सूली पर लटके यीशु मसीह के सात वचन

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
15-04-2022 09:05 AM
Post Viewership from Post Date to 20- Apr-2022
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
211 55 0 266
* Please see metrics definition on bottom of this page.
सूली पर लटके यीशु मसीह के सात वचन

यदि कोई समझदारी से शब्दों का प्रयोग करना सीख ले, और संकट के समय में भी उसके मुंह से केवल भलाई के शब्द निकलें, तो अपने शब्दों के रूप में वह, अमर हो जाता है! यदि आप वास्तव में शब्दों की शक्ति को समझना चाहते हैं, तो यीशु मसीह इसके साक्षात् प्रमाण हैं! उन्होंने सूली पर लटकते हुए भी, शब्दों के रूप में पूरे समाज को कुछ ऐसा संदेश दिया की, उनके पीछे एक पूरे संप्रदाय या धर्म का निर्माण हो गया! चलिए समझते हैं की, देवदूत ईसा मसीह ने सूली पर लटकाए जाने के दौरान,कष्टप्रद समय में भी, कौन से पवित्र वचन कहे थे?
हम सभी जानते हैं की, ईसा मसीह को तथाकथित धार्मिक नेताओं के आदेश पर बेहद निर्ममता एवं क्रूरता के साथ सूली पर चढ़ा दिया गया था। ईसाई समुदाय में, मसीह को सूली पर लटकाए जाने के बाद के तीन घंटे, बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं। आज भी प्रतिवर्ष कई रोमन कैथोलिक, लूथरन, एंग्लिकन और मेथोडिस्ट चर्चों (Roman Catholic, Lutheran, Anglican and Methodist Churches) में गुड फ्राइडे (good Friday) के दिन, दोपहर से 3 बजे तक एक विशेष प्रार्थना या ईसाई सेवा आयोजित की जाती है, जिसे द थ्री आवर्स एगनी, ट्रे ओरे , द ग्रेट थ्री आवर्स या थ्री आवर्स डिवोशन (The Three Hours Agony, Tre Ore, The Great Three Hours or Three Hours Devotion) के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रार्थना के दौरान ईसा मसीह द्वारा क्रूस पर लटके हुए अपने अंतिम 3 घंटों में कहे गए, सात अंतिम शब्दों पर उपदेश दोहराए जाते हैं। यह समय कभी-कभी शाम 6 बजे से 9 बजे के बीच का भी माना जाता है। क्रूस पर यीशु द्वारा कही गई बातों को कभी-कभी सात अंतिम शब्द (seven last words) कहा जाता है। बाइबिल के अनुसार यह वे सात भाव हैं, जिन्हें यीशु को सूली पर चढ़ाए जाने के दौरान जिम्मेदार ठहराया गया था। परंपरागत रूप से, इन संक्षिप्त कहावतों को "शब्द" ("words") कहा जाता है।
यीशु मसीह को ईसाई धर्म के प्रवर्तक के रूप में माना जाता है। उन्होंने यहूदियों को शांति का संदेश दिया, तथा समाज में धर्म के नाम पर फैल रहे आडम्बर को भी उजागर करने लगे। पुराणपंथी यहूदी धर्मगुरु उनकी इन प्रेम पूर्वक प्रवचनों से भड़क उठे। और उनके द्वारा भड़काए जाने पर रोमन के राज्यपाल ने यीशु को सूली पर चढ़ाए जाने का आदेश दे दिया। जिस दिन यीशु मसीह को सूली पर चढ़ाया गया, उस दिन शुक्रवार था, जिसे आज गुड फ्राइडे (Good friday) के नाम से मनाया जाता है। अपनी मृत्यु से 3 घंटे पूर्व यीशु मसीह ने सात बेहद अनमोल वचन कहे थे। जिन्हे आज यीशु की सात अमरवाणियों से जाना जाता है। जिनका संक्षिप्त व्यख्यान निम्नवत दिया जा रहा है:
1.पहला कथन: परमेश्वर, उन्हें क्षमा कर; क्योंकि वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं! (God, forgive them; because they don't know what they do)
विवरण: क्रूस पर यीशु की इस पहली कहावत को पारंपरिक रूप से "क्षमा का वचन" भी कहा जाता है। यहां यीशु ने उन्हें सूली पर चढ़ा रहे रोमन सैनिकों के लिए अपने पिता अर्थात परमेश्वर से क्षमा प्रार्थना की है। कुछ प्रारंभिक पांडुलिपियों में इस वाक्य को लूका 23:34 (Luke 23:34) में शामिल नहीं किया गया है। बार्ट एहरमन (Bart Ehrmann) जैसे बाइबल के विद्वानों ने तर्क दिया है कि, दूसरी शताब्दी के आसपास यहूदी विरोधी भावना के कारण कुछ शास्त्रियों ने इसे त्याग दिया था। मसीह ने उन्हें क्रूस पर लटकाने वाले सभी लोगों को क्षमा कर दिया, क्योंकि उन्होंने किसी भी व्यक्ति को अपने शत्रु के रूप में नहीं देखा। यदि स्वयं मसीह, उन लोगों को क्षमा कर सकते है, जो उनकी बेरहमी से हत्या कर रहे थे, तो हमें भी अपने मतभेदों को दूर कर देना चाहिए।
२.दूसरा वचन: आज तू मेरे साथ स्वर्गलोक में रहेगा। (Today shalt thou be with me in paradise)
विवरण: दूसरा वचन, मसीह की दया का एक और पहलू सामने लाता है। इस कहावत को पारंपरिक रूप से "उद्धार का वचन" भी कहा जाता है। ल्यूक के सुसमाचार (gospel of luke) के अनुसार, यीशु को दो अन्य अपराधियों (दिस्मास और गेस्टास (Dismas and Gestas)) के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया था, जिनमें से एक ने यीशु की बेगुनाही का समर्थन किया था। इस कथन के माध्यम से प्रभु संकेत देते हैं की, किसी दिन हम सभी एक साथ एक ही स्थान पर होंगे।
3. तीसरा वचन: हे स्त्री, देख, तेरा पुत्र! निहारना, तेरी माँ! (Woman, behold, thy son! Behold, thy mother!)
विवरण: यीशु के क्रूस के पास उनकी माता, उनकी माता की बहन, क्लोपास की पत्नी मरियम (Clopas' wife Mary), और मरियम मगदलीनी (Mary Magdalene) खड़ी थीं। जब यीशु ने अपनी माता और उस अनुयाई को, पास खड़ा देखा, तो उन्होंने कहा, “हे स्त्री, देख, तेरा पुत्र! निहारना, तेरी माँ!” इस कथन को परंपरागत रूप से "रिश्ते का शब्द" कहा जाता है, और इसमें यीशु अपनी मां मैरी को उस शिष्य की देखभाल करने के लिए सौंपते है, जिसे यीशु प्यार करते थे।
4. चौथा वचन: हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया है? (My God, my God, why hast thou forsaken me?)
विवरण: इस कहावत को कुछ लोग पिता द्वारा पुत्र के परित्याग के रूप में लेते हैं। एक अन्य व्याख्या के अनुसार, जिस समय यीशु ने मानवता के पापों को अपने ऊपर ले लिया, उसके बाद पिता को पुत्र से दूर होना पड़ा क्योंकि पिता "शुद्ध आंखों वाला है, और बुराई एवं गलत होते नहीं देख सकता"! अन्य धर्मशास्त्री यीशु के रोने को उस व्यक्ति के रूप में समझते हैं जो वास्तव में मानव था और जो त्यागा हुआ महसूस करता था।
5.पांचवा वचन: मैं प्यासा हूँ (I thirst)
विवरण: आखिर में, यीशु यह जानते हुए की, अब सब कुछ पूरा हो चुका है, कहते हैं, मैं प्यासा हूं। इस कथन को पारंपरिक रूप से "संकट का शब्द" (the word of distress) कहा जाता है। पाँचवाँ शब्द एक भयानक शारीरिक पीड़ा को प्रस्तुत करता है: "मैं प्यासा हूँ!" मसीह के जीवन के पाठों का एक चिरस्थायी अर्थ है। उनकी शारीरिक प्यास उनकी मृत्यु के साथ समाप्त हो गई, लेकिन यहाँ हम "प्यास" की तुलना मसीह की बुलाहट के साथ "धार्मिकता की भूख और प्यास" से कर सकते हैं। 6. छठा वचन: यह समाप्त हो गया है ( It is finished)
विवरण: इस कथन को पारंपरिक रूप से "विजय का वचन" (The Word of Triumph) कहा जाता है। इसके माध्यम से धार्मिक रूप से पुनरुत्थान की प्रत्याशा में, यीशु के सांसारिक जीवन के अंत की घोषणा की व्याख्या की जाती है। "इट इज फिनिश" अनुवादित ग्रीक शब्द टेटेलेस्टाई (τετέλεσται) है। इस पद का अनुवाद "यह समाप्त हो गया है" के रूप में भी किया गया है।
7. सातवां वचन: हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथ में सौंपता हूं! (Father, into thy hands I commend my spirit)
विवरण: जब यीशु ने ऊंचे शब्द से पुकारा, तो कहा, हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथ में सौंपता हूं! और ऐसा कहकर उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया। यह एक घोषणा है, और अनुरोध नहीं है। इसे पारंपरिक रूप से "पुनर्मिलन का वचन" (promise of reconciliation) कहा जाता है, और धार्मिक रूप से यीशु के स्वर्ग में पिता परमेश्वर के साथ एक होने के रूप में दर्शाया जाता है।

संदर्भ
https://bit.ly/3ObKIWk
https://bit.ly/3OknU6S
https://bit.ly/3xrNkJE

चित्र संदर्भ
1. क्रॉस पर लटके हुए मसीह को दर्शाता एक अन्य चित्रण (pixabay)
2. 1927 जर्मन गुड फ्राइडे जुलूस को दर्शाता एक अन्य चित्रण (flickr)
3. क्राइस्ट ऑन द क्रॉस विद द वर्जिन, मैरी को दर्शाता एक अन्य चित्रण (wikimedia)
4. यीशु को क्रॉस से नीचे लाये जाने को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)