Post Viewership from Post Date to 24-Aug-2024 (31st) day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1625 127 1752

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

इत्र की महक को और बढ़ा देती हैं, इत्र की शानदार बोतलें

रामपुर

 23-07-2024 09:30 AM
गंध- ख़ुशबू व इत्र

रामपुर के बाजारों से गुजरने पर, यहाँ के स्वादिष्ट पकवानों के साथ-साथ प्राकृतिक इत्र की दुकानों से आनेवाली मनमोहक सुगंध को नज़रअंदाज़ करना बहुत मुश्किल हो जाता है। रामपुर की प्रसिद्ध इमारतों और व्यंजनों की भांति ही ‘इत्र’ का इतिहास भी बहुत पुराना माना जाता है। यदि आप खुद पर नियंत्रण करके इत्र की खुशबू को नज़रअंदाज़ कर भी दें तो आप यहाँ की दुकानों में सजाई गई इत्र की शानदार बोतलों को नज़रअंदाज़ नहीं कर पाएंगे। आज हम इत्र की इन्हीं शानदार बोतलों के ऐतिहासिक सफ़र पर चलेंगे। दुनिया की सबसे पुरानी ज्ञात इत्र की बोतलें प्राचीन मिस्र से मिली हैं, जिनका इतिहास लगभग 1000 ईसा पूर्व का है। मिस्र के लोग दैनिक रूप से या खासकर अपने धार्मिक समारोहों के दौरान बहुत सारी सुगंधों का इस्तेमाल करते थे। जब उन्होंने कांच का आविष्कार किया, तो वे अक्सर इसका इस्तेमाल इत्र की बोतलें बनाने के लिए करते थे।
प्राचीन ग्रीस में समय के साथ इत्र के पात्रों का फैशन फैल गया। यूनानियों ने मिट्टी और कांच जैसी कई अलग-अलग सामग्रियों से इत्र की विशेष बोतलें बनाईं! उनकी इत्र की बोतलें चप्पल, पक्षी, जानवर और मानव सिर जैसे सभी तरह के आकार में आती थीं।
बाद में, रोमनों को भी इत्र बहुत पसंद आया। उन्होंने देखा कि इसमें लोगों को आकर्षित करने की विशेष शक्ति है। इत्र की बोतलों का एक लंबा और पुराना इतिहास रहा है। सबसे पुरानी इत्र की बोतलें प्राचीन मिस्र में मिलती हैं, वे मिट्टी या लकड़ी से बनी होती थीं। जैसे-जैसे इत्र दुनिया भर में लोकप्रिय होता गया, वैसे-वैसे इत्र की बोतलें भी अधिक सजावटी होती गईं। रोमनों ने कीमती पत्थरों और सुंदर कांच से इत्र की बोतलें बनाईं। प्राचीन यूनानियों ने जानवरों और गोले के आकार में इत्र की बोतलें बनाईं। 18वीं शताब्दी में, इत्र की बोतलें चीनी मिट्टी के बरतन, चांदी, तांबे और सफेद कांच जैसी कई सामग्रियों से बनाई जाती थीं। इनके आकार उस समय की प्रचलित कला से प्रभावित होते थे। इत्र रखने के लिए तामचीनी का भी उपयोग किया जाता था, और लोग इस पर विस्तृत ग्रामीण इलाकों के दृश्य चित्रित करते थे।
इत्र और परफ्यूम कई अलग-अलग खुशबू में आते हैं। लेकिन परफ्यूम की बोतलें भी कई अलग-अलग आकार और साइज़ में आती हैं। बोतल का आकार और साइज़ सिर्फ़ डिज़ाइन का हिस्सा नहीं है। वास्तव में यह अलग-अलग अवसरों पर खरीदारों को आकर्षित करने के लिए एक रणनीतिक विकल्प है।
उदाहरण के तौर पर:
1. अंडाकार और क्लासिक आकार: ये बोतलें सुंदर और ऐतिहासिक लुक देती हैं। ऐसे ब्रांड जो बुजुर्ग लोगों या पुराने ज़माने की चीज़ें पसंद करने वाले लोगों को आकर्षित करना चाहते हैं, वे इन आकारों को चुन सकते हैं। शनेल नंबर 5 (Chanel No. 5) की बोतल इसका एक प्रसिद्ध उदाहरण है। यह डिज़ाइन सरल और सुंदर है, और लोगों को यह लंबे समय से पसंद है।
2. अनोखे और अभिनव आकार: ये बोतलें युवा, अधिक साहसी लोगों को आकर्षित करती हैं। इस तरह की बोतलें आमतौर पर अजीब या अमूर्त आकार की होती हैं। जो लोग कुछ "अलग" चाहते हैं, उन्हें ये बोतलें जरूर पसंद आएंगी।
3. परिवहन के अनुकूल आकार की छोटी बोतलें: ये बोतलें छोटी और व्यावहारिक होती हैं। ये खासतौर पर उन लोगों को आकर्षित करती हैं, जो हमेशा घूमते फिरते रहते हैं। इसके अलावा एक छोटा सैंपल साइज़ आपको नया परफ्यूम खरीदने से पहले उसे आज़माने का मौका भी देता है। इन बोतलों की खासियत है कि इन्हें आसानी से ले जाया जा सकता है।
4. बड़ी और आलीशान बोतलें: कुछ बोतलें (खास तौर पर महंगे परफ्यूम ब्रांड) की बड़ी, भारी और फैंसी होती हैं। वे लोगों के ड्रेसर पर रखने के लिए स्टेटमेंट पीस (statement piece) का काम करती हैं।
आज, कुछ सबसे प्रसिद्ध और पहचानी जाने वाली इत्र की बोतलों में प्रतिष्ठित शनेल नंबर 5 (Chanel No. 5) और एलिजाबेथ टेलर (Elizabeth Taylor) की व्हाइट डायमंड्स (White Diamonds) शामिल हैं। हालाँकि, लोग डिपार्टमेंट स्टोर या ऑनलाइन शॉपिंग (online shopping) के अस्तित्व में आने से बहुत पहले से इत्र की बोतलें बना रहे हैं।
प्राचीन काल से ही लोगों ने सुगंधित तेल रखने के लिए इत्र की अनोखी बोतलें बनाई हैं। ये बोतलें कई सजावटी आकृतियों और डिज़ाइनों में आती हैं, और संग्रहालयों ने उनमें से कुछ को प्रदर्शित भी किया है।
प्राचीन चीनी राजवंशों से लेकर 17वीं सदी के यूरोप तक, इत्र की बोतलों को पूरे इतिहास में कई अलग-अलग डिज़ाइन दिए गए हैं।
6वीं शताब्दी ईसा पूर्व: प्राचीन ग्रीस में, लोग इत्र रखने के लिए अलाबास्ट्रॉन (alabastron) नामक छोटी बोतलों का इस्तेमाल करते थे। 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व के एक अलाबास्ट्रॉन (alabastron) में एक महिला को कुत्ते के साथ दिखाया गया है।
4वीं शताब्दी ईसा पूर्व: प्राचीन यूनानियों ने इत्र या तेल रखने के लिए एरीबॉलोज़ (aryballos) का भी इस्तेमाल किया।
1750-1800: फ्रांस में 1700 के दशक में, लोगों ने किताबों के आकार की परफ्यूम की बोतलें बनाईं।
18वीं सदी: 18वीं सदी के चीन में, लोगों ने इत्र या धूपबत्ती रखने के लिए जेड को ट्यूबों (tubes) में उकेरा।
1800 के दशक: 1800 के आसपास, लोगों ने प्रिंस रीजेंट (Prince Regent) का प्रतिनिधित्व करने वाले सल्फाइड (एक प्रकार का ग्लास) के साथ हीरे की नक्काशी वाली खुशबू वाली बोतलें बनाईं। उन्होंने 1800 के दशक में फ्रांस में फिलिग्री मिल्क ग्लास (filigree milk glass) के साथ परफ्यूम की बोतलें और ट्रे भी बनाईं।
19वीं सदी: 1800 के दशक में, लोगों ने कई तरह की परफ्यूम की बोतलें बनाईं:
- बोहेमियन ग्लास सेंट बोतलें (Bohemian glass scent bottles)
- लुनेविले में बैकारेट ग्लासहाउस (Baccarat Glasshouse) द्वारा बनाई गई स्टॉपर वाली परफ्यूम की बोतलें
- सेंट पीटर्सबर्ग में फैबरगे वर्कशॉप (Fabergé workshop) द्वारा बनाई गई छोटी परफ्यूम की बोतलें
1921: 1921 में, कोको चैनल ने प्रसिद्ध शनेल नंबर 5 (Chanel No. 5) परफ्यूम की बोतल बनाई। इस प्रतिष्ठित बोतल को 2013 में पेरिस के पैलेस डी टोक्यो कला संग्रहालय (Palais de Tokyo art museum) में एक प्रदर्शनी में भी प्रदर्शित किया गया।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2288rvrh
https://tinyurl.com/26zaqly6
https://tinyurl.com/24yccxfc
https://tinyurl.com/27lemqty

चित्र संदर्भ
1. इत्र की सुंदर बोतलों को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
2. प्राचीन ग्रीस में प्रचलित इत्र की बोतलों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. रोमन इत्र की बोतल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. शनेल नंबर 5 बोतल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. वाइट डायमंड्स परफ़्यूम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. प्राचीन ग्रीस में, इत्र रखने के लिए, अलाबास्ट्रॉन नामक इस्तेमाल होने वाली एक छोटी बोतल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
7. 18वीं सदी की इत्र की बोतल को दर्शाता एक चित्रण (PICRYL)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • जापान के कांगिटेन देवता से लेकर, थाईलैंड व इंग्लैंड में भी हैं , हाथियों के प्रतीकवाद
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     07-09-2024 09:14 AM


  • ‘भारतीय फ़ोटोग्राफ़ी के जनक’ के रूप में, पद्मश्री रघु राय का क्या है योगदान?
    द्रिश्य 1 लेंस/तस्वीर उतारना

     06-09-2024 09:19 AM


  • क्या प्राधिकरण, नगर नियोजन के लिए नगर निगम की जगह ले सकता है?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     05-09-2024 09:28 AM


  • सोने के आभूषण खरीदने से पहले, बी आई एस हॉलमार्क से सुनिश्चित करें अपने सोने की शुद्धता
    म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

     04-09-2024 09:13 AM


  • पुलिस की कार्यवाही से असंतुष्ट शिकायतकर्ता, किसका दरवाज़ा खटखटा सकता हैं?
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     03-09-2024 09:20 AM


  • उर्दू भाषा का, फ़ारसी, अरबी व नस्तालिक़ लिपि से क्या संबंध है?
    ध्वनि 2- भाषायें

     02-09-2024 09:14 AM


  • आइए जानें, एनिमे बनाने की तकनीकों के बारे में
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     01-09-2024 09:17 AM


  • लाभदाई होने पर भी, जैविक खेती में, अधिक निवेश के बावजूद, कम उत्पादन की है समस्या
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     31-08-2024 09:01 AM


  • अपनी गंध की क्षमता से कैंसर का पता लगा सकती हैं चींटियाँ
    व्यवहारिक

     30-08-2024 09:14 AM


  • जानें, औषधि से फ़र्नीचर तक, कैसे देते हैं वृक्ष, हमारी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान
    पेड़, झाड़ियाँ, बेल व लतायें

     29-08-2024 09:35 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id