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कई विद्वान यह मानते हैं कि इंसानों द्वारा किये गए कई आविष्कारों ने हमें लाभ के बजाय लंबे समय में केवल नुकसान ही अधिक पहुंचाया है। प्लास्टिक (Plastic) इसका सबसे बड़ा जीवंत प्रमाण रहा है। आज प्लास्टिक के कचरे से उत्पन्न होने वाला प्रदूषण इंसानों के बजाय, बेचारे बेजुबान जानवरों के लिए बड़ा खतरा बन गया है!
भारत में हर साल 55 मिलियन टन (Million Ton) कचरा पैदा होता है, लेकिन इसमें से केवल 37% ही उपचारित किया जाता है। शेष अपशिष्ट को ठोस कचरे के रूप में छोड़ दिया जाता है। जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण और बदलती जीवन शैली के कारण आज हजारों टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न हो रहा है। 1907 में पहली बार प्लास्टिक का आविष्कार किया गया था और चूंकी यह अन्य सामग्रियों की तुलना में अधिक सस्तीऔर सुविधाजनक थी इसने जल्द ही हमारे दैनिक जीवन में स्थान ले लिया। 1950 से 2015 तक 8.3 बिलियन मीट्रिक टन (Billion Metric Tons) प्लास्टिक का उत्पादन किया गया, जिसमें से लगभग 80 प्रतिशत अर्थात 6.3 बिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरे के रूप में निष्कासित की गई । लेकिन दो साल बाद 2017 में यह प्लास्टिक कचरा 1950 में प्रतिवर्ष दो मिलियन टन से बढ़कर 348 मिलियन टन प्रतिवर्ष तक पहुंच गया और 2040 तक इसका दोगुना होने की आशंका है। प्लास्टिक प्रदूषण के कारण पारिस्थितिक तंत्र सहित समुद्री पर्यावरण पर भी गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
7,517 किलोमीटर तक फैली भारत की समुद्री तटरेखा से सटे नौ राज्यों में 420 मिलियन लोग रहते हैं, जिसमें 330 मिलियन लोग समुद्री तट के 150 किलोमीटर के दायरे में रहते हैं। देश के चार में से तीन मेट्रो शहर समुद्री तट पर स्थित हैं। तटीय जिलों में देश की कुल आबादी का लगभग 14.2% हिस्सा निवास करता है। भारत का लगभग 95 प्रतिशत व्यापार जलमार्गों के माध्यम से निष्पादित किया जाता है। समुद्र तट भारत की पारिस्थितिकी संपन्नता, जैव विविधता और अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन हर साल प्लास्टिक, कांच, धातु, सैनिटरी उत्पाद, कपड़े आदि से बना हजारों टन कचरा इन्ही जलीय संसाधनों में डाला जाता है, जिसमें लगभग 60% प्लास्टिक होता है। ‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम’ (United Nations Environment Programme) की एक रिपोर्ट के अनुसार देश के 60 प्रमुख भारतीय शहरों से प्रतिदिन 15,343 टन कचरा दक्षिण एशियाई समुद्रों में फेंक दिया जाता है। नीचे दी गई तालिका के द्वारा समुद्री कचरे में विभिन्न श्रेणी के कचरे का हिस्सा दर्शाया गया है:
घनी आबादी वाले इस क्षेत्र में अपशिष्ट प्रबंधन भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो जाता है। एकत्रित प्लास्टिक कचरे में से केवल 60% प्लास्टिक का ही पुनर्नवीनीकरण हो पाता है, जबकि शेष 40% को भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है। समुद्री मलबे का यह संकट भारत की समृद्ध समुद्री जैव विविधता के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है।
‘पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय’ में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के अनुसार, भारत सालाना लगभग 3.6 लाख मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है, जिसमें से 50% का पुनर्नवीनीकरण कर दिया जाता है। प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन नियमों के तहत देश में 1,419 पंजीकृत प्लास्टिक अपशिष्ट संसाधक (Plastic Waste Processor) मौजूद हैं। हालांकि विकसित और विकासशील दोनों देश प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए कई कदम उठा रहे हैं, लेकिन इसका बोझ केवल विकासशील देशों पर ही ज्यादा पड़ता है।
इस गंभीर समस्या को सुलझाने के लिए, भारत सरकार ने 1 जुलाई, 2022 से कुछ एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था। इन वस्तुओं में प्लास्टिक की छड़ें, प्लास्टिक के झंडे,, प्लास्टिक प्लेटें, कप, कटलरी (Cutlery) और ईयरप्लग्स (Earplugs) आदि बहुत कुछ शामिल हैं। इस प्रतिबंध का मुख्य उद्देश्य प्लास्टिक की खपत और कूड़े को कम करना है।
भारत के अलावा कई अन्य देशों ने भी प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए अनोखे उपाय किए हैं।
1.1623 में ग्रेट ब्रिटेन की पहली कैरेबियाई बस्ती स्थल (Britain's first Caribbean settlement) सेंट किट्स एंड नेविस (Saint Kitts And Nevis) ने आने वाले पांच वर्षों में प्लास्टिक की खपत को 30% तक कम करने के लिए ‘प्लास्टिक बी गॉन’ (Plastic Be Gone) पहल शुरू की है।
2.केन्या (Kenya) ने प्लास्टिक से बने एकल-उपयोग वाहक बैग पर प्रतिबंध लगा दिया और अपराधियों पर पर्याप्त जुर्माना लगाया।
3.बांग्लादेश 2002 में प्लास्टिक कैरी बैग (Plastic Carry Bag) पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला देश बना। कनाडा (Canada), चीन (China) और संयुक्त राज्य अमेरिका (United States Of America) ने भी एकल-उपयोग प्लास्टिक के उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए नियम बनाए हैं।
हालांकि, इस मुद्दे को हल करने के लिए समुद्र तट का सफाई अभियान, जागरूकता कार्यक्रम और समुद्री कूड़े की मात्रा के अध्ययन सहित कई प्रयास किये गए हैं। लेकिन इन सब के बावजूद, समुद्री कूड़े का जमाव जारी है, जिसमें प्लास्टिक का योगदान सबसे बड़ा (संख्या के मामले में 55-57% और वजन के मामले में 30-31%) है। ट्राई फाउंडेशन (TRAI Foundation) जैसे संगठनों द्वारा भी इस मलबे से समुद्री प्रजातियों, विशेष रूप से ओलिव रिडले कछुओं (Olive Ridley Turtles) को बचाने के प्रयास शुरू किए गए हैं। समुद्री कचरे के बेहतर प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय समुद्री अपशिष्ट नीति तैयार करना, अपशिष्ट के वितरण और लक्षण वर्णन पर अध्ययन करना, क्रॉस-लर्निंग (Cross-Learning) और सहयोग के लिए तटीय शहरों का एक मंच बनाना, स्थायी अपशिष्ट प्रबंधन के लिए दीर्घकालिक दृष्टि योजना विकसित करना और प्रभावी कार्यान्वयन करने जैसे प्रयास किये जा सकते हैं।
इसके अलावा भारत में समुद्री कूड़े और प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए समुद्र तट की नियमित सफाई, जागरूकता कार्यक्रम और मौजूदा कानून के क्रियान्वयन जैसे आवश्यक कदम उठाए जा सकते हैं। साथ ही प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के प्रयास केवल चुनिंदा लोगों या संगठनों तक ही सीमित नहीं होने चाहिए।
प्लास्टिक कचरे के मुद्दे को हल करने और स्वच्छता बनाए रखने के लिए हमारे राज्य उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद नगर निगम ने एक विशेष पहल शुरू की है। इसके तहत दुकानदारों को अब प्लास्टिक के पैकेट (Packet) पर लेबल लगाना होगा और ग्राहकों से शुल्क वसूल करना होगा। हालांकि, जब ग्राहक यह प्लास्टिक पैकेट वापस लौटाएंगे, तो उन्हें पैसा वापस मिल जायेगा। इस पहल का उद्देश्य लोगों को प्लास्टिक कचरे के निपटान के लिए प्रोत्साहित करना है और इस योजना को शहर के निवासियों से सकारात्मक प्रतिक्रिया भी मिली है।
आज के दिन 5 जून को प्रतिवर्ष पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जागरूकता और कार्रवाई को प्रोत्साहित करने के लिए ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ (World Environment Day) मनाया जाता है। इस वर्ष 2023 में विश्व पर्यावरण दिवस को एक अनुस्मारक के रूप में मनाया जा रहा है कि प्लास्टिक प्रदूषण पर लोगों की कार्रवाई मायने रखती है। प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए सरकारें और व्यवसाय जो कदम उठा रहे हैं, वे इसी कार्रवाई का परिणाम हैं। यह इस कार्रवाई में तेजी लाने, अधिनियम, प्रतिबद्ध और नए मानदंड और मानक निर्धारित करने और एक परिपत्र अर्थव्यवस्था में परिवर्तन लाने का समय है। आइए, आज विश्व पर्यावरण दिवस के इस मौके पर हम भी मुरादाबाद नगर निगम द्वारा शुरू की गई पहल से सबक लेते हुए अपने शहर रामपुर में भी इसी प्रकार की एक कोई नई पहल शुरू करें और अपने शहर के साथ-साथ भारत और संपूर्ण विश्व को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त करने में अहम भूमिका निभाएं।
संदर्भ
https://rb.gy/0nsg8
https://rb.gy/1x0un
https://rb.gy/z7ti8
चित्र संदर्भ
1. प्लास्टिक को सूचीबद्ध करती युवती को दर्शाता एक चित्रण (Pixabay)
2. सड़क पर फैले प्लास्टिक कूड़े को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
3. प्लास्टिक कचरे से भरी बोरी को दर्शाता चित्रण (Flickr)
4. सील के गले में फंसे प्लास्टिक को संदर्भित करता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
5. प्लास्टिक के निपटारन को संदर्भित करता एक चित्रण (Geograph)
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