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अनौपचारिक रोज़गार की सबसे अधिक दर के साथ क्या है न्यूनतम वेतन श्रीलंका और भारत में

रामपुर

 30-04-2024 10:09 AM
सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

दुनिया भर में, अनौपचारिक रोज़गार की सबसे अधिक दर (93.6%) कृषि क्षेत्र में है। इसके विपरीत, उद्योग और सेवा क्षेत्र में अनौपचारिक रोज़गार की दर क्रमशः (57.2%) और (47.2%) के साथ तुलनात्मक रूप से कृषि क्षेत्र से कम है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र और अरब राज्यों में सेवा क्षेत्र के लिए विशेष रूप से ये आंकड़े बेहद महत्वपूर्ण हैं। पांच दक्षिण एशियाई देशों में से हमारे देश भारत में अनौपचारिक कार्य की दर सबसे अधिक है। आइए आज के अपने इस लेख में औपचारिक और अनौपचारिक रोज़गार के विषय में जानते हैं। और यह भी जानें कि श्रीलंका और भारत में मज़दूरों के लिए न्यूनतम वेतन क्या है। ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन’ (International Labour Organisation) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में सभी नियोजित व्यक्तियों में से केवल 6.5% औपचारिक क्षेत्र में और 0.8% घरेलू क्षेत्र में काम करते हैं जबकि लगभग 81% लोग अनौपचारिक क्षेत्र में कार्य करते हैं। पांच दक्षिण एशियाई देशों में, भारत और नेपाल अनौपचारिक कार्य की दर में सबसे अधिक (90.7%) है, जबकि बांग्लादेश (48.9%), श्रीलंका (60.6%) और पाकिस्तान (77.6%) में यह दर काफ़ी बेहतर है। वास्तव में, बांग्लादेश में इस क्षेत्र में औपचारिक रोज़गार की दर सबसे अधिक 13.5% है, और साथ ही यहाँ घरेलू रोज़गार भी 26.7% के साथ उच्च है। रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि क्षेत्र में अनौपचारिक रोज़गार में 15-24 आयु वर्ग के युवाओं की संख्या (98.3%) वयस्क श्रमिकों (25+) की संख्या (67.1%) से अधिक है और लगातार बढ़ रही है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अनौपचारिक कार्य बलों की संख्या ग्रामीण क्षेत्रों (85.2%) में अधिक और शहरी क्षेत्रों में इसकी लगभग आधी (47.4%) है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में लगभग सभी कृषि रोज़गार (94.7%) अनौपचारिक हैं, और यह दक्षिणी एशिया में 99.3% के उच्चतम स्तर पर है, जिसमें भारत भी शामिल है।
औद्योगिक क्षेत्र में, अनौपचारिक कार्यबल की हिस्सेदारी सेवा क्षेत्र में 54.1% की तुलना में 68.8% के साथ अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर, सभी नियोजित लोगों में से 61% से अधिक लोग, जिनकी संख्या लगभग दो अरब है, अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में कार्य करते हैं। इसमें यह भी बताया गया है कि दुनिया का 93% अनौपचारिक रोज़गार उभरते और विकासशील देशों में है, जिसका एक प्रमुख कारण शिक्षा का स्तर है। इसके साथ ही अपने सभी रूपों में अनौपचारिकता के श्रमिकों, उद्यमों और समाजों के लिए कई प्रतिकूल परिणाम हैं और विशेष रूप से, इससे सभी के लिए उचित कार्य और टिकाऊ और समावेशी विकास की प्राप्ति के मार्ग में एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत होती है। वास्तव में अनौपचारिक रोज़गार की कोई एक परिभाषा संभव नहीं है, लेकिन इसमें वैश्विक अर्थव्यवस्था की आधे से अधिक श्रम शक्ति शामिल है। ILO के अनुसार, इस एक शब्द में बड़ी संख्या में विभिन्न कार्य स्थितियां और परिस्थितियां समाहित हैं। अनौपचारिक श्रमिक या तो स्वयं किसी व्यवसाय के माध्यम से अपनी आजीविका अर्जित करते हैं या सूक्ष्म और लघु उद्यमों का हिस्सा होते हैं। अनौपचारिक नौकरियों में आमतौर पर कम विकसित तकनीकी कौशल की आवश्यकता होती है, औपचारिक क्षेत्र की नौकरियों की तुलना में कम वेतन और बहुत कम या न के बराबर कोई लाभ मिलता है एवं कोई नौकरी सुरक्षा नहीं होती है। जबकि औपचारिक रोज़गार को एक निगमित कंपनी और एक व्यक्तिगत कर्मचारी के बीच संविदात्मक व्यवस्था के माध्यम से स्थापित रोज़गार के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। विकसित अर्थव्यवस्थाओं में कई क्षेत्र, जैसे कि निष्कर्षण उद्योग, विनिर्माण और सेवाओं के प्रावधान, आमतौर पर औपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा होते हैं। लेकिन विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में औपचारिक रोज़गार की तुलना में अनौपचारिक रोज़गार अधिक होते हैं। भारत में कार्यबल की संरचना के अनुसार इसे दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है; औपचारिक या संगठित क्षेत्र और अनौपचारिक या असंगठित क्षेत्र। औपचारिक क्षेत्र के अंतर्गत ऐसे रोज़गार आते हैं जिनमें निश्चित वेतन और विशिष्ट कार्य घंटे होते हैं; जबकि, अनौपचारिक क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कार्यबल के कार्य के घंटे और वेतन निश्चित नहीं होते हैं। सभी सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के वे सभी उद्यम जो 10 या अधिक कर्मचारियों को रोज़गार देते हैं, औपचारिक/संगठित क्षेत्र की श्रेणी में आते हैं। औपचारिक या संगठित क्षेत्र में वे सभी कंपनियाँ या उद्यम शामिल हैं जहाँ कर्मचारियों को नियमित और गारंटीकृत काम और वेतन मिलता है। इस क्षेत्र के निश्चित नियम व कायदे होते हैं और यह क्षेत्र औपचारिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए कार्य करता है। औपचारिक या संगठित क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों को औपचारिक क्षेत्र श्रमिक के रूप में जाना जाता है। भारत में, केंद्र और राज्य सरकारों, बैंकों, रेलवे आदि के कर्मचारियों को संगठित क्षेत्र के श्रमिक कहा जा सकता है। वे सभी निजी उद्यम जिनके अंतर्गत 10 से कम कर्मचारी कार्य करते हैं, अनौपचारिक/असंगठित क्षेत्र की श्रेणी में आते हैं। असंगठित क्षेत्र में ऐसी गतिविधियाँ शामिल हैं जो वस्तुओं और सेवाओं के प्राथमिक उत्पादन और छोटे पैमाने पर रोज़गार और आय के सृजन पर ध्यान केंद्रित करती हैं। इस क्षेत्र में न तो निश्चित नौकरी या वेतन की गारंटी है और न ही काम के घंटे निश्चित हैं। औपचारिक या संगठित क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों को अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के रूप में जाना जाता है।
भारत में न्यूनतम वेतन हर राज्य में भिन्न होते हैं और उन्हें क्षेत्र, उद्योग, कौशल स्तर और कार्य की प्रकृति जैसे कई मानदंडों के तहत वर्गीकृत किया जाता है। रोज़गार की न्यूनतम मज़दूरी तय करने पर केंद्र और राज्य दोनों सरकारों का नियंत्रण होता है। रोज़गार की वेतन दरें व्यवसायों, कौशलों, और क्षेत्रों के अनुसार भिन्न-भिन्न होती हैं। विभिन्न प्रकार के रोज़गार योग्य कार्यों के बीच अंतर की सीमा को देखते हुए, देश भर में प्रत्येक विशिष्ट कार्य के लिए कोई निर्धारित मज़दूरी दर निर्धारित नहीं की जा सकती है। भारत की न्यूनतम मज़दूरी और वेतन संरचना राज्य, विकास स्तर (क्षेत्र), उद्योग, व्यवसाय और कौशल स्तर, राज्य के भीतर का क्षेत्र जैसे विभिन्न कारकों के आधार पर प्रत्येक राज्य में भिन्न है। प्रत्येक राज्य सरकार अकुशल, अर्ध-कुशल, कुशल और उच्च कुशल श्रमिकों के लिए
निम्नलिखित मापदंडों के आधार पर न्यूनतम मज़दूरी दरें निर्धारित कर सकती है:
- कार्य समय;
- रोज़गार की प्रकृति;
- उद्योग;
- भौगोलिक स्थान;
- कर्मचारी की आयु
- ओवरटाइम कार्य
भारत के राज्यों में न्यूनतम मज़दूरी (प्रति माह) (INR में):

राज्य अकुशल कुशल अत्यधिक कुशल
अंडमान व नोकोबार द्वीप समूह
प्रभावी तिथि: 1 जुलाई, 2023
13998 17680 19188
आंध्र प्रदेश
प्रभावी तिथि: 1 अप्रैल, 2023
12344 13844 14844
अरुणाचल प्रदेश
प्रभावी तिथि: 1 अप्रैल, 2023
6600 7200 NA
असम
प्रभावी तिथि: 1 दिसंबर, 2021
9246.10 13430.85 17265.55
बिहार
प्रभावी तिथि: 1 अक्टूबर, 2023
10270 13000 15886
चंडीगढ़
प्रभावी तिथि: 1 अक्टूबर, 2022
12623 13298 13698
छत्तीसगढ
प्रभावी तिथि: 1 अक्टूबर, 2023
10,100 (जोन C)
11,530 (जोन C)
12,310 (जोन C)
10,360 (जोन B)
11,790 (जोन B)
12,570 (जोन B)
10,620 (जोन A)
12,050 (जोन A)
12,830 (जोन A)
दादरा और नगर हवेली
प्रभावी तिथि: 1 अक्टूबर, 2022
9237.80 9653.80 NA
दमन और दीव
प्रभावी तिथि: 1 अक्टूबर, 2022
9237.80 9653.80 NA
दिल्ली
प्रभावी तिथि: 1 अक्टूबर, 2023
17494 21215 NA
गोवा
प्रभावी तिथि: 1 अप्रैल, 2023
10790 13728 NA
गुजरात
प्रभावी तिथि: 1 अक्टूबर, 2023
12,012-12,298 12,558-12,870 NA
हरियाणा
प्रभावी तिथि: 1 जनवरी, 2023
10532.84 12802.69 13482.69
हिमाचल प्रदेश
प्रभावी तिथि: 1 अप्रैल, 2023
11250 13062 13592
जम्मू और कश्मीर
प्रभावी तिथि: 17 अक्टूबर, 2022
8086 12558 14352
झारखंड
प्रभावी तिथि: 1 अप्रैल, 2023
8996.34 12423.87 14351.39
कर्नाटक
प्रभावी तिथि: 1 अप्रैल, 2023
14424.63 16858.07 18260.20
मध्य प्रदेश
प्रभावी तिथि: 1 अक्टूबर, 2023
9825 12060 13360
महाराष्ट्र
प्रभावी तिथि: 1 जनवरी, 2023
12699 14310 NA
नागालैंड
प्रभावी तिथि: 14 जून, 2019
5280 7050 NA
पंजाब
प्रभावी तिथि: 1 मार्च, 2023
10353.77 12030.77 13062.77
राजस्थान Rajasthan
प्रभावी तिथि: 1 जुलाई, 2021
6734 7358 8658
त्रिपुरा
प्रभावी तिथि: 1 अप्रैल, 2023
7277 8928 NA
उत्तर प्रदेश
प्रभावी तिथि: 1 अक्टूबर, 2023
10275 12661 NA
उत्तराखंड
प्रभावी तिथि: 1 अक्टूबर, 2023
9,913-10,031 11,070-11,218 NA
पश्चिम बंगाल
प्रभावी तिथि: 1 जुलाई, 2023
9784 11804 13023
वहीं हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका की कैबिनेट ने इसी वर्ष मार्च में न्यूनतम वेतन में 40% की बढ़ोतरी को मंज़ूरी दे दी है, ताकि जीवनयापन की लागत से जूझ रहे श्रमिकों का समर्थन किया जा सके। 2022 की शुरुआत में श्रीलंका में मुद्रास्फीति में वृद्धि, मुद्रा मूल्यह्रास और उसके विदेशी ऋण पर डिफ़ॉल्ट होने के कारण वहाँ की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई थी। लेकिन अब ग़रीबी में रहने वाले लोगों का समर्थन करने के लिए कैबिनेट ने न्यूनतम वेतन को 12,500 रुपये ($42) से बढ़ाकर 17,500 रुपये करने को मंज़ूरी दे दी है। इसके तहत राष्ट्रीय दैनिक वेतन में भी 200 रुपये की बढ़ोतरी की जाएगी। नवीनतम सरकारी आंकड़ों के अनुसार यहाँ अब सबसे गरीब 20% आबादी की औसत मासिक घरेलू आय 17,572 रुपये है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund (IMF) के 2.9 अरब डॉलर के कार्यक्रम की मदद से 22 मिलियन लोगों की आबादी वाले इस द्वीप की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे स्थिर हो गई है और फरवरी में मुद्रास्फीति 70% के उच्चतम स्तर से घटकर 5.9% हो गई है। लेकिन ऊर्जा कीमतों में बढ़ोतरी और जनवरी में 3% बिक्री कर बढ़ोतरी के कारण जीवनयापन की लागत बढ़ जाने से गरीबों पर इसका भारी असर हुआ है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/3ww7yh3f
https://tinyurl.com/u2e4rtzy
https://tinyurl.com/5cs2rjey
https://tinyurl.com/y5xabrek

चित्र संदर्भ
1. रेलवे स्टेशन पर मजदूरी करते कुलियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. उत्तर प्रदेश के एक हस्तशिल्प विनिर्माण उद्यम में काम करते श्रमिकों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. फल बेचते बच्चे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. काम पर जाते विनिर्माण श्रमिकों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. टाइल बिछाते श्रमिक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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