मानव का जन्म पृथ्वी के सबसे अंत में हुए बदलावों में से एक है, यह भी कहा जा सकता है कि मानव का जन्म पृथ्वी पर पाए जाने वाले समस्त प्राणियों से बहुत बाद में हुआ। एक समय यह हुआ करता था कि पृथ्वी पर जीवन की कोई संभावना न थी, परन्तु जल की वर्षा ने विभिन्न प्रकार के जीवों के उद्भव के लिए दरवाज़े खोल दिए। शुरुआती जीव एक अत्यंत सुलझा हुआ जीव हुआ करता था लेकिन कालांतर में विकास के साथ-साथ कई गूढ़ जीवों का जन्म हुआ। जीवों के विकास ने ऐसा बदलाव लिया कि मानो पूरा संसार एक ही राग में चल रहा था और वह था जीवन जीने के लिए अपने-आप को बदलना।
आज जिस प्रकार के मानवों को हम देखते हैं या जिस प्रकार की शारीरिक संरचना को हम लेकर आगे बढ़ रहे हैं, वह बहुत ही नयी है। मानव का विकास और डाइनासोरों का पतन पृथ्वी पर होने वाली दो बहुत ही महत्वपूर्ण घटनाएं हैं। इन घटनाओं को समझने के लिए हमें लाखों साल पहले तक का सफ़र तय करना पड़ेगा। सेनोज़ोइक युग (Cenozoic Era) ही वह युग था जिसमें आज पाए जाने वाले सबसे ज्यादा जीवों का विकास हुआ था। सेनोज़ोइक युग की शुरुवात 6.6 करोड़ साल पहले हुयी थी। यह युग तब से अभी तक चल रहा है लेकिन कुछ बातें अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इस युग के शुरूआती समय में पूरी पृथ्वी का वातावरण काफी गर्म हुआ करता था तथा ज्यादातर भाग उष्णकटिबंधीय भागों में विभाजित था।
प्रस्तुत चित्र में भिन्न युगों एवं कालों का क्रम दर्शाया गया है:
सेनोज़ोइक युग के शुरूआती 1 करोड़ साल में बड़े पैमाने पर जीवों का विलोपन हुआ। यह काल पेलियोजीन काल (Paleogene Period) के रूप में जाना जाता है। इस काल में डाइनासोर और समुद्र में रहने वाले समस्त बड़े सरीसृप ख़त्म हो चुके थे। सेनोज़ोइक युग के शुरुवाती 1 करोड़ साल को पालिओसीन इपोक (Paleocene Epoch) नाम से जाना जाता है। इस काल में बड़ी संख्या में जीवों का विकास हुआ जैसा कि माउसबर्ड (Mousebird) का विकास त्सिदियाज्ही (Tsidiiyazhi) नामक चिड़िया के रूप में हो गया था।
इसी प्रकार मानवों के सबसे पहले विकास की कड़ी जिसमें लीमर (Lemur) को लिया जा सकता है का विकास हुआ। कई वैज्ञानिक इसको हमारा सीधा पूर्वज नहीं मानते परन्तु इसकी शारीरिक संरचना से शुरूआती मानव की शारीरिक संरचना के कुछ गुण धर्म मिलते थे। इस काल की समाप्ति के बाद इयोसीन इपोक (Eocene Epoch) इपोक की शुरुआत हुयी जिसमें पृथ्वी का तापमान करीब 8 डिग्री तक बढ़ गया था। इस काल में भी जीवों में कई बदलाव आये। मिओसीन इपोक (Miocene Epoch) के साथ पृथ्वी के अन्दर की प्लेटों ने खिसकना शुरू किया जो आज भी शुरू है। इसी काल में कई पहाड़ों की स्थापना भी हुयी। यह वही काल था जब अफ्रीका में वनमानुशों का विकास शुरु हुआ और घास के मैदानों का विस्तार हुआ।
इस काल में वनमानुषों जैसे ओरांगुतान, गोरिल्ला, चिम्पांजी आदि का विकास हुआ और इसके बाद मानव का जीवन संभव हुआ। जो करीब 50 लाख साल पहले हुआ। इस काल के बाद प्लियोसीन इपोक (Pliocene Epoch) की शुरुआत हुयी। इस काल में मानव के पूर्वजों ने घास के मैदानी भाग में अपना पहला कदम रखा। ऑस्ट्रेलोपिथेकस (Australopithecus), हमारे शुरूआती पूर्वज थे जो कि 40 लाख साल पहले प्रकाश में आए। शोधकर्ताओं की मानें तो ये शुरूआती होमिनिड या हमारे पूर्वज घास को पचाने की क्षमता रखते थे। समय के साथ वे दौड़ने की प्रक्रिया की शुरुआत कर चुके थे और शिकार भी सीख गए थे। और वे हथियार बनाने की प्रक्रिया की शुरुआत कर चुके थे।
28 लाख साल पहले हमारे पहले होमो मानव का जन्म हुआ जो कि इथियोपिया से प्राप्त हुआ था। भारत में सबसे पुराना मानव नर्मदा की घाटी से प्राप्त हुआ था जिसे होमो इरेक्टस नर्मादेन्सिस (Homo Erectus Narmadensis) के नाम से जाना जाता है। इस मानव को हथनोरा मानव के नाम से भी जाना जाता है। प्रस्तुत चित्र इस होमो इरेक्टस मानव की खोपड़ी प्रदर्शित करता है:
रामपुर हिमालय की तराई में बसा हुआ है। यहाँ पर बड़ी मात्रा में बदलाव सेनोज़ोइक युग में हुआ था। इसके बाद वर्तमान काल अर्थात क्वाटरनरी काल (Quaternary Period) की शुरुआत हुई थी। हिमालय के पास शिवालिक श्रृंखला से ही शिवापिथेकस (Sivapithecus) का जीवाश्म मिला था। ये सारे प्रमाण भारत में मानव के विकास को प्रदर्शित करते हैं।
संदर्भ:
1. https://www.facebook.com/EonsPBS/videos/601919620183459/
2. अंग्रेज़ी पुस्तक: Lambert, David. 1985. The World Before Man, Orbis Publishing Limited.
3. अंग्रेज़ी पुस्तक: Randhawa, M.S. 1969. The Evolution of Life, Publications & Information Directorate.
4. http://www.pnas.org/content/pnas/105/42/16065.full.pdf
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