रामपुर के कई लोग, अब नियमित रूप से मोबाइल भुगतान करते हैं। 'मोबाइल भुगतान' शब्द का अर्थ है मोबाइल के माध्यम से किया जाने वाला भुगतान। मोबाइल भुगतान में मोबाइल वॉलेट (Mobile Wallet) और मोबाइल मनी ट्रांसफर (Mobile Money Transfer) का उपयोग शामिल है। मोबाइल भुगतान दो प्रकार के होते हैं: ऑनलाइन और एप के माध्यम से खरीदारी, और किसी ईंट-और-मोर्टार स्टोर में पीओएस टर्मिनल (POS Terminal) के माध्यम से भुगतान करना। तो आइए, आज मोबाइल भुगतान और उनके विभिन्न रूपों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं। हम जानेंगे कि वे क्या हैं और कैसे काम करते हैं? इसके अलावा, हम कुछ प्रचलित मोबाइल भुगतान के खतरों के बारे में बात करेंगे, जिनके बारे में हर व्यवसाय को सावधान रहना चाहिए। हम, इन मोबाइल भुगतान खतरों या समस्याओं के समाधान के बारे में भी बात करेंगे। अंत में, हम, भारत में सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले कुछ मोबाइल भुगतान ऐप्स के बारे में जानेंगे।
मोबाइल भुगतान का परिचय:
मोबाइल भुगतान, आम तौर पर किसी व्यक्ति, व्यापारी या व्यवसाय को बिल, सामान और सेवाओं के लिए, धन का हस्तांतरण या भुगतान होता है, जिसमें भुगतान को निष्पादित करने और पुष्टि करने के लिए मोबाइल का उपयोग किया जाता है। भुगतान उपकरण, एक डिजिटल (वर्चुअल या ई-वॉलेट (Virtual or E-Wallet)), मोबाइल ब्राउज़र (Mobile Browser) या सिम टूलकिट/मोबाइल मेनू (SIM Toolkit/Mobile Menu) हो सकता है।
मोबाइल भुगतान के प्रकार:
निकटता भुगतान: यह भुगतान करते समय, ग्राहक का मोबाइल फ़ोन और व्यापारी का भौतिक पीओएस (POS) या मोबाइल पीओएस, एक ही स्थान पर होता है । व्यापारी पीओएस, अपनी जगह पर उपस्थित (इन-स्टोर (In-Store)) या अनुपस्थित (स्व-चेक-आउट (Self-Check-Out)), और वेंडिंग मशीन (vending machines), जैसा मानव रहित स्टोर हो सकता है। दोनों स्थिति निकट क्षेत्र संचार (NFC) वॉलेट, क्यूआर बारकोड (QR Barcode) या ब्लूटूथ लो एनर्जी (Bluetooth Low Energy (BLE)) जैसी निकटता मोबाइल भुगतान तकनीक का उपयोग करके संवाद और लेन-देन करते हैं।
दूरस्थ भुगतान: यह भुगतान, किसी भी स्थान से कहीं भी दूरस्थ स्थान पर किया जाता है। दूरस्थ भुगतान, बिल भुगतान और उन व्यापारियों का समर्थन करता है जिनके पास भौतिक पीओएस नहीं होते हैं जैसे कि स्ट्रीट वेंडर (Street Vendor) और ऑनलाइन व्यापारी जिनकी भौतिक उपस्थिति नहीं है।
मोबाइल भुगतान कैसे काम करते हैं?
नियर- फ़ील्ड कम्युनिकेशन (Near-field communication), जिसे एनएफसी (NFC) के नाम से भी जाना जाता है, वह तकनीक है जो उपभोक्ताओं और व्यवसायों को बिना संपर्क के भुगतान करने और स्वीकार करने में सक्षम बनाती है। एनएफसी तकनीक का उपयोग, स्मार्टफ़ोन में एप्पल (Apple) और गूगल पे (Google Pay) जैसे अनुप्रयोगों के लिए भी किया जाता है।
संपर्क रहित भुगतान करते समय, एनएफसी तकनीक, आपके मोबाइल डिवाइस और पीओएस टर्मिनल के बीच, एक कनेक्शन स्थापित करती है। नज़दीकी रेडियो फ़्रीक्वेंसी (Frequency) का उपयोग करके, भुगतान डेटा, फ़ोन से कार्ड रीडर पर भेजा जाता है और, जब उपभोक्ता, पासकोड या फ़िंगरप्रिंट के माध्यम से अपनी पहचान सत्यापित कर लेता है, तो खाते से पैसे स्थानांतरित हो जाते हैं। पारंपरिक क्रेडिट कार्ड प्रोसेसिंग (Credit card processing) की तरह, कार्डधारक का कोई भी डेटा कार्ड से नहीं लिया जाता है |इसके बजाय, संवेदनशील डेटा को बदलने के लिए टोकनाइज़ेशन (Tokenization) का उपयोग किया जाता है
मोबाइल भुगतान के खतरे, जिनसे हर व्यवसाय को अवगत होना चाहिए:
1.) मैलवेयर: मैलवेयर (Malware), एक प्रकार का हानिकारक सॉफ़्टवेयर है जिसे कंप्यूटर, मोबाइल डिवाइस, या अन्य डिजिटल उपकरणों को नुकसान पहुंचाने, डेटा चुराने, या सिस्टम को बाधित करने के उद्देश्य से डिज़ाइन किया गया है। "मैलवेयर" शब्द "मैलिशियस सॉफ़्टवेयर" (Malicious Software) का संक्षिप्त रूप है।
मैलवेयर के विभिन्न प्रकार होते हैं, जैसे:
⁍ वायरस (Virus): यह एक प्रोग्राम होता है जो खुद को अन्य सॉफ़्टवेयर या फ़ाइलों में जोड़ देता है और सिस्टम में फैल जाता है।
⁍ वर्म (Worm): यह स्वयं को कॉपी करता है और बिना किसी होस्ट प्रोग्राम की सहायता के नेटवर्क के माध्यम से फैलता है।
⁍ ट्रोजन हॉर्स (Trojan Horse): यह एक प्रोग्राम होता है जो वैध सॉफ़्टवेयर की तरह दिखता है, लेकिन इसके अंदर हानिकारक कोड छिपा होता है।
⁍ स्पाइवेयर (Spyware): यह सॉफ़्टवेयर, गुप्त रूप से उपयोगकर्ता की गतिविधियों को ट्रैक करता है और डेटा को चुरा सकता है।
⁍ रैंसमवेयर (Ransomware): यह मैलवेयर, उपयोगकर्ता की फ़ाइलों को एन्क्रिप्ट कर देता है और फिर उन्हें डिक्रिप्ट करने के लिए फ़िरौती की मांग करता है।
मैलवेयर का उद्देश्य, कंप्यूटर सिस्टम को नुकसान पहुंचाना, डेटा चोरी करना, या उपयोगकर्ता की गोपनीयता का उल्लंघन करना हो सकता है। इससे बचने के लिए हमेशा एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर का उपयोग करना चाहिए और संदिग्ध वेबसाइटों या ईमेल अटैचमेंट्स से सावधान रहना चाहिए।
2.) फ़िशिंग: फ़िशिंग (Phishing), एक प्रकार की साइबर धोखाधड़ी है, जिसमें धोकेबाज़ लोग, नकली वेबसाइट, ईमेल, या मेसेज का उपयोग करके किसी व्यक्ति से उसकी संवेदनशील जानकारी, जैसे पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नंबर, बैंक खाते की जानकारी आदि, चुराने की कोशिश करते हैं।
फ़िशिंग हमले, आमतौर पर, इस तरह डिज़ाइन किए जाते हैं कि वे किसी विश्वसनीय स्रोत से आए हुए लगें, जैसे कि बैंक, सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म, या ई-कॉमर्स साइट्स। उदाहरण के लिए, आपको एक ईमेल प्राप्त हो सकता है जो दिखने में आपके बैंक से आया हुआ लगता है और उसमें एक लिंक होता है। जब आप उस लिंक पर क्लिक करते हैं, तो वह आपको एक नकली वेबसाइट पर ले जाता है, जहां आपको अपनी निजी जानकारी दर्ज करने के लिए कहा जाता है।
फ़िशिंग से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:
⁍ संदिग्ध ईमेल या मेसेज पर क्लिक न करें: किसी भी अनजान स्रोत से प्राप्त ईमेल, लिंक या अटैचमेंट्स को खोलने से बचें।
⁍ यूआरएल की जांच करें: अगर किसी वेबसाइट पर संवेदनशील जानकारी दर्ज करनी हो, तो पहले उस वेबसाइट के यूआरएल को ध्यान से जांचें कि वह सही है या नहीं।
⁍ दो-स्तरीय प्रमाणीकरण (Two-factor authentication) का उपयोग करें: अपने अकाउंट्स की सुरक्षा बढ़ाने के लिए इस सुविधा का उपयोग करें।
⁍ एंटीवायरस (Antivirus)और एंटी-फ़िशिंग सॉफ़्टवेयर (Anti-Phishing Software) का उपयोग करें: ये सॉफ़्टवेयर आपको फ़िशिंग वेबसाइटों और ईमेल से बचा सकते हैं।
फ़िशिंग का मुख्य उद्देश्य आपकी संवेदनशील जानकारी को चुराकर उसका दुरुपयोग करना होता है| इसलिए सतर्क रहना और आवश्यक सावधानियां बरतना बहुत महत्वपूर्ण है।
3.) सार्वजनिक वाईफ़ाई (WiFi) का उपयोग करना: सार्वजनिक वाईफ़ाई (WiFi) का उपयोग करना, कई प्रकार के साइबर सुरक्षा खतरों को बढ़ा सकता है।
यहां कुछ प्रमुख खतरे दिए गए हैं:
डेटा इंटरसेप्शन: सार्वजनिक वाईफ़ाई नेटवर्क, अक्सर असुरक्षित होते हैं, जिसका अर्थ है कि अन्य उपयोगकर्ता आपके द्वारा भेजे या प्राप्त किए गए डेटा को इंटरसेप्ट कर सकते हैं। हैकर्स, इस असुरक्षित नेटवर्क के माध्यम से आपके संवेदनशील डेटा, जैसे कि पासवर्ड, बैंक खाते की जानकारी, और व्यक्तिगत संदेशों तक पहुंच सकते हैं।
मैन-इन-द-मिडल अटैक (MITM): यह एक प्रकार का साइबर हमला है जिसमें हमलावर, आपके और सार्वजनिक वाईफ़ाई नेटवर्क के बीच हस्तक्षेप करके आपकी सभी गतिविधियों को ट्रैक कर सकता है। यह हमला बेहद खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इसे पहचान पाना मुश्किल होता है।
फ़ेक वाईफ़ाई हॉटस्पॉट: हैकर्स, कभी-कभी नकली वाईफ़ाई हॉटस्पॉट बनाते हैं, जो असली वाईफ़ाई नेटवर्क की तरह दिखते हैं। जब आप इस फ़ेक हॉटस्पॉट से कनेक्ट होते हैं, तो आपकी सभी ऑनलाइन गतिविधियां और डेटा, सीधे हैकर्स के पास पहुंच जाता है ।
मैलबोटिंग (Malware Injection): सार्वजनिक वाईफ़ाई नेटवर्क्स पर हैकर्स आपके डिवाइस में मैलवेयर (हानिकारक सॉफ़्टवेयर) इंजेक्ट कर सकते हैं। यह मैलवेयर, आपके डिवाइस के डेटा को चुरा सकता है, या आपके सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकता है।
लॉस्ट कनेक्शन: सार्वजनिक वाईफ़ाई नेटवर्क्स, आमतौर पर धीमे और अविश्वसनीय होते हैं, जिससे आपका कनेक्शन बार-बार टूट सकता है। इस दौरान, आपके द्वारा शुरू किए गए लेन-देन या संवेदनशील कार्य अधूरे रह सकते हैं, जो डेटा हानि या अन्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
4.) पहचान की चोरी: पहचान की चोरी तब होती है जब कोई व्यक्ति आपसे व्यक्तिगत जानकारी जैसे आपका नाम, पता, सामाजिक सुरक्षा नंबर, बैंक खाता संख्या और अन्य निजी डेटा प्राप्त करता है। एक बार यह जानकारी प्राप्त हो जाने के बाद, पहचान चोर इसका उपयोग आपके नाम पर नए खाते खोलने या आपके मौजूदा खातों से पैसे चुराने के लिए किया जा सकता है। पहचान की चोरी से खुद को बचाने के लिए, सुनिश्चित करें कि आप हमेशा अपनी व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षित रखें। बैंकिंग लेनदेन के लिए, सार्वजनिक वाईफ़ाई नेटवर्क का उपयोग करने से बचें और अपने ऑनलाइन खातों के लिए हमेशा पासवर्ड का उपयोग करें।
भारत में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले मोबाइल पेमेंट ऐप:
1.) गूगल पे (Google Pay): गूगल पे, जिसे अक्सर जी-पे (G-Pay) भी कहा जाता है, उपयोगकर्ताओं को आसानी से यूपीआई ट्रांज़ैक्शन और डायरेक्ट बैंक ट्रांसफ़र करने की सुविधा देता है। कोई भी व्यक्ति, क्यूआर कोड को स्कैन करके या अपने बैंक खाते से जुड़ा रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर डालकर आसानी से भुगतान कर सकता है। इसका यूज़र इंटरफ़ेस सरल और इंटरैक्टिव होता है।
2.) पेटीएम (Paytm): पेटीएम, एक ऑल-इन-वन प्लैटफ़ॉर्म (All-in-one platform) है जो यूपीआई, डायरेक्ट बैंक ट्रांसफ़र (Direct Bank Transfer) और ई-वॉलेट (E-wallet) सुविधा को सपोर्ट (Support) करता है। यह उपयोगकर्ताओं को सभी तरह की बुकिंग जैसे - बिजली का बिल, रिचार्ज, शिक्षा शुल्क भुगतान, फ़्लाइट टिकट और बहुत कुछ, सीधे और तुरंत अपने ऐप से करने की सुविधा देता है।
3.) फ़ोन पे (Phone Pe): फ़ोन पे का भारत में सबसे बड़ा यूज़र बेस है और यह यूपीआई ट्रांज़ैक्शन , डायरेक्ट बैंक ट्रांसफ़र, ई-वॉलेट सुविधा और अंतर्राष्ट्रीय भुगतान को सपोर्ट करने वाला एक ऑल-इन-ऑल प्लैटफ़ॉर्म है। यह ऐप, फ़ोन पे स्विच विकल्प का उपयोग करके, सीधे ऐप के ज़रिए, तुरंत बुकिंग और आरक्षण को सपोर्ट करता है।
4.) क्रेड (CRED): क्रेड, एक रिवॉर्ड-आधारित क्रेडिट कार्ड भुगतान और ट्रैकिंग ऐप है जिसे अच्छे क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट इतिहास वाले क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ताओं के लिए बड़े पैमाने पर विकसित किया गया है। यह अल्पकालिक क्रेडिट लाइन भी प्रदान करता है जो एक प्रकार का ऋण है जिसे अक्सर उधार लिया जाता है और चुकाया जाता है।
5.) मोबिक्विक (MobiKwik): मोबिक्विक, एक उभरता हुआ भुगतान ऐप है जो यूपीआई लेनदेन, डायरेक्ट बैंक ट्रांसफ़र और ई-वॉलेट सुविधा प्रदान करता है। अन्य भुगतान ऐप की तरह, इसका उपयोग, हमारे नियमित बिलों और बुकिंग को तुरंत और सीधे भुगतान करने के लिए किया जा सकता है। यह पंजीकृत फ़ोन नंबर का उपयोग करके वॉलेट- टु -वॉलेट ट्रांसफ़र (Wallet-to-Wallet Transfers) की सुविधा भी प्रदान करता है।
संदर्भ :
https://shorturl.at/m0qVX
https://shorturl.at/9ToKF
https://shorturl.at/ncaXM
https://shorturl.at/LRTDV
चित्र संदर्भ
1. एक महिला दुकानदार और मोबाइल भुगतान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia, flickr)
2. मोबाइल भुगतान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. मैलवेयर को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)
4. साइबर अपराध को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)