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क्या आप जानते हैं कि इस्लाम धर्म के शिया समुदाय के अनुयायियों की एक ही इच्छा होती है कि उन्हें मरणोपरांत धार्मिक शहर कर्बला, इराक में दफनाया जाए। हमारे शहर रामपुर के भी कई नवाब और बेगम ऐसे हैं जिन्हें कर्बला में दफनाया गया है। आइए जानते हैं। नवाब रजा अली खान बहादुर (17 नवंबर 1908 – 6 मार्च 1966) 1930 से 1966 तक रामपुर रियासत के नवाब थे। उनकी मृत्यु 57 वर्ष की आयु में, 1966 में हुई; और उनके पिता की तरह, उन्हें कर्बला, इराक में दफनाया गया था। वैसे ही, नवाब सैयद हामिद अली खान बहादुर (31 अगस्त 1875-19 जून 1930) 1889 से 1930 तक रामपुर रियासत के नवाब थे।1930 में 54 साल की उम्र में, 41 साल के शासन के बाद, उनकी मृत्यु हो गई, और उन्हें भी कर्बला, इराक में दफनाया गया था। इसी तरह हाल के वर्षों में, अपनी मृत्यु के लगभग 19 साल बाद, रामपुर के आखिरी नवाब सैयद मुर्तजा अली खान बहादुर की पत्नी नवाब आफताब दुल्हन सकीना-उज-जमानी बेगम साहिबा ने भी इराक के कर्बला में अपना अंतिम विश्राम स्थल पाया है।
लखनऊ के पीरपुर प्रांत की रहने वाली बेगम का 4 अगस्त 1993 को निधन हो गया था। मरने से पहले, बेगम ने कथित तौर पर कर्बला में दफन होने की इच्छा व्यक्त की थी। चूंकि रामपुर के नवाब शिया हैं, वे कर्बला में दफनाने के पक्ष में हैं, और यहां तक कि वहां एक आरक्षित स्थान होने की भी सूचना है। लेकिन इतने सालों तक उनका परिवार इराकी सरकार की इजाजत लेने में नाकाम रहा। लिहाजा शव को रामपुर स्थित कोठी खास के पैतृक इमामबाड़े में रखा गया था। और फिर अब शव को आखिरकार इराक ले जाया गया ।
दिवंगत नवाब के भतीजे नवाब काजिम अली खान ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि इतने वर्षों के इंतजार के बाद अब आखिरकार बेगम को कर्बला में दफना दिया गया था। अठारहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी में इराक के अत्यंत महत्वपूर्ण शिया धार्मिक शहरों की राजनीतिक अर्थव्यवस्था के बारे में अभी बहुत कम जानकारी है। इस्लाम की शिया शाखा के अनुयायियों द्वारा इराक के नजफ़, कर्बला और काज़िमैन जैसे शहरों को पवित्र माना जाता था, जिससे ये शहर शिया अनुयायियों के लिए धार्मिक और तीर्थस्थल बन गए। ये कस्बे इमामों की कब्रों के आसपास विकसित हुए। अतः शिया अनुयायियों की हमेशा एक ही इच्छा होती है कि उनको मरणोपरांत कर्बला में दफनाया जाए।
इन धार्मिक शहरों में शिया मौलवियों की स्थिति अत्यधिक मजबूत थी जिसका एक महत्वपूर्ण कारक उनकी आर्थिक स्थिति भी थी । लेकिन उस आर्थिक स्थिति की सटीक जड़ों और आधुनिक पूंजीवाद के उदय जैसी घटनाओं के प्रभाव के बारे में बहुत कुछ खोजा जाना बाकी है। पता लगाया गया है कि उत्तर भारत में अवध के शिया शासकों द्वारा प्रमुख इराकी मौलवियों को दान के रुप में आर्थिक सहायता प्रदान की जाती थी, जिससे कि मरने के बाद उन्हें वहां दफनाया जा सके ।
सोलहवीं शताब्दी तक इमामी शियावाद हर जगह इस्लाम की एक अल्पसंख्यक शाखा थी, जिसमें आमतौर पर राजनीतिक शक्ति का अभाव था। प्रारंभिक इस्लामी समय के दौरान भी, इराकी पवित्र शहर महत्वपूर्ण शिया केंद्र थे। सोलहवीं शताब्दी से ईरान में शिया सफ़वीद राजवंश ने जनसंख्या को शिया धर्म में परिवर्तित कर दिया, जिससे एक इमामी राज्य की स्थापना हुई। सफ़विद काल में, इराक में धार्मिक शहर सुन्नी तुर्क साम्राज्य के शासन में बने रहे, और इराक में शिया अल्पसंख्यक बने रहे। फिर भी, एक पड़ोसी शिया राज्य के अस्तित्व ने धार्मिक शहरों की स्थिति को बहुत बदल दिया।
सफविद राजाओं ने इराक में धार्मिक स्थलों और धार्मिक विद्वानों को बहुत संरक्षण दिया। ईरान से तीर्थयात्रियों का आवागमन बहुत बढ़ गया और इसे अक्सर व्यापार के साथ जोड़ दिया गया, जिससे धार्मिक शहर रेगिस्तानी बंदरगाहों के रूप में काम करने लगे। नव शिया ईरानी कुलीनों द्वारा दिए गए महँगे उपहारों, तीर्थयात्रियों के आवागमन और वाणिज्य में वृद्धि के कारण, नजफ और कर्बला जैसे शहर धन के साथ-साथ कानून और धर्मशास्त्र के केंद्र बन गए। उनका राजनीतिक महत्व भी बढ़ा। सोलहवीं शताब्दी में दक्षिण भारत में शिया शासित राज्यों की स्थापना भी देखी गई, जिनके शासक अक्सर इन धार्मिक शहरों के लिए दान भेजते थे। यहां तक कि उपमहाद्वीप में सुन्नी शासकों ने भी, जो पैगंबर के पोते इमाम हुसैन के लिए विशेष सम्मान रखते थे, कर्बला में अपनी कब्र बनवाने के लिए पर्याप्त उपहार भेजे थे।
हालांकि रामपुर रियासत के संस्थापक नवाब फैज उल्लाह खां के बड़े बेटे नवाब मोहम्मद अली खां का मकबरा रामपुर के जेल रोड पर ही स्थित है ।उनके मकबरे के बराबर में कई आलिमों की कब्रें भी हैं। उनके मकबरे का नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने दोबारा निर्माण करा दिया है ।
संदर्भ
https://bit.ly/3SBAZvb
https://bit.ly/3Slt2Kc
https://bit.ly/3SiKsY5
https://bit.ly/3IpgPj0
https://bit.ly/3Z8MWuN
https://bit.ly/3IIUkaa
https://bit.ly/3KvrmvR
https://bit.ly/3KMuB2j
चित्र संदर्भ
1. कर्बला इराक की एक कब्र और नवाब सैयद हामिद अली खान बहादुर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. रामपुर के आखिरी नवाब सैयद मुर्तजा अली खान बहादुर की पत्नी नवाब आफताब दुल्हन सकीना-उज-जमानी बेगम साहिबा को दर्शाता एक चित्रण (
Mpositive)
3. कर्बला, इराक को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. आधुनिक कर्बला शहर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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