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डेटा में विसंगतियों के कारण जलवायु पूर्वानुमान में लगा प्रश्नचिन्ह

लखनऊ

 05-07-2022 10:10 AM
जलवायु व ऋतु

वैज्ञानिकों का दावा है कि, वैश्विक जलवायु डेटा में विसंगतियों के कारण, कई बार ग्रीष्म लहरें और अन्य मौसम संबंधी आपदाओं की सूचना नहीं दी गई है। यह सही है कि मौसम का पूर्वानुमान एक जटिल प्रक्रिया है और इसमें गलतियां हो सकती हैं। लेकिन पिछले कुछ महीनों में जिस तरह की गलतियां देखने को मिली हैं उनका एक सिलसिला है जो गहरी दिक्कतों की ओर संकेत करता है।
अब सवाल ये उठता है की या तो हमें एक बार फिर अपने मॉडल की नए सिरे से जांच करने की आवश्यकता है या अनुमान अत्यधिक सुनिश्चित तरीके से नहीं जताए जा रहे हैं। मौसम विज्ञान विभाग के अनुमानों की विफलता खासतौर पर समस्या बन गई है क्योंकि अचानक आने वाली बाढ़ जैसी मौसम की घटनाओं से बचना जरूरी हो चुका है। यदि इन त्रुटियों में सुधार नहीं हुआ तो ये गंभीर समस्या बन सकते हैं क्योंकि जलवायु परिवर्तन के गहरे होने के साथ ही अतिरंजित मौसमका प्रबंधन करना और मुश्किल होता जाएगा। ऐसे में मौसम विज्ञान विभाग को सुधार करना होगा या कम से कम अपने मॉडल पर खुलकर विचार करना होगा। बदलते जलवायु पैटर्न से चरम मौसम की घटनाओं में वृद्धि हुई है। डेटा एकत्र करने में असमानताओं के कारण देखा गया कि ग्रीष्म लहरों का पूर्वानुमान अधिक स्पष्ट नहीं था, हालाँकि, इसे हर जगह सत्यापित नहीं किया जा सकता है। कुछ देशों में ग्रीष्म लहरों मौजूदगी भी नहीं थी बल्कि कुछ देशों में ग्रीष्म लहरों और उनके कारण होने वाली मौतों का अभी भी कोई हिसाब नहीं है। इंपीरियल कॉलेज लंदन में जलवायु विज्ञान के एक वरिष्ठ व्याख्याता और ग्रुप वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन (Imperial College London and leader of the group World Weather Attribution) के नेता, फ्रेडरिक ओटो (Friederike Otto) ने कहा, कुल मिलाकर, पहले 11 ग्रीष्म लहरें दर्ज किए गए (अफ्रीकी महाद्वीप पर ) थे।
लेकिन इनमें से केवल तीन ग्रीष्म लहरें उत्तर-पश्चिमी अफ्रीका (northwestern Africa) में माघरेब (Maghreb) के बाहर दर्ज की गईं, सेनेगल (Senegal), सूडान (Sudan) और दक्षिण अफ्रीका (South Africa) में एक-एक। यह घटना हास्यास्पद थी। भारत में भी मार्च में मुंबई में ग्रीष्म लहर की चेतावनी थी, जो पहले कभी नहीं सुनी गई थी। पिछले साल राज्य में अत्यधिक बारिश ने 200 से अधिक लोगों की जान ले ली थी। अब सवाल उठता है कि क्या जलवायु परिवर्तन से मौसम के पूर्वानुमान में नई अनिश्चितताएं आ रही हैं?
जलवायु परिवर्तन मौसम पूर्वानुमान के कुछ पहलुओं को चुनौतीपूर्ण बना रहा है। बेशक, ग्लोबल वार्मिंग (global warming) का सबसे अधिक दिखाई देने वाला प्रभाव सबसे ऊपर है (जैसे, बढ़ती आवृत्ति, तीव्रता और हीटवेव की अवधि)। हम जानते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग अत्यधिक वर्षा की घटनाओं को तेज कर सकती है, जिससे जलविद्युत आपदाओं का खतरा बढ़ जाता है। यदि क्षेत्र में पहाड़ हैं तो उस क्षेत्र में वर्षा की भविष्यवाणी करना बहुत चुनौतीपूर्ण हो जाता है। अक्सर मौसम विज्ञानी अत्यधिक वर्षा के जोखिम की भविष्यवाणी करते हैं। जलविज्ञानी इस वर्षा का अनुवाद गहराई, प्रवाह और गति के संदर्भ में बाढ़ की तरह की भविष्यवाणी में करते हैं। इंजीनियर संभावित परिस्थितियों से निपटने के लिए सड़कों, पुलों और इमारतों को डिजाइन करते हैं, और योजनाकार सुनिश्चित करते हैं कि नया विकास बाढ़ के जोखिम के अनुकूल हो। इस प्रक्रिया में कोई भी कदम आसान नहीं है। लेकिन जलवायु परिवर्तन बाढ़ को बदतर बना रहा है, क्योंकि एक गर्म वातावरण में अधिक जल वाष्प हो सकता है जो बादलों को सुपरचार्ज करता है, और इससे अत्यधिक वर्षा होती है। ऑस्ट्रेलिया (Australia) के उत्तर में, भारी वर्षा की घटनाओं की तीव्रता में 1979 से 10% की वृद्धि हुई है। हालांकि अप्रत्याशित वर्षा की घटनाओं के अनुकूल होना मुश्किल है, लेकिन हम बाढ़ की भविष्यवाणी में सुधार कर सकते हैं। हम एक सामान्य बाढ़ की भविष्यवाणी तकनीक में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं जिसे तर्कसंगत विधि (Rational Method) कहा जाता है।
परंतु अत्यधिक तूफानों के जोखिम की भविष्यवाणी करना विशेष रूप से मुश्किल होता है, क्योंकि इन तूफानों के लिए, अतीत का डेटा भविष्य के लिए एक अच्छा मार्गदर्शन नहीं करता है। विकसित क्षेत्रों में बाढ़ सुरक्षा, निकासी और लचीलेपन की लागत तथा उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में विकास को प्रतिबंधित करने की चुनौतियों को देखते हुए बाढ़ जोखिमों का प्रबंधन कठिन होता है। लेकिन हमारे पास बाढ़ के जोखिम की भविष्यवाणी करने के लिए मजबूत मार्गदर्शन उपलब्ध है। दुर्भाग्य से, इसे ठीक से उपयोग करने के लिए, आपको उच्च गुणवत्ता विश्लेषण, विस्तृत भौतिक मॉडलिंग और अनिश्चितता की विचारशील खोज करने की आवश्यकता है, और यह महंगा हो सकता है, इसके लिए विशेष सॉफ्टवेयर, उच्च प्रशिक्षित विशेषज्ञों और पर्याप्त डेटा तथा समय की आवश्यकता होती है।
वर्तमान में मौसम संबंधी भविष्यवाणी में सुधार के लिये कई प्रयास किये जा रहे हैं, आज कई नए उपकरण और नयी तकनीक इजात हो रही है जिनसे बहुत अधिक सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है, नए उपकरण जंगल की आग, मौसम की गंभीरता, बारिश के महीनों के आगे की भविष्यवाणी कर सकते है। मानसून पूर्वानुमान उपकरण, विस्तृत रूप से, महीनों पहले मौसम के पैटर्न, या मौसम से संबंधित खतरों की भविष्यवाणी करने के लिए शोधकर्ताओं द्वारा किए गए कई उभरते प्रयासों में से एक है। कई शोध दल प्रयोगात्मक, लंबी दूरी के पूर्वानुमान भी लगा रहे हैं जो भविष्यवाणी कर सकते हैं कि आने वाले समय में कितने एकड़ में ग्रीष्म लहरें आपका प्रकोप डालेंगी और एक साल पहले तक कहां तक जाएंगी, यह मौजूदा उपकरणों की तुलना में अधिक स्पष्ट और व्यापक जानकारी प्रदान करते हैं। सामूहिक रूप से, ये नए उपकरण मौसमी पूर्वानुमान की सीमाओं को आगे बढ़ा रहे हैं, मौसम पूर्वानुमान का एक क्षेत्र जो पारंपरिक रूप से तापमान और वर्षा में पैटर्न की भविष्यवाणी करने पर केंद्रित है। पहले से बारिश की भविष्यवाणी करने की कोशिश करने के लिए, प्रीन और उनके सहयोगियों ने यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट के मौसम मॉडल (European Centre for Medium-Range Weather Forecasts) की ओर रुख किया। शोधकर्ताओं ने पाया यह मॉडल समय से कई महीने पहले दक्षिण-पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका (outhwestern United States) में मैक्सिको की खाड़ी (Gulf of Mexico) या उष्णकटिबंधीय प्रशांत (tropical Pacific) से वायुमंडलीय नमी के बड़े पैमाने पर वृद्धि को मज़बूती से अनुकरण कर सकता है।
ब्यूरो ऑफ रिक्लेमेशन (Bureau of Reclamation ) ने नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (National Oceanic and Atmospheric Administration) के साथ एक अलग शोध दल के रूप में इस गर्मी में नए उपकरण को परीक्षण के लिए उपयोग में लाना शुरू किया है, जो जलवायु खतरे के लिए मौसमी पूर्वानुमान विकसित कर रहा है। महासागर की ग्रीष्म लहरें, जो भूमि पर अपने समकक्षों की तरह, पृथ्वी पर गंभीरता से बढ़ रही हैं, जो वाणिज्यिक मत्स्य पालन की उत्पादकता से लेकर लुप्तप्राय प्रजातियों के प्रवासन पैटर्न तक को प्रभावित कर सकती हैं। उनकी पहले से भविष्यवाणी करने से प्रबंधकों को इन प्रभावों के लिए तैयार रहने में मदद मिलेगी।

संदर्भ:
https://cnn.it/3bNbfup
https://bit.ly/3OCADS3
https://bit.ly/3yBHEwY
https://wapo.st/3R46PiP

चित्र संदर्भ
1. विभिन्न मौसमों और डेटा निरीक्षकों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. बंगलौर भारत में मौसम 2022 जलवायु को दर्शाता एक चित्रण (HikersBay)
3. चक्रवात, सूखा, भूकंप, बाढ़, भूस्खलन और ज्वालामुखी जैसी प्राकृतिक आपदाओं से वैश्विक बहु-खतरा आनुपातिक आर्थिक नुकसान को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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