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लखनऊ की शान मलिहाबादी आम, इस वर्ष भुगत रहा प्रतिकूल मौसम का खामियाजा

लखनऊ

 06-06-2022 08:54 AM
साग-सब्जियाँ

मार्च और अप्रैल में असाधारण मौसम और भीषण गर्मी ने इस साल आम की फसल पर विपरीत प्रभाव डाला है। ऑल इंडिया मैंगो ग्रोअर्स एसोसिएशन (All India Mango Growers’ Association) ने लखनऊ के दशहरी बेल्ट, मलिहाबाद सहित राज्य भर में इस साल आम की फसल के लिए 80% से अधिक के नुकसान का अनुमान लगाया है। लगभग 40 लाख मीट्रिक टन के सामान्य उत्पादन के मुकाबले इस साल का उत्‍पादन 8 लाख मीट्रिक टन से 10 लाख मीट्रिक टन के बीच होगा। यह आम की सभी किस्मों के लिए लगभग समान रहेगा। ऑल इंडिया मैंगो ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष इंसराम अली ने कहा, "उच्‍च तापमान के कारण 20% से अधिक फल नष्ट हो गए हैं जो मार्च में शुरू हुआ और अप्रैल मई तक जारी रहा।"
मुख्‍यत:, आम की फसल हर वर्ष अच्‍छा उत्‍पादन देके जाती है। इस बार मलिहाबाद आम की पट्टी को भी प्रतिकूल मौसम की स्थिति का खामियाजा भुगतना पड़ा है। आम की फसल फूल आने की अवस्था के दौरान मौसम परिवर्तन के प्रति बहुत संवेदनशील होती है, इस वर्ष अत्‍यधिक गमीं के कारण 'बौर' नष्ट हो गयी। मौसम की स्थिति बौर को प्रभावित करती है जो फसल का पहला चरण होता है और आमतौर पर जनवरी में होता है। इस साल, सर्दी भी ज्‍यादा थी जिसने आम के चक्र में देरी की। मार्च और अप्रैल में तापमान में वृद्धि ने नुकसान को और अधिक बढ़ा दिया।उच्च तापमान और चिलचिलाती गर्मी ने न केवल दशहरी को बल्कि चौसा, लंगड़ा, सफेदा और लखनौवा जैसी परिपक्व किस्‍मों को भी प्रभावित किया है।जिस कारण सभी की निर्यात मांग पर भी प्रभाव पड़ा।विशेषज्ञों का दावा है कि हालांकि इस साल उपज की मात्रा में गिरावट आई है, लेकिन आम की गुणवत्ता और भी बेहतर हो जाएगी।उत्पादकों का दावा है कि जून की शुरुआत तक फसल बाजार में उपलब्ध होने की संभावना है, दशहरी की कीमत फसल और गुणवत्ता के आकलन के बाद तय की जाएगी।
इसका सीधा असर आम की विभिन्न किस्मों की कीमत पर पड़ेगा, जिनमें से कोई भी 70-80 रुपये प्रति किलोग्राम से कम में नहीं बिकेगा। एसोसिएशन ने कहा कि जैसे ही पके फल (प्राकृतिक रूप से पके हुए) 10 जून के आसपास बाजार में आएगें, कीमत 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती है। इस साल, आम की फसल बढ़ती अवस्था में उच्च तापमान के संपर्क में थी। यह तापमान वास्तव में पकने के चरण में आवश्यक था," एसोसिएशन के अध्यक्ष इंसराम अली ने कहा। मलिहाबाद फल मंडी समिति के अध्यक्ष नसीम बेग ने कहा कि गर्मी के कारण आम की 'बौर' नष्ट हो गयी। "आम का एक पेड़ हर दूसरे वर्ष अच्छी मात्रा में फल देता है। इसके चक्र के अनुसार, यूपी में दशहरी का सबसे बड़ा उत्पादक मलिहाबाद आम बेल्ट अपने 'ऑफ ईयर' (off year) में है। उत्पादन पहले से ही कम था और मौसम ने एक और झटका दिया है। उत्तर प्रदेश को आंध्र प्रदेश के बाद देश में आम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक माना जाता है। उत्तर और मध्य भागों में कम से कम चार लाख हेक्टेयर में आम की खेती के साथ, यहां आम की 120 से अधिक किस्‍में उगायी जाती है। उत्‍तर प्रदेश में भी मलिहाबाद सबसे बड़ा आम उत्‍पादक है, यहां 30,000 हेक्टेयर भूमि पर आम की खेती की जाती है।मैंगो ग्रोअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Mango Growers Association of India) के अध्यक्ष इंसराम अली कहते हैं, ''मलिहाबाद भारत की आम राजधानी है।'' "इसमें कुछ सबसे पुराने आम के पेड़ हैं।
यहाँ के पेड़ों का स्वामित्व उन परिवारों के पास है जो वर्षों से आम उगाने के व्यवसाय में हैं, कुछ तो 100 या 200 वर्षों से भी! पहले से आम उगा रहे हैं." मलिहाबाद का ईडन आम-प्रेमी उद्यान है; चौसा, लंगड़ा, सफेदा और आम की कई अन्य प्रसिद्ध किस्में यहां उगाई जाती हैं।भारत के भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री के अनुसार, मलिहाबादी दशहरी को 2010 में भौगोलिक संकेत (जीआई) का दर्जा दिया गया था। मलिहाबाद द्वारा पिछले 58 वर्षों से आम पर किए गए कार्य के कारण शहर आज दुनिया के आम के नक्शे पर ऊंचा खड़ा है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3Nl25D9
https://bit.ly/3m8CYaG
https://bit.ly/3am66bH

चित्र संदर्भ
1. मलिहाबादी आम, को दर्शाता एक चित्रण (Pexels)
2. पेड़ की डाल पर आम को दर्शाता एक चित्रण (Free SVG)
3. मलिहाबादी आम, आम का बाग, बाब-ए-गोया को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)



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