देश के आम चुनावों को निजी तौर पर वित्त पोषित किया जाना चाहिए या नहीं

जौनपुर

 09-04-2019 07:00 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

देश में चुनावी दौर चल रहा है, सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रत्‍याशी मतदाताओं को लुभाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। बड़ी बड़ी जन रेलियों का आयोजन किया जा रहा तथा विभिन्‍न माध्‍यमों से चुनाव प्रचार ज़ोर शोर पर है। जिसमें बड़ी मात्रा में धन का व्‍यय किया जा रहा है। भारतीय चुनाव दुनिया में सबसे बड़े और सबसे महंगे चुनावों में से हैं। हर गुजरते चुनावों के साथ चुनावी व्‍यय की मात्रा बढ़ती जा रही है। निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं तक पहुंचने के लिए, मतदाता प्रोत्साहन, विज्ञापन, परामर्श, परिवहन, अभियान और मुद्रण सामग्री आदि के लिए राजनीतिक पार्टियों को बड़ी मात्रा में धन की आवश्यकता होती है। जिसे वे सार्वजनिक रूप से जुटाते हैं। जिसमें अक्‍सर पारदर्शिता का अभाव देखा जाता है। राज‍नीतिक पार्टियां कहां से कितना धन जुटाती है और कितना खर्च करती है इसका स्‍पष्‍ट ब्‍यौरा वे कभी नहीं देतीं।

अक्‍सर लोग अपने काले धन को राजनीतिक पार्टियों को दान में देकर सफेद धन में परिवर्तित कर देते हैं। कोई भी व्‍यक्ति बैंक बॉन्‍ड के माध्‍यम से पार्टी को धन दे सकता है जिसकी पहचान पार्टी द्वारा गुप्‍त रखी जाती है। राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को लुभाने के लिए उपहार देती हैं साथ ही चुनाव प्रसार हेतु अल्‍पकालिक श्रमिक नियुक्‍त किये जाते है। इन गतिविधियों में किया जाने वाला व्‍यय बहुत बड़ा तथा अगणनीय होता है। चुनाव आयोग इस प्रकार के अवैध धन पर प्रतिबंध लगाने का हर संभव प्रयास कर रहा है, किंतु इसके कोई प्रभावी परिणाम सामने नहीं आ रहे हैं।

जन प्रतिनिधित्‍व अधिनियम (आरपीए), 1951 की धारा 29C के अनुसार पंजीकृत राजनीतिक दलों को लोगों से 20,000 रुपये तक का चंदा प्राप्त करने की अनुमति दी गई है और इसके लिए राजनीतिक दलों की ओर से दस्तावेजी सबूत प्रस्तुत करना भी आवश्‍यक नहीं है। राजनीतिक दलों को मिलने वाले गुमनामी दान या चंदे और अवैध धन के प्रवाह पर अंकुश लगाने के प्रयासों के तहत वित्त मंत्री ने नकद चंदे की सीमा को मौजूदा 20,000 रुपये से घटाकर प्रति व्यक्ति सिर्फ 2,000 रुपये करने का प्रस्‍ताव किया है। नकद चंदे की अधिकतम सीमा को घटाकर दसवें हिस्‍से पर ला देने वाला यह कदम सराहनीय है किंतु इसमें अब भी ऐसी अनगिनत खामियां हैं जिनकी वजह से इसका दुरुपयोग किए जाने की प्रबल संभावना है। अब से, सभी राजनीतिक दलों को आयकर अधिनियम के अनुसार ही रिटर्न (return) दाखिल करने होंगे और राजनीतिक दलों को आयकर विभाग से कर छूट केवल तभी मिलेगी जब वे आयकर अधिनियम का पालन करेंगे। इस प्रयास में उठाया गया यह कदम बहुत सराहनीय है। वित्त मंत्री ने राजनीतिक दलों के लिए ‘चुनावी बॉण्‍ड’ जारी करने का एक प्रस्‍ताव दिया है, ताकि उन्हें खुले बाजार से वैध धन जुटाने में मदद मिल सके। इस प्रस्ताव के अनुसार, संभावित दानदाता केंद्रीय बैंक से बांड खरीद सकते हैं और फिर इसे किसी राजनीतिक दल को बतौर चंदा दे सकते हैं। इस राजनीतिक दल को 14 दिन के निर्धारित समय के भीतर ही इन बांडों को भुनाना होगा। इन बांडों को चेक या डिजिटल (Digital) भुगतान के जरिए ही खरीदा जा सकता है। इससे धनराशि जुटाने के उन गैर कानूनी तरीकों को हतोत्साहित किया जा सकता है जो राजनीतिक दलों और प्रत्‍याशियों द्वारा चुनाव लड़ने के लिए आम तौर पर अपनाया जाता रहा है।

चुनाव हेतु सार्वजनिक वित्‍तपोषण संचय भारत ही नहीं वरन् अन्‍य देशों में भी किया जाता है। अमेरिका में मतदताओं द्वारा अक्सर इसके विरूद्ध आवाज उठाई गयी। यहां के कई क्षेत्रों में इसे प्रतिबंधित कर दिया गया या इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया गया। किंतु सार्वजनिक वित्‍तपोषण पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा। चुनावों को स्‍वच्‍छ और पारदर्शी बनाने हेतु उन उम्‍मीदवारों को चुनावी विधि द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है, जो उम्‍मीदवार अपने खर्च और निजी अनुदान संचयन को सीमित करने हेतु सहमत होते हैं। यह कदम स्‍वच्‍छ चुनाव लड़ने वाले उम्‍मीदवारों को प्रोत्‍साहन देने हेतु उठाया जा रहा है। ब्रिटेन, नॉर्वे, भारत, रूस, ब्राजील, नाइजीरिया, स्वीडन कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जहां सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित चुनाव विधि के तरीकों और निजी तौर पर वित्त पोषित अभियानों के विकल्प की आवश्यकता के कारणों पर विचार किया जा रहा है।

संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Publicly_funded_elections
2. https://www.thehindu.com/opinion/lead/a-vote-for-state-funding/article22545432.ece
3. https://bit.ly/2I3eKgd
4. https://bit.ly/2A71rbd
5. https://bit.ly/2FXbdfP
6. http://foundation.forumias.com/governance-representation-of-the-peoples-act/



RECENT POST

  • जौनपुर के युवा, जानिए, सब्सक्रिप्शन आधारित ई-कॉमर्स में व्यवसायिक अवसरों और चुनौतियों को
    संचार एवं संचार यन्त्र

     15-01-2025 09:26 AM


  • सूर्य की ऊर्जा और सुप्त पृथ्वी में, जीवन के संचार का प्रतीक हैं, लोहड़ी के अलाव की लपटें
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     14-01-2025 09:20 AM


  • आइए जानें, भारत में मत्स्य पालन उद्योग से जुड़े अवसरों और चुनौतियों को
    मछलियाँ व उभयचर

     13-01-2025 09:21 AM


  • आइए देखें, लोहड़ी को कैसे मनाया जाता है
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:21 AM


  • चलिए, अवगत होते हैं, तलाक के मामलों को सुलझाने में परामर्श और मध्यस्थता की भूमिका से
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:19 AM


  • एल एल एम क्या है और कैसे ये ए आई तकनीक, हिंदी के विकास में योगदान दे रही है ?
    संचार एवं संचार यन्त्र

     10-01-2025 09:26 AM


  • चलिए समझते हैं ब्लॉकचेन तकनीक और क्रिप्टोकरेंसी में इसके अनुप्रयोग के बारे में
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:22 AM


  • आइए जानें, आज, भारत के सर्वोच्च न्यायालय में, कितने अदालती मामले, लंबित हैं
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:19 AM


  • विश्व तथा भारतीय अर्थव्यवस्था में, इस्पात उद्योग की भूमिका और रुझान क्या हैं ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:36 AM


  • भारत में, परमाणु ऊर्जा तय करेगी, स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन का भविष्य
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id