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हाल ही में बॉलीवुड (Bollywood) के जानेमाने अभिनेता, अक्षय कुमार को एक पान मसाले का विज्ञापन करने के चक्कर में, अपने ही लाखों चाहनेवालों यानी फैंस (Fans) की कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद इन विज्ञापनों के चलते उन्हें माफ़ी भी मांगनी पड़ी थी। इसके अलावा भी आय दिन, टीवी और मोबाइल पर तंबाकू, सट्टेबाजी और मादक पदार्थों का विज्ञापन बिना किसी डर के चलाया जाता है। इस तरह के विज्ञापनों को देखते हुए, आपके मन में भी कभी न कभी यह प्रश्न जरूर उठा होगा कि क्या इस प्रकार के विज्ञापनों की अनुमति देने वाली विज्ञापन एजेंसियों (Advertising Agencies) अथवा कंपनियों को कानून का भी डर नहीं है?
पान मसाला भारत में एक लोकप्रिय उद्योग है, जिसका मूल्य 40,000 करोड़ रुपये से अधिक माना जाता है। जबकि गुटका एक तंबाकू उत्पाद होता है, वहीं पान मसाला- सुपारी, मसालों और खाद्य उत्पाद के रूप में विनियमित अन्य योजकों का सूखा, दानेदार मिश्रण होता है। स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण पान मसाला उद्योग को राज्य सरकारों द्वारा गुटखा और तंबाकू मिश्रित पान मसालों के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाने के लिए कहा गया। लेकिन तंबाकू उद्योग ने इंडियन प्रीमियर लीग (Indian Premier League (IPL) जैसे विशिष्ट प्रायोजकों का उपयोग करके और शाहरुख खान जैसे बॉलीवुड सितारों को अपने विज्ञापनों में शामिल करके इन प्रतिबंधों से बचने के तरीके ढूंढ निकाले। इस इंडस्ट्री (Industry) की सटीक कमाई का अनुमान लगाना मुश्किल है, लेकिन 2021 में इसका मूल्य 41,821 करोड़ रुपये आँका गया था तथा इसके और अधिक बढ़ने की उम्मीद है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि आईपीएल के विज्ञापनों में पान मसाला कंपनियों की हिस्सेदारी पिछले साल की तुलना में दोगुनी से भी ज्यादा रही। टीएएम स्पोर्ट्स (TAM Sports) की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस टूर्नामेंट (Tournament) के 71 मैचों के दौरान दिखाए गए सभी विज्ञापनों में से 16% विज्ञापन, केवल तंबाकू उत्पाद निर्माताओं के थे। वहीं पिछले वर्ष उनके पास केवल 7% विज्ञापन थे।
ई-कॉमर्स गेमिंग कंपनियां (Ecommerce Gaming Companies), जिनकी पिछले साल के आईपीएल में 14% हिस्सेदारी थी, उनकी हिस्सेदारी में भी इस साल 1% की मामूली कमी देखी गई। बिस्कुट (Biscuit), वातित शीतल पेय और मोबाइल फोन सेवा कंपनियों की कुल विज्ञापन श्रेणियों में हिस्सेदारी लगभग 24% थी। इस साल शीर्ष विज्ञापनदाताओं में “कमला पसंद” के मालिक केपी पैन फूड्स (KP Pan Foods) और ड्रीम 11 (Dream11) के मालिक स्पोर्टा टेक्नोलॉजीज (Sporta Technologies) शामिल थे, जिनकी संयुक्त हिस्सेदारी 37% थी। क्षेत्रीय, हिंदी और अंग्रेजी खेल चैनलों पर मैचों के लाइव प्रसारण (Live Broadcast) के दौरान कुल 96 उत्पादों ने विज्ञापन दिया। ड्रीम11, एकमात्र ब्रांड था जिसने इन सभी प्लेटफार्मों (Platforms) पर विज्ञापन चला दिया। कंपनी की पिछली रिपोर्ट के अनुसार, उत्पादों का प्रचार करने वाली फिल्म और खेल हस्तियों की संख्या में पिछले सीज़न की तुलना में क्रमशः 21% और 12% की कमी देखी गई।
“विमल’ और “कमला पसंद” जैसे पान मसाला ब्रांड आईपीएल के दौरान बार-बार अपना विज्ञापन दिखाते हैं, वह अपनी खाद्य इलायची की फली को बढ़ावा देने के लिए बॉलीवुड अभिनेताओं का भी उपयोग करते हैं। हालाँकि, ये ब्रांड तम्बाकू युक्त पान मसाला बेचने के लिए जाने जाते हैं, इसलिए इन विज्ञापनों को सरोगेट विज्ञापन (Surrogate Advertising) माना जा सकता है, जहाँ इनका वास्तविक इरादा तो तम्बाकू उत्पादों को बढ़ावा देना ही है। इसी तरह, “किंगफिशर” (Kingfisher) नामक बीयर कंपनी भी अपने सोडा वाटर (Soda Water) के माध्यम से अपने मादक पदार्थों का प्रचार कर रही है, जिसे भी सरोगेट विज्ञापन माना जाता है।
भारत में कुछ उत्पादों और सेवाओं का विज्ञापन करने की अनुमति नहीं है,जिनकी विस्तृत सूची निम्नवत दी गई है:
1. एएससीआई संहिता (Advertising Standards Council of India, ASCI Code) के खंड 6 के अनुसार, तंबाकू उत्पादों, शराब और जुए का विज्ञापन करना प्रतिबंधित है।
2. मादक पेय पदार्थ: केबल टेलीविजन नेटवर्क (Cable Television Network) संशोधन विधेयक के तहत मादक पेय पदार्थों का विज्ञापन निषिद्ध है।
3. मानव अंग: मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम के तहत मानव अंगों के विज्ञापन की अनुमति नहीं है।
4. जादुई उपचार: औषधि और जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम के तहत जादुई उपचारों का प्रचार निषिद्ध है।
5. प्रसवपूर्व लिंग निर्धारण: प्रसवपूर्व निदान तकनीक (विनियमन और दुरुपयोग की रोकथाम) अधिनियम के तहत जन्मपूर्व लिंग निर्धारण से संबंधित विज्ञापन प्रतिबंधित है।
6. प्राइज चिट्स और मनी सर्कुलेशन स्कीम्स (Prize Chits And Money Circulation Schemes): अधिनियम के तहत प्राइज चिट्स और मनी सर्कुलेशन योजनाओं को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों की अनुमति नहीं है।
7. चिकित्सक: चिकित्सकों द्वारा विज्ञापन को भारतीय चिकित्सा परिषद (व्यावसायिक आचरण, शिष्टाचार और नैतिकता) विनियमों के तहत विनियमित किया जाता है।
8. कानूनी सेवाएं: कानूनी सेवाओं के विज्ञापनों को अधिवक्ता अधिनियम के तहत तैयार बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council Of India) नियमों के तहत विनियमित किया जाता है।
नाबालिगों के लिए विज्ञापन करते समय, उनकी सुरक्षा के लिए कुछ नियमों का पालन किया जाना चाहिए। विज्ञापनों में ऐसी कोई भी चीज़ नहीं होनी चाहिए जो नाबालिगों को शारीरिक, मानसिक या नैतिक रूप से नुकसान पहुँचाए या उनकी कमजोरियों का फायदा उठाए। उदाहरण के लिए, नाबालिगों को तंबाकू या अल्कोहल-आधारित उत्पादों का प्रचार करते, खतरनाक पदार्थों या वस्तुओं के साथ खेलते या ऐसी गतिविधियों में शामिल होते हुए नहीं दिखाया जाना चाहिए जिससे चोट लग सकती है, या जो खतरनाक हों।
ऐसे विशिष्ट कानून भी हैं जो बीमारियों और विकारों के इलाज के लिए कुछ दवाओं के विज्ञापन पर रोक लगाते हैं। बीमारियों के इलाज के दावों की भी तब तक अनुमति नहीं है जब तक कि किसी पंजीकृत चिकित्सक द्वारा इन्हे निर्धारित न किया गया हो। इसके अलावा भारत में जुए के विज्ञापनों को भारतीय अनुबंध अधिनियम 1872, लॉटरी (विनियमन) अधिनियम 1998, सार्वजनिक जुआ अधिनियम 1867 और भारतीय दंड संहिता 1860 जैसे विशिष्ट कानूनों के कारण अत्यधिक विनियमित किया जाता है।
स्वास्थ्य, पोषण और वजन नियंत्रण से संबंधित खाद्य पदार्थों के विज्ञापन भ्रामक नहीं होने चाहिए। भोजन के मानक, गुणवत्ता, मात्रा या प्रभावकारिता के बारे में झूठे दावों की अनुमति नहीं है।
विशिष्ट कानूनों के कारण भारत में जुए के विज्ञापनों को अत्यधिक विनियमित किया जाता है। जुआ सेवाओं के लिए अप्रत्यक्ष विज्ञापन भी निषिद्ध है। लॉटरी का आयोजन राज्य सरकारों द्वारा नियंत्रित किया जाता है, और अधिनियम 1978 के तहत अनधिकृत लॉटरी को अपराध माना जाता है।
बिक्री प्रचार और प्रतियोगिताओं को भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (Advertising Standards Council Of India (ASCI) संहिता की आवश्यकताओं का पालन करना होगा। लॉटरी या पुरस्कार प्रतियोगिताओं के विज्ञापनों में सभी भौतिक शर्तें स्पष्ट रूप से बताई जानी चाहिए। राजनीतिक और गैर-वाणिज्यिक सरकारी विज्ञापन भी विनियमित नहीं हैं। ऐसे विज्ञापनों के संबंध में शिकायतें भारत के चुनाव आयोग या टीवी और प्रिंट सामग्री के लिए संबंधित नियामक निकायों को निर्देशित की जा सकती हैं।
हालांकि भारत सरकार ने 2022 में सरोगेट विज्ञापन पर भी प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन ऐसा लगता है कि इस प्रतिबंध का डर किसी को भी नहीं है। कौशल-आधारित गेम और ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफ़ॉर्म भी एक चिंता का विषय बन गए हैं। ऑनलाइन सट्टेबाजी मंचों, का धड़ल्ले से विज्ञापन किया जा रहा है।
भारतीय विज्ञापन मानक परिषद और केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण जैसे स्व-नियामक निकाय भी सरोगेट विज्ञापन पर अंकुश लगाने में प्रभावी साबित नहीं हो रहे हैं। इस संदर्भ में सरकार द्वारा मजबूत कानूनों और कार्यान्वयन की कमी एक बड़ी बाधा है। विज्ञापनदाताओं के लिए क्रिकेट एक आकर्षक मंच साबित हुआ है और आईपीएल नियोजकों को भी इनसे अरबों रुपये का विज्ञापन राजस्व आता है। दर्शकों की संख्या बहुत अधिक है, जिससे यह विज्ञापनदाताओं के लिए एक आकर्षक लक्ष्य बन गया है।
सरोगेट विज्ञापन केवल क्रिकेट तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसे अन्य क्षेत्रों में भी देखा जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization (Who) की एक नई रिपोर्ट में भी चेतावनी दी गई है कि शराब विपणन के लिए ऑनलाइन तकनीकों का तेजी से उपयोग हो रहा है, जिसके लिए बेहतर विनियमन की आवश्यकता है। शराब का सेवन विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करता है, जिनमें मानसिक विकार, लिवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis), कैंसर, हृदय रोग और हिंसा और सड़क दुर्घटनाओं से लगने वाली चोटें भी शामिल हैं। रिपोर्ट से पता चलता है कि युवा लोगों और भारी शराब पीने वालों को अक्सर शराब के विज्ञापनों का निशाना बनाया जाता है, जो उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। दुनियाभर में हर साल 30 लाख लोग हानिकारक शराब के सेवन के कारण मरते हैं। इन मौतों में, बड़ी संख्या में युवा लोग शामिल हैं, जिनमें से 13.5% मौतें 20-39 आयु वर्ग के युवाओं की हो रही हैं। इसलिए आज इस संदर्भ में आवाज उठाना जरूरी हो गया है।
संदर्भ
Https://Tinyurl.Com/Mryte3vw
Https://Tinyurl.Com/2p9dr7ph
Https://Tinyurl.Com/Vbexx68f
Https://Tinyurl.Com/Bdd3pmmj
Https://Tinyurl.Com/44yru2rn
चित्र संदर्भ
1. धूम्रपान छोड़ने का संदेश देते विज्ञापन को संदर्भित करता एक चित्रण (Youtube)
2. विज्ञापन एजेंसी को दर्शाता चित्रण (Peakpx)
3. इण्डियन प्रीमियर लीग को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. तम्बाकू चेतावनी को दर्शाता चित्रण (youtube)
5. जलती हुई सिगरेट को दर्शाता चित्रण (Pxfuel)
6. धूम्रपान के कारण होने वाले कैंसर से होने वाली मौतों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
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