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जापान को पूरी दुनिया से कई साल आगे चलने वाला देश माना जाता है। हालांकि, आपने जापान की अनोखी तकनीक और शानदार जीवनशैली के चर्चे बहुत सुने होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जापान की उद्यान शैली भी पूरी दुनिया में सबसे अनोखी होती है। आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि जापान के जल उद्यान का एक नमूना, जिसे “सुकियामा गार्डन” (Tsukiyama Garden) कहा जाता है, हमारे रामपुर में भी मौजूद था।
जापान में उद्यानों का निर्माण, पारंपरिक जापानी निर्माण कला के सबसे महत्वपूर्ण भागों में से एक रहा है। जापानी उद्यान सदियों से ही विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक विषयों जैसे ज़ेन बौद्ध (Zen Buddhism) संस्कृति से प्रभावित होकर बनाए गए है। शायद इसीलिए यह न केवल देखने में शानदार होते हैं बल्कि यह उद्यान आने वाले लोगों पर गहरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी छोड़ते हैं।
पारंपरिक जापानी उद्यानों को विभिन्न शैलियों में विभाजित किया जा सकता है-
१. ज़ेन उद्यान (Zen Garden) को सबसे प्रसिद्ध प्रकार के पारंपरिक जापानी उद्यानों में से एक माना जाता है। मुख्यतः रेत, बजरी और पत्थर से बने होने के कारण इन्हें रॉक गार्डन (Rock Garden) भी कहा जाता है।इस प्रकार के उद्यान अति उत्कृष्ट माने जाते हैं। जापान में, 14 वीं शताब्दी के बाद से ही इस प्रकार के उद्यान लोकप्रिय रहे हैं। इनकी लोकप्रियता का श्रेय एक ज़ेन बौद्ध भिक्षु, शिक्षक और बगीचों के निर्माता - सोसेकी मुसो (Soseki Musō) को दिया जाता है।
२. सुकियामा (Tsukiyama): सुकियामा जापानी उद्यान, मछली, पहाड़ियों, पत्थरों, पुलों, पेड़ों, काई, फूलों और छोटे पौधों के साथ तालाबों तथा नदियों सहित प्राकृतिक दृश्यों का एक सुंदर लघु दृश्य प्रस्तुत करते हैं । सुकियामा शब्द कृत्रिम रूप से बनाई गई पहाड़ियों के निर्माण को संदर्भित करता है। आमतौर पर यह गार्डन ज़ेन गार्डन से बड़ा होता है।
३. रोजी, चैनिवा “चाय उद्यान” (Roji, Chaniwa (Tea Garden): जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है, इस प्रकार के उद्यान हमेशा चाय समारोह के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े रहे हैं। इस प्रकार के बगीचे में बहुत ही जटिल संरचना और सख्त नियम होते हैं। इनमें आमतौर पर, कई पेड़ और झाड़ियाँ होती हैं लेकिन इनमें बहुत कम या कोई फूल नहीं होता है। आंतरिक बगीचे में प्रवेश करने से पहले, पत्थर से बने सिंक, जिसे “त्सुकबाई” (Tsukubai) कहा जाता है, में अपने हाथों को धोना आवश्यक है।
४. स्वर्ग उद्यान (Paradise Garden): इस प्रकार के उद्यान को स्वर्ग या ‘शुद्ध भूमि’ (Pure land) के नाम से विख्यात बौद्ध धर्म की एक शाखा " ‘ज़ोडो’ (Jōdo) का प्रतिनिधित्व करने के लिए बनाया जाता है। इस तरह के बगीचे में पानी और पत्थरों के साथ-साथ संतुलित मात्रा में पौधे होते हैं । इनमें जल क्षेत्र और द्वीप, पुलों द्वारा आपस में जुड़े हुए होते हैं। इन उद्यानों को मूल रूप से बौद्ध भिक्षुओं के ध्यान लगाने और बगीचे की सुंदरता को प्रतिबिंबित करने के लिए डिजाइन किया गया था।
जापान में, उद्यान बनाने की कला को, सुलेख और स्याही चित्रकारी की कला के समान ही एक उच्च कला माना जाता है। जापान की अन्य कलाओं की तरह, उद्यान निर्माण की कला को भी गुप्त माना जाता था और बाहरी लोगों के साथ साझा नहीं किया जाता था। इसीलिए प्राचीन भारतीय शिक्षा की भांति ही, जापान में भी बगीचे बनाने की कला को परंपरागत रूप से, गुरुओं से, जिन्हें जापानी में सेंसेई (Sensei) कहा जाता है, प्रशिक्षुओं तक मौखिक रूप से प्रसारित किया जाता था । जापानी उद्यानों में जलीय निकायों का निर्माण एक महत्वपूर्ण घटक होता है। हालांकि, इनका निर्माण उसी रूप में किया जाता है,जैसे कि ये प्रकृति में पाए जाते हैं । इसी कारण फव्वारे, आमतौर पर, पारंपरिक जापानी जल उद्यान का हिस्सा नहीं होते हैं। इन जल उद्यानों में फव्वारों के स्थान पर प्राकृतिक रूप से मुड़ी हुई एवं घूमती हुई जल धाराओं का निर्माण किया जाता है।पूरे उद्यानों में रास्तों एवं पुलों को बनाने के लिए पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता है।हरे पौधे जापानी प्रेरित जल उद्यान का एक महत्वपूर्ण पहलू होते हैं। परंपरागत रूप से, रंग की फुहार प्रदान करने के लिए फूलों के पेड़ों और झाड़ियों का भी उपयोग किया जाता है।इसके साथ ही जापानी जल उद्यान की एक प्रमुख विशेषता ‘कोई मछली’ (Koi Fish) की उपस्थिति भी है।
यदि आप भी अपना एक निजी जल उद्यान बनाना चाहते हैं तो इसे बनाने से पहले, अपने स्थान और बजट के आधार पर सर्वोत्तम आकार और डिजाइन निर्धारित करने के लिए शोध करना जरूरी है। नियमित बागवानी के विपरीत, तालाब बनाने में गलती करना महंगा पड़ सकता है। पानी के पौधों की सुंदरता और रंग प्रदान करने के लिए एक छोटा कंटेनर गार्डन (Container Garden) भी एक बेहतर विकल्प हो सकता है। तालाब बनाने के लिए एक ऐसे स्थान का चयन करें, जहाँ प्रतिदिन कम से कम 5 घंटे धूप उपलब्ध हो । बिजली और ताजे पानी तक आसान पहुंच भी आवश्यक है। पानी के बगीचों में कमल जैसे तैरने वाले, जलमग्न और किनारे वाले पौधे शामिल होने चाहिए।
हमारे शहर रामपुर में भी कोसी नदी के तट पर स्थित ‘खासबाग पैलेस’ (Khasbagh Palace) या ‘कोठी खास बाग’ अपने चारों ओर मौजूद उद्यानों के कारण काफी लोकप्रिय है। अरबों रुपये की लागत से बनाया गया यह आलीशान महल भीषण गर्मी में भी पूरी तरह ठंडा रहता है। कोठी खासबाग के बारे में दावा किया जाता है कि यह देश की पहली वातानुकूलित कोठी है। यूरोपीय-इस्लामी शैली में बनी यह कोठी बेहद खूबसूरत है। इसमें करीब 200 से भी अधिक कमरे और कई बडे़ हॉल भी हैं। इस महल के चारों ओर स्थित उद्यान में आम, अमरूद और विभिन्न प्रजातियों के एक लाख से अधिक पेड़ मौजूद हैं। माना जाता है कि जापान के ज़ेन उद्यान की भांति भी कोठी खास बाग के परिसर में भी ऐसा ही एक जल उद्यान मौजूद था। कोठी खास बाग में आज भी इसके कुछ अंतिम अवशेष देखे जा सकते हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3Jgtdnb
https://bit.ly/3LkOwFR
https://bit.ly/3L1XWFS
https://bit.ly/3Yqxk4r
https://bit.ly/3YqPjYn
चित्र संदर्भ
1. जापान की उत्कृष्ट उद्यान शैली को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. ज़ेन उद्यान को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. सुकियामा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. रोजी, चैनिवा “चाय उद्यान" को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
5. स्वर्ग उद्यान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. जापानी उद्यान को दर्शाता एक चित्रण (Japan Objects)
7. खासबाग पैलेस को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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