'Ease of Living - आराम से जिंदगी का सपना' शहरीकरण की नीति और परिकल्पना का अहम हिस्सा है। इसकी कोई नपी तुली परिभाषा नहीं है। कुछ लोगों के लिए यह भौतिक आवश्यकताओं जैसे पानी की आपूर्ति, कूड़ा प्रबंधन और हरित क्षेत्र आदि से जुड़ा है; दूसरों के लिए सांस्कृतिक वातावरण, कामकाज की संभावनाओं, आर्थिक गतिशीलता और सुरक्षा से जुड़ा है। क्या है वह पैमाने और सूची जो हमारे शहर की रहने की क्षमता को आंकते हैं? सबसे रहने योग्य अव्वल दर्जे के पुणे शहर और सबसे नीचे पायदान पर खड़े रामपुर शहर के दरमियां आखिर फर्क क्या है? समस्याओं के पैमाने के अनुसार रामपुर शहर कैसे इनसे निजात पा सकेगा?
भारत: जीवन सुगमता सूचकांक 2018
केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के द्वारा जीवन सुगमता सूचकांक 2018 जारी किया गया। शहरों को रैंकिंग देने के लिए देश के 111 शहरों में सर्वेक्षण कराए गए, इसके बाद इसकी घोषणा की गई। अपने वर्तमान स्वरूप में इस सर्वेक्षण का उद्देश्य, सामान्य तौर पर निम्नतम सुविधाओं के ढांचे में शहरों का मूल्यांकन करना था ताकि भविष्य में लोगों की आकांक्षाओं को बेहतर ढंग से पूरा कर सकें।
सूचकांक के प्रमुख बिंदु:
एक प्रमाण आधारित मूल्यांकन जो जीवन को सुगमता से जीने के लिए भावी हस्तक्षेप और निवेश सुनिश्चित करें।
कार्रवाई की गति बनाकर भारतीय शहरों में जीवन जीने की गुणवत्ता बढ़ाना।
विकास परिणामों पर नजर रखना जिसमें टिकाऊ विकास लक्ष्य शामिल है।
जिन क्षेत्रों में सुधार होना बाकी है, उन मामलों में निर्णयकर्ताओं के मध्य संवाद कायम करना।
जागरूकता वीडियो
भारत सरकार ने पहली बार शहरों के आकलन के लिए जीवन सुगमता सूचकांक जारी किया है। सरकार अपने आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के माध्यम से शहरों में रहने वाले निवासियों के जीवन स्तर को सुधारने का प्रयास कर रही है। Ease of Living Index के माध्यम से शहरों में हो रहे विकास कार्यों का मूल्यांकन करना संभव हो पाएगा। शहरों के संस्थागत, आर्थिक, सामाजिक और भौतिक ताने-बाने की 15 श्रेणियों के 78 सूचक पर जानकारी प्रदान करता है। जनवरी 2018 में शुरू हुए पहले चक्र में 111 शहरों ने हिस्सा लिया। 4 महीनों की अवधि में 33 राज्य स्तरीय कार्यशालाए, ऑनलाइन पोर्टल के जरिए 50,000 से अधिक सूचकांक का सम्मिश्रण, 14000 इकाइयों की भौतिक जांच, 60000 शहर वासियों से साक्षात्कार लिए गए। इसके माध्यम से शहरों को सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (Sustainable Development Goals (SDGs)) की ओर हो रही प्रगति की जानकारी मिल पाएगी। शहरी विकास प्रबंधक आकलन से उत्पन्न जानकारी का नागरिकों को सेवा प्रदान करने के आयोजन, संसाधन आवंटन और निवेश आकर्षित करने के प्रयासों के लिए इस्तेमाल कर सकेंगे।
पुणे: जीने योग्य सर्वश्रेष्ठ शहर
भारत सरकार के आवास और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा जारी जीवन सुगमता सूचकांक 2018 में पुणे(Pune) को देश का सर्वश्रेष्ठ जीने योग्य शहर घोषित किया गया। शहरों का आकलन चार पैमानों पर किया गया- शासन द्वारा दी जा रही सुविधाएं, सामाजिक आधिकारिक संरचना, आर्थिक कारक और भौतिक मूल ढांचा। शासन द्वारा दी जा रही सुविधाओं में नवी मुंबई, तिरुपति और करीमनगर (तेलंगाना) शिखर पर रहे, चंडीगढ़, अजमेर और कोटा ने आर्थिक कारक श्रेणी में स्थान बनाया; सामाजिक आधिकारिक संरचना में तिरुपति ने प्रथम स्थान पाया। ग्रेटर मुंबई, पुणे और नासिक भौतिक मूल ढांचा श्रेणी में प्रमुख तीन शहर चुने गए।
जीवन सुगमता मूल्यांकन मानक टिकाऊ लक्ष्यों से बहुत गहरे जुड़े हुए हैं और शहरी क्षेत्रों में इनकी नियमित जांच का जो कदम भारत ने उठाया है उसे यह प्रेरणा देते रहेंगे।
जीवन सुगमता सूचकांक 2018: रामपुर सबसे नीचे पायदान पर
नवाबों का शहर रामपुर जो अपने इतिहास और भूगोल के कारण एक धरोहर माना जाता है, जीवन सुगमता सूचकांक में उसका सबसे खराब शहर के रूप में चुने जाने पर चौकाना स्वाभाविक है। अच्छे अस्पतालों, स्कूलों के अभाव और बिजली की चोरी इसके पीछे के मुख्य कारण हैं। रामपुर का मूलभूत ढांचा बताता है कि स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए कमरे नहीं है और कचरा प्रबंधन की कोई व्यवस्था नहीं है। अस्पतालों में इलाज की सुविधाओं का घोर अभाव है। लोगों के लिए यातायात साधन नहीं है। प्रशासन के दावों के बावजूद बसों की कोई व्यवस्था नहीं है। शहर के एक वकील के अनुसार नगर निगम ने कचरे से बिजली बनाने का वायदा किया था, लेकिन हालत यह है कि कूड़ा हर जगह है, बिजली कहीं नहीं है। छानबीन से पता चला है कि शहर के किसी भी सरकारी- गैर सरकारी अस्पताल में एम आर आई मशीन (MRI Machine) नहीं है। लोहा के कस्तूरबा आवासीय स्कूल में 147 छात्रों के लिए 2 कक्षाएं हैं, बैठने के लिए बेंचे नहीं है, न ही बिजली का कनेक्शन। बच्चों द्वारा स्कूल की सफाई कराई जाती है। प्रशासन की माने तो शहर में सीएनजी द्वारा चालित टेंपो चलाने के प्रस्ताव पर काम चल रहा है। बिजली की चोरी धड़ल्ले से हो रही है। 14 अप्रैल, 2020 से 31 मई, 2020 तक 478 एफ आई आर पुलिस विभाग में दर्ज हो चुकी हैं।
रामपुर क्यों है सबसे बड़ा शहर?
जीवन सुगमता सूचकांक बहुत से मूलभूत ढांचे को ध्यान में रखकर तैयार किया गया था, जैसे की सड़कें, बिजली, स्वच्छता, इलाज की सुविधा आदि। अखिलेश यादव के शासन में कैबिनेट मंत्री आजम खान रामपुर का प्रतिनिधित्व करते थे। 2004-14 तक प्रसिद्ध अभिनेत्री जयाप्रदा रामपुर से सांसद रही। लेकिन इससे शहर का कोई भला नहीं हुआ। शहर की आबादी 3.25 लाख है। रामपुर अपनी नवाबी शान पूरी तरह खो चुका है और देश के सबसे खराब शहर का तमगा भी उसे मिला है। यहां के निवासियों के अनुसार यह शहर सिर्फ नाम का रह गया है, वरना यह एक अराजक गांव है जहां मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है। मुख्य सफाई अधिकारी के अनुसार सफाई कर्मचारियों की जबरदस्त कमी के चलते कूड़ा निस्तारण का काम ठीक से नहीं चल रहा। 355 की जगह 200 से भी कम सफाई कर्मचारी हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अनुसार अस्पतालों में 2 मरीज एक बेड पर भर्ती हैं। रोज 4000 के लगभग मरीज आते हैं, सिर्फ 13 डॉक्टर उनका इलाज करते हैं। यहाँ विशेषज्ञ नहीं हैं जैसे कि ह्रदय रोग विशेषज्ञ, न्यूरोलॉजिस्ट(Neurologist), त्वचा रोग विशेषज्ञ, ENT स्पेशलिस्ट(ENT Specialist) आदि। डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को अलीगढ़ और मेरठ इलाज के लिए रेफेर(Refer) किया जाता है। स्कूलों में पढ़ाई बिना कोर्सबुक के होती हैं तथा 2 कक्षाएं एक ही कमरे में चलती हैं। स्थानीय नागरिकों के अनुसार-’ यह समस्याएं तो हिमखंड की नोक भर हैं, अगर हम सभी मापदंडों को लागू करके देखें तो रामपुर के बदहाल नागरिक जीवन पर कई खंडों की किताब लिखी जा सकती है।
चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में शहरीकरण को दिखाया गया है। (Youtube)
दूसरे चित्र में शहरों में जीवन सुगमता को संदर्भित किया गया है। (Flickr)
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