City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2467 | 45 | 0 | 0 | 2512 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
प्रकृति ने हमें कई ऐसे अमूल्य तत्व प्रदान किए हैं जो न केवल हमारे लिए लाभप्रद हैं बल्कि जिनकी उत्पत्ति और अस्तित्व के पीछे के रहस्य हम सदियों से खोजते आ रहे हैं। उदाहरण के लिए विभिन्न पहाड़, झरने, नदि, समुद्र इत्यादि। सैकड़ों वर्षों से लहलहाते भिन्न- भिन्न प्रकार के वृक्ष भी हमें आश्चर्य में डाल देते हैं। भारतीय धर्म ग्रंथों व पुराणों में भी कई गुणकारी वृक्षों का उल्लेख किया गया है। हरिवंश पुराण और महाभारत महाकाव्य में पारिजात वृक्ष का विवरण मिलता है। जिसमें इसे कल्पवृक्ष के नाम से संदर्भित किया गया है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है मनोइच्छा पूरी करने वाला वृक्ष। यह न केवल धार्मिक रूप से विशेष महत्व रखता है बल्कि इसमें कई औषधीय गुण भी विद्यमान हैं। विटामिन और खनिज से युक्त यह वृक्ष मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। इसके अलावा इसकी पत्तियों का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा और होम्योपैथी में कटिस्नायुशूल, गठिया और बुखार के लिए किया जाता है। भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बाराबंकी शहर से 38 किलोमीटर (24 मील) दूर पूर्व की ओर किंटूर नाम का एक गांव है जहाँ पारिजात वृक्ष पाया जाता है। यह मूल रूप से भारतीय वृक्ष नहीं है परंतु फिर भी यह इस स्थान के अलावा भी देश के अन्य हिस्सों जैसे मध्य प्रदेश में भी पाया जाता है। जहाँ इस पेड़ की एक अलग उप-प्रजाति पाई जाती है। इस वृक्ष का वानस्पतिक वैज्ञानिक नाम अडेनसोनिया डिजीटाटा (Adansonia Digitata) है। इस वृक्ष का जीवन काल 1000 से 5000 वर्ष तक का होता है। इसकी उंचाई करीब 45 फीट व तने की मोटाई लगभग 50 फीट होती है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के प्राणी उद्यान परिसर में 4 पारिजात वृक्ष उपस्थित हैं जिन्हे भारतीय वानस्पतिक अनुसंधान केंद्र द्वारा संरक्षित किया गया है। इन वृक्षों को वर्ष 1832 में अरब के व्यापारियों द्वारा लखनऊ में लाया गया था। इस पेड़ में एक अतिसुंदर सफेद रंग का फूल खिलता है जिसका आकार लगभग 5 से 8 सेंटीमीटर तक होता है।
एक मान्यता के अनुसार, 14वीं शताब्दी के शुरुआती समय में इब्न बतूता नाम का एक लड़का जिसका जन्म उप-सहारा देश मोरक्को (Morocco) में हुआ था। बाद में इसने पूरे विश्व की यात्रा की। अपनी यात्रा के दौरान जब वह भारत आया तब उसने कई वर्षों तक देश के उत्तरी भाग में निवास किया। उसने यहाँ बाओबाब (पारिजात) का एक पौधा लगाया जो वह अपने घर से लेकर आया था जहाँ यह पौधा सामान्य रूप से पाया जाता है। विज्ञान की माने तो यह वृक्ष अफ्रीका से भारतीय उपमहाद्वीप में लाया गया था। यह पेड़ पूरे देश में अपनी तरह का एकमात्र पेड़ है।
कई स्थानीय लोग इसे धार्मिक पहलू से जोड़कर देखते हैं और ऐसा मानते हैं कि ईश्वर ने इस वृक्ष को अपनी माता के लिए स्वर्ग से पृथ्वी पर पहुँचाया था। इसी के साथ ही इस वृक्ष से संबंधित कई किवदंतियां प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार एक बार पांडवों की माता कुंती और उनकी भाभी के बीच इस बात को लेकर बहस हुई कि एक प्रमुख शिव मंदिर में पहले कौन जल अर्पण करेगा। अंतत: यह निर्णय लिया गया कि जो भगवान को स्वर्ण पुष्प चढ़ाएगा उसे ही यह अधिकार मिलेगा। कुंती को स्वर्ग में स्थित एक पौराणिक वृक्ष के बारे में जानकारी थी जिसके फूल सूखने पर स्वर्ण में परिवर्तित हो जाते हैं। कुंती ने अपने बेटे अर्जुन को स्वर्ग से वह पुष्प लाने के लिए भेजा। अर्जुन को जैसे ही वह वृक्ष मिला तो वह उस पूरे वृक्ष को पृथ्वी पर ले आए। एक और कथा के अनुसार, “भगवान कृष्ण की पत्नियों में से एक सत्यभामा जो पारिजात वृक्ष के बारे में जानती थीं। उन्होंने भगवान कृष्ण को वह वृक्ष स्वर्ग से लाने को कहा। कृष्ण स्वर्ग के राजा इंद्र से युद्ध करके और विजयी होकर वह वृक्ष रानी सत्यभामा के लिए ले आए। भगवान कृष्ण की दूसरी पत्नी रुक्मणी को इस बात से ईर्ष्या हुई।
तब भगवान कृष्ण ने इस समस्या का समाधान निकाला और इस वृक्ष को इस प्रकार लगवाया कि वह सत्यभामा की खिड़की के पास स्थित था, लेकिन इसके फूल रुक्मणी के परिसर पर गिरते थे। एक और पौराणिक कथा के अनुसार पारिजात वृक्ष की उत्पति देवों और असुरों के मध्य हुए समुद्रमंथन से हुई थी। और फिर इसे स्वर्ग के राजा इंद्र द्वारा स्वर्ग में लाया गया था। आज भी इस पेड़ को ईश्वर के समान पूजा जाता है। नवविवाहित जोड़े इस वृक्ष पर आशीर्वाद लेने के लिए जाते हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 5 अगस्त, 2020 को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के दौरान भूमि पूजन समारोह में भाग लिया। मंदिर की आधारशिला रखने से पहले मोदीजी ने मंदिर परिसर में पारिजात का पौधा लगाकर समारोह का शुभारंभ किया।
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.