City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2577 | 133 | 2710 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
इस्लाम धर्म में नमाज़ का बहुत महत्व है। मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोग दिन में 5 बार नमाज़ पढ़ते हैं। विशेष रूप से ईद के समय पढ़ी जाने वाली नमाज़ का अत्यधिक महत्त्व होता है। ईद के दिन अदा की जाने वाली नमाज़ को सलात अल-ईद भी कहा जाता है। सलात के साथ-साथ ईद का जश्न सुगंधित पुलाव और बिरयानी के बिना अधूरा होता है। ईद के मौके पर अवधी और मुगलई व्यंजन विशेष रूप से पकाए जाते हैं। लेकिन ईद पर बनाए जाने वाले हमारे शहर रामपुर के व्यंजनों को पकाने की अपनी एक विशिष्ट शैली हैं , जो बेहद प्रसिद्ध हैं। तो आइए आज ईद उल फितर के मौके पर ईद उल फितर की नमाज ‘सलात’ का महत्व जानते हैं और साथ ही ईद पर बनने वाले रामपुर के मशहूर व्यंजनों का स्वाद भी चखते हैं।
सलात को इस्लाम धर्म के पांच स्तंभों में से दूसरा स्तंभ माना जाता है। यह प्रतिदिन पांच बार की जाने वाली एक अनुष्ठानिक प्रार्थना है। सलात का वास्तविक अर्थ और कुछ नहीं बल्कि अल्लाह के साथ संचार है। सर्वशक्तिमान अल्लाह को याद करने के लिए मुस्लिम समुदाय के सभी व्यक्तियों द्वारा यह धार्मिक प्रार्थना की जाती है। प्रत्येक मुस्लिम के घर में यह माना जाता है कि घर के बच्चों को कम उम्र में ही नमाज़ पढ़ना सीखना चाहिए। धर्म के अनुसार प्रत्येक मुस्लिम युवक नमाज़ अदा करने के लिए बाध्य है। इसके साथ ही नमाज़ अदा करते समय व्यक्ति को अपना मन शांत रखना चाहिए। दिन के अलग अलग समय पर पांच बार नमाज़ अदा करने के अलग अलग नाम एवं अर्थ है जो इस प्रकार हैं:
फ़ज्र: सुबह के समय सूर्योदय से पहले पढ़ी जाने वाली नमाज़ को फ़ज्र कहते हैं। रोज़मर्रा के कामकाज करते समय लोग अक्सर अल्लाह को भूल जाते हैं। यह नमाज़ मुसलमानों को सुबह-सुबह अल्लाह को याद करने की अनुमति देती है। फ़ज्र की नमाज़ के लिए दो रकात की आवश्यकता होती है।
ज़ुहर: दोपहर को आम तौर पर खाना खाने के बाद अदा की जाने वाली नमाज़ को ज़ुहर कहते हैं। यह नमाज़ अल्लाह को एक प्रकार से शुक्रिया अदा करने के लिए की जाती है, जो हमें अपने दिव्य प्रेम से आशीर्वाद दे रहा है। प्रत्येक नमाज़ को श्रद्धापूर्वक करना प्रार्थना का अंग है।
अस्र: अस्र प्रार्थना मध्याह्न के समय की जाने वाली चार रकात दैनिक प्रार्थना है। यह चुप चाप अदा की जाती है। यह पाँच दैनिक नमाजों में से तीसरी नमाज़ है। जब खड़ी छड़ी की छाया की लंबाई छड़ी की लंबाई से मेल खाती है तो यह अस्र करने का सही समय होता है।
मग़रिब: सूर्यास्त के समय मग़रिब अदा की जाती है। यह प्रतिदिन तीन रकात की नमाज़ है और पहली 'दो रकात' ज़ोर से पढ़ी जाती है। मग़रिब की नमाज़ रमज़ान के पवित्र महीने के दौरान दैनिक उपवास के अंत का प्रतीक है।
ईशा: रात के समय पढ़ी जाने वाली नमा नमाज़ को ईशा की नमाज़ कहा जाता है। यह चार रकात की नमाज़ है और पहली 2 रकात जोर-जोर से पढ़ी जाती है। तहज्जुद का पाठ आधी रात और भोर की शुरुआत के बीच कभी भी किया जा सकता है।
इस्लाम धर्म के अनुसार यदि अल्लाह अपने बन्दों की नमाज़ स्वीकार करता है तो उसके बाकी सभी अच्छे कर्म भी स्वीकार कर लेता है। ईद की नमाज़ का विशेष महत्व होता है। इसमें छह तकबीरों के साथ दो रकात शामिल हैं। ईद की नमाज ईद-उल-फितर और ईद-उल- अज़हा की सुबह की जाती है। नमाज़ के अंत में ख़ुत्बा (उपदेश) पेश किया जाता है। ईद की नमाज़ सूर्योदय और दोपहर के बीच की जानी चाहिए। अल्लाह से प्रार्थना करना सर्वशक्तिमान शक्ति से जुड़ने जैसा है जिसकी हम सेवा करने के लिए बाध्य हैं।
ईद-उल-फितर की नमाज़ में 2 रकात शामिल हैं, और नमाज़ के दौरान 6 अतिरिक्त तकबीरें होती हैं। पहली तकबीर पहली रकात की शुरुआत में की जाती है, और फिर कुरान की आयतें पढ़ने और पहली रकात पूरी करने से पहले पांच तकबीरें अदा की जाती हैं। दूसरी रकात में, इमाम द्वारा कुरान की आयतों का पाठ करके शुरुआत की जाती है। और फिर सामान्य तशहुद और सलाम के साथ प्रार्थना पूरी करने से पहले पांच अतिरिक्त तकबीरें अदा की जाती हैं। ईद-उल-फितर से एक दिन पहले सूर्यास्त से लेकर अगले दिन ईद की नमाज़ के लिए इमाम के मस्जिद में प्रवेश करने तक तकबीर अत-तश्रीक भी पढ़ा जाता है। इसके अलावा ईद-उल-फितर की नमाज़ से पहले फितराना भी अदा किया जाता है ताकि उस दिन गरीबों को भी खाना खिलाया जा सके। और यह बच्चों और बुजुर्गों सहित घर के प्रत्येक सदस्य के लिए अनिवार्य होता है। ईद के दौरान नमाज़ अदा करना परिवार, दोस्तों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के बीच एकजुटता का प्रतीक है। यह एक परंपरा के महत्व को दर्शाता है। उपवास की अवधि समाप्त होने के बाद लोग उत्साहित होकर एक-दूसरे को 'ईद मुबारक' की बधाई देते हैं जिससे यह उत्सव और भी जीवंत हो जाता है। नमाज़ अदा करने के बाद लोग अपने परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों के साथ ईद का जश्न मनाते हैं। उत्सव की मेज पर सुगंधित पुलाव और बिरयानी की शानदार सजावट के बिना ईद का जश्न अधूरा रहता है। ईद के मौके पर अवधी और मुगलई व्यंजन विशेष रूप से पकाए जाते हैं।
हमारे शहर रामपुर का इतिहास भी समृद्ध पाक कला से जुड़ा हुआ है, जहाँ ईद के मौके पर मुंह में पानी ला देने वाले व्यंजनों की विशाल विविधता देखने को मिलती है। विशेष मसालों और पाक विधि से तैयार होने वाला यहाँ का शाहजानी पुलाव तो विश्व प्रसिद्ध है। रामपुरी लोग बिरयानी के स्थान पर पुलाव के शौकीन हैं। शाहजानी पुलाव को फ़ारसी पुलाव का अधिक परिष्कृत मुगल रूपांतरण माना जाता है। लेकिन जो चीज शाहजानी पुलाव को एक पाक कला की उत्कृष्ट कृति बनाती है, वह है मसालों के मिश्रण में मैरीनेट किए गए मांस के रसीले टुकड़ों को शामिल करना और धीमी गति से नरम होने तक पकाया जाना।
शाहजानी पुलाव एक ऐसा व्यंजन है, जिसके लिए प्रेम, धैर्य, कौशल और स्वाद संतुलन की गहरी समझ की आवश्यकता होती है। यहां बताया गया है कि आप इसे कैसे पका सकते हैं और इसका स्वाद भी ले सकते हैं:
➼ आवश्यक सामग्री:
➼ मांस -1 किलोग्राम
➼ चावल - 1 किलोग्राम
➼ देशी घी - 500 ग्राम
➼ बादाम – 160 ग्राम
➼ दही - 100 ग्राम
➼ दालचीनी - 80 ग्राम
➼ लौंग- 80 ग्राम
➼ हरी इलायची - 48 ग्राम
➼ जीरा - 48 ग्राम
➼ काली मिर्च - 62 ग्राम
➼ सफेद प्याज – 100 ग्राम
➼ अदरक - 60 ग्राम
➼ साबुत धनिया - 32 ग्राम
➼ केसर - 16 ग्राम
➼ लाहौरी नमक - 32 ग्राम
विधि:
➼ चावल को लगभग तीस मिनट के लिए पानी में भिगो दें। साबुत धनिया पीसकर पेस्ट बना लें।
➼ बादाम को छीलकर पीसकर पेस्ट बना लीजिए। यखनी बनाने के लिए, मांस को देघची में आधा बारीक कटा हुआ प्याज, दो बड़े चम्मच घी, आधा धनिया पेस्ट और लगभग 2.5 लीटर पानी के साथ डालें। मांस के नरम होने तक पकाते रहें।
➼ मांस पका है या नहीं यह देखने के लिए यखनी को खोलें। पानी (शोरबा) को छान लीजिये। इसमें करीब 10 लौंग और 10 इलायची के दाने डालकर एक चम्मच घी के साथ तड़का तैयार कर लीजिए।
➼ लौंग को लाल होने तक गर्म करके शोरबा में डाल दीजिए। इसे अलग रख दें। बचे हुए घी को अलग देघची में गर्म करें।
➼ बचा हुआ बारीक कटा हुआ प्याज डालें। प्याज के नरम और लाल हो जाने के बाद लौंग और फिर मांस डालें।
➼ मांस को तब तक चलाएं जब तक घी अच्छी तरह न मिल जाए। बचा हुआ धनिये का पेस्ट डालकर मिला दीजिये। इसमें दही और पिसा हुआ बादाम का पेस्ट मिलाएं।
➼ ग्रेवी में आधा पिसा हुआ मसाला मिला दीजिये। चावल को तेज़ आंच पर लगभग 15 मिनट तक पकाएं। चावल के दानों को छलनी में छानकर अतिरिक्त पानी निकालने के बाद पहले से बने शोरबा में पंद्रह से तीस मिनट के लिए भिगो दें।
➼ अंतिम चरण के रूप में, मांस को साबुत मसालों से ढक दें।
➼ चावल में इतना शोरबा डालें कि वह ढक जाए। यह सुनिश्चित करने के लिए कि भाप बाहर न निकले, देघची को ढक दें और गूंथे हुए आटे से ➼ सील कर दें। लगभग पंद्रह मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं।
➼ देघची को खोलकर ऊपर से घी डाल दीजिये। केसर को गर्म पानी में भिगोने के बाद पुलाव पर पानी और केसर के धागे छिड़कें। गर्म - गर्म परोसें।
संदर्भ
https://tinyurl.com/35tapuzz
https://tinyurl.com/5599puxc
https://tinyurl.com/yzhyjj2r
https://tinyurl.com/3thpz8x3
चित्र संदर्भ
1. रामपुरी शाहजानी पुलाव को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube (Cooking With Shazia)
2. सलात को इस्लाम धर्म के पांच स्तंभों में से दूसरा स्तंभ माना जाता है। यह प्रतिदिन पांच बार की जाने वाली एक अनुष्ठानिक प्रार्थना है। को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. ईद की नमाज को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
4. ईद के व्यंजनों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. शाहजानी पुलाव को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
© - , graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.