समयसीमा 229
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 963
मानव व उसके आविष्कार 757
भूगोल 211
जीव - जन्तु 274
Post Viewership from Post Date to 25- Nov-2021 (5th Day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2169 | 156 | 2325 |
एक पेड़ का उपयोग अक्सर एक देवता या अन्य पवित्र प्राणियों के प्रतीक के रूप में किया जाता
हैया इसे स्वयं एक पवित्र प्रतीक माना जाता है।विभिन्न संस्कृतियों में पेड़ कुछ देवताओं या
पूर्वजों का प्रतिनिधित्व करते हैं।ये मध्यस्थ के रूप में या धार्मिक क्षेत्र की एक कड़ी के रूप में
कार्य करते हैं, जिन्हें स्वर्ग या मृत्यु के बाद के जीवन से जुड़ी सांस्कृतिक मान्यताओं से
सम्बंधित माना जाता है। पेड़ विशेष धार्मिक या ऐतिहासिक घटनाओं से सम्बंधित हैं, इसलिए
एक पेड़ या पेड़ की प्रजाति अपने अर्थ के कारण प्रतीकात्मक महत्व को प्राप्त करती है।
पेड़ों के प्रकार के बारे में समाज की पवित्र धार्मिक मान्यताएं आम तौर पर क्षेत्र में पाए जाने
वाले पेड़ों की प्रकृति और उनकी संख्या पर निर्भर करती हैं।यदि वृक्ष प्रचुर मात्रा में हैं, तो समग्र
रूप से पूरा जंगल ही आध्यात्मिक मान्यताओं और कर्मकांडों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा।
पूरी दुनिया में पेड़ों को पूजनीय माना जाता है, तथा इसके अनेकों कारण मौजूद हैं। पूरे विश्व में
विभिन्न प्रकार के धर्म और संस्कृतियां मौजूद हैं, तथा प्रत्येक में पेड़ों का अपना एक विशेष
महत्व है। उदाहरण के लिए मुस्लिम धर्म के लोग मानते हैं, कि पवित्र पेड़ विशेष रूप से धर्मी
शख्सियतों की आत्माओं का निवास स्थल होते हैं, या फिर वे उनकी कब्र से संबंध रखते
हैं।पवित्र पेड़ों को भविष्यवक्ताओं और धार्मिक लोगों के जीवन की घटनाओं या कार्यों से संबंधित
भी माना जाता है। ऐसा विश्वास है, कि पवित्र वृक्ष मनुष्य और ईश्वर के बीच का मार्ग है।पवित्र
वृक्षों का महत्व संत पर निर्भर करता है, मनुष्य जितना पवित्र होता है, वृक्ष उतना ही पवित्र
होता है।
इसके अलावा अन्य संस्कृतियों में भी यह माना जाता है, कि पवित्र वृक्ष एक संत या पवित्र
व्यक्ति के स्मृति चिन्ह हैं, इसलिए उनका महत्व मनुष्य की पवित्रता के सापेक्ष है।यह भी माना
जाता है, कि प्रत्येक धन्य वृक्ष में एक देवदूत या जिन्न या दानव होता है,जो उसके अंदर रहता
है तथा उसकी रक्षा करता है।धार्मिक लोग पेड़ को अपनी पवित्रता देते हैं, जो संत किसी पेड़ को
लगाता है, उसे उसकी मृत्यु के बाद उसके नीचे दफनाया जाता है। पेड़ विश्वास और शक्ति देता
है।
वहीं भारत की बात करें तो यहां भी पेड़ों को लेकर अनेकों धार्मिक मान्यताएं हैं, जिसके कारण
उन्हें पूजा जाता है।भारत में वृक्षों की पूजा करने की परंपरा के संबंध में विभिन्न क्षेत्रों में कई
कहानियां प्रचलित हैं।वृक्षों की पूजा की परंपरा पौराणिक कथाओं पर आधारित है तथा कुछ अन्य
धार्मिक मान्यताओं के कारण हैं। यहां तक कि जो लोग धर्म और भक्ति में विश्वास नहीं करते
वे भी पेड़ों का सम्मान और उनकी प्रशंसा करते हैं क्योंकि पेड़ फलों, फूलों, ताजी ऑक्सीजन
और छाया का मुख्य स्रोत हैं।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिंदू धर्म में पेड़ को मोक्ष, अमरता, उर्वरता या इच्छाओं की
पूर्ति का प्रतीक माना जाता है। पेड़ उन सभी अनुष्ठानों से जुड़े हुए हैं जिन्हें हम अत्यंत
आध्यात्मिक भावना के साथ करते हैं। भारत में बरगद और पीपल के पेड़ दो ऐसे पेड़ हैं, जिन्हें
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार सबसे अधिक पूजा जाता है।ब्रह्म पुराण और पद्म पुराण में
कहा गया है कि जब राक्षसों ने देवताओं पर हमला किया और उन्हें हराया, तब भगवान विष्णु
पीपल के पेड़ में छिपे हुए थे। इसलिए, यह माना जाता है कि यदि हम बिना मूर्ति या मंदिर के
भी पीपल के पेड़ की पूजा करें, तो हम भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।कुछ लोगों का मानना
है कि पवित्र वृक्ष भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव की एकता है। इसलिए यदि कोई वृक्षों की
पूजा करता है, तो उसे त्रिमूर्ति का आशीर्वाद मिलेगा तथा उसके आध्यात्मिक ज्ञान में वृद्धि
होगी।पेड़ों की भौतिक संरचना के कारण इसे तीन दुनियाओं (स्वर्ग, पृथ्वी, पाताल) के बीच की
एक कड़ी भी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि वृक्षों को दिया गया प्रसाद तीनों लोकों में
पहुंचता है। यह माना जाता है, कि भगवान इंद्र के बगीचे में पांच पेड़ हैं, जिनमें मंदरा,
पारिजात, समतनाका, हरिकंदन और कल्पवृक्ष या कल्पतरु शामिल हैं। जब यह प्रश्न उठता है
कि भारत में लोग वृक्षों की पूजा क्यों करते हैं, तो इन वृक्षों की उत्पत्ति और वृद्धि से संबंधित
इन पौराणिक कथाओं की ओर इशारा किया जाता है। हिंदू धर्म में बरगद को अत्यधिक पवित्र
माना जाता है, क्यों कि मार्कंडेय इस पेड़ की शाखाओं में छिप गए थे।इसी प्रकार बौद्ध धर्म में
साल का पेड़ अत्यधिक महत्व रखता है, क्यों कि यह भगवान बुद्ध के जन्म और मृत्यु से
सम्बंधित है।भारत के कुछ हिस्सों में युवा महिलाओं को प्रतीकात्मक रूप से पीपल के पेड़ से
शादी कर दी जाती है ताकि उन्हें एक लंबा विवाहित जीवन जीने में मदद मिल सके। इसके लिए
पेड़ के तने में एक लंबा धागा बांधकर उसकी 108 बार परिक्रमा की जाती है, फिर उस पेड़ को
चंदन आदि से सजाया जाता है।अपने पारिस्थितिक मूल्य के अलावा, पेड़ भारतीय संस्कृति और
परंपरा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह एक पवित्र कड़ी है जो मनुष्य को प्रकृति माँ से
जोड़ती है।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के निकट मौजूद एक कल्पवृक्ष भी धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण
माना जाता है।माना जाता है कि यह पेड़ महाभारत से जुड़ा हुआ है।किंवदंतियों के अनुसार, मां
कुंती ने कल्पवृक्ष (पारिजात) के फूलों से भगवान शिव की पूजा की थी,इसलिए अर्जुन ने
सत्यभामा के स्वर्ग के बगीचे से यह पेड़ लाकर उसकी स्थापना यहां कर दी और तब से यह पेड़
यहां स्थित है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3CxG7GP
https://bit.ly/3FwXr0G
https://bit.ly/3x9aHp5
https://bit.ly/3DzO0Nl
https://bit.ly/3FyWB3y
चित्र संदर्भ
1. वृक्ष पूजा को संदर्भित करता एक चित्रण (twitter)
2. 8 वीं शताब्दी के पावन मंदिर, जावा, इंडोनेशिया में एक बौद्ध मंदिर में पौराणिक जीवों द्वारा संरक्षित कल्पतरु, जीवन के दिव्य वृक्ष, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3.वट सावित्री व्रत के दौरान व्रत-उपवास और बरगद के पेड़ की पूजा करती महिलाओं को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. बोधगया में श्री महाबोधि मंदिर में महाबोधि वृक्ष, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.