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प्राचीन काल से ही कपड़ों और वस्त्रों (Clothing And Textiles) के इतिहास को समझने में शोधकर्ताओं की बहुत अधिक जिज्ञासा रही है। हालांकि, विशेषज्ञ कभी भी एकमत होकर इस बात पर पूरी तरह से सहमत नहीं हुए कि, इंसानों ने कपड़े पहनना वास्तव में कब से शुरू किया था। लेकिन, विभिन्न अनुमान व्यापक रूप से कपड़े पहनने की शुरुआत के संकेत 40,000 से लेकर 3 मिलियन वर्ष पूर्व के बीच देते हैं। हम प्राचीन गुफा चित्रों और तस्वीरों में भी कपड़ों के संकेत देख सकते हैं, जिन्हें देखकर यह पता चलता है कि, लगभग 30,000 साल पहले इंसानों ने कपड़े पहनना शुरू कर दिया था! हालांकि, उस समय के अधिकांश कपड़े जानवरों की खाल से बनाए गए थे। जानकार मानते हैं कि, इंसानों ने लगभग 27,000 साल पहले, तन ढकने के लिए बुने हुए कपड़ों का उपयोग करना शुरू किया था। पुरातत्वविदों को 7000 ईसा पूर्व के वास्तविक कपड़े के टुकड़े भी मिले हैं। यदि हम वर्तमान में वापस लौटे तो आज का परिदृश्य पूरी तरह से बदल गया है। आज कपड़ा मानव जीवन की एक अनिवार्य जरूरत बन गया है। इसलिए, दुनिया भर में वस्त्र-उद्योग भी खूब फल-फूल रहा है।
भारत का कपड़ा उद्योग कई शताब्दियों पुराना माना जाता है। यह एक विविध क्षेत्र है, जिसमें पारंपरिक और हाथ से बुने हुए वस्त्रों से लेकर, आधुनिक उच्च तकनीक वाली मिलें भी शामिल हैं। भारत के कपड़ा उद्योग को पूरी शक्ति, कपास, जूट, रेशम और ऊन तथा विभिन्न प्रकार के फाइबर, पॉलिएस्टर और नायलॉन (Fiber, Polyester And Nylon) आदि का उत्पादन करने की हमारी क्षमता से मिलती है।
भारत में वस्त्र उद्योग का अधिकांश हिस्सा, विकेंद्रीकृत बिजली करघे (Decentralized Power Looms) और बुनाई पर निर्भर है, जो कपास जैसी सामग्री के लिए कृषि पर निर्भर है। कृषि और देश की सांस्कृतिक परंपराओं से यही जुड़ाव, भारत के वस्त्र उद्योग को अन्य उद्योगों से अलग करता है। भारत का कपड़ा उद्योग भारत के भीतर और विश्व स्तर पर भी विभिन्न बाजारों के लिए उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला तैयार कर सकता है। वैश्विक कपड़ा और परिधान व्यापार में भारत 4% का योगदान देता है। इतना ही नहीं भारत का कपड़ा उद्योग लगभग 4.5 करोड़ श्रमिकों को रोजगार भी देता है, जिनमें से 35.22 लाख हथकरघा श्रमिक हैं।
इस क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने और अधिक नौकरियां पैदा करने के लिए सरकार द्वारा भी इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल पार्क (Integrated Textile Park), टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड और मेगा रीजन टेक्सटाइल (Technology Upgradation Fund And Mega Region Textile) एवं अपैरल पार्क (Apparel Park) जैसी महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरू की गई हैं।
निकट भविष्य में भारत के कपड़ा और परिधान उद्योग की गति सालाना 10% की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जिसका बाजार 2025-26 तक 190 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। 2021-22 के सीजन में (अनुमानित 362.18 लाख गांठ (Bales) के साथ ही भारत कपास उत्पादन में विश्व स्तर पर सबसे अग्रणी देश बन गया। इसमें घरेलू स्तर पर कपास की खपत 338 लाख गांठ होने की उम्मीद है। देश का लक्ष्य 2030 तक 7.2 मिलियन टन कपास का उत्पादन करना है। वित्त वर्ष 2023 में रेडीमेड परिधान निर्यात (Readymade Garments Export) 16.2 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया और 2027 तक इसके 30 बिलियन डॉलर से अधिक होने का अनुमान है।
आज भारत में घरेलू कपड़ा बाजार वास्तव में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। 2023 में इस उद्योग की कुल कीमत लगभग 8.74 बिलियन अमेरिकी डॉलर है और 2028 तक इसकी कीमत लगभग 13.98 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2023 से 2028 तक हर साल लगभग 9.84% की वृद्धि।) होने की उम्मीद है। भारत का घरेलू कपड़ा बाज़ार भी तेजी से बढ़ रहा है और विदेशी ब्रांड भी इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। ये ब्रांड खुद भारत आ रहे हैं या भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। शायद ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि भारतीय लोगों की आय बढ़ रही है और लोग वास्तव में अच्छे तथा टिकाऊ घरेलू कपड़े पहनना चाहते हैं। भारत में घरेलू वस्त्रों के विकास को लोगों द्वारा अधिक पैसा कमाने, अधिक लोगों के यहां रहने और अधिक संगठित स्टोरों की बढ़ती संख्या से जोड़ कर देखा जा रहा है। Fy23 में अप्रैल से नवंबर के बीच हमारा कपड़ा निर्यात 23.1 बिलियन डॉलर होने का अनुमान लागाया गया है। अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा बाजार है, जहां हमारा 27% कपड़ा निर्यात होता है।
भारत में कपड़ा उद्योग के पक्ष में सकारात्मक कदम उठाते हुए, जून 2023 में, भारत सरकार ने कपड़ा क्षेत्र में कुल 7.4 मिलियन डॉलर (61.09 करोड़ रुपये) की अनुसंधान और विकास परियोजनाओं को हरी झंडी दे दी। संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (Amended Technology Upgradation Fund Scheme (Atufs) जैसी योजनाओं के लिए भी 2023-24 के केंद्रीय बजट में 900 करोड़ रु.(109.99 मिलियन यूएस डॉलर) की महत्वपूर्ण धनराशि आवंटित की गई हैं। इन फंडों का लक्ष्य निजी इक्विटी निवेश (Equity Investment) को बढ़ावा देना और नौकरियां पैदा करना है।
हमारे मेरठ को भी लघु उद्योग क्रांति का शहर कहा जाता है। यहां पर कई विभिन्न प्रकार के उद्योग स्थापित हैं, जिनमें से खादी उद्योग भी प्रमुख है। मेरठ में खादी उद्योग, स्वदेशी आन्दोलन के दौरान बड़े पैमाने पर उभरा था। आज हमारे मेरठ में खादी का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। यहां क्लिक करके आप मेरठ में खादी उद्योग से जुड़ी बारीकियों को विस्तार से समझ सकते हैं। यदि आप ऊपर दिए गए आंकड़ों और रुझानों को समझ पा रहे हैं, तो अभी तक आप भी जान गए होंगे कि, भारत में कपड़ा व्यवसाय शुरू करना निकट भविष्य में कितना लाभदायक हो सकता है। यदि आप एक महत्वाकांक्षी उद्यमी हैं या फिर होना चाह रहे हैं, तो आज यह सीखने का एक अच्छा समय है कि कपड़ा व्यवसाय कैसे शुरू किया जाए।
आप चार प्रकार के कपड़ा व्यवसायों पर विचार कर सकते हैं:
1. विनिर्माण
2. आयात-निर्यात
3. थोक बिक्री
4. खुदरा बिक्री।
आप कपड़ा व्यवसाय शुरू करने के लिए संक्षेप में इन 12 अनुदेशों का पालन कर सकते हैं:
1. अपना लक्ष्य (बाजार विश्लेषण और प्रतिस्पर्धियों) को ध्यान में रखते हुए एक व्यापक व्यवसाय योजना बनाकर तय करें।
2. अपने व्यवसाय को प्रकार और पैमाने (जैसे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (Private Limited Company), पार्टनरशिप (Partnership), लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (Limited Liability Partnership), या एकल स्वामित्व) के आधार पर पंजीकृत कराएं।
3. जीएसटी प्रमाणपत्र (Gst Certificate), दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम लाइसेंस (Shop And Establishment Act License), ट्रेडमार्क पंजीकरण (Trademark Registration,), प्रदूषण लाइसेंस, फैक्ट्री लाइसेंस (Factory License) और ईएसआईसी पंजीकरण (Esic Registration) जैसे आवश्यक लाइसेंस प्राप्त करें।
4. किराया, बिल, वेतन, मशीनरी और अन्य चीज़ों के लिए धन आवंटित करते हुए, अपने निवेश को बुद्धिमानी से प्रबंधित करें।
5. ग्राहकों की संख्या, प्रतिस्पर्धियों और आपूर्तिकर्ताओं पर विचार करते हुए संसाधनों और ग्राहकों (भीड़-भाड़ वाला स्थान) के नजदीक एक उपयुक्त स्थान चुनें।
6. रुझानों और मांग को ध्यान में रखते हुए अपना स्टॉक, विश्वसनीय आपूर्तिकर्ताओं से ही प्राप्त करें।
7. यदि आवश्यक हो, तो विनिर्माण के लिए मशीनरी (Machinery) भी खरीदें और अच्छा कार्यबल सुनिश्चित करें।
8. अपना व्यवसाय स्थापित करें, मशीनरी को सावधानीपूर्वक रखें और यदि हो तो एक खुदरा दुकान भी शुरू करें।
9. विनिर्माण, आयात-निर्यात और थोक बिक्री के लिए लॉजिस्टिक्स (Logistics) की व्यवस्था करें।
10. समाचार पत्रों, बैनरों (Banners), सोशल मीडिया (Social Media) और अन्य माध्यमों से अपने व्यवसाय का विज्ञापन करें।
11. हो सके तो अपने व्यवसाय या दुकान का अनुष्ठानों और समारोहों के दिन एक यादगार और भव्य उद्घाटन करें।
हम आपके सफल व्यवसाय की कामना करते हैं।
(नोट: इस उद्योग में निवेश करने के लिए आप अपनी व्यक्तिगत समझ और परिस्थिति के आधार पर निर्णय लें।)
संदर्भ
https://tinyurl.com/2hr3ahmp
https://tinyurl.com/2un4da7b
https://tinyurl.com/bdyr5ynt
https://tinyurl.com/2ve83arh
चित्र संदर्भ
1. कपड़ों की दुकान को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
2. भारतीय वस्त्र विक्रेताओं की छवि को दर्शाता चित्रण (lookandlearn)
3. विकेंद्रीकृत बिजली करघे को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
4. चांदनी चौक में एक कपड़े की दुकान को दर्शाता चित्रण (flickr)
5. कपड़े बनाती महिला को दर्शाता चित्रण (flickr)
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