जौनपुर एक ऐसा शहर है, जिसका इतिहास, वाकई में समृद्ध और रोचक रहा है। यहां की ऐतिहासिक इमारतों में प्रयुक्त शर्की वास्तुकला, अपने आप में अनूठी मानी जाती है। यह वास्तुकला, 14वीं और 15वीं शताब्दी में शर्की राजवंश के शासनकाल में अपने चरम पर थी। इस वास्तुकला में फ़ारसी और भारतीय वास्तुकला शैलियों का अनोखा मेल देखने को मिलता है। आप इस खूबसूरत शैली को यहां की मस्जिदों, मकबरों और किलों में साफ़-साफ़ देख सकते हैं। अटाला मस्जिद और जामा मस्जिद जैसे स्थान, यहां के सबसे प्रसिद्ध स्मारकों में गिने जाते हैं। इन इमारतों में ऊंची संरचनाएं हैं और इनपर बारीक नक्काशी की गई है, जो हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच लेती हैं। शहर में जौनपुर के किले जैसी प्रसिद्ध इमारतें, शर्की शासकों की सैन्य शक्ति और उनके स्थापत्य कौशल के प्रतीक के रूप में खड़ी हैं। यही वजह है कि जौनपुर को मध्ययुगीन वास्तुकला का एक अहम केंद्र माना जाता है। आज के इस लेख में हम सबसे पहले, शर्की राजवंश के प्रतीक, जौनपुर के शाही किले के बारे में जानेंगे। इसके तहत, हम इस किले की अद्भुत वास्तुकला को भी निहारेंगे। अंत में, शाही किले के भीतर मौजूद ऐतिहासिक स्मारकों का जायज़ा लेंगे।
"शाही किला", जौनपुर में स्थित एक ऐतिहासिक धरोहर है। इसका निर्माण, 14वीं शताब्दी में फिरोज़ शाह तुगलक के सेनापति ‘इब्राहिम नायब बरबक’ द्वारा करवाया गया था। यह किला, गोमती नदी के किनारे, शाही पुल के पास स्थित है। आज यह किला, एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गया है। हालांकि, समय के साथ, ब्रिटिश और लोधी राजाओं जैसे कई शासकों ने इस किले को गंभीर नुकसान पहुंचाया। बाद में, मुगल काल में इसका पुनर्निर्माण कराया गया था।
यह किला, गोमती नदी के बाएं किनारे पर स्थित है। इतिहासकारों के अनुसार, इसे 1362 ईस्वी के आसपास बनवाया गया था। किले का भीतरी द्वार- 26.5 फ़ीट ऊंचा और 16 फ़ीट चौड़ा है, जबकि मुख्य द्वार की ऊंचाई 36 फ़ीट है। इस द्वार के दोनों ओर कक्ष बनाए गए हैं। अकबर के शासनकाल में, मुनीम खान ने पूर्वी प्रवेश द्वार के सामने एक बड़ा प्रांगण बनवाया। इस प्रांगण में 11 मीटर ऊँचा एक और प्रवेश द्वार है। किले की दीवारें, द्वार और बुर्ज राख के पत्थरों से सजी हैं, जो इसे खास लुक देते हैं।
किले में एक विशाल गुंबद भी हुआ करता था, लेकिन आज यहाँ केवल पूर्वी द्वार और कुछ मेहराब ही बची हैं।
किले की सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए मुनीर खान द्वारा किले के सामने एक शक्तिशाली द्वार बनवाया गया था। यह द्वार पीले और नीले पत्थरों से सजा हुआ है। किले के भीतर तुर्की शैली का स्नानघर (हम्माम) है, जिसे आज भी अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। इसके साथ ही किले में एक मस्जिद भी है, जिसे इब्राहिम बनबांक द्वारा बनवाया गया था। मस्जिद की वास्तुकला में बौद्ध और हिंदू शैली के तत्वों का अनूठा मेल देखने को मिलता है।
शाही किले से गोमती नदी और जौनपुर शहर का मनमोहक दृश्य देखा जा सकता है। आज, यह किला, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ए एस आई) के तहत एक संरक्षित स्मारक है और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। शाही किले की किलेबंदी, अनियमित चतुर्भुज आकार में बनाई गई है। इसका मुख्य द्वार पूर्व दिशा में है। पश्चिम की ओर एक और निकास है, जिसे सैली पोर्ट (Sally Port) कहा जाता है। इस निकास तक पहुंचने के लिए, टीले के बीच से होकर एक खड़ी चढ़ाई से गुज़रना पड़ता है।
किले में एक भूलभुलैया भी है, जो वास्तव में तुर्की स्नान (हम्माम) का एक मॉडल है। यह ठोस इमारत आंशिक रूप से भूमिगत है। यहाँ पर गर्म और ठंडे पानी के साथ-साथ शौचालय की व्यवस्था भी मौजूद है।
किले के भीतर एक मस्जिद भी है, जो बंगाल शैली में बनी है। यह मस्जिद करीब 39.40 मीटर लंबी और 6.65 मीटर चौड़ी है। इसकी छत पर तीन छोटे-छोटे गुंबद हैं। मस्जिद के पास 12 मीटर ऊँचा एक स्तंभ खड़ा है, जिस पर फ़ारसी में शिलालेख लिखा गया है। इस शिलालेख से पता चलता है कि इस मस्जिद का निर्माण 1376 में इब्राहिम नायब बरबक ने करवाया था।'
किले के बाहरी द्वार के सामने एक अखंड शिलालेख रखा गया है। इस शिलालेख में उस समय के सभी हिंदू और मुस्लिम कोतवालों को आदेश दिया गया था कि वे शर्की वंश के लोगों के भत्ते जारी रखें। यह शिलालेख, 1766 का है। इसे सैय्यद अली मुनीर खान ने (जो उस समय किले के गवर्नर थे।) अवध के नवाब वज़ीर की ओर से जारी किया था।
जौनपुर का किला, कई अद्भुत स्मारकों और वास्तुशिल्प चमत्कारों का केंद्र भी है। ये स्मारक, इस क्षेत्र की समृद्ध और भव्य विरासत को बयां करते हैं। किले के अंदर स्थित जामा मस्जिदइसका सबसे खास हिस्सा है। इसे सुल्तान इब्राहिम शाह ने बनवाया था। यह मस्जिद इस्लामी वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है। मस्जिद में ऊंची मीनारें और खूबसूरती से डिज़ाइन किए गए प्रार्थना कक्ष हैं, जो इसकी भव्यता को और बढ़ा देते हैं। जामा मस्जिद के पास ही एक और खास संरचना है - "शाही पुल"।
शाही पुल को सुल्तान हुसैन शाह शर्की द्वारा बनवाया गया था। यह प्राचीन पुल मध्यकालीन इंजीनियरिंग का शानदार उदाहरण है। यह पुल गोमती नदी पर बना है और उस समय किले और शहर के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करता था। सल्तनत काल में, यह पुल व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देने में भी मददगार साबित हुआ। जौनपुर किले के ये सभी स्मारक, इतिहास और कला प्रेमियों के लिए किसी खज़ाने से कम नहीं हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2bz38n49
https://tinyurl.com/25ed3dn5
https://tinyurl.com/2cyjufxv
चित्र संदर्भ
1. जौनपुर के शाही किले के प्रवेश द्वार संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
2. जौनपुर के शाही किले की विशाल दीवार को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
3. जौनपुर के शाही किले के दुर्लभ चित्र को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
4. जौनपुर में स्थित शाही किले की दीवारों पर की गई नक्काशी को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
5. जौनपुर के शाही पुल को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)