चींटी एक ऐसा प्राणी है, जो सम्भवतः हर स्थान में पायी जाती है। अन्य सभी जानवरों को पीछे छोडते हुए, इन्हें सबसे सफल प्राणियों में से एक माना जाता है। चींटियां पृथ्वी पर तब से मौजूद हैं, जब से डायनासोर (Dinosaurs) पृथ्वी पर मौजूद थे। प्रकृति में इनकी उपस्थिति बगीचे और पर्यावरण की भलाई के लिए आवश्यक हैं। चींटियाँ फॉर्मिसिडी (Formicidae) परिवार से सम्बंधित हैं तथा क्रेटेशियस (Cretaceous) काल में वास्पॉइड (Vespoid (पंखों वाला कीट) जिसकी कमर संकीर्ण होती है तथा इसमें डंक पाया जाता है) ततैया पूर्वजों से विकसित हुई हैं। अनुमानित 22,000 प्रजातियों में से चींटियों की 12,500 से अधिक प्रजातियों को वर्गीकृत किया जा चुका है। वे अपने एंटीना (Antennae) और विशिष्ट नोड (Node) जैसी संरचना, जो उनकी कमर को पतला बनाता है, के द्वारा पहचाने जाते हैं। चींटियां कालोनियों (Colonies) का निर्माण करती हैं, जो विविध आकार में होती हैं। बड़ी कॉलोनियों में जीवाणुरहित (Sterilized), पंखहीन चींटी महिलाओं की विभिन्न जातियाँ शामिल हैं, जिनमें से अधिकांश कार्यकर्ता, सैनिक (डिनर्जेट्स-Dinergates) और अन्य विशिष्ट समूह हैं। लगभग सभी चींटी कालोनियों में कुछ प्रजननक्षम भी होते हैं, जिन्हें ‘ड्रोन’ (Drones) कहा जाता है। एक या अधिक प्रजननक्षम मादाओं को ‘रानियां’ कहा जाता है। चींटियों ने पृथ्वी पर लगभग हर भू-भाग में कॉलोनियों का निर्माण किया है। केवल रानी चींटियों की कमी के कारण अंटार्कटिका और कुछ दूरदराज या दुर्गम द्वीप में ये नहीं पाये जाते हैं। चींटियां अधिकांश पारिस्थितिक तंत्रों में पनपती हैं और स्थलीय पशु बायोमास (Biomass) का 15-25% हिस्सा बन सकती हैं। अपने सामाजिक संगठन और आवास, संसाधनों का दोहन, और खुद का बचाव करने की उनकी क्षमता के कारण वे विभिन्न वातावरण में सफलतापूर्वक विचरण करने में सक्षम हैं। चींटी समाजों में श्रम विभाजन, संचार और जटिल समस्याओं को हल करने की क्षमता है तथा मानव समाज के साथ ये समानताएं लंबे समय तक एक प्रेरणा और अध्ययन का विषय रही हैं। कई मानव संस्कृतियाँ चींटियों का उपयोग भोजन, दवा और अनुष्ठानों में करती हैं। कुछ प्रजातियों को जैविक कीट नियंत्रण कारकों के रूप में मूल्यवान माना जाता है।
चींटियों की विभिन्न विशेषताओं के कारण इनका पालन किया जाता है। चींटी-पालना एक शौक है, जिसके अंतर्गत चींटियों की कॉलोनियों (Colonies) की देखभाल, सुरक्षा और अवलोकन किया जाता है। चींटी रखवाले चींटी के व्यवहार का अवलोकन करने के उद्देश्य से चींटियों को कैद में रखने का विकल्प चुन सकते हैं। इसके अलावा इनका पालन पालतू जीव के रूप में भी किया जा सकता है। जो लोग चींटियों को पालते हैं, वे उन्हें वैज्ञानिक उद्देश्यों और प्रयोगों के लिए भी रख सकते हैं। चींटी कॉलोनी को शुरू करने, उसकी देखभाल करने, और उनके लिए आवास बनाने के विभिन्न तरीके हैं। चींटी को पालने के लिए सबसे पहले एक निषेचित रानी चींटी को पकड़ना होता है। रानी चींटी की पहचान इसके वक्ष भाग और पेट से की जा सकती है, जो कि श्रमिक चींटी से अपेक्षाकृत बडे होते हैं, इस आधार पर हम दोनों में भेद कर सकते हैं। क्लॉस्ट्रल (Claustral) प्रजातियों के लिए, रानी चींटी को एक अंधेरे, छोटे कंटेनर (Container) में सील (Sealed) किया जाना चाहिए, जिसमें पानी अधिकता में होना चाहिए। इस प्रकार का वातावरण प्रदान करने के लिए एक परीक्षण नलिका, कुछ पानी और दो कपास गेंदों (Cotton balls) का उपयोग किया जाता है। जब चींटिया अंडे देती हैं तब इस घोंसले कोष्ठ (Nesting chamber) को एक महीने के लिए अंधेरे में रखा जाना चाहिए। इसके बाद चींटियों को एक बड़े आवास में ले जाया जाता है। अंततः (लगभग 25 कार्यकर्ता चींटियों पर), कॉलोनी को एक बड़े आवास जैसे फॉर्मिकैरियम (Formicarium) में स्थानांतरित किया जाना चाहिए। चींटियाँ कई पारिस्थितिक भूमिकाएं निभाती हैं जो मनुष्यों के लिए फायदेमंद होती हैं, जैसे कीट आबादी का दमन, मिट्टी का वातन आदि। दक्षिणी चीन में सिट्रस (Citrus) की खेती में वीवर (Weaver) चींटियों का उपयोग जैविक नियंत्रण के सबसे पुराने ज्ञात अनुप्रयोगों में से एक माना जाता है। दुनिया के कुछ हिस्सों (मुख्य रूप से अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका) में, बड़ी चींटियों, विशेष रूप से सेना की चींटियों को सर्जिकल टांके (Surgical sutures) के रूप में उपयोग किया जाता है। इसमें घाव को एक साथ दबाया जाता है और चींटियों को इसके साथ लगाया जाता है। कुछ चींटियों जहरीली भी होती हैं और वे चिकित्सा महत्व की होती हैं। दक्षिण अफ्रीका में, हर्बल चाय बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पौधे रूइबोस (Rooibos) के बीज को निकालने के लिए भी चींटियों का उपयोग किया जाता है। वातावरण के लिए चींटियां फायदेमंद साबित होती हैं। अधिकांश चींटियां जमीन में घोंसला बनाती हैं और मिट्टी को चीर कर सुरंगों की एक भूलभुलैया खोदती हैं। इससे पौधों की जड़ों को नमी प्राप्त होती है। चींटियां अपघटक के रूप में भी कार्य करती हैं क्योंकि ये भोजन के लिए जैविक कचरे, कीड़े या अन्य मृत जानवरों पर निर्भर रहती हैं। इस प्रकार चीटियां पर्यावरण को साफ रखने का कार्य करती हैं। कई चींटियाँ शिकारी होती हैं और उन कीटों को खाती हैं जो लॉन (Lawns) और बगीचों को नुकसान पहुंचाते हैं। भोजन इकट्ठा करने की प्रक्रिया में, वे अक्सर फूलों को परागित करते हैं और बीज वितरित करती हैं। चींटियाँ कई अन्य कीटों, पक्षियों, और स्तनधारियों के लिए भोजन का स्रोत होती हैं, जो पारिस्थितिकी के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। बगीचे में चींटियों का अचानक आ जाना आमतौर पर पौधों पर हमला करने वाले एफिड्स (Aphids), माइलबग्स (Milebugs) या अन्य कीटों की उपस्थिति को इंगित करता है। भारत में चीटियों की अनेक प्रजातियां पायी जाती हैं, जैसे मेरनोप्लस बाइकलर (Meranoplus bicolor), एनोप्लोलेपिस ग्रैसिलिप्स (Anoplolepis gracilipes), अफेनोगेस्टर बेकेरी (Aphaenogaster beccarii), क्रैमाटोगस्टर रोथनी मेयर (Crematogaster rothneyi Mayr) आदि।© - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.