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दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे (Delhi Meerut Expressway) के यात्रियों के लिए एक
नियम के अंतर्गत यदि कोई यात्री टोल शुल्क का भुगतान किए बिना टोल प्लाजा
को पार करता है‚ तो उसे इस अपराध के लिए भारी जुर्माने का भुगतना करना
होगा। इस नियम के अनुसार यदि कोई टोल शुल्क का भुगतान किए बिना किसी
टोल बूथ को पार करता है‚ तो उसे चालान करने के लिए एक संदेश‚ पंजीकृत
मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा और यदि वह व्यक्ति 7 दिनों के भीतर चालान
शुल्क का भुगतान करने में विफल रहता है‚ तो उसे दोगुना तथा 30 दिनों के
भीतर चालान भुगतान न करने पर चार गुना शुल्क का भुगतान करना होगा।
लोकसभा में सड़क परिवहन मंत्रालय (Ministry of Road Transport and
Highways) द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार‚ दिल्ली ट्रैफिक पुलिस द्वारा जुलाई
2019 से दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर “तेज गति” के कारण ई-चालान (e-
challans) जारी किए गए। 2020 की तुलना में 2021 के दौरान ऐसे चालानों की
संख्या घट गई। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी जी द्वारा
लोकसभा में प्रस्तुत किए गए आंकड़े बताते हैं कि 1.29 लाख ऐसे ई-चालान केवल
अगस्त 2019 में जारी किए गए थे‚ जो अब तक के सबसे अधिक आंकड़ों में से
थे। इनमें से एक लाख से ज्यादा चालान कार और कैब मालिकों पर लगाए गए।
इतनी ज्यादा मात्रा में तथा बार-बार चालान होने का मुद्दा‚ एक बड़ा मुद्दा बन
गया था‚ जिसके कारणवश अक्टूबर 2019 में शहर की यातायात पुलिस को कारों
की गति सीमा 60 किमी प्रति घंटे से बढ़ाकर 70 किमी प्रति घंटे की गति सीमा
करनी पड़ी। इसके साथ ही मिलेनियम पार्क और गाजीपुर बॉर्डर के बीच यात्रियों
की तेज रफ्तार के कारण जारी किए गए एक लाख से ज्यादा चालान भी उन्हें
रद्द करने पड़े। आंकड़ों के अनुसार यह पता चलता है कि सितंबर 2019 से ई-
चालान की संख्या में भारी गिरावट आई है और यह पिछले दो वर्षों में स्थिर हो
गया है। मंत्री जी ने यह भी बताया कि डी.एम.ई (Delhi Meerut Expressway)
के एक्सप्रेसवे हिस्से पर दोपहिया वाहनों की आवाजाही को प्रतिबंधित किया गया है
और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (National Informatics Centre) के ई-चालान
डेटाबेस से उद्धृत करते हुए‚ गडकरी जी ने कहा कि 8 फरवरी तक दोपहिया
वाहनों के लिए 513 चालान जारी किए गए हैं। पिछले सप्ताह एक अन्य प्रश्न के
उत्तर में‚ मंत्री गडकरी जी ने संसद को सूचित किया था कि दिल्ली में यातायात
और परिवहन से संबंधित अपराधों के लिए ई-चालान के माध्यम से उत्पन्न जुर्माने
की राशि 2021 के दौरान घटकर 142 करोड़ रुपये हो गई‚ जो 2020 में 222
करोड़ रुपये थी।
भारत में हो रही अधिकांश दुर्घटनाओं का मुख्य कारण यात्रियों की तेज गति है।
इसीलिए सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए आवश्यक सभी नई नीतियों और नए
सड़क नियमों को मोदी 2.0 सरकार द्वारा लागू किया गया था। जिनमें से कुछ ने
भारतीयों को देश के लगभग हर हिस्से में बढ़ाए गए जुर्माने की भांति बहुत ज्यादा
मात्रा में प्रभावित किया। अगस्त 2019 में मोटर वाहन अधिनियम (Motor
Vehicle Act) को पारित किया गया‚ जिससे भारत की सड़कों को नियंत्रित करने
के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव हुए। सड़क निर्माण मानकों को और बीमा मानदंडों
को बदल दिया गया तथा सबसे विवादास्पद रूप से‚ यातायात उल्लंघन के लिए
जुर्माना बड़ा दिया गया था। मोटर चालकों ने इन परिवर्तनों को स्वीकार नहीं
किया। कई लोगों ने पालन करने से इनकार कर दिया और कुछ लोगों ने तो
विरोध में अपने वाहन को भी जला दिया। हालांकि कई राज्य पहले से ही इन
संशोधनों को कमजोर कर रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार का मानना है कि ये भारत
की सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए आवश्यक बदलाव हैं। यदि आमतौर पर देखा
जाए तो सड़क सुरक्षा का संबंध देश की संपत्ति से है‚ क्योंकि अमीर देशों में
सुरक्षित सड़कें होती हैं। उदाहरण के लिए‚ सबसे कम सड़क दुर्घटना से हुई मौत
वाले शीर्ष दस देशों में सिंगापुर (Singapore)‚ स्वीडन (Sweden) और नॉर्वे
(Norway) शामिल हैं‚ जबकि सबसे खराब रिकॉर्ड वाले देश उप-सहारा अफ्रीका के
गरीब देश बड़े पैमाने पर हैं।
विश्व स्तर पर सड़क यातायात दुर्घटनाओं में 15 से
29 वर्ष के बच्चों की जान जाने की सबसे अधिक संभावना है तथा नुकसान का
खामियाजा युवाओं को उठाना पड़ता है। आईआईटी दिल्ली में “ट्रांसपोर्टेशन रिसर्च
एंड इंजरी प्रिवेंशन प्रोग्राम” (Transportation Research and Injury
Prevention Program) के अनुसार‚ कई दुर्घटनाओं के मामले जिनमें से विशेष
रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में हुई घटनाओं को रिपोर्ट नहीं किए जाता है‚ जिसका अर्थ
यह हो सकता है कि आधिकारिक आंकड़ों की तुलना में दुर्घटना में होने वाली मौतें
वास्तव में 47%-63% अधिक हैं। भारत के भीतर‚ कुछ सड़कें दूसरी सड़कों की
तुलना में अधिक खतरनाक हैं। भारत में सबसे घातक सड़कें तमिलनाडु और
हरियाणा में हैं‚ जबकि सबसे सुरक्षित सड़कें बिहार और पश्चिम बंगाल में हैं।
टीआरआईपीपी (TRIPP) के अनुसार‚ ये अंतर राज्यों में वाहन के स्वामित्व‚ सड़क
के बुनियादी ढांचे और नियम लागू करने के अलग-अलग पैटर्न का परिणाम हैं।
सड़क सुरक्षा के मामले में भारत का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत खराब है। भारत में
अनुमानत: सड़क हादसों में हर घंटे 16 मौतें होती हैं और हर 4 मिनट में 1 मौत
होती है। कम जुर्माने के कारण सड़क सुरक्षा कानूनों की अवहेलना भारत में सड़क
दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण है। ऐसे समय में यह बहुत बड़े मुद्दे वाला प्रश्न
बन जाता है कि क्या उच्च यातायात जुर्माना भारत में सुरक्षित ड्राइविंग की ओर
ले जा सकता है। जैसे-जैसे अधिक से अधिक लोग शहरों में जाते हैं‚ वैसे-वैसे
अधिक वाहन भी सड़कों पर उतर रहे हैं। ये वाहन न केवल ग्रीनहाउस गैस
उत्सर्जन को उगलते हैं‚ वे शहरी यातायात के लिए भी घातक हो सकते हैं। हम
पहले से ही दुनिया भर में प्रति वर्ष 1.2 मिलियन यातायात से संबंधित मौतों को
देखते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार‚ बढ़ते शहरीकरण और मोटरीकरण के
साथ‚ सड़क दुर्घटनाएं 2030 तक मौत का पांचवां प्रमुख कारण बनने की उम्मीद
है। यातायात की मौतों में वृद्धि का एक प्रमुख चालक व्यक्तिगत मोटर चालित
वाहनों में बढ़ी हुई दूरी है। सड़क पर जितनी अधिक कारें और जितनी दूर वे यात्रा
करते हैं‚ उतनी ही अधिक मौतें होती हैं। जीवन बचाने के लिए‚ हमें निजी कारों के
साथ की गई यात्रा के हिस्से को कम करने और परिवहन मोड की परवाह किए
बिना यात्रा की गई कुल दूरी दोनों को कम करने की आवश्यकता है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3BtoxF7
https://bit.ly/3JFL0kX
https://bit.ly/3rZ8XxJ
https://bit.ly/36qa55l
https://bit.ly/3JzeLUE
चित्र संदर्भ
1. दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे भारत का सबसे चौड़ा 96 किमी लंबा नियंत्रित-पहुंच एक्सप्रेसवे है, जो भारत में गाजियाबाद में डासना के माध्यम से दिल्ली को मेरठ से जोड़ता है। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. 22 फरवरी, 2016 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद् (एनआरएससी) की 16वीं और परिवहन विकास परिषद् (टीडीसी) की 37वीं बैठक के दौरान उपस्थिति दर्ज कराते हुए, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और पोत परिवहन मंत्री, श्री नितिन गडकरी को दर्शाता चित्रण (thestatement)
3. व्यस्त एक्सप्रेसवे को दर्शाता चित्रण (flickr)
4. दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे को दर्शाता चित्रण (istock)
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