मेरठ सहित पूरे भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक बसों ने दस्तक दे दी है

मेरठ

 29-04-2022 09:15 AM
य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

प्रारंग ने आपको बताया था की पिछले वर्ष 2021 में हमारे मेरठ शहर को पहली बार लगभग 50 इलेक्ट्रिक बसें प्राप्त हुई थी! मेरठ वासियों द्वारा जैविक ईंधन के बजाय इलेक्ट्रिक बसों से सफर करने का यह निर्णय निश्चित तौर पर सराहनीय है। भले ही यह हरित ऊर्जा परिवहन के क्षेत्र में अभी पहला ही कदम हो, लेकिन यह एक सकारात्मक शुरुआत हमारे आनेवाले भविष्य को साफ़ हवा में सांस लेने का एक सुनहरा मौका देगी! चलिए जानते हैं की ई-बस परिवहन को पूरी तरह से वास्तविकता और व्यवहारिक बनने में अभी कितना समय लगेगा?
भारत जैसे अधिकांश विकासशील देशों में, सार्वजनिक बस परिवहन लोगों के लिए रोजगार, सामुदायिक संसाधनों, चिकित्सा देखभाल और मनोरंजन तक पहुँचने का प्राथमिक साधन माना जाता है। भारत में, सार्वजनिक बसें यात्रा का सबसे किफायती और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाला साधन बन चुकी हैं। 2015 में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण के अंतर्गत, शहरी क्षेत्रों में लगभग 66 प्रतिशत परिवारों ने बसों पर (INR 94.89) और ग्रामीण क्षेत्रों में (INR 43.43) रुपये मासिक रूप से प्रति व्यक्ति व्यय करने की बात कही। हालांकि भारतीय शहरों में सार्वजनिक परिवहन संरचना, आज भी, शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि के साथ तालमेल बिठाने में विफल रही है। उदाहरण के तौर पर 2018 में नीति आयोग के एक अध्ययन के अनुसार भारत में प्रति 1,000 लोगों के लिए केवल 1.3 बसें हैं, जो अन्य विकासशील देशों जैसे ब्राजील (4.74 प्रति 1,000) और दक्षिण अफ्रीका (6.38 प्रति 1,000) की तुलना में बहुत कम है। बसों की कमी के कारण यात्रियों को सार्वजनिक परिवहन से दूर जाना पड़ रहा है। बसों की भारी कमी ने यात्रियों को निजी परिवहन की ओर धकेल दिया है। वास्तव में, भारत दुपहिया वाहनों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है, जो यातायात की भीड़, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (greenhouse gas emissions) और वायु प्रदूषण के बिगड़ने में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
साथ ही, बसों पर जनता की निरंतर निर्भरता, अपने साथ कुछ पर्यावरणीय चुनौतियां लेकर आई है। जैसे, भारत की सड़कों पर चलने वाली बसें लगभग पूरी तरह से डीजल पर निर्भर हैं, जो देश में कुल डीजल का 10 प्रतिशत खपत करती है। जीएचजी (GHG) कार्यक्रम के अनुमानों के अनुसार, भारत के शहरी क्षेत्र में एक बस, प्रति यात्री-किलोमीटर औसतन 0.015 किलोग्राम CO2 उत्सर्जित करती है। इसके अलावा, केवल एक प्रतिशत पंजीकृत बसें ही, नवीनतम वायु प्रदूषक उत्सर्जन मानदंडों “air pollutant emission norms” (भारत चरण-VI) के अनुरूप पाई गई हैं। लेकिन इस संकट से उभरने के लिए इलेक्ट्रिक बसों की तैनाती को एक सकारात्मक अवसर के रूप में देखा जा रहा है। विशेष रूप से, ई-बसें इंट्रा-सिटी सेगमेंट (intra-city segment) के लिए एक प्रभावी समाधान साबित हो सकती हैं। अपने आईसीई “ICE” (आंतरिक दहन इंजन) समकक्षों के विपरीत, इलेक्ट्रिक बसों में शून्य टेल्पाइप उत्सर्जन (zero tailpipe emissions) और ध्वनि प्रदूषण भी कम होता है। नतीजतन, इन बसों को राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर नीति निर्माताओं से एक बड़ा समर्थन मिल रहा है। जिस कारण कई राज्य सरकारों ने इलेक्ट्रिक बस खरीद कार्यक्रमों की घोषणा की है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा मेरठ सहित, उत्तर प्रदेश के कई शहरों में ई-बसों के संचालन की शुरुआत की गई। हालांकि पर्याप्त चार्जिंग पॉइंट (charging point) नहीं होने के कारण, निवासियों को अभी भी इन हाई-टेक वाहनों में सवारी का इंतजार है! इन चार्जिंग पॉइंट में से कुछ अभी भी निर्माणाधीन हैं। आगरा शहर के परिवहन अधिकारियों द्वारा कहा जा रहा है कि, चार्जिंग डिपो विकसित होने और वाहनों के उचित परीक्षण के बाद बसों को जनरेटर का उपयोग करके चार्ज किया जाएगा। इस वर्ष भी 4 जनवरी के दिन पांच इलेक्ट्रिक बसें मेरठ भेजी गईं, लेकिन उनमें से केवल एक ही बस समय पर शहर पहुंच सकी, जबकि अन्य चार गाजियाबाद में फंसी रहीं! अधिकारियों के अनुसार हाथरस रोड पर आगरा नगर निगम की जमीन पर एक चार्जिंग और रखरखाव स्टेशन विकसित किया जा रहा है, यह काम शुरू में दिसंबर के अंत तक पूरा होने वाला था, लेकिन बाद में इसमें भी देरी हुई है।
राज्य सरकार ने पुरानी डीजल और सीएनजी बसों को आधुनिक इलेक्ट्रिक बसों से बदलने का निर्णय लिया है। योजना के अनुसार प्रदेश में 580 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जाएगा। अनुबंध के आधार पर इनमें से 150 बसें नौ प्रमुख शहरों में संचालित की जाएंगी, जो पर्यावरण के प्रति संवेदनशील ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन (Taj Trapezium Zone) के अंतर्गत आती हैं।
इस उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में सार्वजनिक परिवहन के लिए लगभग 140,000 बसें राज्य द्वारा संचालित की जाती हैं, जिनमें से कम से कम 22% अधिक उम्र की हैं, यानी बसें 12 साल या उससे अधिक उम्र की हैं। चूंकि इलेक्ट्रिक बसों में कार्बन फुटप्रिंट नहीं होता है, इसलिए केंद्र को इसे शुरू करने के अवसर के रूप में उपयोग करना चाहिए। जुलाई से दिल्ली, कोलकाता, सूरत, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे प्रमुख शहरों की सड़कों पर 130 डबल डेकर बसों सहित कुल 5,580 इलेक्ट्रिक बसें दिखाई देंगी।
दरअसल एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज (Energy Efficiency Services (EESL) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज (Convergence Energy Services (CESL) ने घोषणा की थी कि वह 'ग्रैंड चैलेंज (grand challenge)' पहल के तहत 5,450 सिंगल-डेकर और 130 डबल-डेकर इलेक्ट्रिक बसों को लॉन्च करेगी। इस बीच दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) बोर्ड ने राष्ट्रीय राजधानी में 1,500 इलेक्ट्रिक बसों को तैनात करने के लिए सीईएसएल को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है!

संदर्भ
https://bit.ly/3OFukgO
https://bit.ly/3LizUnk
https://bit.ly/3KnCozz

चित्र संदर्भ
1 कतार में खड़ी इलेक्ट्रिक बसों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. बसों में चढ़ी भारी भीड़ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. इलेक्ट्रिक बस को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. टाटा की इलेक्ट्रिक बस को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. WBTC की इलेक्ट्रिक बसों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)

RECENT POST

  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में कितने लोगों के पास, बंदूक रखने के लिए लाइसेंस हैं
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:24 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id