पंचांग की 12 संक्रांतियों में से, सबसे शुभ मानी जाती है मकर संक्रांति

रामपुर

 14-01-2025 09:23 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
हर साल, 14 जनवरी को, देश भर में मकर संक्रांति का त्यौहार अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। रंग-बिरंगी पतंगों से सजे नीले आकाश के बीच, देश मकर संक्रांति के फ़सल उत्सव के साथ सूर्य के मकर राशि में प्रवेश और एक नई शुरुआत का जश्न मनाता है। मकर संक्रांति उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। हमारे शहर रामपुर में भी यह त्यौहार, स्थानीय लोगों द्वारा पतंगबाज़ी के माध्यम से बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। तो आइए, आज मकरसंक्रांति के मौके पर, इस त्यौहार और इसके महत्व को समझते हुए जानते हैं कि इस त्यौहार को भारत में कैसे मनाया जाता है। इस संदर्भ में, हम इस त्यौहार के कृषि महत्व के बारे में भी जानेंगे। इसके साथ ही, हम भारतीय पंचांग में पड़ने वाली 12 अलग-अलग संक्रांतियों के बारे में जानेंगे।
मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है?
वेदों में बताया गया है कि, संक्रांति, सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने का प्रतीक है। एक वर्ष में 12 संक्रांतियां होती हैं। मकर संक्रांति को सभी 12 संक्रांतियों में सबसे शुभ माना जाता है और इसे 'पौष संक्रांति' भी कहा जाता है, क्योंकि यह उन कुछ हिंदू त्यौहारों में से एक है जो सौर चक्र के साथ संरेखित होते हैं। मकर संक्रांति का महत्व, केवल इसके धार्मिक महत्व तक ही सीमित नहीं है। वास्तव में,यह त्यौहार, फ़सल के मौसम की शुरुआत का भी प्रतीक है जब नई फ़सलों की पूजा की जाती है। यह त्यौहार, मौसम में बदलाव का भी प्रतीक है, क्योंकि इस दिन से, सूर्य देव दक्षिणायन (दक्षिण) से उत्तरायण (उत्तर) गोलार्ध में अपनी गति शुरू करते हैं, जो सर्दियों के आधिकारिक अंत का प्रतीक है।
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन, भगवान विष्णु ने राक्षसों के सिर काटकर और उन्हें एक पहाड़ के नीचे गाड़ दिया था और इस प्रकार उनके आतंक को हराया था, जो नकारात्मकता के अंत का प्रतीक था। इसलिए, यह दिन साधना, आध्यात्मिक अभ्यास या ध्यान के लिए बहुत अनुकूल है, क्योंकि इस दिन वातावरण को 'चैतन्य', अर्थात 'ब्रह्मांडीय तेज़' से भरा हुआ माना जाता है। इसके अलावा, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव के प्रति एक विशेष पूजा भी अर्पित की जाती है, जो अंधेरे पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। भक्त कृतज्ञता व्यक्त करने और समृद्ध फसल और उत्तरी गोलार्ध में सूर्य के प्रवेश के साथ, सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए, आशीर्वाद मांगने हेतु प्रार्थना और अनुष्ठान करते हैं। मकर संक्रांति को भारत के विभिन्न हिस्सों में उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है।
मकर संक्रांति का कृषि से संबंध:
मकर संक्रांति का त्यौहार, कृषि से जुड़ा है, क्योंकि यह कटाई के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। यह दिन, भारत में किसानों के लिए बहुत महत्व रखता है। कृषि का यह त्यौहार, भारतीय संस्कृति में कृषि के महत्व को प्रतिष्ठित करता है। इस शुभ दिन पर, भारत के विभिन्न हिस्सों के लोग, इसे अलग-अलग नामों से मनाते हैं। इस त्यौहार को तमिलनाडु में पोंगल, असम में बिहू, पंजाब में लोहड़ी, उत्तरी राज्यों में माघ बिहू और केरल में मकर विलाक्कू के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार, जिसे अक्सर 'फ़सल कटाई के त्यौहार' के रूप में मनाया जाता है, कृषि की प्रचुरता और भरपूर फ़सल के मौसम का प्रतीक है। हमारे देश के किसान, जो खेतों में लगन से काम करते हैं और फ़सलों के रूप में अपने खेतों में सोना उगाते हैं, मानते हैं कि, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तो यह सर्दियों के मौसम के अंत का प्रतीक होता है। यह आने वाले गर्म और लंबे दिनों की शुरुआत का भी प्रतीक है। यह खेतों में शीतकालीन फ़सलों के पकने के लिए भी अनुकूल समय होता है। इस त्यौहार से जुड़ी मुख्य फ़सल गन्ना है। इस त्यौहार के दौरान, तैयार किए जाने वाले कई पारंपरिक व्यंजनों में गुड़ का मुख्य रूप से उपयोग किया जाता है जो गन्ने से बनाया जाता है।
इस फ़सल उत्सव को मनाने के लिए, भक्त, पवित्र नदियों, मुख्य रूप से गंगा में डुबकी लगाते हैं और इसके किनारे बैठकर ध्यान करते हैं। माना जाता है कि, इस दिन लगाई गई यह डुबकी आत्मा को शुद्ध करती है और व्यक्ति के पापों को धो डालती है। फ़सल का यह त्यौहार, मौसम की पहली फ़सल की पूजा करके और रेवड़ी तथा पॉपकॉर्न बांटकर मनाया जाता है। इस त्यौहार की सबसे अनोखी बात यह है कि, यह लगभग हर साल, एक ही दिन अर्थात 14 जनवरी को मनाया जाता है। उत्तरायण काल, जो हिंदुओं के लिए, 6 महीने की शुभ अवधि है, की शुरुआत भी इसी दिन से होती है। मकर संक्रांति के दिन विशेष रूप से तिल, मूंगफली और गुड़ के लड्डू बनाए जाते हैं और लोगों के बीच वितरित किए जाते हैं, जो उनके बीच सद्भाव का प्रतीक है। बिहार में इस दिन लोग मुख्य रूप से खिचड़ी बनाते हैं।
पंचांग में 12 संक्रांतियां:
पंचांग (Hindu Calendar) में एक वर्ष में कुल बारह संक्रांतियां होती हैं। सभी बारह संक्रांतियों को चार श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:
अयन/अयनी संक्रांति: मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति दो अयनी संक्रांति हैं जिन्हें क्रमशः उत्तरायण संक्रांति और दक्षिणायन संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें पंचांग में शीतकालीन संक्रांति और ग्रीष्म संक्रांति के रूप में भी माना जाता है। जब सूर्य उत्तरी गोलार्ध में जाता है, तो छह महीने की समय अवधि को उत्तरायण कहते हैं और जब सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में जाता है, तो शेष छह महीने की समय अवधि को दक्षिणायन कहते हैं।
विषुव या संपत संक्रांति: मेष और तुला संक्रांति दो विषुव संक्रांति हैं जिन्हें क्रमशः वसंत संपत और शरद संपत के नाम से भी जाना जाता है। इन दोनों संक्रांतियों के लिए, संक्रांति से पहले और बाद की पंद्रह घटी के क्षणों को कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।
विष्णुपदी संक्रांति: सिंह , कुंभ , वृषभ और वृश्चिक संक्रांति, चार विष्णुपदी संक्रांति हैं। इन सभी चार संक्रांतियों के लिए संक्रांति से पहले के सोलह घटी क्षणों को कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।
षडशीतिमुखी संक्रांति: मीन , कन्या , मिथुन और धनु संक्रांति, चार षडशीत-मुखी संक्रांति हैं। इन सभी चार संक्रांतियों के लिए, संक्रांति के बाद के सोलह घटी क्षणों को कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/p2b9eck5
https://tinyurl.com/7ye2nv5p
https://tinyurl.com/2scrcrww
https://tinyurl.com/778c4wdj

चित्र संदर्भ

1. प्रयागराज में माघ मेले के दौरान, टीका लगवाते दुकानदार को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. मकर संक्रांति के उत्सव की झलकियों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. पोंगल उत्सव पर समुद्र तट पर लगे मेला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. मकर संक्रांति के दिन मूर्तियों के प्रदर्शन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)




RECENT POST

  • आइए समझते हैं, भारत में एफ़िलिएट मार्केटिंग, इसके प्लेटफ़ॉर्मों और जोखिमों के बारे में
    संचार एवं संचार यन्त्र

     15-01-2025 09:28 AM


  • पंचांग की 12 संक्रांतियों में से, सबसे शुभ मानी जाती है मकर संक्रांति
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     14-01-2025 09:23 AM


  • भारत में, पोल्ट्री उद्योग के व्यापक विस्तार के बावजूद, इसका विकास है ज़रूरी
    पंछीयाँ

     13-01-2025 09:24 AM


  • आइए देखें, मकर संक्रांति से जुड़े कुछ चलचित्र
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:27 AM


  • क्या है सामान नागरिक संहिता और कैसे ये, लोगों के अधिकारों में लाएगा बदलाव ?
    सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

     11-01-2025 09:23 AM


  • आइए जानें, दुनिया भर में हिंदी बोलने वाले देशों और उनकी सांस्कृतिक विविधताओं के बारे में
    ध्वनि 2- भाषायें

     10-01-2025 09:29 AM


  • आइए नज़र डालें, क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार से संबंधित कुछ जोखिमों पर
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 10:23 AM


  • भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में है लंबित अदालतीं मामलों की समस्या
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:21 AM


  • कैसे एक चक्रीय अर्थव्यवस्था, वैश्विक प्लास्टिक व्यापार को और बेहतर बना सकती है ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:39 AM


  • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से प्राप्त स्वच्छ ऊर्जा की, क्या कीमत चुकाई जा रही है ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:27 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id