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जीवन में कड़ी चुनौतियों के बीच भी एकजुटता और बढ़ते रहने की सीख देता है, रेडवुड का पेड़

रामपुर

 17-11-2023 10:08 AM
शारीरिक

"ब्रह्माण्ड की हर एक चीज आपस में जुड़ी हुई है।" सनातन का पूरा अस्तित्व ही “अनेकता में एकता” की इसी धारण से शुरू हुआ है। यह विचार हमारी प्रकृति में भी फलीभूत होते हुए दिखाई देता है। रेडवुड (Redwood) या सिकोइया सेपरविरेन्स (Sequoia Sempervirens) के पेड़, अनेकता में एकता के एक जबरदस्त उदारहण साबित होते हैं। साथ ही इन विशालकाय पेड़ों से हम और भी बहुत कुछ सीख सकते हैं।
200 फीट से अधिक ऊंचाई को छूने वाले, “रेडवुड को पृथ्वी पर मौजूद सबसे उंचा पेड़ माना जाता है।” रेडवुड के पेड़ों की अविश्वसनीय ऊंचाई को देखकर, पहली नजर में आप भी यही सोच बैठेंगे कि “जरूर इन पेड़ों की जड़ें भी नीचे तक काफी गहरी होंगी।” लेकिन क्या आप जानते हैं कि, वास्तव में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। रेडवुड की जड़ें वास्तव में बहुत उथली (सतह के ऊपर-ऊपर) होती हैं। लेकिन इन उथली जड़ों के साथ भी, रेडवुड के पेड़ तूफान और अन्य कई प्राकृतिक चुनौतियों का आसानी से सामना कर सकते हैं और सैकड़ों वर्षों तक जीवित रह सकते हैं। यह चमत्कार इसलिए संभव हो पाता है, क्यों कि इनकी जड़ें आपस में एक-दूसरे से मजबूती से जुड़ी होती हैं, और इनकी यही एकजुटता इन्हें भारी-भरकम तूफानों और आंधियों का सामना करने जितनी मजबूती प्रदान कर देती है। हालांकि इनकी यही विशेषता इन्हें बिमारियों के प्रति भी काफी संवेदनशील बना देती है। दरसल यदि इनमें से कोई एक पेड़ भी किसी बिमारी से संक्रमित हो जाता है, तो जड़ों के माध्यम से उसके संपर्क में आ रहे, अन्य पेड़ भी संक्रमित हो जाते हैं। बिमारियों के इस फैलाव को आप कोरोना वायरस के उदाहरण से भी जोड़ सकते हैं।
कोस्ट रेडवुड (Coast Redwood) को कोस्टल रेडवुड (Coastal Redwood) या कैलिफ़ोर्निया रेडवुड (California Redwood) के नाम से भी जाना जाता है। यह सदाबहार पेड़ 1,200 से 2,200 साल या उससे भी लंबे समय तक जीवित रह सकता है। इसे “पृथ्वी पर मौजूद सबसे उंचा जीवित वृक्ष” होने का गौरव प्राप्त है। एक परिपक्व कोस्ट रेडवुड की औसत ऊंचाई 250 से 300 फीट (76.2 और 91.4 मीटर) के बीच होती है। 1850 के दशक में वाणिज्यिक कटाई और भूमि की सफाई शुरू होने से पहले, यह विशाल वृक्ष दक्षिणी कैलिफ़ोर्निया (Southern California) को छोड़कर, तटीय कैलिफोर्निया के अधिकांश भाग (अनुमानित 2,000,000 एकड़ (810,000 हेक्टेयर) में प्राकृतिक रूप से पाया जाता था। यह संयुक्त राज्य अमेरिका के भीतर, तटीय ओरेगन (Coastal Oregon) के दक्षिण-पश्चिमी कोने में भी नजर आ जाता था। अपने आकार और पारिस्थितिकी जैसी कई विशेषताओं के कारण इन पेड़ों से हमें बहुत कुछ सीखने के लिए भी मिल सकता है। इन पेड़ों से हम कुछ ऐसे मौलिक सबक सीख सकते हैं, जो हमारे जीवन में हमारे बहुत काम आ सकते हैं, जैसे:
१. विशालकाय रेडवुड के जीवन की शुरुआत, एक छोटे से शंकुनुमा खोल से निकले बीज से होती है। सिकोइया के बीज जई के गुच्छे से भी छोटे होते हैं। यह पहला कदम हमारे जीवन की अनंत संभावनाओं के एक शक्तिशाली अनुस्मारक या शुरुआत की तरह है। यह पेड़ हमें दिखाता है कि “महान और विशाल जीवन की शुरुआत, छोटे से कदम से ही होती है।”
२. विशालकाय सिकोइया काफी सीमित क्षेत्र में ही उगते हैं। ये पेड़ केवल कैलिफ़ोर्निया में सिएरा नेवादा पर्वतमाला (Sierra Nevada Ranges In California) में मात्र 144 वर्ग किमी के क्षेत्र में केवल 65 उपवनों में पाए जाते हैं। इन पेड़ों को शुष्क ग्रीष्मकाल, बर्फीली सर्दियों और ग्रेनाइट-आधारित अवशिष्ट और जलोढ़ मिट्टी वाली आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। इस तरह की परिस्थितियां केवल वहीँ पर पाई जाती हैं। यहाँ तक कि उपवन के भीतर भी, सभी सिकोइया के पेड़ विशालकाय नहीं बन पाते हैं। इन पेड़ों की यह विशेषता भी हमारे लिए एक प्रेरणादायक सबक की तरह है, जो दर्शाती है कि “हमें सफल होने के लिए सही समय पर, सही जगह पर होना बहुत जरूरी होता है।”
३. विशालकाय सिकोइया की ताकत, उम्र और आकार, सब कुछ आपस में जुड़े हुए हैं। यानी जैसे-जैसे ये पेड़ बड़े होते जाते हैं, वैसे-वैसे उनका आकार और ताकत भी बढ़ती जाती है। एक बार बड़ा हो जाने पर तेज़ आंधियां या तूफ़ान भी इनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं। इनकी यह विशेषता भी कई मायनों में हम इंसानों के लिए एक शक्तिशाली प्रेरणा की तरह है, जो कहती है कि “आगे बढ़ना कभी बंद न करें, हमारे सबसे अच्छे दिन अभी भी आने बाकी हैं।”
४. विशालकाय सिकोइया की लंबी उम्र का सबसे बड़ा रहस्य, इनके आग से निपटने के तरीके में छिपा हुआ है। दरअसल विशाल सिकोइया, काफी शुष्क क्षेत्र में पाए जाते हैं और यहाँ पर बिजली गिरने का खतरा हमेशा बना रहता है। जिसके परिणामस्वरूप यहाँ पर आग लगने की घटनाएं भी अक्सर देखी जाती हैं। हालाँकि, सिकोइया की छाल बहुत मोटी होती है, जो उन्हें आग से बचाने के लिए एक बेहतरीन सुरक्षा कवच के रूप में काम करती है। इनकी छाल बहुत मोटी (3 फीट) की होती है। इस छाल में टैनिन (Tanin) होता है, जो इसे आग से बचाता है। इसलिए, विशालकाय सिकोइया आग लगने पर भी आसानी से बच जाते हैं। आग पर विशालकाय सिकोइया की महारत हमें एक बहुत ही शक्तिशाली सबक सिखाती है। जीवन हमारे सामने कई चुनौतियाँ खड़ी करता है। हम उनसे कैसे निपटते हैं, यह तय करता है कि हम जीवन में कैसे आगे बढ़ेंगे। “हमें अपने खुद के लिए अनूठे प्रतिरोधी तंत्र (विशाल सिकोइया के लिए मोटी छाल और टैनिन) विकसित करने की आवश्यकता है।” हालाँकि रेडवुड विभिन्न प्रकार की जलवायु में उग सकते हैं, लेकिन वे मूल रूप से भारत में नहीं पाए जाते हैं। रेडवुड्स के पनपने के लिए भारत की जलवायु आम तौर पर बहुत गर्म और आर्द्र मानी जाती है। इसके अतिरिक्त, भारत में उस प्रकार की मिट्टी भी नहीं है, जिसकी आवश्यकता रेडवुड को उगाने के लिए होती है। हालांकि इन चुनौतियों के बावजूद, अगर उन्हें उचित देखभाल दी जाए तो भारत में रेडवुड्स का उगाना संभव है। रेडवुड्स को बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है, इसलिए उन्हें नियमित रूप से पानी देना चाहिए। उन्हें अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में भी रोपने की जरूरत पड़ती है। यदि आप भारत के उपयुक्त जलवायु और मिट्टी वाले क्षेत्र में रहते हैं, तो आप रेडवुड पेड़ उगाने का प्रयास जरूर कर सकते हैं। हाल ही में कोल्हापुर शहर के एक वनस्पतिशास्त्री ने भी शाहूपुरी क्षेत्र में भारतीय रेडवुड (Indian Redwood) के एक पेड़ को खोजा है, जिसे 'रोहन' या 'सोयमिडा फेब्रिफ्यूजिया (Soyamida Fabrifugia)' के नाम से जाना जाता है। इस पेड़ को कोल्हापुर में पहली बार उगाया गया है और इसे 'कोल्हापुर के पौधे (Plants Of Kolhapur)' नामक निर्देशिका में जोड़ा गया है। भारतीय रेडवुड की लाल लकड़ी, फर्नीचर बनाने के लिए उपयुक्त मानी जाती है, और इसकी छाल का उपयोग दवा बनाने में भी किया जाता है। इसकी छाल का प्रयोग पेट फूलने, दस्त, आमवाती सूजन, बुखार और अल्सर जैसी समस्याओं से निजात पाने में किया जा सकता है। यह पेड़ 12 से 15 मीटर तक ऊँचा हो सकता है, इसका तना चिकना और सीधा होता है, और इसकी शाखाएँ तने के बिल्कुल सिरे पर बनती हैं। भारत के हरे-भरे जंगलों में भी इसी तरह का एक और प्राचीन पेड़ पाया जाता है, जिसे “तिरुनेलवेली रेडवुड ट्री (Tirunelveli Redwood Tree)” के नामे से जाना जाता है। एक समय में यह पेड़ पूरे देश में देखने को मिल जाता था, लेकिन अब इसके दर्शन करना दुर्लभ हो गया है और आज यह केवल छोटे-छोटे हिस्सों में ही पाया जाता है। अफसोस की बात है कि यह भव्य पेड़ हमेशा के लिए लुप्त होने की कगार पर खड़ा है। इस पेड़ में भी लाल रंग की हर्टवुड (Heartwood) होती है जिसका उपयोग भवन निर्माण, अलमारियाँ और फर्नीचर बनाने, सजावटी आंतरिक जुड़ाव और नक्काशी, उपकरण हैंडल (Tool Handles) और जहाज निर्माण के लिए किया जाता है। अफसोस की बात है कि इन्हीं गुणों ने इसकी कटाई को और अधिक प्रेरित कर दिया है। आज, तिरुनेलवेली रेडवुड पेड़ की कटाई निषिद्ध हो गई है। हालाँकि, इस पेड़ के पौधे बहुत संवेदनशील होते हैं और उन्हें बढ़ने के लिए विशिष्ट परिस्थितियों की आवश्यकता होती है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/36ph2y23
https://tinyurl.com/3ejvtj5d
https://tinyurl.com/yeyu3tau
https://tinyurl.com/3t92ps3z
https://tinyurl.com/mrx8b8pr
https://tinyurl.com/445d4kv3
https://tinyurl.com/2vy8mzhr

चित्र संदर्भ
1. विशालकाय रेडवुड के पेड़ को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
2. रेडवुड के पेड़ के तने के टुकड़े को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
3. रेडवुड के पेड़ के तने के भीतर खड़े लोगों को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
4. रेडवुड के पेड़ के भीतर घोड़ा गाड़ी को दर्शाता एक चित्रण (PICRYL)
5. रेडवुड के विशाल पेड़ों को दर्शाता एक चित्रण (Peakpx)
6. कोस्ट रेडवुड (सिकोइया सेपरविरेन्स) को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)



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