प्रदूषण एवं लाइसेंस प्राप्ति जैसी समस्याओं का समाधान बनकर उभरी, इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियां

य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला
07-09-2022 10:03 AM
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प्रदूषण एवं लाइसेंस प्राप्ति जैसी समस्याओं का समाधान बनकर उभरी, इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियां

भारत में होम डिलीवरी का नवाचार बेहद लोकप्रिय हो रहा है। लाखों लोग अपने निजी वाहन से ग्राहक के घर में भोजन या सामान पहुंचाकर, अच्छा-खासा मुनाफा अर्जित कर रहे हैं। लेकिन वहीं दूसरी ओर कई ऐसे भी लोग हैं जो, होम डिलीवरी सेवा देकर अपने निजी वाहन से पैसे कमाना तो चाहते हैं, लेकिन “ड्राइविंग लाइसेंस” के आभाव में वह इस लाभकारी क्षेत्र में हाथ नहीं आजमा पा रहे हैं। लेकिन इस क्षेत्र में इच्छुक लोगों के लिए कुछ निजी कंपनियां कस्टम-डिज़ाइन किए गए इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर के रूप में एक शानदार विकल्प लेकर सामने आ रही हैं, जिन्हें चलाने के लिए किसी भी ड्राइविंग लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती। प्रतिवर्ष भारतीय सड़कों पर ड्राइवरों की गलती के कारण, कम से कम एक लाख लोगों की मौत हो जाती है, जो यह दर्शाता है कि बिना कोई परीक्षा पास किए अप्रशिक्षित या गैर-प्रशिक्षित ड्राइवर भी सड़कों पर वैध ड्राइविंग लाइसेंस (valid driving license) के साथ गाड़ी चलाते हैं। इस संदर्भ में सरकार का कहना है कि इन लाइसेंसों को जारी करने वाले क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (Regional Transport Offices (RTOs) के अधिकारियों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। मोटे तौर पर गणना से पता चलता है कि, किसी भी आम कार्य दिवस पर प्रत्येक आरटीओ द्वारा औसतन 40 लाइसेंस जारी किए जाते हैं और दिल्ली के मामले में यह प्रतिदिन 130 लाइसेंस जितना भी अधिक हो सकता है। राष्ट्रीय राजधानी में 40 निरीक्षकों के साथ केवल 13 आरटीओ हैं, और यहाँ सालाना पांच लाख लाइसेंस जारी किए जाते हैं। “मानवीय रूप से एक निरीक्षक प्रति दिन 15-20 लाइसेंस जारी कर सकता है। लेकिन शहरी जिलों में, उनमें से प्रत्येक कम से कम 70-80 लाइसेंस जारी करता है। अतः कोई भी आसानी से यह पता लगा सकता है कि, अधिकारियों द्वारा मानदंडों को कैसे दरकिनार किया जाता है। भारत में ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने की दोषपूर्ण और आसान प्रणाली की हर तरफ से आलोचना हो रही है। “सिलचर (असम) में सेंट्रे में हिल ड्राइविंग स्कूल के सलाहकार काकारा के अनुसार आरटीओ में जनशक्ति बढ़ाने और वस्तुनिष्ठ ड्राइविंग परीक्षणों को आधुनिक बनाने की आवश्यकता है। हालांकि देश में ड्राइविंग लाइसेंस से संबंधित कई चुनौतियां हैं, लेकिन कुछ आधुनिक तरकीबों द्वारा लाइसेंस संबंधी कई चुनौतीयों से आसानी से निपटा जा सकता है। इन तरकीबों में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी (electric mobility) को बढ़ावा देना भी शामिल है। एक 21 वर्षीय भारतीय युवा जयदेब के पास न तो बाइक है और न ही उसे चलाने का लाइसेंस है। लेकिन उनके लिए, युलु मिरेकल 2.0 इलेक्ट्रिक बाइक (Yulu Miracle 2.0 Electric Bike) किराए पर लेना और उसे खाना पहुंचाने के लिए इसका इस्तेमाल करना कुछ पैसे कमाने का एक आसान तरीका बन गया है। चूंकि यह बाइक 25 किमी प्रति घंटे की रफ्तार को पार नहीं कर सकती है, इसलिए यह मोटर वाहन अधिनियम के तहत नहीं आती है। इसका मतलब है कि इसे चलाने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती है। मिरेकल 2.0 इलेक्ट्रिक बाइक को कानून के तहत साइकिल माना जाता है। जयदेब जैसे कई लोग युलु के ईवी (EV) को ले जाते हैं, क्योंकि महामारी के बीच भोजन और आवश्यक डिलीवरी की मांग आसमान छू गई है। युलु के कोफाउंडर अमित गुप्ता के अनुसार कंपनी के राजस्व का 60% अब डिलीवरी वर्कफोर्स (delivery workforce) से आता है और उन्हें उम्मीद है कि साल के अंत तक यह 80% तक बढ़ जाएगा। उनका वाहन मिरेकल 2.0, बाइक या स्कूटर की तुलना में बहुत छोटा है। युलु की स्थापना 2018 में हुई थी, जो ऑफिस जाने वालों के लिए साइकिल और बाद में इलेक्ट्रिक वाहनों की पेशकश करने लगी है। हालांकि महामारी सभी गतिशील कंपनियों के लिए एक भारी झटका थी। लेकिन 2021 में कोविड की दूसरी लहर के बाद कुछ बदल गया। भोजन और आवश्यक सामान दोनों की होम डिलीवरी की बढ़ती मांग के बीच डिलीवरी कर्मचारियों की मांग आसमान छू गई। युलु कंपनी अपने नए मॉडल, युलु डेक्स (yulu dex) को तैनात करने के लिए तैयार है, जो कंपनी के अनुसार डिलीवरी के लिए अधिक उपयुक्त साबित होगा। गुप्ता के अनुसार युलु डेक्स के पीछे बेहतर शॉक-एब्जॉर्बर और कैरियर (Shock-absorber and carrier) है। वह वर्ष के अंत तक 10,000 वाहनों के मौजूदा बेड़े को बढ़ाकर 100,000 करने के लिए आश्वस्त है। युलु ने दिसंबर 2021 तक चरण एक में मुंबई सहित तीन शहरों में 10,000 युलु डेक्स को तैनात करने के लिए अग्रणी खाद्य / सामान वितरण प्रदाताओं के साथ भागीदारी की है। युलु डेक्स एक स्थायी और किफायती डिलीवरी विकल्प प्रदान करता है जो गिग इकॉनमी वर्कर्स (Gig Economy Workers) के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों - ईंधन की बढ़ती कीमतें, अपने निजी वाहन खरीदने में असमर्थता और ड्राइविंग लाइसेंस (driving license) की कमी का समाधान करता है। युलु डेक्स को ड्राइविंग लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है, ऑनलाइन-टू-ऑफलाइन में तेजी के साथ अर्थव्यवस्था एवं भारत में गिग श्रमिकों की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन उनमें से अधिकांश के पास ड्राइविंग-लाइसेंस नहीं है और न ही वे अपने स्वयं के वाहन खरीद सकते हैं। युलु डेक्स, एक किफायती और सुरक्षित इलेक्ट्रिक वाहन प्रदान करके एक उच्च गुणवत्ता वाला उद्देश्य-निर्मित इलेक्ट्रिक वाहन निकालकर इन गिग इकॉनमी श्रमिकों (gig economy workers) को सशक्त करेगा। युलु मिरेकल 2.0 एक बार फुल चार्ज होने पर केवल 55 किलोमीटर तक चल सकता है। इसे 3.5 से 4 किलोमीटर के विशिष्ट उपयोग के मामले के साथ अंतिम मील व्यक्तिगत गतिशीलता के लिए डिज़ाइन किया गया था। लेकिन डिलीवरी वर्कर इसका ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। यदि बाइक का चार्ज कम है तो एक सवार इसे अपने पार्किंग क्षेत्र में छोड़ सकता है, जिसे युलु ज़ोन के रूप में जाना जाता है, और दूसरी बाइक ले सकता है। हालांकि यह इलेक्ट्रॉनिक वाहन निर्माता कंपनी भी कानूनी बाधाओं से घिरती नज़र आ रही है। दरसल दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि युलु की बाइक को मोटर वाहन अधिनियम के तहत लाया जाए क्योंकि ये वाहन, स्थान के अनुसार, दुर्घटनाओं के लिए प्रवण हैं। लेकिन गुप्ता ने कहा कि युलु बाइक पर एक भी घातक दुर्घटना नहीं हुई है। दिल्ली में ईवी (EVs) की बिक्री इस साल भी सीएनजी (CNG) वाहनों की तुलना में अधिक है, यह मात्रा मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में संयुक्त रूप से बेचे गए ईवी से अधिक है। ईवी को बढ़ावा देके सरकार का विचार प्रदूषण के बड़े मुद्दे को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करना भी है। भारत के सबसे बड़े इलेक्ट्रिक माइक्रो-मोबिलिटी नेटवर्क (Electric Micro-Mobility Network) युलु के अनुसार, बेंगलुरु और मुंबई जैसे बड़े शहरों में सड़कों पर हजारों वाहनों के साथ, कई यूरोपीय देशों में लोकप्रिय इलेक्ट्रिक स्कूटर के लिए रेंट-एंड-गो (rent-and-go) मॉडल के संचालन में कई चुनौतियां हैं। सार्वजनिक परिवहन तक पहुंच की सुविधा के लिए फर्स्ट-माइल और लास्ट-मील मोबिलिटी (First-mile and last-mile mobility) की आवश्यकता है। इलेक्ट्रिक बाइक, इस मामले में बेहद अनुकूलित है तथा इस समस्या को भी हल करती हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/3RkqsCm
https://bit.ly/3Rl8XBV
https://bit.ly/3wF3mPg
https://bit.ly/3dSseMG

चित्र संदर्भ
1. कतार में खड़ी युलु बाइक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. एक रोड एक्सीडेंट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. आरटीओ कोड के अनुसार भारत के राज्यों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. युलु मिरेकल 2.0 इलेक्ट्रिक बाइक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. युलु कंपनी के नए मॉडल, युलु डेक्स को दर्शाता एक चित्रण (yulu)
6. बेंगलुरू में एक युलु क्षेत्र में पार्क किये गए युलु मिरेकल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. सिटी बाइक को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)

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