इंसानों और हाथियों के बीच संघर्ष क्यों बढ़ रहा है

रामपुर

 09-01-2023 10:24 AM
निवास स्थान

भारत में “हाथी सबका साथी" नामक लोकोक्ति काफी लोकप्रिय है। लेकिन यह लोकोक्ति तब गढ़ी गई थी, जब भारत में हाथियों के रहने तथा घूमने-फिरने के लिए पर्याप्त जंगल और खाने के लिए प्रचुर मात्रा में भोजन उपलब्ध था। किंतु आज इन विशालकाय जीवों के आवासरूपी जंगल काफी हद तक नष्ट किये जा चुके हैं, और यही कारण है कि आज हाथी और इंसान एक दूसरे के साथी होने के बजाय एक दूसरे के लिए बड़ी समस्या बन बैठे हैं।
हाथियों के निवास स्थान के नुकसान के परिणामस्वरूप भारत में हाथी-मानव संघर्ष निरंतर बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक वन क्षेत्रों की रक्षा नहीं की जाती, तब तक ऐसे संघर्ष और भी बदतर हो सकते हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में देश में हाथियों द्वारा किये गए हमलों में तकरीबन 1,500 से अधिक लोग मारे गए हैं, इतना ही नहीं, इन हमलों के प्रतिशोध के रूप में 300 हाथी भी मारे गए हैं। ‘भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट’ और एशियाई हाथी विशेषज्ञ समूह (Asian Elephant Specialist Group) जो कि प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (International Union for Conservation of Nature ( IUCN) के ‘प्रजाति उत्तरजीविता आयोग’ (Species Survival Commission (SSC) का एक अभिन्न अंग है, द्वारा प्रदान किए गए आंकड़ों सहित विभिन्न अनुमानों के अनुसार, पूरे एशिया में हाथियों के कारण होने वाली कुल मानव मौतों में से 70-80% मौते अकेले भारत में होती हैं। हमारे रामपुर में भी किसानों के साथ हाथियों के संघर्ष की घटनाएं आमतौर पर देखी जाती हैं। 2019 में दो जंगली हाथी रामपुर के बिल्कुल करीब आ गए थे, वन विभाग ने हाथियों को दूसरी दिशा में भेजने के लिए दो वयस्क नर हाथी भी मंगवाए थे। आज इस तरह की घटनाएं काफी आम हो गई हैं।
हाथियों और रामपुर का आपसी इतिहास भी काफी पुराना रहा है। ऊपर दिया गया चित्र इसकी एक बानगी भर है। उत्तर प्रदेश के रामपुर में एक परिसर में हाथियों के एक समूह की यह तस्वीर, रामपुर के नवाब की प्रस्तुति एल्बम से ली गई है जिसको 1911 में एक अज्ञात फोटोग्राफर द्वारा लिया गया था ।
पर्यावरणविदों के अनुसार भारत, एशियाई हाथियों की वैश्विक आबादी का सबसे बड़ा घर है और यहां के जंगलों में लगभग 29,000 हाथी रहते हैं। किंतु कृषि कार्यों और बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए हाथियों के वन आवासों को नष्ट किया जा रहा है। आज लगभग 40% हाथी अभयारण्य असुरक्षित माने जा रहे हैं, क्योंकि वे संरक्षित पार्कों और अभयारण्यों की सूची के भीतर नहीं आते हैं। साथ ही, जब हाथी प्रवास करते हैं, तब भी उन्हें कोई विशिष्ट कानूनी सुरक्षा प्रदान नहीं की जाती है। अकेले पूर्वी राज्य ओडिशा में, 2012 से अब तक 700 से अधिक हाथियों की मौत हो चुकी है। हाथियों के 50 साल तक जीवित रहने की उम्मीद की जाती है, लेकिन उनका अस्तित्व भोजन, पानी और सामाजिक और प्रजनन भागीदारों की खोज के लिए लंबी दूरी के नियमित प्रवास पर निर्भर करता है। हाथियों के झुंड सालाना 350-500 किलोमीटर (200-300 मील) की दूरी तय करने के लिए जाने जाते हैं।
संरक्षणवादियों का कहना है कि हाथी पारिस्थितिक तंत्र को कई तरह से लाभ पहुंचा सकते हैं, जिसमें बीजों को फैलाना, अपनी खाद को फैलाना और अन्य प्रजातियों के लाभ के लिए वाटरहोल (Waterhole) बनाना आदि शामिल है। समस्याएं तब पैदा होती हैं जब ये दिग्गज जानवर मानव निर्मित कारणों से पलायन नहीं कर पाते हैं क्योंकि उनके पलायन के रास्ते खुले खनन, नहरों और अन्य निर्माणों, राजमार्गों और रेलवे पटरियों से नष्ट हो जाते हैं।
इस परिस्थिति में हाथियों को अक्सर जीवित रहने के लिए अन्य खाद्य स्रोतों जैसे फसलों की ओर रुख करना पड़ता है, जो बदले में उन्हें स्थानीय किसानों और ग्रामीणों के खिलाफ खड़ा कर देता है। अकेले छोड़ दिए जाने पर, हाथी आमतौर पर लोगों पर हमला नहीं करते हैं। लेकिन जब हाथी कृषि क्षेत्रों में प्रवेश करते हैं, या मानव निवास के पास जाते हैं, तो वे अनिवार्य रूप से लोगों की भीड़ से घिर जाते हैं। चूकि वे बुद्धिमान और शक्तिशाली जानवर होते हैं इसलिए लोगों द्वारा परेशान किए जाने पर वे जवाबी कार्यवाही भी करते हैं।
पर्यावास विखंडन मानव-हाथी के भीषण संघर्षों की संभावना को बढ़ावा देता है, क्योंकि इन विखंडित आवासों के आसपास की सड़कें और खेत इस तरह के टकरावों के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं। सूखे के दौरान या बाद में तेजी से कम होते जल स्रोतों और अन्य संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा के कारण भी हाथियों और मनुष्यों के बीच संघर्ष का खतरा बढ़ जाता है। एक नए अध्ययन के अनुसार, अगले कुछ दशकों में जलवायु परिवर्तन के कारण एशियाई हाथी भारत और नेपाल में अपने वर्तमान आवास का 40 प्रतिशत से अधिक स्थान खो सकते हैं। निवास स्थान के नुकसान के कारण अंततः हाथियों को हिमालय के पहाड़ों में अधिक ऊंचाई पर शरण लेनी पड़ेगी।
पहले से ही अपने आवास के नुकसान और विखंडन से जूझ रहे एशियाई हाथी (एलीफस मैक्सिमस “Elephas Maximus”) की लगभग लुप्तप्राय प्रजातियों को जलवायु परिवर्तन के कारण अगले कुछ दशकों में अपने निवास स्थान में “भारी नुकसान" का सामना करना पड़ेगा। भारत के जंगलों में एशियाई हाथियों की आबादी 27,312 है, जबकि नेपाल में उनकी आबादी 100 से 125 के बीच होने का अनुमान है। भारत में हाथियों के संरक्षण का एक लंबा इतिहास रहा है और 2010 में इसे राष्ट्रीय विरासत पशु घोषित किया गया था। एशियाई हाथी को जानवरों की ‘छतरी प्रजाति’ अर्थात संरक्षण करने वाली प्रजाति माना जाता है, जिसका अर्थ है कि इसका अस्तित्व अन्य प्रजातियों के अस्तित्व और जंगलों एवं जैव विविधता के रखरखाव से जुड़ा हुआ है। यदि एशियाई हाथी विलुप्त हो जाते हैं, तो इसका अन्य प्रजातियों और मानव आबादी पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कुशाल कोंवर सरमा (Kushal Konwar Sarma) जिन्हें “हाथी डॉक्टर" भी कहा जाता है, के अनुसार, किसानों द्वारा हाथियों को अपने खेतों को नष्ट करने से रोकने के लिए बिजली की बाड़ के बजाय नींबू के पेड़ लगाने, धुएं का उपयोग करने, साथ ही लंबी-चावल की किस्मों को उगाने जैसे उपायों को अपनाया जा सकता है। किंतु मानव-हाथी संघर्षों को पूरी तरह से रोकने का एकमात्र उपाय यहीं हैं कि हम उनके आवासों अर्थात घने जंगलों के कटाव को रोकने का हर संभव प्रयास करें। हमें भूमि उपयोग परिवर्तन को कम करके हाथियों के आवास के भीतर मानव दबाव को कम करने की आवश्यकता है, और हाथियों को अपना स्थान देने के लिए कोर और बफर जोन बनाने और उनके पलायन को सुविधाजनक बनाने के लिए खंडित आवासों के बीच संपर्क बढ़ाने की आवश्यकता है। हमें आवास की गुणवत्ता बढ़ाने और उपमहाद्वीप में हाथियों के विलुप्त होने से रोकने के लिए उनके आवास बहाली के उपाय करने की भी आवश्यकता है।

संदर्भ
https://bit.ly/3InX1yq
https://bit.ly/3WKnx9o
https://bit.ly/3ifQj2M
https://bit.ly/2HZEiKQ

चित्र संदर्भ
1. निराश किसान और विशाल हाथी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. चारा चरते हाथियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3.उत्तर प्रदेश के रामपुर में एक परिसर में हाथियों के एक समूह की यह तस्वीर, रामपुर के नवाब की प्रस्तुति एल्बम से ली गई है जिसको 1911 में एक अज्ञात फोटोग्राफर द्वारा लिया गया था। को दर्शाता एक चित्रण (bl.uk)
4. हाथी के साथ खेलते बच्चे को दर्शाता एक चित्रण (Max Pixel)
5. एशियाई हाथी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



RECENT POST

  • मेहरगढ़: दक्षिण एशियाई सभ्यता और कृषि नवाचार का उद्गम स्थल
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:26 AM


  • बरोट घाटी: प्रकृति का एक ऐसा उपहार, जो आज भी अनछुआ है
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, रोडिन द्वारा बनाई गई संगमरमर की मूर्ति में छिपी ऑर्फ़ियस की दुखभरी प्रेम कहानी
    म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

     19-11-2024 09:20 AM


  • ऐतिहासिक तौर पर, व्यापार का केंद्र रहा है, बलिया ज़िला
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:28 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर चलें, ऑक्सफ़र्ड और स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालयों के दौरे पर
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:27 AM


  • आइए जानें, विभिन्न पालतू और जंगली जानवर, कैसे शोक मनाते हैं
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:15 AM


  • जन्मसाखियाँ: गुरुनानक की जीवनी, शिक्षाओं और मूल्यवान संदेशों का निचोड़
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:22 AM


  • जानें क्यों, सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में संतुलन है महत्वपूर्ण
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, जूट के कचरे के उपयोग और फ़ायदों के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:20 AM


  • कोर अभिवृद्धि सिद्धांत के अनुसार, मंगल ग्रह का निर्माण रहा है, काफ़ी विशिष्ट
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:27 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id