ही सावधानीपूर्वक और योजनाबद्ध तरीके से डिज़ाइन किया गया था ताकि इसके निवासियों के लिए एक आरामदायक और सुविधाजनक रहने का माहौल प्रदान किया जा सके, जो वहाँ स्थित विभिन्न टाटा कंपनियों में काम करते हैं। यह देश का पहला नियोजित औद्योगिक शहर था और इसकी स्थापना भारत के महान उद्योगपति तथा विश्व प्रसिद्ध औद्योगिक घराने टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी नसरवानजी टाटा (Jamsetji Nusserwanji Tata) द्वारा की गई थी।
इस शहर को मूल रूप से 'साकची' कहा जाता था। 1919 में, इसके संस्थापक जमशेदजी नसरवानजी टाटा के सम्मान में इसका नाम बदलकर जमशेदपुर कर दिया गया। यहाँ टाटा की कई कंपनियां होने के कारण इसे 'स्टील सिटी (Steel City)', 'टाटानगर' या बस 'टाटा' के नाम से भी जाना जाता है।
इस शहर के संस्थापक जमशेदजी टाटा, स्टील उत्पादन में वृद्धि करके देश को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे। 1900 के दशक की शुरुआत में, वे भारत का सबसे अच्छा स्टील प्लांट (steel plant) बनाना चाहते थे। अपने प्लांट के लिए सबसे अच्छी जगह खोजने के लिए उन्होंने भूविज्ञानी चार्ल्स पेज पेरिन (Charles Page Perin) के साथ मिलकर काम किया। अप्रैल 1904 में, दोराबजी टाटा, शापुरजी सकलतवाला और सी.एम. वेल्ड (Dorabji Tata, Shapurji Saklatvala, and C.M. Weld) सहित एक टीम ने लोहे, कोयले, चूना पत्थर और पानी से भरपूर जगह की खोज की। उन्हें सुवर्णरेखा और खरकई नदियों के पास मौजूद साकची स्थान इसके लिए आदर्श लगा। यहाँ पर उनके स्टील प्लांट का निर्माण 1908 में शुरू हुआ, जहाँ 16 फरवरी, 1912 के दिन पहला स्टील बनाया गया।
स्टील के अलावा जमशेदपुर कोयला, लौह अयस्क और मैंगनीज जैसे संसाधनों से भी समृद्ध है, जो स्टील बनाने के लिए आवश्यक हैं। टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (Tata Iron and Steel Company) (अब टाटा स्टील) की स्थापना जमशेदजी टाटा ने 1907 में की थी। समय के साथ, टाटा स्टील वैश्विक स्टील उद्योग में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में विकसित हुआ। आज, जमशेदपुर अपने मजबूत स्टील उत्पादन और आर्थिक विकास के लिए जाना जाता है।
टाटा स्टील ने भारत के स्टील उद्योग के विकास में एक बड़ी भूमिका निभाई है। यह कंपनी दुनिया भर में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए आधुनिक तकनीक और पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं का उपयोग करती है।
टाटा स्टील, जिसे मूल रूप से टिस्को (TISCO) कहा जाता था, ने 1911 में पिग आयरन (pig iron) और 1912 में स्टील बनाना शुरू किया। बाद में, इसने बर्मा शेल (Burma Shell) के साथ मिलकर टाटा टिनप्लेट (Tata Tinplate) का गठन किया, जो अब भारत के लगभग 70% बाजार को नियंत्रित करता है।
भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, टाटा स्टील का विस्तार होता रहा। 1958 तक, प्लांट हर साल 2 मिलियन टन स्टील का उत्पादन कर सकता था। 1970 तक, टाटा स्टील एक प्रमुख नियोक्ता बन चुका था, जिसने जमशेदपुर में लगभग 40,000 लोगों और आस-पास की कोयला खदानों में कई लोगों को रोज़गार दिया। 2000 के दशक तक, कंपनी सालाना 5 मिलियन टन स्टील का उत्पादन कर रही थी और 2020 तक यह संख्या बढ़कर लगभग 20 मिलियन टन हो गई।
टाटा स्टील समुदाय की मदद करने पर भी ध्यान केंद्रित करता है। इसके सामाजिक कार्यक्रम शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और ग्रामीण विकास में सुधार करते हैं, जिससे कई लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है। टाटा स्टील का जमशेदपुर प्लांट भारत में सबसे बड़ी और सबसे उन्नत स्टील बनाने वाली सुविधाओं में से एक है। यहाँ पर हर साल लगभग 10 मिलियन टन स्टील का उत्पादन किया जाता है। वास्तव में एक लौह अयस्क से स्टील बनाने की प्रक्रिया बेहद जटिल होती है और इसके लिए बहुत अधिक विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है।
पहले चरण में एलडी प्रक्रिया (LD process) नामक प्रक्रिया का उपयोग करके गर्म धातु को स्टील में बदला जाता है।
इसके बाद स्टील को विभिन्न रूपों में आकार दिया जाता है:
- फ्लैट उत्पाद (flat products): स्टील को स्लैब में ढाला जाता है और फिर गर्म कॉइल (hot coil) में रोल किया जाता है। इनमें से कुछ कॉइल को आगे ठंडे कॉइल (cold coil) में रोल किया जाता है और उन्हें मजबूत बनाने के लिए एक सुरक्षात्मक परत के साथ लेपित किया जाता है।
- लंबे उत्पाद (long products): स्टील को बिलेट में ढाला जाता है और फिर लंबी, पतली छड़ों में रोल किया जाता है जिन्हें रीबार (rebar) और वायर रॉड (wire rod) कहा जाता है।
स्टील के इन विभिन्न रूपों का उपयोग इमारतों, कारों और उपकरणों जैसे विभिन्न उत्पादों को बनाने के लिए किया जाता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/yujjb87e
https://tinyurl.com/4wn5svzs
https://tinyurl.com/4cmzbjff
https://tinyurl.com/2p9wdxhw
https://tinyurl.com/4ws67f5s
चित्र संदर्भ
1. 'जमशेदपुर' में मुग़ल गार्डन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. जमशेदपुर के शहरी दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. जमशेदपुर में स्थित स्टेडियम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. रात्रि में जमशेदपुर के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. जमशेदपुर में एक औद्योगिक प्लांट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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