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हमारा शहर रामपुर ऐतिहासिक विरासत वाला एक ऐसा शहर है जिसकी यह विरासत न केवल संस्कृति, भाषा, तहज़ीब, रहन-सहन एवं खानपान से झलकती है, बल्कि यहां की वनस्पति से लेकर पशु पक्षियों तक भी देखी जा सकती है। रामपुर के शासको एवं नवाबों द्वारा समय-समय पर इमारतों से लेकर व्यंजनों तक कई ऐसी वस्तुओं का निर्माण या आविष्कार कराया गया, जो आज भी केवल रामपुर की ही विशेषता हैं। इसी श्रृंखला में रामपुर के ही एक नवाब द्वारा ‘अंग्रेजी ग्रेहाउंड’ (English Greyhound) और ‘अफगान हाउंड’ (Afghan Hound) नस्लों को मिलाकर कुकुर की एक दुर्लभ नस्ल, ‘रामपुर ग्रेहाउंड’ को विकसित किया गया। रामपुर ग्रेहाउंड एक मध्यम आकार का कुकुर है, जो अपनी गति और ताकत के लिए जाना जाता है और उच्च वर्गों द्वारा जंगली सूअर और सियार का शिकार करने के लिए उपयोग किया जाता था। ये कुकुर आमतौर पर अपने मालिकों के प्रति वफादार एवं स्नेही होते हैं और उनके प्रति काफी सुरक्षात्मक माने जाते हैं। जबकि नए लोगों से मिलते समय अक्सर इनका व्यवहार आरक्षित होता है, हालांकि यदि एक बार ये किसी से घुल-मिल जाएं, तो ये बेहद मित्रवत भी होते हैं।
माना जाता है कि अहमद अली खान बहादुर, जो 1794 से 1840 तक रामपुर के नवाब रहे थे, उन्होंने अफगान हाउंड को अंग्रेजी ग्रेहाउंड के साथ पाला, जिससे एक मांसल और प्रभावी साइटहाउंड का जन्म हुआ। इस नए साइटहाउंड में अंग्रेजी ग्रेहाउंड की आज्ञाकारिता और गति तथा अफगान हाउंड की ताकत, बहादुरी और प्रतिरोध जैसे गुण आ गए। कहा जाता है कि जबकि इसे आमतौर पर सियार और जंगली सूअर के शिकार के लिए तैयार किया गया था, लेकिन रामपुर ग्रेहाउंड बाघ और पैंथर जैसे भयंकर शिकारियों का भी शिकार करने में सक्षम था।
मूल रूप से विकसित किए गए कई रामपुर ग्रेहाउंड को अंग्रेजी ग्रेहाउंड के साथ वापस पाला गया, जिसके कारण आज मूल रामपुर ग्रेहाउंड अत्यंत दुर्लभ हो गए हैं। और जैसा कि अब शिकार पर भी रोक लग गई है और बड़े पशु पक्षियों को पालने की लागत आम आदमी की क्षमता से बाहर हो गई है, रामपुर ग्रेहाउंड के नस्ल अब खतरनाक रूप से विलुप्त होने के करीब आ गई है। हालांकि रामपुर ग्रेहाउंड के महत्व को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त हुई और 2005 में इसे भारतीय डाक टिकट पर चित्रित किया गया था। आज, भारत में बहुत कम संख्या में रामपुर ग्रेहाउंड पंजीकृत हैं।
यदि रामपुरी ग्रेहाउंड की शारीरिक संरचना की बात की जाए, तो अधिकांशतः रामपुरी ग्रेहाउंड अन्य ग्रेहाउंड के समान ऊंचाई के होते हैं, लेकिन ये अन्य ग्रेहाउंड से अधिक चौड़े और अधिक मांसल होते हैं, जो दिखने में कुछ हद तक रोड्सियन रिजबैक (Rhodesian Ridgeback) के समान लगते हैं। यद्यपि इनकी खोपड़ी चपटी और नाक नुकीली होती है, लेकिन कुल मिलाकर इनका सिर अंग्रेजी ग्रेहाउंड के सिर से अधिक चौड़ा और बड़ा होता है। इनके कान सिर पर ऊँचे लगे होते हैं और नीचे की तरफ लटके होते हैं। उनके पैर की उंगलियां बहुत मुखर और लचीली होती हैं, यहां तक कि थोड़ा पीछे की ओर झुकने में भी सक्षम होती हैं। इससे उन्हें बिल्ली जैसा संतुलन बनाए रखने में सहायता मिलती है। इनका रंग मुख्य रूप से भूरा होता है जो शिकार के दौरान जंगल में पत्तों के साथ अच्छी तरह से मिल जाता है, जिससे इनको दिन के उजाले में भी दस फीट की दूरी से भी पहचानना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा ये बादामी, काले, हल्के पीले और सफेद रंग के भी होते हैं। इनके कंधों से पूंछ के आधार तक की लंबाई लगभग 36 इंच होती है। और इनकी पसलियाँ अच्छी तरह से उभरी हुई होती हैं। पूँछ लंबी और पतली और थोड़ा ऊपर की ओर मुड़ी हुई होती है, जिसकी लंबाई लगभग 24 से 27 इंच तक होती है। इनकी गर्दन लंबी, धनुषाकार और मांसल होती है। इनके लगभग 9 इंच लंबे जबड़े एक पैनी कैंची से भी तेज़ होते हैं। नर रामपुरी हाउंड की ऊंचाई 60-75 सेंटीमीटर के बीच तथा मादाओं की ऊंचाई 55-60 सेंटीमीटर के बीच होती है। इनका वज़न लगभग 27-30 किलोग्राम होता है।
सौम्य और मधुर स्वभाव वाले, रामपुर हाउंड अपने मालिकों के प्रति स्नेही होते हैं। आज भी रामपुर हाउंड को एक रोबदार नस्ल का एक उत्कृष्ट रक्षक कुकुर माना जाता है। आम तौर पर अपने परिवार के प्रति सौम्य और संवेदनशील, रामपुर हाउंड सुरक्षात्मक प्रवृत्ति प्रदर्शित करने के लिए जाना जाता है। कभी-कभी ये उग्र भी हो सकते हैं और अपने उत्साह में लोगों पर हमला कर सकते हैं। वे कभी-कभी अन्य कुकुर के प्रति भी आक्रामक हो सकते हैं।
क्या आप जानते हैं कि जल्द ही खोजी कुकुरों के रूप में रामपुर हाउंड को गद्दी और बखरवाल जैसे अन्य भारतीय नस्ल के कुकुरों के साथ पुलिस बल में शामिल किया जा सकता है, हालांकि अब तक यह कार्य पारंपरिक रूप से विदेशी नस्ल के कुकुरों द्वारा किया जा रहा था। अधिकारियों के अनुसार, इन स्वदेशी नस्लों को संदिग्धों, नशीले पदार्थों और विस्फोटकों का पता लगाने के साथ-साथ उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में गश्त करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। बीएसएफ (BSF), सीआरपीएफ (CRPF) और सीआईएसएफ (CISF) आदि 'केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल' (Central Armed Police Forces (CAPFs) द्वारा भारतीय कुकुरों की नस्लों को भर्ती करने की तैयारी की जा रही है, और रामपुर हाउंड जैसी नस्लों के लिए परीक्षण पहले से ही चल रहे हैं। वर्तमान में, भारत में अधिकांश पुलिस कुकुर विदेशी नस्ल के हैं, जिनमें जर्मन शेफर्ड (German shepherd), लैब्राडोर (Labrador), बेल्जियन मैलिनोइस (Belgian Malinois) और कॉकर स्पैनियल (Cocker Spaniel) शामिल हैं। CAPFs द्वारा भर्ती किए गए कुकुर 'पुलिस सेवा K9' (PSK) दस्तों का हिस्सा होते हैं। 2019 में, गृह मंत्रालय द्वारा कुकुरों के प्रजनन, प्रशिक्षण और चयन को सुव्यवस्थित करने के लिए पुलिस आधुनिकीकरण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में K9 दस्ते की स्थापना की गई थी। इनकी दक्षता और उपयुक्तता का आकलन करने के लिए CAPF में सभी लड़ाकू कुकुरों के लिए अब एक वार्षिक मूल्यांकन अभ्यास भी आयोजित किया जाता है। गृह मंत्रालय ने इन बलों के K9 दस्तों के लिए एक 'मानक संचालन प्रक्रिया' (Standard Operating Procedure (SOP) भी विकसित की है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/3pvbk5kz
https://tinyurl.com/5bz67t4u
https://tinyurl.com/bdexd9jw
चित्र संदर्भ
1. रामपुर हाउंड के चित्रों को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
2. खड़े रामपुर हाउंड को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक ब्रिटिश भारतीय सैनिक के साथ रामपुर हाउंड को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)
4. दौड़ते हुए रामपुर हाउंड को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. ऊँची कद काठी वाले ग्रेहाउंड को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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