16वीं शताब्दी का सुंदर वीरभद्र मंदिर, आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के एक छोटे किन्तु ऐतिहासिक गाँव लेपाक्षी में स्थित है।
इस मंदिर को लेपाक्षी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
वीरभद्र मंदिर एक इंजीनियरिंग आश्चर्य(Engineering Wonder) के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ के स्थित 70 पत्थर के खंभों में से एक छत से लटका हुआ है। इस खम्भे का आधार मुश्किल से जमीन को छूता है और पतला कागज या कपड़े की पतली चद्दर आदि वस्तुएं इसके नीचे से पार हो जाती हैं। एक ब्रिटिश इंजीनियर (British Engineer) ने इसके रहस्य को उजागर करने के असफल प्रयास में इसे स्थानांतरित करने की कोशिश की थी जिसकी वजह से यह स्तंभ अपनी मूल स्थिति से थोड़ा विचलित है। वीरभद्र मंदिर 'विरन्ना' और 'विरुपन्ना' दो भाइयों द्वारा बनाया गया था, जो राजा अच्युतराय के शासनकाल के दौरान विजयनगर साम्राज्य के गवर्नर(Governor) थे। लेपाक्षी गांव, भारतीय महाकाव्य रामायण में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। किंवदंती है कि जब रावण सीता माता का हरण कर उन्हें लंका ले जा रहा था, तो मध्य आकाश में जटायु से हुई लड़ाई के बाद, जटायु यहीं मूर्छित होकर गिरे थे। जब राम सीता जी को खोजते हुए यहां पहुंचे, तो उन्होंने जटायु की गंभीर हालत देखते हुए दयापूर्वक कहा, "ले पाक्षी(Le Pakshi)"- जिसका अर्थ तमिल भाषा में "उठो,पक्षी" होता है।
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