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शहर, मानव सभ्यता का हृदय, वाणिज्य के इंजन और नवाचार के केंद्र होते हैं। पूरे इतिहास में, लोग संस्कृति, शिक्षा और आर्थिक अवसर के केंद्र के रूप में शहरों की ओर आकर्षित हुए हैं। अक्सर संसाधनों या रणनीतिक केंद्रों तक पहुंच के कारण आमतौर पर किसी विशेष क्षेत्र में लोगों के बसने से शहर और कस्बों की शुरुआत होती है। हालांकि शहर जैसे जैसे विकसित होते जाते हैं, पर्यावरण को इस विकास की कीमत चुकानी पड़ती है। महान स्कॉटिश जीवविज्ञानी और समाजशास्त्री, पैट्रिक गेडेस (Patrick Geddes) इस विचार को आगे बढ़ाने वाले पहले व्यक्ति थे, कि शहर और पर्यावरण दोनों को एक साथ मिलकर विकसित होना चाहिए। शहर के विकास के संबंध में गेडेस के विचार क्या हैं? आइए जानें। साथ ही यह भी जानें कि दुनिया और भारत के कुछ सबसे पुराने शहर कौन से हैं?
गेडेस ऐसे शहर की परिकल्पना करते हैं जिसमें समकालीन औद्योगिक, सामाजिक और राजनीतिक कठिनाइयों के बावजूद, नागरिक उत्थान के तत्व उपलब्ध होते हैं, और इसके साथ ही औद्योगिक सभ्यता के उच्च स्तर पर सामाज में सामान्य प्रगति होती है। गेडेस के अनुसार, नागरिक जागृति और रचनात्मक प्रयास पूरी तरह से स्वस्थ विकास में शुरू होते हैं। शहर नागरिको को न केवल जीवित रहने में सक्षम बनाते हैं, बल्कि क्षेत्रीय और नागरिक साहित्य और इतिहास, कला और विज्ञान में विभिन्न नवीकरण को बढ़ावा देते हैं। इस तरह के नवीकरण का अर्थ है कि सामाजिक और व्यक्तिगत दोनों स्तर पर लगातार बढ़ती भलाई, और समाज की एक उत्पादक दक्षता, जिसमे कला अतीत की तरह उद्योगों को पुनर्जीवित और व्यवस्थित कर सकती है। शायद एक जीवविज्ञानी के रूप में अपने प्रशिक्षण के कारण, पैट्रिक गेडेस इस विचार को आगे बढ़ाने वाले पहले व्यक्ति थे कि शहर और पर्यावरण दोनों को एक साथ मिलकर विकसित होना चाहिए। गेडेस के अनुसार, शहर एक एकल और स्वायत्त संस्थान नहीं है बल्कि ऊर्जा का आदान प्रदान करने वाले वातावरण के अंदर स्थित होते हैं। उनकी पारिस्थितिकी की अवधारणा भी प्रकृति के संरक्षण पर केंद्रित है। इस तथ्य को स्पष्ट करने के लिए गेडेस कैकोटोपी (Cacotopy) और यूटोपिया (Eutopia) नामक दो शहरों को बुरे और अच्छे शहर के रूप में परिभाषित करते हुए ऊष्मागतिक अवधारणा का उदाहरण देते हैं। गेडेस के अनुसार कैकोटोपी शहर व्यक्तिगत मौद्रिक लाभ प्राप्त करने के लिए ऊर्जा का व्यय करता है, जबकि यूटोपिया पर्यावरण को व्यवस्थित करने के लिए ऊर्जा का संरक्षण करता है और इस प्रकार सामूहिक और व्यक्तिगत जीवन के पर्याप्त विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गेडेस के अनुसार, एक स्थायी रूप से विकसित होने वाले शहर जैसी संस्थान के लिए शहरी नियोजन अत्यंत आवश्यक है, जिसमें भविष्य की योजनाएं बनाने के लिए अतीत एवं वर्तमान की व्याख्या की जानी चाहिए। गेडेस शहर के लिए ‘बायोपोलिस’ (biopolis) शब्द का उपयोग करते हैं जो गेडेस के शहर और इसकी योजना को एक जीवित, खुली प्रणाली के रूप में दर्शाता है। गेडेस का प्रभाव लुईस ममफोर्ड (Lewis Mumford) से लेकर एलिसन और पीटर स्मिथसन (Alison & Peter Smithson) तक, कई दार्शिनिकों पर देखा जा सकता है।
क्या आप जानते हैं कि प्रागैतिहासिक काल से लेकर आधुनिक युग तक दुनिया के सबसे पुराने ऐसे 3 शहर कौन से हैं जो आज भी बसे हुए हैं? हालांकि, मेसोपोटामिया (Mesopotamia) को व्यापक रूप से सभ्यता का उद्गम स्थल माना जाता है, लेकिन यह भी एक तथ्य है कि सुमेरियों द्वारा टाइग्रिस (Tigris) और यूफ्रेट्स (Euphrates) के किनारे अपने शहर बसाने से बहुत पहले से सभ्यता धीरे धीरे विकसित हो रही थी। कुछ सबसे पुराने शहर, जो आज भी बसे हुए हैं, निम्नलिखित हैं:
1. डमस्कस, लेवांत (Damascus, Levant) 10,000 ईसा पूर्व - 8000 ईसा पूर्व:
वर्ष 1963 और 1973 के बीच, आधुनिक डमस्कस में टेल रामाद (Tell Ramad) नामक स्थान पर खुदाई के दौरान नवपाषाणकालीन बस्तियों के प्रमाण प्राप्त हुए हैं, जो 10,000 से 12,000 वर्ष पुराने बताए जा रहे हैं। हालाँकि इन बस्तियों को शहर का नाम नहीं दिया जा सकता, लेकिन इसका अर्थ यह है कि डमस्कस और इसके आसपास के इलाके कम से कम 10,000 वर्षों से बसे हुए हैं। इसकी पुष्टि पास के ही एक स्थान टेल अस्वद (Tell Aswad) से प्राप्त प्रमाणों से भी हुई है। इससे डमस्कस का नाम दुनिया के सबसे पुराने लगातार बसे हुए शहरों की सूची में दर्ज हो गया है। प्रमाणों के अनुसार यहाँ की संस्कृति नेशुफ़ियन संस्कृति पर आधारित थी जो नवपाषाण काल के दौरान लेवांत में मौजूद थी। इस संस्कृति में घर मिट्टी की ईंटों और पत्थरों का उपयोग करके बनाए जाते थे और दीवारों पर प्लास्टर किया जाता था। यहाँ के औज़ार और उपकरण लकड़ी या पत्थर के बने होते थे। साथ ही मध्य पूर्व के अधिकांश स्थलों की तरह यहाँ पर भी गेहूं और जौ की कृषि की जाती थी। कांस्य युग के बाद डमस्कस एक बड़े शहर के रूप में विस्तारित होना शुरू हो गया और इस शहर ने विश्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2. रे मीडिया (Ray/Rey Media), ईरान 6000 ईसा पूर्व:
आज ईरान की राजधानी तेहरान का एक हिस्सा 'रे' जो अब शहरी विस्तार में समाहित हो गया है, पहले एक विशिष्ट और अलग शहर हुआ करता था। रे के विषय में उल्लेखनीय बात यह है कि यह शहर 6000 ईसा पूर्व से लगातार बसा हुआ है। नवपाषाण युग में, रे के आसपास तलहटी स्थल में कृषि बस्तियाँ विकसित हुईं। इन बस्तियों में केंद्रीय पठारी संस्कृति के लोग निवास करते थे। फारसी साम्राज्य के दौरान, रे ने मेड्स (Medes) के राजनीतिक और सांस्कृतिक आधार बनने में केंद्रीय भूमिका निभाई। फारस की हार के बाद, यह शहर सिकंदर महान (Alexander the Great) और फिर सेल्यूसिड (Seleucid) साम्राज्य के नियंत्रण में आ गया, उस समय रे का नाम बदलकर यूरोपस (Europos) कर दिया गया। 148 ईसा पूर्व में, पार्थियनों (Parthians) ने रे पर कब्ज़ा कर लिया और शहर को अर्सासिया (Arsacia) के नाम से जाना जाने लगा। मध्य युग के दौरान, अरबों ने रे पर विजय प्राप्त कर ली और उस पर शासन किया।
3. आर्गोस, यूनान (Argos, Greece) 5000 ईसा पूर्व:
आर्गोस शहर पेलोपोनिस (Peloponnese) में एस्पिडा (Aspida) पहाड़ी की तलहटी में स्थित है, जिसकी आबादी सिर्फ 20,000 से कुछ अधिक है। इस शहर को यूनान का सबसे प्राचीन शहर माना जाता है, जिसका इतिहास 7,000 साल पुराना है। आर्गोस शहर का पहला नाम इसके संस्थापक फ़ोरोनियस (Phoroneus) के नाम पर फ़ोरोनिकॉन एस्टी (Phoronicon Asty) था। मान्यता है कि आर्गोस का पहला राजा ओशनोस (Oceanos) और टेथिस (Tethys), जिनको यूरेनस और गैया (Uranus and Gaia) की संतान माना जाता है, का पुत्र इनाकोस (Inachos) था, जो प्राचीन यूनान के माइसेनियन काल (Mycenaean Period) से ठीक पहले 1876 ईसा पूर्व में मिस्र से आया था।
आइए अब भारत के कुछ सबसे पुराने शहरों के विषय में जानते हैं जो सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान विकसित हुए:
सिंधु घाटी सभ्यता, जो दक्षिण एशिया के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में कांस्य युग के दौरान 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक विकसित हुई, प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया सभ्यता के साथ पूर्व और दक्षिण एशिया की तीन प्रारंभिक सभ्यताओं में से एक थी, और यह सभ्यता तीनों में से सबसे व्यापक थी। पाकिस्तान के अधिकांश क्षेत्र से लेकर पूर्वोत्तर अफगानिस्तान और उत्तर-पश्चिमी भारत तक इस सभ्यता से संबंधित स्थानों की खोज की गई है। यह सभ्यता पाकिस्तान में बहने वाली सिंधु नदी के जलोढ़ मैदान और बारहमासी मानसून-पोषित नदियों की प्रणाली, जो कभी उत्तर-पश्चिम भारत में एक मौसमी नदी, घग्गर-हकरा के आसपास बहती थी, दोनों में विकसित हुई। सिंधु घाटी सभ्यता के शहर अपनी शहरी योजना, पक्की ईंटों के घरों, विस्तृत जल निकासी प्रणालियों, जल आपूर्ति प्रणालियों, बड़े गैर-आवासीय भवनों और हस्तशिल्प और धातु विज्ञान की तकनीकों के लिए पुरातत्त्वविदों के बीच सबसे अधिक खोज के विषय हैं। मोहनजोदड़ोऔर हड़प्पा के विषय में संभावना जताई जाती है कि इन दोनों शहरों की जनसंख्या प्रारंभ में 30,000 से 60,000 तक रही होगी जो शहरों की चरम समृद्धि के दौरान पांच मिलियन तक भी पहुँच गई होगी। तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के दौरान पड़े सूखे को इन शहरों के शहरीकरण के लिए एक कारण माना जा सकता है। हालाँकि अब तक एक हज़ार से अधिक हड़प्पा स्थलों की जानकारी प्राप्त की गई है जिनमें से लगभग सौ की खुदाई जा चुकी है।
इनमें से भी सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे प्रमुख पाँच शहरी केंद्र निम्नलिखित हैं:
1. निचली सिंधु घाटी में मोहनजोदड़ो ( जिसे 1980 में "मोहनजोदड़ो में पुरातात्विक खंडहर" के रूप में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया), v
2. पश्चिमी पंजाब क्षेत्र में हड़प्पा,
3. चोलिस्तान रेगिस्तान में गनेरीवाला,
4. पश्चिमी गुजरात में धोलावीरा (जिसे 2021 में "धोलावीरा: एक हड़प्पा शहर” के रूप में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया ), और
5. हरियाणा में राखीगढ़ी।
संदर्भ
https://shorturl.at/aqFPV
https://shorturl.at/ekwKRv
https://shorturl.at/ghB39
चित्र संदर्भ
1. सिंधु घाटी सभ्यता के शहर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. पैट्रिक गेडेस को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
3. प्राचीन रोमन शहर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. डमस्कस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. रे मीडिया को संदर्भित करता एक चित्रण (Wikipedia)
6. प्राचीन आर्गोस, यूनान शहर के अवशेषों को संदर्भित करता एक चित्रण (World History)
7. सिंधु घाटी काल्पनिक चित्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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