कोविड महामारी के बावजूद भारत में उभरती कृषि प्रौद्योगिकियों का कृषि अर्थव्‍यवस्‍था में योगदान

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31-10-2021 05:00 PM
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कोविड महामारी के बावजूद भारत में उभरती कृषि प्रौद्योगिकियों का कृषि अर्थव्‍यवस्‍था में योगदान

कोविड-19 (COVID-19) महामारी ने भारत सहित विश्व स्तर पर कई क्षेत्रों में व्यवसायों को बाधित कर दिया है। कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है‚ जो इस महामारी से प्रभावित न हुआ हो। अर्थव्यवस्था पर इसके विनाशकारी प्रभावों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इसके बावजूद‚ भारत में कृषि प्रौद्योगिकी (agricultural technology) (एग्रीटेक) बाजार की हालिया वृद्धि‚ इसकी विशाल अचेतन क्षमता को दर्शाती है। बढ़ती ग्रामीण इंटरनेट पहुंच तथा निवेशकों की बढ़ती रुचि से‚ डिजिटल प्रौद्योगिकियों के सामर्थ्य ने कृषि पारिस्थितिकी तंत्र के चल रहे डिजिटल परिवर्तन को अवसर दिया है। एग्रीटेक तेजी से तथा निश्चित रूप से एक तकनीकी नेतृत्व वाले‚ प्रगतिशील भविष्य के लिए कृषि अर्थव्यवस्था को आकार दे रहा है। परंपरागत रूप से कृषि को सरकार की जिम्मेदारी के रूप में देखा जाता था‚ लेकिन अब मूल्य श्रृंखला में कमियों को पहचानने तथा इस अनुभाग को बेहतर बनाने के तरीके खोजने वाले और भी खिलाड़ी आगे आ रहें हैं। इन कमियों को दूर करने के लिए कृषि क्षेत्र में प्रतिभा का विकास हो रहा है‚ यही कारण है कि भारत में कृषि प्रौद्योगिकी क्षेत्र तेजी से विकास की ओर अग्रसित है। एक्सेल पार्टनर्स (Accel Partners) और ओमनिवोर (Omnivore) द्वारा‚ भारत में महामारी के बाद के कृषि परिदृश्य पर किये गये एक संयुक्त अध्ययन के अनुसार‚ लॉकडाउन के दौरान‚ मूल्य श्रृंखला में‚ लगभग 85 प्रतिशत एग्रीटेक स्टार्टअप ने‚ अपने उत्पादों और सेवाओं की मांग में वृद्धि दर्ज की है। लॉकडाउन‚ अनिश्चितताओं तथा सदियों पुराने व्यापार मापांक के बंद होने से‚ ऑनलाइन मंडियों को रास्ता मिला और हर स्तर पर ई-कॉमर्स प्लैटर्स की मेजबानी हुई। पारंपरिक और सादृश्य बाजारों से लेकर अत्यधिक परस्पर और परिवर्तनात्‍मक ऑनलाइन बाजारों तक एक नया आदर्श बदलाव आया है।
महामारी की पहली लहर के दौरान‚ किसान फसल के मौसम से पहले इनपुट खरीदने के लिए संघर्ष कर रहे थे। लॉकडाउन के कारण‚ बाज़ारों और मंडियों तक पहुंचना संभव नहीं था और कृषि-रसद तथा परिवहन व्यवस्था चरमरा गई थी। जिसका परिणाम फसल कटाई के बाद के बढ़ते नुकसान के रूप में सामने आया‚ तथा बिना बिके उत्पाद की क़ीमत ने किसानों के वित्त को चौपट कर दिया। डीप रूटेड (Deep Rooted) के संस्थापक गुरुराज राव कहते हैं‚ “पहली लहर से मिली सीख ने हमें कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान चुनौतियों के लिए बेहतर तरीके से तैयार किया। हमने बेहतर तकनीकी स्वचालन की योजना बनाई और उसे क्रियान्वित किया।” एग्रीटेक उद्योग उन कुछ उद्योगों में से एक है‚ जिसे महामारी ने पारंपरिक बाजारों से अभिनव तथा डिजिटल बाजारों की ओर एक बदलाव के साथ उत्प्रेरित किया है। भारत में अब मांग आपूर्ति की तुलना में कहीं अधिक तीव्र गति से संगठित हो गई है‚ और इसलिए अपस्ट्रीम (upstream) क्षेत्र जैसे; आपूर्ति श्रृंखला‚ मुख्य आपूर्ति‚ खेतों व किसानों के आसपास की सेवाएं ऐसे क्षेत्र हैं जो बहुत रुचि पैदा कर रहे हैं। महामारी ने इस क्षेत्र में कुछ स्ट्रक्चरल अनबॉटलिंग (structural unbottling) को नियामक परिवर्तनों के माध्यम से तेज कर दिया है। वैयक्तिक स्वच्छता तथा सुरक्षित उपभोग प्रथाओं पर बढ़ते ध्यान ने‚ ताजा और स्वच्छ कृषि उपज के लिए ग्राहकों की भारी मांग को भी आकृष्ट किया है‚ जिसे केवल ‘बैकएंड’ (backend) कृषि तकनीक के साथ-साथ ‘फ्रंटएंड’ (front end) उपभोक्ता-सामना करने वाली तकनीक‚ पर अत्याधुनिक तकनीक (state-of-the-art technology) से ही संभव बनाया जा सकता है। नियामक परिवर्तन‚ निजी पूंजी हित‚ उपभोक्ता मांग‚ भारत में कृषि प्रौद्योगिकी क्षेत्र के अभूतपूर्व विकास की दिशा को दर्शाते हैं। कृषि भंडारण समाधानों का भविष्य स्पष्ट रूप से अधिक डिजिटल‚ मॉड्यूलर और लचीला है‚ जो प्रत्येक किसान के अनाज की पहचान और उपज की गुणवत्ता के संबंध में पारदर्शिता लाता है। भारत मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद में खेती का योगदान लगभग 17% है‚ और देश के लगभग 60% ग्रामीण परिवार कृषि तथा इससे जुड़े उद्योंगों पर निर्भर करते हैं। भारत में कृषि परिवार अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करते हैं और अपनी कृषि गतिविधियों के लिए ऋण पर निर्भर रहते हैं। भारत में कृषि के महत्व को देखते हुए‚ सरकारी और निजी दोनों क्षेत्र‚ भारतीय कृषि की दक्षता और उत्पादकता में सुधार के लिए काम कर रहे हैं‚ और यह पता लगा रहे हैं कि‚ एक समाधान के रूप में खेती कैसेएक भूमिका निभा सकती है। FaaS (Function-as-a-Service)‚ एक कुशल खेती के लिए‚ किफायती प्रौद्योगिकी समाधान प्रदान करने का प्रयास कर रहा है। यह किसानों के लिए निश्चित लागतों को परिवर्तनीय लागतों में परिवर्तित करता है‚ इस प्रकार अधिकांश छोटे किसानों के लिए‚ तकनीकों को अधिक किफायती बनाता है। इसकी सेवाएं‚ सदस्यता या भुगतान-प्रति-उपयोग के आधार पर‚ तीन व्यापक श्रेणियों में उपलब्ध हैं‚ जो कृषि मूल्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण हैं; कृषि प्रबंधन समाधान‚ उत्पादन सहायता तथा बाजारों तक पहुंच। इसके अलावा‚ केंद्र और राज्य दोनों सरकारों ने चुनौतियों का समाधान करने तथा नवाचार को बढ़ावा देने के लिए पहल शुरू की है। सरकार के‚ किसानों को संस्थागत ऋण बढ़ाने‚ बुनियादी ढांचे में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने तथा डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने से FaaS आधारित समाधानों का भी विस्तार होगा। FaaS से न केवल आर्थिक लाभ प्राप्त होगा‚ बल्कि ग्रामीण कृषि अर्थव्यवस्था पर भी व्यापक सामाजिक प्रभाव पड़ेगा‚ जिसमें छोटे और सीमांत किसान प्राथमिक लाभार्थी होंगे। एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म DeHaat‚ जो भारत में किसानों को पूर्ण कृषि सेवाएं प्रदान करता है‚ ने भारत में एक एग्रीटेक स्टार्टअप के लिए सबसे बड़े वित्तपोषण दौर में 115 मिलियन डॉलर जुटाए हैं‚ जहां कृषि उपज से‚ वार्षिक खुदरा खर्च में देश के 1 ट्रिलियन डॉलर का दो-तिहाई उत्पादन होता है। DeHaat‚ भारत में किसानों के सामने तीन सबसे बड़ी चुनौतियों का समाधान कर रहा है: कार्यशील पूंजी‚ बीज और उर्वरक जैसे कृषि-इनपुट आइटम हासिल करना तथा उपज पैदा करने के बाद खरीदार ढूंढना। भारतीय किसानों की उपज का लगभग एक तिहाई ही बड़े बाजारों तक पहुंचता है। गुड़गांव और पटना मुख्यालय वाले स्टार्टअप ने ब्रांड को एक मंच पर ला दिया है‚ जो कृषि-इनपुट उत्पादों‚ संस्थागत वित्तपोषकों और खरीदारों को बेचते हैं। यह अंतिम-मील एकत्र करने तथा वितरण (delivery) प्रदान करने के लिए 3‚000 से अधिक सूक्ष्म उद्यमियों के साथ भी काम करता है। यह कई भाषाओं में उपलब्ध‚ एक एंड्रॉइड ऐप (Android app) भी संचालित करता है‚ जो किसानों के साथ जुड़ने के लिए एक हेल्पलाइन चलाता है। DeHaat ने बताया कि वह बिहार‚ यूपी‚ झारखंड और ओडिशा में 650‚000 से अधिक किसानों को अपनी सेवा देता है। अपने मंच पर‚ यह 850 से अधिक अद्वितीय कृषि व्यवसाय प्रदान करता है। स्टार्टअप के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी शशांक कुमार ने‚ टेकक्रंच (TechCrunch) को एक साक्षात्कार में बताया कि‚ स्टार्टअप “भारत के सभी प्रमुख कृषि समूहों” में विस्तार करने के लिए नए कोष प्रसारित करेगा। उन्होंने कहा कि पिछले सात महीनों में DeHaat 5 गुना बढ़ा है। ईवाई (EY) के अनुसार‚ भारत के कृषि-तकनीक उद्योग में 2025 तक लगभग 24 बिलियन डॉलर के राजस्व तक पहुंचने की क्षमता है। अमेज़ॅन (Amazon) ने हाल ही में किसानों को फसलों पर अपने निर्णयों को सूचित करने में मदद करने के लिए‚ रीयल-टाइम सलाह तथा जानकारी देना शुरू किया है। माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft)‚ एआई (AI) को प्रसारित करने तथा एक प्लेटफॉर्म तैयार करने के लिए‚ 100 गांवों के साथ काम कर रहा है। कुमार बताते हैं कि‚ “हमारी टीम विकास और रणनीति‚ आपूर्ति श्रृंखला‚ प्रौद्योगिकी और कृषि विज्ञान की गहरी विशेषज्ञता के साथ 850 से अधिक पेशेवरों की एक टोली बन गई है।”

संदर्भ:
https://tcrn.ch/2Zveh0D
https://bit.ly/3biU948
https://bit.ly/3bg7R7G

चित्र संदर्भ
1. खेतों को पानी से सिंचति महिला का एक चित्रण (flickr)
2. खेतों में काम करते कृषकों (flickr)
3. ऑनलाइन फल खरीदारी को संदर्भित करता एक चित्रण (1900 Cucina)
4. देहात अनुप्रयोग को संदर्भित करता एक चित्रण (dehaat)

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