Post Viewership from Post Date to 02-Dec-2024 (31st) Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2504 53 2557

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

भारत और मिस्र के बीच ऐतिहासिक संबंधों का प्रमाण है, मिस्र में मिली बुद्ध की मूर्ति

रामपुर

 01-11-2024 09:13 AM
धर्म का उदयः 600 ईसापूर्व से 300 ईस्वी तक
प्राचीन काल से ही हमारे देश भारत और मिस्र के बीच चले आ रहे संबंध, व्यापार, कूटनीति और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के समृद्ध इतिहास को दर्शाते हैं। दोनों सभ्यताएँ, जो दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक हैं, व्यापार मार्गों के माध्यम से मसालों, वस्त्रों और कीमती पत्थरों जैसी वस्तुओं का आदान-प्रदान करती थीं। व्यापार के माध्यम से इस आदान-प्रदान के द्वारा विचारों और ज्ञान का प्रवाह भी सुनिश्चित हुआ, जिससे दोनों देशों की संबंधित कलाओं और विज्ञानों पर प्रभाव पड़ा। इन दो महान संस्कृतियों के बीच ऐतिहासिक आदान-प्रदान वैश्विक विरासत और ज्ञान में उनके साझा योगदान में आज भी प्रतिबिंबित होता है। क्या आप जानते हैं कि प्राचीन मिस्र के बंदरगाह शहर बेरेनिके (Berenike) में गौतम बुद्ध की एक मूर्ति है, जो रोमन युग के दौरान भारत और मिस्र के बीच धार्मिक एवंसांस्कृतिक आदान-प्रदान और संबंधों पर प्रकाश डालती है। तो आइए, आज बेरेनिके में गौतम बुद्ध की मूर्ति के बारे में जानते हुए, इन दो प्राचीन सभ्यताओं के बीच ऐतिहासिक संबंधों के विषय में समझते हैं और व्यापार और साझा ज्ञान के माध्यम से उनके गहरे संबंधों पर चर्चा करते हैं। अंत में, हम वर्तमान समय में भारत और मिस्र के बीच व्यापार के विकास पर भी चर्चा करेंगे।
प्राचीन मिस्र के बंदरगाह शहर बेरेनिके में मिली गौतम बुद्ध की स्थिति-
प्राचीन इतिहास, अंतर-सांस्कृतिक संबंधों के उदाहरणों से भरा पड़ा है। इसका एक अनुस्मारक लाल सागर पर प्राचीन मिस्र के बंदरगाह शहर बेरेनिके में राजकुमार सिद्धार्थ या गौतम बुद्ध की 1,900 साल पुरानी मूर्ति के रूप में पाया गया है। मूर्ति की यह खोज रोमन मिस्र और भारतीय उपमहाद्वीप के बीच व्यापार संबंधों पर प्रकाश डालती है।
'पर्यटन और पुरावशेष मंत्रालय' (Ministry of Tourism and Antiquities) के अनुसार, एक पोलिश-अमेरिकी मिशन के तहत, बेरेनिके में एक प्राचीन मंदिर की खुदाई के दौरान "रोमन युग की एक मूर्ति" प्राप्त हुई है। 2 फ़ुट ऊंची यह मूर्ति अपनी तरह की पहली मूर्ति है, जो भूमध्यसागरीय संगमरमर से बनी है, जो अफ़ग़ानिस्तान के पश्चिम में पाया जाता है। इसके अलावा, यहां मध्य भारतीय साम्राज्य 'सातवाहन' के दूसरी शताब्दी के दो सिक्के भी पाए गए।
मूर्ति की यह खोज बेहद अहम है। शैलीगत विवरण के आधार पर, शोधकर्ताओं का मानना है कि इसे दूसरी शताब्दी ईसवी के आसपास अलेक्ज़ेंड्रिया में बनाया गया था। प्रतिमा की एक प्रमुख विशेषता इसके सिर के चारों ओर का प्रभामंडल है, जो सूर्य की किरणों से ढका हुआ है, जो बुद्ध के उज्ज्वल मस्तिष्क को दर्शाता है। बुद्ध की यह मूर्ति खड़ी अवस्था में है और इसमें बुद्ध को अपने बाएँ हाथ में अपने वस्त्र का कुछ भाग पकड़े हुए दिखाया गया है। उनके बगल में एक कमल का फूल भी है।
बेरेनिकेकी स्थापना तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में हुई थी और यह रोमन साम्राज्य का केंद्रीय व्यापार मार्ग था। अंततः यह रोमन-नियंत्रित मिस्र में सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक बन गया। पुरावशेष मंत्रालय से पता चलता है कि इसी कारण से इस शहर से कई वर्षों तक हाथी दांत, कपड़ा और अर्ध-कीमती धातुएँ जैसे सामान निकलते थे, जिनके कारण रोमन साम्राज्य और भारत के बीच एक वाणिज्यिक संबंध स्थापित हुआ।
भारत और मिस्र के बीच ऐतिहासिक संबंध-
ऐतिहासिक भारत और प्राचीन मिस्र के बीच संपर्क और व्यापार का एक लंबा इतिहास रहा है। प्राचीन भारत के साथ मिस्र का सबसे पहला ज्ञात संपर्क सिंधु घाटी सभ्यता के साथ था। रोमन काल तक, मिस्र और भारत के बीच व्यापारिक संबंध रहे हैं । भारत के बारे में मिस्र का अधिकांश ज्ञान अरजैद और टॉलेमिक काल से शुरू होता है। इसी समय के दौरान तीन फ़िरौन, अलेक्ज़ैंडर, टॉलमी प्रथम सोटर और सीज़ेरियन ने भारत का दौरा किया। हेलेनिस्टिक काल के दौरान ही, मिस्र में बौद्ध धर्म सहित नए सांस्कृतिक प्रभावों की भी शुरुआत हुई। प्रारंभिक रोमन काल तक मिस्र में बौद्ध धर्म का विस्तार हुआ।
प्राचीन युग के बाद, स्वेज़ नहर के निर्माण के साथ, आधुनिक युग में भी भारत की मिस्र के व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका बनी रही। तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व तक, लापीस लाज़ुली व्यापार आधुनिक पाकिस्तान, पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान और उत्तर-पश्चिमी भारत की सिंधु घाटी सभ्यता में हड़प्पा, लोथल और मोहनजो-दारो तक फैल गया। उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान में शॉर्टुगई की सिंधु घाटी कॉलोनी लापीस लाज़ुली खनन और व्यापार का केंद्र थी। सिंधु घाटी को मेलुहा के नाम से भी जाना जाता था, जो मेसोपोटामिया में सुमेरियों और अक्कादियों का सबसे पहला समुद्री व्यापारिक भागीदार था।
2400 ईसा पूर्व के आसपास, भारत के लोथल में निर्मित प्राचीन बंदरगाह ज्ञात सबसे पुराने समुद्री बंदरगाहों में से एक है। लोथल में टेरा-कोट्टा से बने एक खेल का एक पूरा सेट पाया गया है, जिसमें जानवरों की आकृतियाँ, हाथी दांत के हैंडल वाले पिरामिड और महल जैसी वस्तुएं शामिल हैं। यह मिस्र में रानी हत्शेपसुत (Queen Hatshepsut) के शतरंज सेट के समान है। इसके अतिरिक्त, पांडियन, चोल और चेर राजवंशों के तमिल राज्यों के टॉलेमिक राजवंश के समय से ही ग्रीको-रोमन दुनिया के साथ व्यापारिक संबंध थे। विल डुरैंट के अनुसार, मौर्य सम्राट अशोक ने टॉलेमी द्वितीय फिलाडेल्फ़स के शासनकाल के दौरान मिस्र, सीरिया और ग्रीस में बौद्ध मिशनरियों को भेजा था। इसे बौद्ध धर्म और मिस्र के बीच सबसे पहला ज्ञात संबंध माना जा सकता है। रोमन काल के दौरान मिस्र भारत के बीच व्यापार का अत्यंत विस्तार हुआ। रोमन काल के दौरान फ़िलो (Philo), लूसियन (Lucian) और क्लेमेंट (Clement) जैसे मिस्र के विद्वान बौद्ध धर्म से भली भांति परिचित थे।
भारत और मिस्र के बीच व्यापार की वर्तमान स्थिति:
भारत और मिस्र के बीच व्यापार की वर्तमान स्थिति को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:
व्यापार की मात्रा: वित्तीय वर्ष 2022-23 में, भारत और मिस्र के बीच 6,061 मिलियन डॉलर का कुल व्यापार हुआ। हालाँकि, इस आंकड़े में पिछले वर्ष की तुलना में 17% की गिरावट देखी गई, जिससे व्यापार संबंधों में अस्थायी झटके की अटकलें लगाई गईं।
व्यापार संरचना: दोनों देशों के बीच व्यापार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पेट्रोलियम से संबंधित है, जो कुल व्यापार का लगभग एक तिहाई है। पेट्रोलियम के अलावा, व्यापार में अन्य प्रमुख वस्तुओं में परिष्कृत पेट्रोलियम, गेहूं (जैसा कि मिस्र दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं आयातक है), कारें, मक्का और फ़ार्मास्यूटिकल उत्पाद शामिल हैं।
व्यापार रैंकिंग: भारत मिस्र का छठा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जो मिस्र के बाज़ार में इसके महत्व को दर्शाता है। हालाँकि, भारत के समग्र व्यापार संबंधों के मामले में, मिस्र 38वें स्थान पर है, जो आगे विस्तार और विविधीकरण की संभावना को दर्शाता है।
निवेश परिदृश्य: भारत द्वारा मिस्र में लगभग 50 परियोजनाओं में निवेश किया गया है, जिसका कुल निवेश मूल्य 3.15 बिलियन डॉलर है। गौरतलब है कि इस निवेश का एक बड़ा हिस्सा एक ही कंपनी द्वारा किया गया है। इसके विपरीत, भारत में मिस्र का निवेश, $37 मिलियन है।
मिस्र में भारतीयों की उपस्थिति: मिस्र में लगभग 5,000 से भी कम भारतीय रहते हैं, जिनमें से लगभग 20% छात्र हैं। इस तथ्य से, देश में भारतीय समुदाय की अपेक्षाकृत कम उपस्थिति का संकेत मिलता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/4t7zzzdf
https://tinyurl.com/364nm8uk
https://tinyurl.com/32z4j4ux

चित्र संदर्भ
1. बेरेनिके, मिस्र में मिली गौतम बुद्ध की प्रतिमा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. मानचित्र में बेरेनिके को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. भारतीय संग्रहालय, कोलकाता में मिस्र की मानव ममी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. बेरेनिके में मिली गौतम बुद्ध की प्रतिमा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)


***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए आनंद लें, फ़ुटबॉल से जुड़े कुछ मज़ेदार चलचित्रों का
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:23 AM


  • मोरक्को में मिले 90,000 साल पुराने मानव पैरों के जीवाश्म, बताते हैं पृथ्वी का इतिहास
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:31 AM


  • आइए जानें, रामपुर के बाग़ों में पाए जाने वाले फूलों के औषधीय लाभों और सांस्कृतिक महत्व को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:19 AM


  • वैश्विक हथियार निर्यातकों की सूची में, भारत कहाँ खड़ा है?
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:22 AM


  • रामपुर क्षेत्र के कृषि विकास को मज़बूत कर रही है, रामगंगा नहर प्रणाली
    नदियाँ

     18-12-2024 09:24 AM


  • विविध पक्षी जीवन के साथ, प्रकृति से जुड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है रामपुर
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, कैसे हम, बढ़ते हुए ए क्यू आई को कम कर सकते हैं
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:31 AM


  • आइए सुनें, विभिन्न भारतीय भाषाओं में, मधुर क्रिसमस गीतों को
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:34 AM


  • आइए जानें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर दी गईं स्टार रेटिंग्स और उनके महत्त्व के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:27 AM


  • आपातकालीन ब्रेकिंग से लेकर स्वायत्त स्टीयरिंग तक, आइए जानें कोलिझन अवॉयडेंस सिस्टम के लाभ
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     13-12-2024 09:24 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id