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2022 की पहली छमाही में कुल 18 भारतीय स्टार्टअप ने प्रतिष्ठित यूनिकॉर्न क्लब (Unicorn club)
में प्रवेश किया।पिछले साल इसी अवधि में यह संख्या 14 थी।समग्र स्तर पर,जनवरी से जून के बीच
हुए 891 सौदों में भारतीय स्टार्टअप ने 17.1 अरब डॉलर बनाए।पिछले साल की पहली छमाही के दौरान
भारतीय स्टार्टअप ने 541सौदों में 9.4 अरब डॉलर बनाए थे। इस प्रकार पहले की तुलना में 82.8
प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
शोध फर्म वेंचर इंटेलिजेंस (Research firm Venture Intelligence)
से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार,भारतीय स्टार्टअप्स में वेंचर कैपिटल (Venture capital) फंडिंग इस साल
की दूसरी तिमाही में 37 फीसदी घटकर 6.9 अरब डॉलर रह गई। पहली तिमाही में, स्टार्टअप्स में कुल
निवेश 11 अरब डॉलर था। वर्ष की पहली छमाही के लिए, कुल निवेश 17.9 बिलियन डॉलर रहा, जो
पिछले वर्ष इसी अवधि की तुलना में 36% अधिक है।
लेकिन 2022 में परिदृश्य कुछ बदला लग रहा है तथा स्टार्टअप के सामने आने वाली समस्याओं में वृद्धि
देखने को मिल रही है, जैसे अप्रत्याशित बड़े पैमाने पर मंदी,निवेशकों द्वारा रूचि न दिखाने से निवेश में
कमी,पाइलिंग लॉस (Piling losses), ट्रेंड में बदलाव आदि।इंडिया टुडे के अनुसार,2022 के बाद से
लगभग 5,800 स्टार्टअप्स को बाहर कर दिया गया है।बदलते चलन ने व्यवसाय की लागत को भी बदल
दिया है, कानूनी अनुपालन बढ़ रहा है, कंपनियां व्यवसाय मॉडल को स्थानांतरित करने में असमर्थ हैं और
कुछ ने लापरवाही से पैसा भी खर्च किया है।2021 में एक ऐसा चलन देखा गया था, जो पहले कभी नहीं
देखा गया। उदाहरण के लिए कई क्षेत्रों में नए स्टार्टअप और आईपीओ (IPOs) लॉन्च हुए। भारतीय
स्टार्टअप ने 2021 में लगभग 42 बिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई, और भारत ने एक ही साल में
लगभग 46 यूनिकॉर्न देखे। जून 2021 में भारत में लगभग 50,000 नए, मान्यता प्राप्त स्टार्टअप
शुरू हुए,जिनमें लगभग 6 लाख लोग कार्यरत थे। 2021-22 के दौरान लगभग 16,000 नए स्टार्टअप
सामने आए। इनमें से 100 से अधिक कंपनियां यूनिकॉर्न में बदल गईं।
लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि स्टार्टअप का सपना धराशायी हो रहा है।सूचीबद्ध कंपनियों के
शेयर,शेयर बाजार में गिर रहे हैं, बैंक उच्च ब्याज दरें लगा रहे हैं जिससे फंडिंग महंगी हो रही है। वैश्विक
मुद्रास्फीति दरों में वृद्धि के कारण बैंक मौद्रिक नीतियों को सख्त कर रहे हैं।यह परिदृश्य देखते हुए भारत
को अब उद्यमिता शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।उद्यमिता देशों की अर्थव्यवस्था को
बढ़ावा देती है, इसलिए इसे अपनाने पर जोर दिया जाता है। वर्तमान समय में हमारा देश एक ऐसा देश
है, जहां के कार्यबल में युवा आबादी सबसे अधिक शामिल है। उदाहरण के लिए, कामकाजी 62%
जनसंख्या 15 से 59 वर्ष के आयु वर्ग के भीतर है।जब से सरकार ने कई प्रोग्राम जैसे स्किल इंडिया
(Skill India), मेक इन इंडिया (Make in India), स्टार्ट अप इंडिया (Start Up India) और
आत्म निर्भर भारत शुरू किए हैं, तब से उद्यमिता और उद्यमिता शिक्षा समय की आवश्यकता बन गई
है।उद्यमिता व्यक्तिगत विकास, रचनात्मकता, आत्मनिर्भरता, पहल करने, कार्रवाई अभिविन्यास आदि से
सम्बंधित है।उद्यमिता और उद्यमिता शिक्षा के विचार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 द्वारा भी
अत्यधिक समर्थन दिया गया है। उद्यमी, व्यक्तियों और समुदायों के साथ-साथ एक परिवार, शहर और
पूरे देश की समग्र अर्थव्यवस्था में सुधार करते हैं।
उद्यमियों ने सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देने और
लोगों के जीने और काम करने के तरीके में सुधार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।उद्यमिता
शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नवाचार को प्रोत्साहित करती है, रोजगार सृजन को बढ़ावा देती है
और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सुधार करती है।अभी भी लोगों में यह विचार है, कि उद्यमिता के कौशल को
केवल करके ही सीखा जा सकता है। लेकिन पूरी तरह से ऐसा नहीं है, यदि इसे सीखा जाए तो यह और
भी लाभदायक बन जाता है।उद्यमिता शिक्षा के जरिए युवाओं को उद्यमियों द्वारा बनाई गई पद्धतियोंऔर उपकरणों की शिक्षा दी जा सकती है, जो उन्हें उनके उद्यम के विकास में आगे मदद
करेंगे।उद्यमिता शिक्षा से उद्यमियों को एक ऐसी प्रक्रिया सिखाई जा सकती है, जिसे वे अपने स्टार्टअप
के निर्माण के लिए उपयोग कर सकते हैं। विभिन्न कार्यक्रम और उपकरण उद्यमियों की प्रतिभा और
कौशल के विकास में सहायता करते हैं। उद्यमिता शिक्षा उद्यमियों को उनके सामने आने वाली चुनौतियों
और असफलताओं का सामना करने के लिए तैयार करती है तथा उद्यमियों को दृढ़ रहने और समय के
साथ अपने उद्यम को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।उद्यमिता शिक्षा उद्यमियों को
उपकरण,विधियों,समुदाय समर्थन और प्रतिक्रिया,सामान्य व्यावसायिक ज्ञान और समर्थन प्रदान करके
उनकी सहायता कर सकती है।वर्तमान समय में भारत में 60,000 से अधिक पंजीकृत स्टार्टअप हैं जो
अपने विचारों को ऑपरेटिव व्यवसायों में परिवर्तित कर रहे हैं।इसलिए उद्यमिता शिक्षा को शिक्षा संस्थानों
का अभिन्न अंग बनाने का समय आ गया है, ताकि युवा इस क्षेत्र में आगे बढने के लिए प्रेरित हो सकें।
संदर्भ:
https://bit.ly/3KkosIo
https://bit.ly/3Amjw0O
https://bit.ly/3Cn8RWq
https://bit.ly/3dPtn7N
चित्र संदर्भ
1. एक बिज़नेस स्कूल को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. बिजनेस टुडे कार्यक्रम की मेजबानी करते राहुल कंवल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. स्टार्टअप इंडिया के लोगो को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. 4 ट्यून्स (इंडिया) की संस्थापक चंद्रा वधाना को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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