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भारतीय लोगों के चाय के प्रति प्रेम से पूरी दुनिया वाक़िफ़ है। लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि भारत में चाय की शुरुआत सबसे पहले अंग्रेज़ो ने की थी। हालाँकि चाय केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनियाँ में लोकप्रिय है। इसकी लोकप्रियता का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि, आज हवा और पानी के बाद सबसे अधिक उपभोग की जाने वाला पेय चाय बन गई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चाय की खोज आकस्मिक हुई थी।
चाय की खोज आज से लगभग 5,000 साल से भी पहले, चीन में हुई थी। कहा जाता है कि शेन नोंग (Shen Nong) नाम के एक चीनी शासक ने चाय को संयोगवश खोजा था। कहा जाता है कि वह पानी उबाल रहे थे और अचानक ही चाय की कुछ पत्तियाँ उस उबलते हुए पानी में गिर गईं। शेन नोंग को चाय की पत्तियों वाले पानी की गंध और स्वाद बहुत पसंद आया।
इसके बाद चाय महज ताज़गी के साथ, चीनी संस्कृति का एक अभिन्न अंग बन गई। चीन में यह प्रतिष्ठा और परिष्कार का प्रतीक बन गई । इसके बाद चीन के कुशल चाय उस्तादों ने चाय को सुंदरता और सटीकता के साथ तैयार किया और परोसा तथा इसे एक कला के रूप में बदल दिया।
धीरे-धीरे चाय जापान और भारत जैसे अन्य एशियाई देशों में भी लोकप्रिय हो गई। पश्चिमी दुनिया तक चाय यूरोपीय व्यापार और अन्वेषण के माध्यम से पहुंची। ब्रिटेन में भी चाय, शान और प्रतिष्ठा का प्रतीक बन गई, जहाँ लोग नाश्ते और बातचीत के साथ दोपहर की चाय का आनंद लेते थे।
आज के समय में चाय एक वैश्विक पेय बन गई है, जिसके कई स्वाद और ढेरों फायदे होते हैं। चाय पाचन में मदद करती है और एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidant) प्रदान करती है। चाय एक सामाजिक पेय भी है, जिसे लोग दोस्तों, परिवार या प्रेमी के साथ पीना खूब पसंद करते हैं।
भारत को आज दुनिया के सबसे बड़े चाय उत्पादकों में से एक का दर्जा प्राप्त है। भारत में चाय की यात्रा सदियों पहले तब शुरू हुई जब चीन से यूरोप की यात्रा करने वाले “रेशम के कारवां” के माध्यम से इसे यहाँ लाया गया।
दिलचस्प बात यह है कि कैमेलिया सिनेंसिस पौधा (Camellia Sinensis Plant), जिससे चाय प्राप्त होती है, को भारत का मूल निवासी माना जाता है। इसके लोकप्रिय होने से बहुत पहले भी इसे भारत के जंगलों में उगते हुए पाया जाता था। भारत के स्वदेशी लोग भी कभी-कभी पत्तियों को अपने आहार में शामिल करते थे, लेकिन वह मुख्य रूप से उनका उपयोग अपने औषधीय गुणों के लिए करते थे।
भारत में चाय की औपचारिक शुरुआत अंग्रेजों द्वारा की गई थी। अंग्रेज चाय पर चीन के एकाधिकार को तोड़ना चाहते थे। उन्होंने देखा कि भारतीय मिट्टी और जलवायु, चाय के पौधों की खेती के लिए आदर्श साबित हो रही थी। परिणामस्वरूप, उन्होंने भारत में एक चाय बागान स्थापित करने का निर्णय लिया। 1776 में, प्रसिद्ध अंग्रेजी वनस्पतिशास्त्री सर जोसेफ बैंक्स (Sir Joseph Banks) ने सुझाव दिया कि भारत में चाय की खेती की जानी चाहिए। इसके बाद, 1780 में, रॉबर्ट किड (Robert Kidd) ने कथित तौर पर चीन से प्राप्त बीजों का उपयोग करके भारत में चाय की खेती का प्रयोग किया। कुछ दशकों बाद, रॉबर्ट ब्रूस(Robert Bruce) ने ऊपरी ब्रह्मपुत्र घाटी में जंगली चाय के पौधों की खोज की। मई 1823 में असम से पहली भारतीय चाय सार्वजनिक बिक्री के लिए इंग्लैंड भेजी गई थी।
भारत में चाय उद्योग ने 1840 के दशक की शुरुआत में आकार लेना शुरू किया। प्रारंभ में, चाय के पौधों का परीक्षण असम, फिर दार्जिलिंग और कांगड़ा घाटी जैसे अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में किया गया। कई सफल परीक्षणों के बाद, 1841 में दार्जिलिंग में आधिकारिक चाय बागान स्थापित किए गए। भारत में चाय उद्योग ब्रिटिश काल के बाद से ही फल-फूल रहा है।
भारत के चाय शहर के रूप में जाना जाने वाला डिब्रूगढ़ असम का चौथा सबसे बड़ा शहर है, जो ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर स्थित है। यह शहर भारत के असम चाय उत्पादन में लगभग 50% योगदान देता है।
भारतीय चाय बोर्ड (Indian Tea Board) के अनुसार, 2021 में, भारतीय चाय उद्योग ने अपना अब तक का सबसे अधिक उत्पादन और निर्यात क्रमशः 1325.05 मिलियन किलोग्राम और 256.57 मिलियन किलोग्राम दर्ज करके इतिहास रच दिया।
आज चाय एक ऐसा पेय बन चुका है, जिसका आनंद हर दिन करोड़ों लोग लेते हैं। लेकिन इसकी सरल और साफ़ छवि के पीछे सदियों पुराना और कई महाद्वीपों तक फैला एक जटिल और हिंसक इतिहास भी छिपा हुआ है।
चाय सबसे पहले चीन में उगाई गई, जहाँ इसकी कीमत बहुत अधिक हुआ करती थी । 1600 के दशक में जब यूरोपीय लोगों ने चीन से चाय खरीदना शुरू किया, तो उन्हें बहुत सारे कर चुकाने पड़े और कई जोखिमों का सामना करना पड़ा। कुछ लोगों ने चाय की तस्करी करने या इसे अपने देश ले जाने के लिए अमेरिका में प्रसिद्ध बोस्टन टी पार्टी (Boston Tea Party) जैसे संघर्ष हुए।
अंग्रेज चाय से अधिक पैसा कमाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने चीन को चाय के बदले में एक खतरनाक दवा अफ़ीम खरीदने के लिए मजबूर किया। इसके बाद चीन ने बहुत संकट देखे और वहाँ पर कई युद्ध हुए। चीन का एकाधिकार समाप्त करने के लिए अंग्रेजों ने अपने लोगों को भारत, श्रीलंका और अफ्रीका जैसे अन्य स्थानों पर चाय उगाने के लिए भी भेजा। यहाँ उन्होंने विशाल फार्म बनाए, लेकिन उन्होंने यहाँ के श्रमिकों के साथ बहुत बुरा गुलामों जैसा व्यवहार किया।
हालाँकि आज के समय में स्थिति पूरी तरह से बदल गई है। आज चाय की खेती किसानों के लिए इतनी लाभदायक हो चुकी है कि आप चाय की क़ीमतों के बारे में जानकर दंग रह जाएँगे।
1. टाईगुआयिन चाय($3,307/किग्रा): टाईगुआयिन चाय (Tieguanyin Tea) चीन की एक दुर्लभ और महंगी चाय है। इसे पहली बार 1800 के दशक में फ़ुज़ियान प्रांत में उगाया गया था और इसका नाम एक बौद्ध देवी के नाम पर रखा गया था। यह चाय बहुत सावधानी और कुशलता से बनाई जाती है। इसे सुखाने, बेलने, रंग बदलने और गर्म करने जैसे कई चरणों से गुज़ारा जाता है। ये चरण चाय का विशेष स्वाद और गंध बनाने में मदद करते हैं। चाय में थोड़ी कड़वाहट के साथ फूलदार और फल जैसा स्वाद होता है। फ़ुज़ियान प्रांत में एंक्सी काउंटी (Anxi County) की जलवायु और मिट्टी विशेष है जो इस चाय के स्वाद को बेहतर बनाती है।
2. विंटेज नार्सिसस: विंटेज नार्सिसस (Vintage Narcissus $7,165/किग्रा) चीन की एक दुर्लभ और महंगी ऊलोंग चाय(Oolong Tea) है। यह वुई पर्वत में उगाई जाती है और इसका नाम चीनी भाषा में "जल परी" होता है। इस चाय को अपने उत्कृष्ट स्वाद और सुगंध के लिए जाना जाता है। इस चाय का स्वाद दशकों तक, कभी-कभी तो 50 साल से भी अधिक समय तक पुराना रहने पर और भी बढ़ जाता है। जितनी पुरानी चाय होगी, इसका स्वाद उतना ही अधिक जटिल और समृद्ध हो जाता है। चॉकलेट, लकड़ी, फूल और मेवों की महक के साथ चाय का स्वाद गहरा और तेज़ है। विंटेज नार्सिसस को ढूंढना और उगाना बहुत कठिन है, इसलिए यह बहुत मूल्यवान है। यह एक लक्जरी चाय है जो कई संग्रहकर्ताओं और पारखी लोगों को आकर्षित करती है।
3. पीजी टिप्स डायमंड टी बैग ($15,000/टी बैग): पीजी टिप्स डायमंड टी बैग (Pg Tips Diamond Tea Bag) एक बेहद खास और महंगा टी बैग होता है। इसे प्रसिद्ध ब्रिटिश चाय कंपनी पीजी टिप्स के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाने के लिए बनाया गया था। यह टी बैग बेहद खूबसूरत होते है और इस पर 280 हीरे जड़े हुए होते हैं। यह एक आभूषण की तरह दिखता है ,जिसे आप पहन सकते हैं। टी बैग के अंदर की चाय भी बहुत खास होती है। इसे सिल्वर टिप्स इंपीरियल (Silver Tips Imperial) चाय की पत्तियों से बनाया गया है, जो भारत के बहुत अच्छे चाय फार्म में उगती है। चाय और आभूषण पसंद करने वाले लोगों के लिए यह एक सपना है।
4. पांडा डंग टी ($70,000/किग्रा): पांडा डंग टी (Panda Dung Tea) चीन की एक खास और महंगी चाय है। इसे पांडा के मल से बनाया जाता है। पांडा अधिकतर बांस खाते हैं, लेकिन वे इसकी सारी खूबियों का उपयोग नहीं करते हैं। उनके मल में इसका बाकी हिस्सा होता है, जो चाय के पौधों को बेहतर ढंग से बढ़ने में मदद करता है। चाय बनाने का यह तरीका पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है।
5. दा होंग पाओ “Da Hong Pao”($1.2 मिलियन/किग्रा): दा होंग पाओ, जिसे बिग रेड रॉब (Big Red Robe,) के नाम से भी जाना जाता है, एक समृद्ध इतिहास वाली दुर्लभ और प्रसिद्ध चाय है। इसकी कीमत 1.2 मिलियन डॉलर प्रति किलोग्राम या 2,400 डॉलर प्रति कप हो सकती है, जो इसे विलासिता और परंपरा का प्रतीक बनाती है। यह चाय चीन के धूमिल वुई पर्वत (Foggy Wuyi Mountains) में उगती है और इसका इतिहास मिंग राजवंश से जुड़ा है। यह चाय एक अनोखे वातावरण में उगाई जाती है जहां की चट्टानी मिट्टी और धूमिल जलवायु इसे अद्वितीय स्वाद प्रदान करती है।
संदर्भ
Http://Tinyurl.Com/Bdf8vsfz
Http://Tinyurl.Com/52dr8u92
Http://Tinyurl.Com/5b6tc4e4
Http://Tinyurl.Com/Nhfumevk
चित्र संदर्भ
1. चाय के पात्र को संदर्भित करता एक चित्रण (PickPik)
2. शेन नोंग नाम के एक चीनी शासक ने चाय को संयोगवश खोजा था। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. चाय के भंडारण के लिए व्यापारियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्राचीन चाय के कलश! को दर्शाता एक चित्रण (lookandlearn)
4. कैमेलिया सिनेंसिस पौधा, जिससे चाय प्राप्त होती है को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. हिमालय में चाय की खेती को दर्शाता एक चित्रण (picryl)
6. चाय पीते भारतीय को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
7. टाईगुआयिन चाय को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. विंटेज नार्सिसस को दर्शाता एक चित्रण (wallpaperflare)
9. पीजी टिप्स डायमंड टी बैग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
10. पांडा डंग टी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
11. दा होंग पाओ को दर्शाता एक चित्रण (wallpaperflare)
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