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छिपकली, स्किंक्स (Skinks)और अन्य सरीसृप जिन्हें मुख्य रूप से अपनी पूंछ के लिए जाना
जाता है,ऑटोटॉमी (Autonomy) नामक प्रक्रिया के माध्यम अपनी पूंछ के एक हिस्से को खुद
से अलग कर देते हैं, और इस प्रकार भागने में सक्षम हो जाते हैं। पूंछ का जो हिस्सा अलग
होता है, वह टूटने के बाद भी लगातार लड़खड़ाता रहता है तथा निरंतर संघर्ष करता रहता है।
इससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न होगी,जिससे शिकारी का ध्यान उसके भागने से हट जाएगा।
लियोपार्ड जेकॉस (Leopard geckos) की पूंछ का अलग हिस्सा 20 मिनट तक गति की अवस्था में
रह सकता है। ऑटोटॉमी या आत्म विच्छेदन एक प्रकार का व्यवहार है,जिसके द्वारा एक
जानवर अपने स्वयं के एक या एक से अधिक उपांगों को छोड़ देता है या त्याग देता
है।आमतौर पर यह शिकारी की पकड़ से बचने के लिए या शिकारी को विचलित करने के
लिए सरीसृपों द्वारा आत्मरक्षा तंत्र के रूप में प्रयोग किया जाता है, जिससे वे अपने शत्रु से
बच पाने में सफल हो पाते हैं। कुछ जंतुओं में शरीर के खोए हुए अंग को बाद में पुन:
उत्पन्न करने की क्षमता होती है। ऑटोटॉमी के कई विकासवादी मूल हैं और माना जाता है
कि यह जानवरों में कम से कम नौ बार स्वतंत्र रूप से विकसित हुआ है।शिकारियों द्वारा
खींचे जाने पर छिपकली प्रतिक्रिया के रूप में अपनी पूंछ गिरा देती है।उसकी कटी हुई पूंछ
लगभग 30 मिनट तक हिलती रहती है तथा यह प्रक्रिया बार-बार और विविध रूपों में
होतीहै। यहां तक कि पूंछ से अलग हुआ हिस्सा 3 सेंटीमीटर की ऊंचाई तक उछल भी सकता
है। पूंछ को गिराने की यह क्षमता तकनीकी रूप से कॉडल ऑटोटॉमी (Caudal autotomy)
कहलाती है। अधिकांश छिपकलियों में जो इस तरह से पूंछ का त्याग करती हैं, पूंछ तभी
अलग होती है, जब पूंछ को पर्याप्त बल के साथ पकड़ लिया जाता है।लेकिन कुछ जानवर,
जैसे कि जेकॉस की कुछ प्रजातियां पर्याप्त रूप से तनाव की स्थिति होने पर ट्रू ऑटोटॉमी
(True autotomy) प्रदर्शित करती हैं, तथा पूंछ को अलग कर देती हैं।जैसे कि जब चींटियों
द्वारा हमला किया जाता है।छिपकलियों में कॉडल ऑटोटॉमी दो रूपों में होती है। पहले रूप
में जिसे इंटरवर्टेब्रल ऑटोटॉमी (Intervertebral autotomy) कहा जाता है, पूंछ कशेरुकाओं के
बीच टूट जाती है।कॉडल ऑटोटॉमी का दूसरा रूप इंट्रावर्टेब्रल (Intravertebral) ऑटोटॉमी
है,जिसमें पूंछ के मध्य भाग में प्रत्येक कशेरुका में कमजोर क्षेत्र और फ्रैक्चर प्लेन (Fracture
plane) होते हैं। इस प्रकार की ऑटोटॉमी में छिपकली दो कशेरुकाओं के बीच की पूंछ को तोड़ने
के बजाय एक कशेरुका को तोड़ने के लिए मांसपेशी को सिकोड़ती है।पूंछ में स्फिंक्टर
(Sphincter) की मांसपेशियां फिर कॉडल धमनी के चारों ओर सिकुड़ती हैं, ताकि रक्तस्राव कम
हो।इंट्रावर्टेब्रल ऑटोटॉमी से जुड़ा एक और अनुकूलन यह है कि घाव को आसानी से सील
करने के लिए ऑटोटॉमी की साइट पर त्वचा घाव के ऊपर फोल्ड हो जाती है, जो ऑटोटॉमी
साइट पर संक्रमण को कम कर सकती है। कॉडल ऑटोटॉमी छिपकलियों में प्रचलित है तथा
यह लगभग 20 परिवारों में से 13 में दर्ज की गयी है। छिपकलियों के अलावा मोलस्क
(Molluscs),क्रसटेशियन (Crustaceans),मकड़ियों,मधुमक्खियां और ततैयों में भी विभिन्न रूपों
में ऑटोटॉमी होती है।कॉडल ऑटोटॉमी की मदद से छिपकलियों में जीवित रहने की सम्भावना
बढ़ जाती है, क्यों कि इसकी मदद से वे शिकारियों का ध्यान भटका सकती हैं तथा चोट
लगने के बाद खून की क्षति को कम कर सकती हैं।यह शिकारी-विरोधी व्यवहार मौजूदा, छोटे
शरीर वाले लेपिडोसॉर (Lepidosaurs) में प्रचलित है।आधुनिक स्क्वैमेट्स (Squamates) के सभी
परिवारों में से आधे से अधिक भागने की रणनीति के रूप में कॉडल ऑटोटॉमी का उपयोग
करते हैं।स्क्वामाटा में इसकी व्यापकता के बावजूद, प्रत्येक कशेरुका के साथ या उसके बीच में
फ्रैक्चर प्लेंस की स्थिति के साथ-साथ ऑटोटोमस कशेरुकाओं की संख्या और स्थिति में
व्यापक भिन्नता देखने को मिलती है। इन मामलों में, कैप्टोरिनिड्स (Captorhinid),कुछ
इगुआनिड्स (Iguanids) और मौजूदा लेपिडोसॉर स्फेनोडोन (Lepidosaur Sphenodon) के समान
थे। कई कैप्टोरिनिडअपनी पूंछ के महत्वपूर्ण हिस्से को या तो शिकारियों को विचलित करने
के लिए या एक शिकारी की पकड़ से बचने के लिए अलग करने में सक्षम थे।आधुनिक
स्क्वैमेट्स में पूंछ के नुकसान की आवृत्ति क्लोका (Cloaca) से ऑटोटोमस क्षेत्र की दूरी के
साथ दृढ़ता से नकारात्मक रूप से संबंधित है, इसका मतलब यह है कि पूंछ के आधार के
पास ऑटोटोमस कशेरुक क्षेत्र की शुरुआत इस व्यवहार की एक उच्च आवृत्ति को दर्शा सकती
है, ताकि वह एक शिकारी से बच सके, जैसा कि प्रारंभिक पर्मियन कैप्टोरिनिड्स (Permian
captorhinids)।सभी उपलब्ध साक्ष्य, जिसमें अच्छी तरह से संरक्षित कॉडल कशेरुकाओं के
साथ सभी ज्ञात आर्टिक्यूलेटेड (Articulated) कंकालों की गहन जांच शामिल है, से यह निष्कर्ष
निकला है, कि कैप्टोरिनिड्स अब तक एकमात्र पैलियोज़ोइक एमनियोट्स (Palaeozoic
amniotes) हैं जिन्हें इस विरोधी शिकारी व्यवहार को विकसित करने के लिए जाना जाता
है।इस प्रकार कॉडल ऑटोटॉमी ने कैप्टोरिनिड्स के शुरुआती विविधीकरण में एक महत्वपूर्ण
भूमिका निभाई, क्योंकि वे एक निकट वैश्विक वितरण प्राप्त करने वाले पहले एमनियोट
समूह थे और वे पुरापाषाण काल के अंत में नए पारिस्थितिक क्षेत्रों में विविधता भी लेकर
आए।
संदर्भ:
https://bit.ly/3Ik9sI3
https://bit.ly/3qHI9Bn
https://bit.ly/3nHDBt0
https://go.nature.com/3qJdPX7
चित्र संदर्भ
1. पूंछ कटी छिपकली को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. छिपकली की कटी हुई पूँछ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक मछली पकड़ने वाली मकड़ी जिसके दो अंग गायब हैं जिसको दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4 .अनंतरिस बिच्छू में ऑटोटॉमी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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