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विश्व के लगभग सभी विकसित और विकासशील देशों में मोटापा एक सबसे आम सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभरा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization (WHO) के अनुसार 2016 में, 1.9 बिलियन से अधिक वयस्क व्यक्तियों का वजन संतुलित वजन से अधिक था और जिसमें से 650 मिलियन से अधिक व्यक्ति मोटापे से पीड़ित थे। वहीं भारत में 135 मिलियन से अधिक व्यक्ति मोटापे की समस्या से जूझ रहे थे। मोटापे के कारण बढ़ा हुआ ‘बॉडी मास इंडेक्स’ (body mass index (BMI) हृदय रोग, हृदयाघात, मधुमेह, वात रोग विकार और कुछ प्रकार के कैंसर के लिए खतरनाक होता है।
इसके अलावा भारत में सामान्यीकृत मोटापे (Generalized Obesity) और पेट के मोटापे (Abdominal Obesity) की व्यापकता दर क्रमशः 11.8% से 31.3% और 16.9% से 36.3% तक भिन्न है। भारत में पेट का मोटापा हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसे रोगों का एक प्रमुख कारण हैं। विभिन्न शोधों में यह भी साबित हुआ है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में मोटापे की व्यापकता काफी अधिक है। अधिक मोटापे के कारण कभी कभी एक ऐसी स्थिति ‘मेटाबोलिक सिंड्रोम’ (Metabolic syndrome (MetS) उत्पन्न होती है जिसमें शरीर में एक साथ कई रोगों, जैसे हृदय रोग, हृदयाघात (Heartstroke) और टाइप 2 मधुमेह (Type 2 diabetes) का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में रक्तचाप में वृद्धि, उच्च रक्त मधुमेह (high blood sugar), कमर के आसपास चर्बी बढ़ना और असामान्य रूप से कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) या ट्राइग्लिसराइड (triglyceride) स्तर का बढ़ना शामिल है। मेटाबोलिक सिंड्रोम के कारण हृदय रोग, मधुमेह और अन्य दीर्घकालिक जटिल बीमारियों से एक बड़ी आबादी को खतरा है, जिसके कारण निकट भविष्य में देश के सामने एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती उत्पन्न हो सकती है। भारत के विभिन्न हिस्सों के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में यह तेजी से 11% से 41% तक बढ़ गया है। भारत में मेटाबोलिक सिंड्रोम और मोटापे की व्यापकता दर क्षेत्र, शहरीकरण, जीवन शैली और सामाजिक, आर्थिक,एवं सांस्कृतिक कारकों के अनुसार भिन्न है।
नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, MetS की व्यापकता भारत के प्रमुख शहरों में लगभग एक तिहाई आबादी तक फैली हुई है। इसके अलावा मोटापे से पीड़ित लोगों में MetS का प्रसार अधिक पाया गया। इसलिए रुग्णता/मृत्यु दर को रोकने या कम करने के लिए बचपन से ही स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने की आवश्यकता है। तेजी से बढ़ती हुई मेटाबोलिक सिंड्रोम की इस महामारी को रोकने के लिए तत्काल राज्य-विशिष्ट नीतियों और हस्तक्षेप की आवश्यकता है। इसके लिए उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के साथ साथ सामान्य आबादी की भी स्क्रीनिंग की जानी चाहिए जिससे उन लोगों की प्रारंभ में ही पहचान की जा सके जहाँ इन बीमारियों को लेकर पारिवारिक इतिहास रहा है। इसके साथ ही 30 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के सभी वयस्कों की अधिक से अधिक स्क्रीनिंग की जानी चाहिए। एक अध्ययन से पता चलता है कि महिलाओं में मोटापे और MetS का खतरा अधिक होता है।
न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर मेटाबॉलिक सिंड्रोम के प्रसार में नाटकीय वृद्धि हुई है, जिसके कारण स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक रूप से एक अत्यंत गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। बढ़ता शहरीकरण, उन्नत परिवहन तकनीक, संसाधित और जंक फूड की बढ़ती उपलब्धता और लोकप्रियता, टेलीविजन और मोबाइल का अधिक उपयोग, शारीरिक रूप से निष्क्रियता, और पोषक तत्वों से रहित आहार मुख्य रूप से मेटाबॉलिक सिंड्रोम से जुड़ी समस्याओं के निर्णायक कारकों के रूप में सामने आये हैं। अतः इन स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार एवं रोकथाम की शुरुआत पोषण युक्त आहार एवं शारीरिक व्यायाम के साथ की जा सकती है।
शारीरिक व्यायाम से चयापचय सिंड्रोम (MetS)की स्थितियों को नियमित किया जा सकता है। क्योंकि शारीरिक व्यायाम, चयापचय रोगों के विकास और प्रगति के खिलाफ सुरक्षात्मक प्रभाव डालता है। शारीरिक व्यायाम द्वारा संपूर्ण शरीर की पुनर्रचना करके सकारात्मक प्रभाव डाला जाता है। व्यायाम द्वारा वसा ऑक्सीकरण में वृद्धि और अंतः पेशी वसा में कमी, इंसुलिन संवेदनशीलता (insulin resistance) और ग्लूकोज अंतर्ग्रहण में वृद्धि, या सूत्रकणिका ऑक्सीकर क्षमता और स्वास्थ्य में सुधार करके शरीर की मांसपेशियों का दीर्घकालिक अनुकूलन किया जाता है, जिससे चयापचय विकारो को सुधारा जा सकता है। हालांकि इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि विभिन्न प्रकार के व्यायाम अलग-अलग चयापचय अनुकूलन और नैदानिक परिणामों से जुड़े होते हैं। उदाहरण के लिए, एरोबिक व्यायाम के परिणामस्वरूप शरीर के वजन और वसा में कमी आती है, जबकि योग जैसे प्रतिरोध प्रशिक्षण द्वारा प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
नवंबर 2021 से अप्रैल 2022 तक हमारे रामपुर से लगे बरेली जिले के विभिन्न क्षेत्रों के 18 वर्ष से अधिक आयु के 567 व्यक्तियों पर मधुमेह के संबंध में जागरूकता के विषय में एक अंतः वर्ग अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में मधुमेह के निदान, रोकथाम, जटिलताओं और जोखिम जैसे कारकों से संबंधित 25 प्रश्नों के माध्यम से शामिल लोगों को मधुमेह की जानकारी का मूल्यांकन किया गया। अध्ययन में पाया गया कि केवल 44.51% प्रतिभागियों को मधुमेह से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी थी। 'शिक्षा का स्तर', 'मधुमेह का पारिवारिक इतिहास', 'आय' और 'चिकित्सा क्षेत्र में शिक्षा' जैसे कारकों के कारण लोगों के ज्ञान में विविधता थी। अध्ययन के दौरान लगभग 55.78% लोगों ने मधुमेह के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण दिखाया। इसके साथ ही अध्ययन में यह भी पाया गया कि नियमित रूप से व्यायाम करने वाले व्यक्ति मधुमेह के प्रति उन व्यक्तियों की तुलना में अधिक जागरूक थे, जो नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते थे।
इसी प्रकार जीवनशैली, (तंबाकू का उपयोग, शराब का सेवन, शारीरिक निष्क्रियता और आहार के प्रकार), रक्तचाप और मानवशास्त्रीय मापदंड आदि के विषय में एक संरचित पूर्व-परीक्षणित प्रश्नावली का उपयोग करके रोहिलखंड मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, बरेली के मेडिकल छात्रों के बीच जीवनशैली से संबंधित जोखिम कारकों की व्यापकता का अध्ययन किया गया।अध्ययन में शामिल 99 छात्रों में से, लगभग 30.3% छात्रों का पारिवारिक इतिहास उच्च रक्तचाप का था, जबकि 41.4% का पारिवारिक इतिहास मधुमेह का था। लगभग एक तिहाई छात्रों का वजन अधिक था। जबकि उच्च रक्तचाप की व्यापकता दर 24.2% थी। लगभग 14.1% उत्तरदाताओं को धूम्रपान की आदत थी जबकि 8.1% लोग तंबाकू का सेवन करते थे। लगभग 10.1% छात्रों ने यह भी स्वीकार किया कि उन्होंने पिछले एक वर्ष के दौरान शराब का सेवन किया है। कुल संख्या में केवल एक तिहाई छात्र ऐसे थे जो नियमित रूप से शारीरिक व्यायाम करते थे। 53.4% छात्र शाकाहारी थे। जबकि 83.8% छात्र पके हुए भोजन में अतिरिक्त नमक मिलाने के आदी थे। उपरोक्त अध्ययन से यह निष्कर्ष निकाला गया कि छात्रों की जीवनशैली के जोखिम कारकों को शीघ्र पहचान कर उनमें संशोधन की तुरंत आवश्यकता है, जिससे उन्हें मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसी स्वास्थ्य प्रतिकूल परिस्थितियों से बचाया जा सके।
संदर्भ
https://shorturl.at/cdkvF
https://shorturl.at/kCGQU
https://shorturl.at/gxU16
https://shorturl.at/mDT16
चित्र संदर्भ
1. पौष्टिक आहार के बारे में जानते बच्चों को संदर्भित करता एक चित्रण (Rawpixel)
2. शरीर में मधुमेह के प्रभाव को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. गंभीर केंद्रीय मोटापे से ग्रस्त एक व्यक्ति, जो मेटाबॉलिक सिंड्रोम का एक लक्षण है। को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. व्यायाम करते लोगों को संदर्भित करता एक चित्रण (pixels)
5. स्वच्छ भोजन को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
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