शिकारियों व् पर्यावरण से सुरक्षित रहने की जद्दोजहद में कई जानवरों में विकसित हुए शल्क

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शिकारियों व् पर्यावरण से सुरक्षित रहने की जद्दोजहद में कई जानवरों में विकसित हुए शल्क

पृथ्वी के इतिहास में, सभी जानवरों के लिए एक निरंतर चुनौती रही है कि वे हमेशा शिकारियों और सूक्ष्मजीवों से सुरक्षित रहे। इसी जद्दोजहद में कई जानवरों में एक सुरक्षात्मक तंत्र विकसित हुआ है जिन्हें शल्क (Scales) कहते हैं। कई जानवरों जैसे कि मछलियों और सरीसृपों, में शल्क का एक मजबूत और व्यापक रूप उत्पन्न हुआ और इसमें इन्हें सुरक्षा तथा चलन सहायता सहित कई प्रकार से मदद मिली हैं, सांप और मछली जैसे प्राणियों में शल्क का आवरण उनके भीतरी नाज़ुक शरीर की रक्षा करता है। तितली जैसे कुछ प्राणियों में यह पंखों की रक्षा के साथ-साथ उन्हें रंग भी देता है। सैकड़ों लाखों साल पहले, पहली बार मछली में शल्क विकसित हुए थे, और तब से उनका अत्यधिक विकास हुआ है। मछली के शल्क चार प्रकार के होते हैं: कॉस्मॉइड (cosmoid), गैनॉइड (ganoid), प्लेकॉइड (placoid) और इलास्मॉइड (elasmoid)। इलास्मॉइड शल्क में दो उपप्रकार होते हैं, केटेनॉइड (ctenoid) और साइक्लोइड (cycloid) शल्क। मछली के शल्क मुख्य रूप से दो उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं: सुरक्षा और चलन। इन विभिन्न शल्कों को एक दूसरे से जो अलग करता है, वह है उनकी रचना और वे कैसे अपने कार्यों को संतुलित करते हैं। शल्क जितना अधिक पैतृक होता है, उसका विन्यास चलन के बजाय सुरक्षा के लिए उतना ही बेहतर होता है। अधिक विकसित, या व्युत्पन्न, शल्क में सुरक्षा और चलन के बीच अधिक संतुलित कार्य क्षमता होती है। कॉस्मॉइड और गैनॉइड स्केल पैतृक प्रकार के शल्क हैं जबकि केटेनॉइड और साइक्लोइड स्केल सबसे अधिक व्युत्पन्न प्रकार के शल्क हैं।
सेनेगल बिचिर (Senegal Bichir) (पॉलीप्टेरस सेनेगलस (Polypterus senegalus ) पर किए गए एक अध्ययन में, जिसमें गैनॉइड शल्क होते हैं, पाया गया की ये शल्क छेदन के खिलाफ निवारक संरचनाओं के रूप में कार्य करते हैं साथ ही ये बल से क्षति के शमन का कार्य भी करते हैं। एक सुरक्षात्मक कार्य को प्रतिबिंबित करने वाले गैनॉइड शल्क, मायोमेरेस (myomeres), कंकाल की मांसपेशी के ऊतकों को सीरियल टेंडन (serial tendons) को बेहतर ढंग से खींचने और लचीली गति प्रदान करने का भी कार्य करते हैं। गैनॉइड शल्क शरीर को निष्क्रिय रूप से कठोर बनाते हैं और पूंछ की गति को बढ़ाते हैं।
व्युत्पन्न शल्कों पर एक नज़र डाले तो हम पाते है कि केटेनॉइड शल्क का कार्य भी गैनॉइड शल्क के सामान है परन्तु ये चलन पर अधिक जोर देता है। केटेनॉइड शल्क में दो परतें होती हैं: बोनी बाहरी परत और कोलेजन-आधारित आंतरिक परत। बाहरी परत में कठोरता होती है, जो शिकारियों और पर्यावरण से सुरक्षा प्रदान करती है। आंतरिक परत लचीलापन और पेशियों की गति में सहायता प्रदान करती है। मछली के शल्क बहुत पतले होते हैं। इस तरह के शल्क पानी में मछलियों की सुचारू आवाजाही की अनुमति देते हैं । इसके अलावा, परजीवियों से भी सुरक्षा प्रदान करते है। हम पैंगोलिन (pangolin) जैसे अन्य जानवरों में शल्क देख सकते हैं; ये अभिसरण विकास का परिणाम हैं, जहां कई पैतृक प्रजातियों ने आनुवंशिक रूप से एक दूसरे से पूरी तरह से अलग समान संरचनाओं को अनुकूलित किया। हालांकि मछली और सरीसृप क्रमिक रूप से एक दूसरे से संबंधित हैं, लेकिन उनके शल्कों में स्पष्ट रूप से भिन्नता नजर आती हैं।
मछली के शक्ल ऊतक की त्वचीय परत से प्राप्त होते हैं वही सरीसृप के शल्क उपकला ऊतक से प्राप्त होते हैं, जो उन्हें तेजी से पुन: उत्पन्न करने की अनुमति देता है, सरीसृपों द्वारा शल्क का टूटना यानि कलनानिर्मोचन (ecdysis) कहा जाता है, और इसे आमतौर पर मोल्टिंग या स्लोफिंग (moulting or sloughing) के रूप में जाना जाता है।सरीसृप के शल्कों में भी कई तरह की विशेषज्ञता होती है। सांपों के शल्क उन्हें घर्षण से सुरक्षा प्रदान करते हैं जो उन्हें आगे बढ़ने में मदद करता हैं, हालांकि, उनके उदरपक्ष पर शल्क गतिशील होते हैं, जब सांप को चढ़ने या ऊपर की ओर जाने की आवश्यकता होती है, तो ये शल्क घर्षण में वृद्धि करने में सहायक होते है, तथा ये चिकनी सतहों को पकड़ने और चढ़ने में भी सहायक है।
रक्षा के साथ-साथ छलावरण के लिए शल्क उपयोगी सिद्ध होते है, मगरमच्छों के पास मिट्टी के रंग के शल्क होते हैं जो उन्हें कीचड़ भरे पानी में छलावरण करने में पूरी तरह से मदद करते हैं। सरीसृपों के शक्ल त्वचा से विकसित होते हैं, वे केराटिन से बने होते हैं। जैसे- जैसे सरीसृप बढ़ते हैं उनके शल्क भी बढ़ते हैं।शल्क सरीसृपों के लिए जीवन रक्षक होते हैं क्योंकि वे शरीर के तापमान को नियंत्रित करते हैं। शल्क आमतौर पर ठंडे खून वाले जानवरों पर पाए जाते हैं जिनके शरीर का तापमान परिवेश के साथ बदलता रहता है। बालों की तुलना में, शल्क गर्मी को अधिक आसानी से अवशोषित कर लेते हैं। ये मोटे, कांटेदार शल्क इन्हें शिकारियों से बचाने में मदद करते हैं। शक्ल शिकारियों के लिए शिकार को काटने या उस पर हमला करना मुश्किल बना देते है और यहां तक ​​कि ये शल्क इतने कठोर होते है कि शिकारी को घायल भी कर सकते हैं। रेगिस्तान में रहने वाले सरीसृपों ने विशेष अनुकूलन के माध्यम से ऐसे शल्क विकसित किए हैं जो उन्हें गर्म और शुष्क जलवायु में भी पनपने की अनुमति देते हैं। कई रेगिस्तानी सरीसृप प्रजातियों के शल्क त्वचा के माध्यम से पानी के वाष्पीकरण को रोकते हैं और शरीर की नमी बनाए रखने में मदद करते हैं। नतीजतन, वे निर्जलीकरण से बच जाते हैं।
कुलमिलाकर, शल्क का विकास मछली और सरीसृपों के लिए अविश्वसनीयरूप से महत्वपूर्ण रहा है। संरचना में अंतर के बावजूद, वे बहुत समान रूप से कार्य करते हैं। सुरक्षा और चलन में सहायता शल्कों के बीच केंद्रीय समानताएं हैं। ये जानवरों के लिए पर्यावरण और शिकारियों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने के साथ साथ विभिन्न उद्देश्यों के लिए आसानी से स्थानांतरित हो जाने की क्षमता से जुड़े हुए हैं। मछली और सरीसृप के अस्तित्व को बनाये रखने में शल्क महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

संदर्भ:
https://bit.ly/3Rw5AcD
https://bit.ly/3AAbvac
https://bit.ly/3ar9DGj

चित्र संदर्भ
1. छिपकली के शल्क को दर्शाता एक चित्रण (rawpixel)
2. मछली के शल्क को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. साँपों के शल्क को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. पैंगोलिन के शल्क को दर्शाता एक चित्रण (flickr)



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