Post Viewership from Post Date to 04-Oct-2024 (31st) day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2323 67 2390

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

पुलिस की कार्यवाही से असंतुष्ट शिकायतकर्ता, किसका दरवाज़ा खटखटा सकता हैं?

रामपुर

 03-09-2024 09:20 AM
आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक
अशांत और अराजक समाज अपनी ऊर्जा और क्षमता को अनुचित कृत्यों में बर्बाद करते हैं। इसके विपरीत, सुरक्षा और व्यवस्था वाले समाज विकसित और समृद्ध होते हैं । किसी भी समाज की सुरक्षा, संरक्षा, और व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस की भूमिका बहुत अहम होती है। लेकिन जब पुलिस ही अपना काम सही तरीके से नहीं करती, तो नागरिकों के पास क्या विकल्प होते हैं ? यदि पुलिस ही केस की जांच में आनाकानी अथवा देरी करे तो क्या करें?
इस लेख में हम पुलिस की जिम्मेदारियों और नागरिकों के पास उपलब्ध कानूनी उपायों पर चर्चा करेंगे। साथ ही हम यह भी जानेंगे कि क्या सीबीआई पुलिस की जांच कर सकती है?
भारत में, आपराधिक प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाला कानून, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 द्वारा विनियमित किया जाता है। संहिता की धारा 173(1) में कहा गया है कि पुलिस द्वारा प्रत्येक केस की जाँच बिना किसी अनावश्यक देरी के पूरी होनी चाहिए। उच्च न्यायालय ने माना कि यह जाँच निष्पक्ष, शीघ्र, पारदर्शी और विवेकपूर्ण होनी चाहिए। यह नियम, अपराध से पीड़ित और अपराधी दोनों पर लागू होता है। एक ऐसी जाँच जो अप्रभावी, अनुचित, अस्पष्ट, ग़ैर-जिम्मेदार या बहुत लंबे समय तक की जा रही है, उसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत कानून के मौलिक नियम का उल्लंघन माना जाता है। उच्च न्यायालय ने संकेत दिया कि शिकायतकर्ता या पीड़ित और जिस पर अपराध का संदेह है, दोनों ही पुलिस की निष्क्रियता के विरुद्ध अपील कर सकते हैं। साक़िरी वासु बनाम उत्तर प्रदेश राज्य केस में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का संदर्भ दिया गया। इस मामले में कहा गया कि यदि मजिस्ट्रेट को लगता है कि प्रभारी अधिकारी द्वारा उचित जाँच नहीं की जा रही है, तो मजिस्ट्रेट, अधिकारी को उचित जाँच करने का निर्देश दे सकता है। मजिस्ट्रेट जाँच की निगरानी भी कर सकताहै।
यदि किसी व्यक्ति को लगता है कि उसके केस की उचित जाँच नहीं की गई है, तो वह पुलिस अधीक्षक या किसी अन्य वरिष्ठ अधिकारी से संपर्क कर सकता है। यदि ज़रूरत हो तो वरिष्ठ अधिकारी को जाँच करने का अधिकार है।
इस प्रकार, उच्च न्यायालय ने कहा कि कोई भी शिकायतकर्ता या पीड़ित, पुलिस जाँच की निगरानी के लिए संबंधित मजिस्ट्रेट को आवेदन कर सकता है। मजिस्ट्रेट जाँच को शीघ्र पूरा करने के लिए उचित निर्देश जारी कर सकता है।
इसके अतिरिक्त, जाँच अधिकारी के ख़िलाफ़ जानबूझकर जाँच करने के तरीके को नियंत्रित करने वाले किसी भी कानून की अवहेलना करने के लिए शिकायत दर्ज की जा सकती है। भारतीय दंड संहिता की धारा 166ए के तहत ऐसे अधिकारी को छह महीने से दो साल तक कठोर कारावास की सज़ा और जुर्माना हो सकता है। वैकल्पिक रूप से, शिकायतकर्ता या पीड़ित उच्च न्यायालय में जाँच को सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी को स्थानांतरित करने के लिए याचिका दायर कर सकता है।
पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की पहली सीढ़ी को प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) के नाम से जाना जाता है। यह एक लिखित दस्तावेज़ है, जिसे पुलिस तब तैयार करती है, जब किसी संज्ञेय अपराध (Cognizable Offense) की सूचना मिलती है। एफआईआर दर्ज कराने के बाद ही पुलिस औपचारिक जांच शुरू करती है। इसे अपराध के शिकार व्यक्ति, गवाह, या कोई अन्य तीसरा पक्ष भी दर्ज करा सकता है।
क्या सीबीआई पुलिस की जाँच कर सकती है?
कुछ वर्ष पूर्व, सुप्रीम कोर्ट ने संघवाद पर एक महत्वपूर्ण फ़ैसला सुनाया था । उस समय सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा उठाई गई प्रारंभिक आपत्तियों को ख़ारिज कर दिया गया था । ये आपत्तियाँ पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा दायर एक मूल मुक़दमे की स्थिरता के ख़िलाफ़ थीं। यह मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा मामलों के पंजीकरण से संबंधित है, जबकि राज्य सरकार ने 16 नवंबर, 2018 को अपनी सहमति वापस ले ली थी। सीबीआई की इस कार्रवाई को राज्य सरकार द्वारा संवैधानिक अतिक्रमण क़रार दिया गया था। केंद्रीय जाँच ब्यूरो का गठन दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (DSPE) अधिनियम 1946 के तहत किया गया था। डीएसपीई अधिनियम की धारा 6 के तहत, केंद्रीय जाँच ब्यूरो की शक्तियों और अधिकार क्षेत्र को किसी भी राज्य में केवल उस राज्य की सरकार की सहमति से ही बढ़ाया जा सकता है।
एजेंसी की भूमिका अब सरकारी कर्मचारियों से जुड़े रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार तक सीमित नहीं है। अब इसे विशेष अपराधों, हाई-प्रोफाइल मामलों, आर्थिक अपराधों और अन्य भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों की जाँचकेलिएज़्यादा जानाजाताहै।
सीबीआई की स्थापना भारत सरकार द्वारा शुरू में सरकारी अधिकारियों, विशेष रूप से युद्ध और आपूर्ति विभाग से जुड़े लोगों से लेन-देन में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार की जाँच करने के लिए की गई थी। पुलिस बलों की अपर्याप्तता और सरकारी अधिकारियों से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों की ठीक से जाँच करने में पुलिस बलों की अक्षमता के कारण, एक अलग एजेंसी की आवश्यकता को पहचाना गया। जिसके कारण सीबीआई की स्थापना हुई थी, जो विशेष रूप से भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के मामलों पर केंद्रित थी।
सीबीआई ने खुद को हत्या, अपहरण और आतंकवाद जैसे जटिल मामलों को संभालने की विशेषज्ञता और संसाधनों के साथ भारत की अग्रणी जाँच एजेंसी के रूप में स्थापित किया है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय और देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों ने भी सीबीआई को उन मामलों की जाँच का जिम्मा सौंपा है, जहाँ अन्य जाँच एजेंसियों से असंतुष्ट पीड़ित पक्षों द्वारा याचिकाएँ दायर की गई हैं। संक्षेप में कहें तो पुलिस की कार्यवाही से असंतोष होने पर, आप वरिष्ठ अधिकारियों, न्यायालय या सीबीआई से मदद ले सकते हैं। जिसमें कानून आपको न्याय पाने के कई विकल्प देता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/23vu5x6p
https://tinyurl.com/2yfsqlw9
https://tinyurl.com/2cossdrx
https://tinyurl.com/2y28l52t
https://tinyurl.com/24xjx95v

चित्र संदर्भ
1. सुरक्षा बल के जवानों को संदर्भित करता एक चित्रण (rawpixel)
2. पुलिस की गाड़ी को संदर्भित करता एक चित्रण (rawpixel)
3. पुलिस थाने में स्वागत कक्ष को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. केंद्रीय जाँच ब्यूरो के लोगो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)


***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए आनंद लें, फ़ुटबॉल से जुड़े कुछ मज़ेदार चलचित्रों का
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:23 AM


  • मोरक्को में मिले 90,000 साल पुराने मानव पैरों के जीवाश्म, बताते हैं पृथ्वी का इतिहास
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:31 AM


  • आइए जानें, रामपुर के बाग़ों में पाए जाने वाले फूलों के औषधीय लाभों और सांस्कृतिक महत्व को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:19 AM


  • वैश्विक हथियार निर्यातकों की सूची में, भारत कहाँ खड़ा है?
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:22 AM


  • रामपुर क्षेत्र के कृषि विकास को मज़बूत कर रही है, रामगंगा नहर प्रणाली
    नदियाँ

     18-12-2024 09:24 AM


  • विविध पक्षी जीवन के साथ, प्रकृति से जुड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है रामपुर
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, कैसे हम, बढ़ते हुए ए क्यू आई को कम कर सकते हैं
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:31 AM


  • आइए सुनें, विभिन्न भारतीय भाषाओं में, मधुर क्रिसमस गीतों को
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:34 AM


  • आइए जानें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर दी गईं स्टार रेटिंग्स और उनके महत्त्व के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:27 AM


  • आपातकालीन ब्रेकिंग से लेकर स्वायत्त स्टीयरिंग तक, आइए जानें कोलिझन अवॉयडेंस सिस्टम के लाभ
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     13-12-2024 09:24 AM






  • © - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id