Post Viewership from Post Date to 21-Mar-2022
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1325 144 1469

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

प्राचीन काल के पांडुलिपि संग्रह से शुरू होकर आज तक के आधुनिक पुस्तकालयों का सफर

जौनपुर

 21-02-2022 09:44 AM
धर्म का उदयः 600 ईसापूर्व से 300 ईस्वी तक

प्राचीन काल से ही शैक्षणिक विकास (academic development) के संदर्भ में हमारे देश भारत का कोई शानि नहीं रहा हैं। भारत विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक का उद्गम स्थल रहा है। प्राचीन भारत में भी शैक्षणिक संस्थानों में पुस्तकालयों का उतना ही विशेष महत्व था, जितना की आज है। यद्यपि वैदिक युग में शिक्षा किताबों के माध्यम के बिना मौखिक रूप से दी जाती थी, और शायद यही कारण है कि तक्षशिला में पुरातात्विक खुदाई में अब तक कोई भी पुस्तकालय नहीं खोजा गया है। लेकिन 300 ईस्वी में बौद्ध धर्म के आगमन के साथ ही लिखित शब्दों के माध्यम से शिक्षण का अभ्यास किया जाने लगा, और इसने पुस्तकालयों को जन्म दिया। बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय (300-850 A.D.) में एक विशाल पुस्तकालय परिसर था जिसे धर्मगंज के नाम से जाना जाता था। जगद्दल, कन्हेरी, मिथिला, ओदंतपुरी, सोमपुरी, उज्जैन, वल्लभ, और विक्रमशिला शिक्षा ग्रहण करने के अन्य स्थान थे, जिनके साथ जुड़े पुस्तकालयों में पांडुलिपियों का अच्छा संग्रह मौजूद था। दुर्भाग्य से सभी पुस्तकालय अनेकों कारण वर्ष नष्ट हो गए ।
तक्षशिला विश्वविद्यालय को छठी शताब्दी ईसा पूर्व में एक अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त थी। इसे कई प्रसिद्ध शिक्षकों के साथ विश्व का पहला विश्वविद्यालय माना जाता है। इसमें 101 राजकुमारों और कुछ विदेशी छात्रों सहित 500 छात्रों का नामांकन था। विश्वविद्यालय में एक उत्कृष्ट पुस्तकालय था जिसके संग्रह में हिंदू धर्म, राजनीति विज्ञान, साहित्य, चिकित्सा और दर्शन पर कार्य शामिल थे। पांचवीं शताब्दी के मध्य में हूणों के आक्रमण के दौरान विश्वविद्यालय और पुस्तकालय सहित गांधार शहर भी नष्ट हो गया था। आज हमारा राष्ट्रीय संग्रहालय पांडुलिपियों और प्राचीन लिखित अभिलेखों का खजाना है। विभिन्न प्रांतों से 14,000 हस्तलिखित पांडुलिपियां राष्ट्रीय संग्रहालयों द्वारा अधिग्रहित की गई थी। आधुनिक लेखन तकनीक से पूर्व सम्राट अशोक के उपदेश को चट्टानों पर अंकित किया गया था, जिन्हें रॉक एडिक्ट्स (rock edicts) के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा, स्क्रिप्टिंग की कला और विज्ञान में अभिव्यक्ति के विभिन्न तरीके खोजे गए, जैसे, मिट्टी की गोली, पत्थर, तांबे की प्लेट, ताड़ के पत्ते, हस्तनिर्मित कागज, छाल और लकड़ी के वाहक पर शिलालेख आदि। ये सभी विभिन्न भाषाओं में लिखी गई पांडुलिपि के रूप में हैं। भारत भर में पाए गए अशोक के प्रमुख, लघु शिलालेख और स्तंभ शिलालेख ब्राम्ही, प्राकृत, ग्रीक और खरोष्ठी की भाषाओं में हैं, जो सबसे पहले लिखित दस्तावेज हैं।
तीसरी शताब्दी ई.पू. में भारत के सबसे प्रसिद्ध शासक अशोक के अधीन बौद्ध धर्म को बहुत प्रोत्साहन मिला। नालंदा, वल्लभ, ओदंतपुरी और विक्रमशिला में बौद्ध मठवासी संस्थान उच्च शिक्षा के महत्वपूर्णकेंद्र बन गए। यह भारतीय विज्ञान, गणित और खगोल विज्ञान के उदय का युग माना जाता है। इसमें कई हजार शिक्षकों और छात्रों की आबादी और एक अच्छा कार्यात्मक पुस्तकालय था। विश्वविद्यालय के पास बहुमूल्य पांडुलिपियों के संग्रह के साथ एक विशाल पुस्तकालय था। भारतीय इतिहास के मध्यकाल में अकादमिक पुस्तकालयों का अस्तित्व ज्ञात नहीं है, हालांकि एक अकेला अपवाद, बीदर के एक कॉलेज से जुड़ा एक पुस्तकालय था, जिसमें विभिन्न विषयों पर 3,000 पुस्तकों का संग्रह मौजूद था। औरंगजेब ने इस पुस्तकालय को अपने महल पुस्तकालय के साथ विलय करने के लिए दिल्ली स्थानांतरित कर दिया।
आधुनिक भारत में कॉलेज पुस्तकालय आम हो गए। जोनाथन डंकन (Jonathan Duncan) ने 1792 में प्राचीन मूल्यवान सामान्य शिक्षा और परंपरा की पुस्तकों को एकत्र करने की आवश्यकता पर बल दिया। भारत के गवर्नर-जनरल (1836-40) लॉर्ड ऑकलैंड (Lord Auckland) ने 24 नवंबर 1839 के अपने कार्यवृत्त में पुस्तकालय नीति को और रेखांकित किया। इस प्रकार महाविद्यालयों के पुस्तकालय संग्रह बढ़ने लगे और 1882 तक उनमें से कुछ ने एक हजार अंक को पार कर लिया। विभिन्न प्रांतों से हस्तलिखित पांडुलिपि राष्ट्रीय संग्रहालय द्वारा प्राप्त की गई। 14,000 की संख्या में पाण्डुलिपियों का संग्रह पाली, प्राकृत, संस्कृत, हिंदी, फारसी, अरबी, चीनी, बर्मी और तिब्बती जैसी विभिन्न भाषाओं में है। वे विभिन्न धर्मों के पवित्र ग्रंथों को भी प्रदर्शित करते हैं, जो वैदिक, पुराणिक, बौद्ध, जैन, इस्लामी, सिख और ईसाई हैं और 7 वीं से 20 वीं शताब्दी तक फैले हुए हैं। आज भारतीयों के लिए 50 लाख से अधिक प्राचीन पांडुलिपियों के साथ ज्ञान प्रणाली की ऐसी शानदार विरासत एक गर्व का विषय है, जिससे भारत दुनिया में पांडुलिपि धन का सबसे बड़ा भंडार बन गया है। 783 AD के दुर्लभ अध्यात्म रामायण से 1716 AD के काशी खंड तक, लगभग 7,227 पांडुलिपियाँ बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के सयाजीराव गायकवाड़ पुस्तकालय (केंद्रीय पुस्तकालय) में रखी गई हैं। केंद्रीय पुस्तकालय में हस्तलिखित कागज की लिपियों और प्रतिलेखों सहित पांडुलिपियों के ज्ञान बंडलों की एक अच्छी मात्रा एकत्रित है। पुस्तकालय अधिकारियों के अनुसार, सभी पांडुलिपियां या तो ताड़ के पत्तों या बर्च की छाल और कागज पर हैं। इन सबके बीच, हिंदुओं का 400 साल पुराना सोना मढ़वाया पवित्र ग्रंथ 'श्रीमद्भगवद् गीता' सबसे अलग है। इसमें हाथ से बने सुंदर लघु चित्र भी हैं। "यह दुनिया में 'श्रीमद्भगवद् गीता' की एकमात्र प्रति है, और हमारे पुस्तकालय के पांडुलिपि अनुभाग में सात खंडों में उपलब्ध है।" "इसी तरह, यहाँ 500 साल पुराने पवित्र कुरान सहित भाषाओं, लिपियों और साहित्य पर एक विस्तृत संग्रह मौजूद है। 228 साल पुराने वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में सोने की स्याही से लिखी गई 11वीं सदी की देवनागरी पांडुलिपि,के रूप में एक दुर्लभ खजाना भी मौजूद हैं, जो धीरे-धीरे और लगातार अपनी चमक खो रहा है। केवल यही नहीं बल्कि ताड़ के पत्तों, चर्मपत्र और भोजपत्र (बर्च के पेड़ की छाल) पर लिखित 1.11 लाख से अधिक प्राचीन दस्तावेज विश्वविद्यालय परिसर की अमूल्य धरोहर हैं। ताम्रपत्रों और पांडुलिपियों से परे आज की पुस्तकालय संस्कृति में आधुनिक उपकरण और पुस्तकें आदि बेहद आम हो गई हैं। लेकिन छात्रों में शिक्षा ग्रहण करने की भूख आज भी ज्यों की त्यों हैं।
पुस्तकालयों के संदर्भ में हमारे जौनपुर शहर का भी उल्लेखनीय योगदान रहा है, जौनपुर को भारत से बाहर आने वाले पहले हस्तनिर्मित भौगोलिक एटलस तैयार करने का गौरव प्राप्त हैं। और आज यहां एसएसडी पुस्तकालय, पुस्तक भवन, साहित्य साकेत जैसे आधुनिक मानदंडों पर खरे उतरते प्रतिष्ठित निजी पुस्तकालय मौजूद हैं, जिनमें सभी आयु वर्ग के लोग दैनिक आधार पर आते हैं।

संदर्भ

https://bit.ly/3JJ4vcF
https://bit.ly/3BMRDzz
https://bit.ly/3BG4OlB
https://bit.ly/3H2bADe
https://bit.ly/3s3MdfW
https://bit.ly/3pmzyDt

चित्र संदर्भ   

1. पांडुलिपि और पुस्तकों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. अशोक लौरिया अरेराज शिलालेख को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. नया परिसर, नालंदा विश्वविद्यालय, राजगीर (मई 2021) को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. सयाजी राव गायकवाड़ पुस्तकालय को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. सन्टी की छाल पांडुलिपि को दर्शाता चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • प्राचीन भारतीय पाली व खरोष्ठी लिपियां साझा करती हैं, एक गहन इतिहास
    ध्वनि 2- भाषायें

     19-04-2024 09:30 AM


  • प्राचीन समय में यात्रियों का मार्गदर्शन करती थी, कोस मीनारें , इसलिए है हमारी धरोहर
    वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली

     18-04-2024 09:28 AM


  • राम नवमी विशेष: जानें महाकाव्य रामायण की विविधताओं और अंतर्राष्ट्रीय संस्करणों का मेल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     17-04-2024 09:28 AM


  • टहनियों के ताने-बाने से लेकर, जौनपुर की सुंदर दरियों तक, कैसा रहा बुनाई का सफर?
    स्पर्शः रचना व कपड़े

     16-04-2024 09:15 AM


  • विश्व कला दिवस पर जानें, कला का समाज से क्या है संबंध? एवं कलाकार की भूमिका
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     15-04-2024 09:26 AM


  • ये सभी जीव-जानवर हो चुके हैं भारत से विलुप्त, करते थे कभी दुनिया पर राज
    शारीरिक

     14-04-2024 08:33 AM


  • अंबेडकर जयंती पर जानिए आजकल उपयोग होने वाले जातिसूचक शब्दों का सही अर्थ, संदर्भ व् इतिहास
    सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

     13-04-2024 08:48 AM


  • सरदार उधम सिंह ने बैसाखी के दिन घटे जलियांवाला बाग नरसंहार का अध्याय कुछ ऐसे किया समाप्त
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     12-04-2024 09:20 AM


  • ईद के मौके पर जानें रमज़ान में चाँद का है क्या महत्व?
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     11-04-2024 09:06 AM


  • क्या कहता है विज्ञान होम्योपैथी के विषय में फैले कुछ मिथकों के बारे में
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     10-04-2024 09:38 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id