Post Viewership from Post Date to 14-Dec-2021 (5th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2778 107 2885

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

महिलाओं को पारंपरिक परिधानों में भी घुड़सवारी करने की आज़ादी देती है साइडसैडल

मेरठ

 09-12-2021 10:36 AM
व्यवहारिक

आज यातायात के उन्नत साधनों के बीच घुड़सवारी के रोमांच का अनुभव करना एक सपने की भांति लगता है। किंतु राजतन्त्र (राजाओं के शाशन काल का दौर) के दौरान घोड़े पर बैठकर दूर-दराज के क्षेत्रों में भ्रमण और शिकार आदि पर निकलना बेहद आम प्रथा रही है। हालांकि पुरुषों के लिए घुड़सवारी करना कोई कठिन काम नहीं था, किंतु महिलाओं के परंपरागत परिधान, उनके लिए घुड़सवारी के विषय को तुलनात्मक रूप से जटिल बना देते थे। लेकिन बगल की काठी (Sidesaddle Riding) ने महिलाओं के घुड़सवारी से जुडी इस अहम् समस्या को भी सुलझा दिया।
साइडसैडल राइडिंग या बगल की काठी, घुड़सवारी का एक रूप है, जिसके अंतर्गत एक प्रकार की काठी का उपयोग किया जाता है, जो एक घुड़सवार (आमतौर पर महिला) को घोड़े पर सवार होने के बजाय एक तरफ बैठने की अनुमति देता है। घोड़े के एक ही तरफ दोनों पैरों से सवार महिलाओं के शुरुआती चित्रण ग्रीक फूलदानों, मूर्तियों और सेल्टिक पत्थरों में देखे जा सकते हैं। मध्यकालीन चित्रण महिलाओं को एक पुरुष के नेतृत्व में घोड़े के साथ बैठे हुए, या एक पुरुष सवार के पीछे एक छोटी गद्देदार सीट (एक पिलर) पर बैठे हुए दिखाते हैं। हालांकि रूस की कैथरीन द ग्रेट (Catherine the Great of Russia) सहित कई प्रमुख महिलाओं ने साइड सैडल की सवारी करने से इनकार कर दिया। लेकिन जो महिलाएं काफी दूरियों की सवारी करती थीं, वे बगल की काठी पर आराम से सफर तय करने का विकल्प चुनने के लिए इच्छुक थीं। विशेष रूप से विक्टोरियन काल के दौरान, साइडसैडल में काफी सुधार हुआ। उस समय सिंगल या डबल रकाब और पॉमेल्स (single or double stirrups and pommels) की विभिन्न व्यवस्थाएं उपयोग में थीं, साथ ही महिलाएं अभी भी एक या दो रकाब में या शेल्फ पर दोनों पैरों के साथ-साथ बैठ सकती थीं। कुछ मामलों में महिला अपने पैर को काठी के सामने वाले पोमेल पर टिका देती है, जिससे वह थोड़ा आगे की ओर मुड़ जाती है। इस स्थिति को विकसित करने का श्रेय रानी कैथरीन डी मेडिसी (Catherine de Medici) को दिया जाता है। ज्यादातर महिलाएं अपने पैरों को घोड़े की बाईं ओर (जिसे "निकट" पक्ष ("near" side) कहा जाता है) रखकर सवारी करती थी। कुछ महिलाओं ने साइड सैंडल का उपयोग करके अद्भुत युद्धाभ्यास हासिल किया। साइड सैंडल पर महिलाओं ने युद्ध के मैदानों, ओलंपिक में और हजारों मील के ट्रैक यात्रायें भी की हैं। 1900 और 1950 के बीच साइड सैंडल्स उपयोग से बाहर हो गए, क्योंकि महिलाओं के लिए घुड़सवारी करना और सवारी करते समय पतलून पहनना स्वीकार्य हो गया। आज साइड सैंडल का प्रयोग कुछ आधुनिक सवार, हॉर्स शो रिंग में, ऐतिहासिक पुनर्मूल्यांकन में, और परेड या अन्य प्रदर्शनियों में करने लगे हैं। आधुनिक साइडडल राइडर (saddle rider) को कई घुड़सवारी विषयों (Events) में देखा जा सकता है, जिसमें ड्रेसेज, इवेंटिंग और शो जंपिंग (dressage, eventing and show jumping) शामिल हैं। इसके अलावा, साइड सैंडल कुछ चिकित्सीय सवारी (therapeutic riding) कार्यक्रमों का हिस्सा बन गया है, क्योंकि सैंडल का डिज़ाइन कुछ प्रकार के सवारों को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है। घुड़ दौड़ खेलों, और घुड़सवारी के शौकीनों के बीच साइड-सैडल अभी चलन में है। यह भारत में बड़े पैमाने पर उपयोग में है, क्योंकि यह दोनों तरफ से गधे जैसे जानवरों में भार वहन करने की सुविधा प्रदान करता है। इसका उपयोग मनुष्यों द्वारा परिवहन सामग्री के रूप में किया जाता है। पारंपरिक बोझा ढोने वाले जानवरों में ऊंट, बकरी, याक, बारहसिंगा, पानी वाली भैंस, और लामाओं के साथ-साथ घोड़े और गधे जैसे जानवर शामिल हैं। गधा देश के सभी हिस्सों में भेड़ और बकरी पालन प्रणाली का एक अभिन्न अंग है। इसका उपयोग मनुष्यों के लिए विभिन्न सेवाओं जैसे कि माल का परिवहन, निर्माण कार्य, ट्रैकिंग और पर्यटन के लिए किया जाता है। गधों को मुख्य रूप से (91%) गरीब और सामाजिक रूप से निम्न जाति के परिवारों द्वारा पाला जाता है। गधा औसतन 6-10 घंटे/दिन के बीच काम करता है। पैक पशु के रूप में गधे 60 से 90 किलोग्राम वजन और एक गाड़ी में 100 से 500 किलोग्राम वजन ढो सकते हैं। बोझा ढोने वाले जानवरों को पैक जानवर कहा जाता है। यह जानवर बोझ को खींचने के बजाय पीठ पर ढोते हैं। चूंकि गधे इंसानों की तुलना में अधिक भार ढोते हैं, इसलिए कई बार गधों पर उनकी क्षमता से अधिक बोझ लादने की घटनाएं भी सामने आती रहती हैं। जो इन मूक जानवरों के लिए बेहद नुकसानदायक या एक तरह का अत्याचार साबित होती हैं। इसी के मद्देनज़र प्रशाशन द्वारा गधों पर 50 किलों से अधिक बार लादने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

संदर्भ

https://cutt.ly/7Ynny2L
https://cutt.ly/aYnni0G
https://cutt.ly/dYnnpJY
https://cutt.ly/wYnns8O
https://cutt.ly/rYnngLM
https://cutt.ly/KYnnlhw
https://en.wikipedia.org/wiki/Pack_animal

चित्र संदर्भ
1. आधुनिक अंग्रेजी साइडडल क्लास में सवार महिला को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. एक युवा महिला के रूप में कैथरीन द ग्रेट का घुड़सवारी का चित्रण (wikimedia)
3. एक प्राचीन दो पोमेल साइडसैडल (pommel sidesaddle) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. साइडसैडल में पैर की सही स्थिति को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. सैनिक द्वारा गधे का पैक जानवर के रूप में प्रयोग को दर्शाता एक चित्रण (flickr)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में कितने लोगों के पास, बंदूक रखने के लिए लाइसेंस हैं
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:24 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id