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हिमाचल के रामपुर की जल आपूर्ति हेतु, माइक्रो-टनलिंग से पूर्ण,उल्लेखनीय जल-विद्युत परियोजना

रामपुर

 28-12-2023 10:01 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

उत्तर प्रदेश राज्य के उत्तर पश्चिम में स्थित हमारा रामपुर शहर पूर्व-दक्षिणपूर्व में कोसी नदी के किनारे स्थित है। कोसी नदी का पानी रामपुर शहर के साथ-साथ ज़िले के आसपास के क्षेत्रों में सभी उद्देश्यों के लिए पीने योग्य पानी की आपूर्ति का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। हालांकि हिमाचल प्रदेश में भी, हमारे शहर के नाम पर ही एक दूसरा रामपुर शहर उपस्थित है, जहां जल आपूर्ति की स्थिति इतनी सुगम नहीं है। यहां पिछले 10 वर्षों से एक दिलचस्प और उल्लेखनीय जल-विद्युत परियोजना, ‘रामपुर जलविद्युत संयंत्र’ का निर्माण कार्य चल रहा है। आईये पढ़ते हैं इसके बारे में। ‘रामपुर जलविद्युत संयंत्र’ (Rampur hydroelectric power plant (RHEP), एक 412MW जलविद्युत स्टेशन है जो भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य में सतलुज नदी पर स्थित है। यह परियोजना भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार के संयुक्त उद्यम, ‘सतलुज जल विद्युत निगम’ द्वारा विकसित की गई थी। यह विद्युत स्टेशन भारत के सबसे बड़े कार्यरत जलविद्युत संयंत्र 1,500MW के ‘नाथपा झाकरी जलविद्युत परियोजना’ (Nathpa Jhakri hydroelectric power project (NJHEP) के अनुप्रवाह क्षेत्र में स्थित है। यह विद्युत स्टेशन, NJHEP के गादयुक्त पानी का उपयोग करके प्रति वर्ष लगभग 1,770.68GW बिजली उत्पन्न कर सकता है। रामपुर विद्युत संयंत्र द्वारा उत्पादित बिजली का 30% हिस्सा हिमाचल प्रदेश द्वारा उपयोग में लाया जाता है, जबकि शेष बिजली, देश के उत्तरी ग्रिड को आवंटित की जाती है। रामपुर विद्युत संयंत्र हेडरेस सुरंग (headrace tunnel), टेलरेस सुरंग (tailrace tunnel), पेनस्टॉक्स (penstocks), बिजलीघर (powerhouse), विद्युत निकासी प्रणाली (power evacuation system) और अन्य घटकों के साथ ऊर्ध्वप्रवाह वाले 1,500MW नाथपा झाकरी परियोजना के साथ मिलकर काम करता है । रामपुर विद्युत संयंत्र और नाथपा झाकरी परियोजना दोनों संयंत्र एक साथ चलते हैं और एक ‘अनुक्रमिक संचालन प्रणाली’ (Tandem Operating System (TOS) द्वारा संचालित होते हैं, जिसमें ऊर्ध्वप्रवाह और अनुप्रवाह जलविद्युत संयंत्रों के अनुकरण के लिए एक अनुरूपक (simulator) शामिल होता है। NJHEP से छोड़ा गया पानी 15 किलोमीटर लंबी कंक्रीट-लाइन वाली भूमिगत हेड-रेस सुरंग के माध्यम से स्टील पेनस्टॉक्स तक नीचे की ओर ले जाया जाता है। प्रत्येक पेनस्टॉक का व्यास 5.4 मीटर होता है और यह बिजलीघर में स्थापित छह टर्बाइनों को चलाने के लिए पानी प्रदान करता है। रामपुर विद्युत संयंत्र में बिजलीघर समतल भूमि पर स्थित है और इसका निर्माण बेल गांव के पास सतलुज नदी के बाएं किनारे पर किया गया है। संयंत्र में उत्पन्न बिजली को दत्तनगर में 400 केवी झाकड़ी-नालागढ़ दोहरी सर्किट लाइन से लूपिंग करके उत्तरी ग्रिड में स्थानांतरित किया जाता है। रामपुर बिजली संयंत्र का निर्माण 2007 में शुरू हुआ था और इसमें लगभग 300,000 क्यूबिक मीटर कंक्रीट, 133,000 टन सीमेंट और 5,057 टन संरचनात्मक स्टील का उपयोग किया गया था। इस परियोजना में सुरंग की खुदाई के लिए पारंपरिक ड्रिल और विस्फोट विधि का प्रयोग किया गया था। हालांकि कार्यस्थल पर खराब भूवैज्ञानिक स्थितियों के कारण प्रारंभिक डिज़ाइन को संशोधित भी किया गया। हेडरेस सुरंग पर खुदाई शुरू करने से पहले, कई भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण किए गए थे। इन सर्वेक्षणों में सुरंग संरेखण के साथ कठोर (अच्छी गुणवत्ता) और नरम (खराब गुणवत्ता) चट्टान का अनुमानित अनुपात 65:35 प्राप्त हुआ था। हालाँकि, सुरंग बनाने के दौरान, संरेखण के एक विशेष खंड में खराब गुणवत्ता वाली चट्टानों के होने से कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ा, जिससे परियोजना का कार्य धीमा हो गया। लेकिन बाद में परियोजना को पुनः पटरी पर लाने के लिए, सुरंग की लंबाई - जहां चट्टान की स्थिति विशेष रूप से खराब थी - कम कर दी गई और अधिक लचीली समर्थन प्रणाली प्रदान करने के लिए जालीदार गर्डर लगाए गए। इसके साथ ही माइक्रो-टनलिंग का उपयोग करते हुए एक अतिरिक्त सूक्ष्म-सुरंग (micro-tunnel) के निर्माण को भी मंज़ूरी दी गयी। लेकिन तभी पहाड़ के अंदर निर्माणकर्ताओं को एक बड़ी गुहा का सामना करना पड़ा, जिससे निर्माणकर्ताओं के सामने एक विशेष चुनौती खड़ी हो गई। क्योंकि वहाँ भारी मशीनरी को नहीं लगाया जा सकता था और विस्फोट से भी कोई मदद नहीं मिल सकती थी। जब इस खंड के माध्यम से सुरंग को आगे बढ़ाने के दो प्रयास विफल हो गए, तो गुहा को भरने का निर्णय लिया गया और क्षेत्र को कंक्रीट से भरने की रणनीति तैयार की गई और समय-परीक्षणित मल्टी-ड्रिफ्ट सुरंग निष्पादन विधि (multi-drift tunnel execution method) का उपयोग करते हुए, काम फिर से शुरू हुआ। हालाँकि, इस संकटग्रस्त क्षेत्र में सुरंग निर्माण के 25 मीटर हिस्से को साफ़ करने में लगभग 15 महीने लग गए।
क्या आप जानते हैं कि किसी भी भूमिगत निर्माण कार्य के लिए सुरंग बनाने हेतु विभिन्न तकनीकों का प्रयोग किया जाता है? आइए इनमें से कुछ प्रमुख तकनीकों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं : माइक्रो-टनलिंग (Micro-Tunneling): माइक्रो-टनलिंग (Micro-Tunneling) एक सुरंग निर्माण तकनीक है जिसका उपयोग लगभग 0.5 मीटर से 4 मीटर तक व्यास वाली सुरंगों के निर्माण के लिए किया जाता है। उनके छोटे व्यास के कारण, टनलिंग मशीन को चलाने वाला संचालक का मशीन के साथ में होना संभव नहीं है, इसलिए उन्हें दूर से संचालित करना पड़ता है। अधिकांश माइक्रो-टनलिंग संचालनों में मशीन को एक प्रवेश द्वार के माध्यम से लॉन्च किया जाता है और पाइपों को मशीन के पीछे धकेल दिया जाता है। यह पाइप जैकिंग प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है जब तक कि मशीन और पाइप, दूर के प्राप्तकर्ता शाफ्ट तक नहीं पहुंच जाता। माइक्रो- सुरंगन का उपयोग राजमार्गों, रेलमार्गों, रनवे, बंदरगाहों, नदियों और पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों के नीचे पाइपलाइन स्थापित करने के लिए किया जाता है। इस तकनीक को विशेष रूप से सीवरेज सुरंगों के निर्माण में उपयोग किया जाता है। अप्रैल 2021 तक भारत में माइक्रो-सुरंगन तकनीक का उपयोग करके लगभग 60 किलोमीटर की लंबाई वाली सुरंगों का निर्माण किया जा चुका है। इस तकनीक में क्षैतिज ड्रिलिंग, ऑगर बोरिंग माइक्रो-सुरंगन (auger boring micro-tunnelling) और डायरेक्ट पाइप तकनीक (direct pipe technology) जैसी विभिन्न स्थापना तकनीकों का उपयोग करके भूमिगत पाइप, नलिकाएं और केबल बिछाना शामिल है। विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित मुंबई सीवेज निपटान परियोजना के लिए माइक्रो- सुरंगन का प्रयोग पहली बार मुंबई शहर में किया गया था। दिल्ली और कोलकाता जैसे अन्य मेट्रो शहरों में भी इस तकनीक का उपयोग किया गया है।
न्यू ऑस्ट्रियन सुरंगन विधि (New Austrian Tunnelling Method (NATM): रेलवे क्षेत्र में सुरंगों के निर्माण के लिए मुख्य रूप से न्यू ऑस्ट्रियन सुरंगन विधि (New Austrian Tunnelling Method (NATM) का प्रयोग किया जाता है। आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2021 तक भारत में इस विधि का उपयोग करके लगभग 412 किलोमीटर की लंबाई वाली 132 सुरंगें या तो आवंटित की जा चुकी हैं, निर्माणाधीन हैं या निर्मित की जा चुकी हैं। पिछले कुछ वर्षों में, NATM सुरंगन ने भारत में अत्यधिक लोकप्रियता हासिल की है। NATM में संधित 10 टन लोडर और 35 टन डंप ट्रक, सुरंग उत्खननकर्ता, शॉटक्रीट रोबोट (shotcrete robots), MIA पंप, कासाग्रांडे (Casagrande) और ड्रिल जंबो (drill jumbo) जैसे उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। भविष्य में नियोजित मेट्रो परियोजनाओं की पाइपलाइन के साथ, NATM का उपयोग और बढ़ने की उम्मीद है। टनल बोरिंग मशीनें (Tunnel boring machines (TBMs): टनल बोरिंग मशीनें (Tunnel boring machines (TBMs) भीड़भाड़ वाले शहरी इलाकों में उपयुक्त सुरंगन तकनीक के रूप में उभरी हैं। TBM को मुख्य रूप से मेट्रो रेल क्षेत्र में सुरंगों के निर्माण के लिए उपयोग किया जाता है। मेट्रो के बाद इसका उपयोग सिंचाई, पनबिजली और जल आपूर्ति क्षेत्रों में भी किया जाता है। TBM के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ नई प्रोद्योगिकियों में ‘TUnIS वलय अनुक्रमण प्रणाली (TUnIS Ring Sequencing System) शामिल है, जिसमें सुरंग अग्रिमों के लिए इष्टतम वलय अनुक्रम की स्वचालित रूप से गणना की जाती है। सुरंग निर्माण गतिविधियों को संचालित करने में, यह सुनिश्चित किया जाता है कि कई किलोमीटर लंबी सुरंगों को भी न्यूनतम सटीकता के साथ उनके गंतव्य तक पहुंचाया जाए। इसके अलावा TBM के लिए स्वचालित ‘टेलस्किन निकासी मापन प्रणाली’ (Automatic Tailskin Clearance Measurement System) का भी उपयोग किया जाता है। इन विभिन्न तकनीकों की सहायता से विभिन्न कंपनियों द्वारा भारत में सड़क, रेल, मेट्रो एवं भूमिगत मार्गों की परियोजनाओं को साकार रूप प्रदान किया जा रहा है।, लेकिन क्या आप जानते हैं भारत की अग्रणी सुरंग डिजाइन कंपनी कौन सी है? व्यापक विशेषज्ञता और अनुभव के साथ, एक ऐसी ही अग्रणी सुरंग डिज़ाइन कंपनी, डीएमआर (DMR) है, जिसने पिछले पांच वर्षों में, भारत में 6 दोहरी रोड सुरंगों और रेल सुरंगों का विस्तृत डिज़ाइन, 4 सड़क सुरंगों के लिए डिज़ाइन समीक्षा सेवाएं और 6 सड़क सुरंगों/रेल सुरंगों के लिए निविदा इंजीनियरिंग सेवाएं प्रदान की हैं। सड़क और रेल सुरंगों के अलावा, डीएमआर दो दर्जन से से अधिक जलविद्युत परियोजनाओं के लिए उपयोग की जाने वाली जल सुरंगों, और शाफ्टों के निर्माण कार्य में भी संलग्न है।

संदर्भ
https://shorturl.at/gmNP7
https://shorturl.at/efnOT
https://shorturl.at/dtGJX
https://shorturl.at/AGJUY
https://rb.gy/bcitm4

चित्र संदर्भ
1. माइक्रो-टनलिंग प्रक्रिया को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. रामपुर जलविद्युत संयंत्र को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
3. जलविद्युत संयंत्र के आरेख को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. माइक्रो-टनलिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. टनल बोरिंग मशीन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



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