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सामाजिक रूप से सीखी गई जानकारी को प्रसारित करने की प्रक्रिया है,सांस्कृतिक संचरण

मेरठ

 16-11-2021 10:42 AM
व्यवहारिक

ऐसी अनेकों गतिविधियां या व्यवहार हैं, जिन्हें मानव अपने पूरे जीवन में अपनाता चला जाता है, तथा उसके बाद आने वाली पीढ़ियांभी उन्हें अपनाती चली जाती हैं।दृष्टिकोणों, मूल्यों, विश्वासों और व्यवहार संबंधी लिपियों के रूप मेंसांस्कृतिक तत्वव्यक्तियों और समूहों को हस्तांतरित होते हैं या फिर सिखाए जाते हैं। यह प्रक्रिया सांस्कृतिक संचरण या प्रसारण के रूप में जानी जाती है, जिसे सांस्कृतिक अधिगम या सीखना भी कहा जाता है। दूसरे शब्दों में सांस्कृतिक प्रसारणसामाजिक रूप से सीखी गई जानकारी को प्रसारित करने की प्रक्रिया और विधि है। एक प्रजाति में, सांस्कृतिक प्रसारण इस बात से बहुत अधिक प्रभावित होता है कि कैसे वयस्क एक-दूसरे के साथ और अपने बच्चों के साथ मेलजोल बढ़ाते हैं। यह माना जाता है कि प्रजातियों में सांस्कृतिक संचरण में अंतर बाहरी कारकों जैसे भौतिक वातावरण,से काफी हद तक प्रभावित होता है,जो एक व्यक्ति को एक पारंपरिक अवधारणा को नए तरीके से व्याखित करने के लिए प्रेरित कर सकता है। इस भिन्नता में योगदान देने वाली पर्यावरणीय उत्तेजनाओं में जलवायु,प्रवासन पैटर्न,संघर्ष,अस्तित्व के लिए उपयुक्तता और स्थानिक रोगजनक शामिल हो सकते हैं। समय के साथ मानव और अमानवीय जानवरों दोनों में व्यवहार संबंधी विशेषताओं को बनाए रखने के लिए सांस्कृतिक संचरण को एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया माना जाता है,और इसका अस्तित्व आज देखे जाने वाले पशु व्यवहार के विभिन्न पहलुओं को बनाने और प्रचारित करने के लिए नवाचार,अनुकरण या नकल और संचार पर निर्भर करता है।संस्कृति,जब एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में व्यवहार के संचरण के रूप में परिभाषित की जाती है,तो इसे विभिन्न तरीकों से जानवरों के बीच प्रसारित किया जा सकता है।इनमें से सबसे आम विधियों मेंअनुकरण,शिक्षण और भाषा शामिल हैं।जानवरों में सांस्कृतिक संचरण के सबसे प्रचलित तरीकों में से एक अनुकरण है।सांस्कृतिक संचरण को व्यक्तिगत शिक्षा से बेहतर दिखाया गया है, क्योंकि यह परंपराओं को फैलाने और एक प्रजाति के सदस्यों को सामूहिक रूप से अधिक अनुकूली व्यवहार प्राप्त करने की अनुमति देने का एक अधिक कुशल तरीका है।यह प्रक्रिया जिसके द्वारा एक प्रजाति में संतान अनुकरण के माध्यम से अपनी संस्कृति प्राप्त कर लेती है या परंपराओं से परिचित हो जाती है उसे संस्कृतिकरण कहा जाता है।
सांस्कृतिक विकास में सांस्कृतिक संचरण एक ऐसा आउटलेट प्रदान करता है, जिसके लिए जीव उन परंपराओं का निर्माण और प्रसार करते हैं जो पीढ़ियों से जानवरों के व्यवहार के पैटर्न को स्पष्ट रूप से आकार दे रहा है।संस्कृति, जिसे कभी एक विशिष्ट मानवीय गुण के रूप में माना जाता था,अब जानवरों के बीच एक सामान्य लक्षण के रूप में मजबूती से स्थापित हो गया हैऔर यह केवल आनुवंशिक संचरण द्वारा पारित संबंधित व्यवहारों का समूह नहीं है।आनुवंशिक संचरण, सांस्कृतिक संचरण की तरह, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में व्यवहार संबंधी लक्षणों को पारित करने का एक साधन है। इन दोनों के बीच मुख्य अंतर यह है कि आनुवंशिक संचरण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जीन के माध्यम से व्यवहार संबंधी लक्षणों का स्थानांतरण है।आनुवंशिक संचरण एक जीव के जीवनकाल में केवल एक बार ही हो सकता है।इस प्रकार, यह सांस्कृतिक संचरण की सापेक्ष गति की तुलना में काफी धीमा है।सांस्कृतिक प्रसारण में,व्यवहार संबंधी जानकारी शिक्षण के मौखिक, दृश्य या लिखित तरीकों के माध्यम से पारित की जाती है।इसलिए, सांस्कृतिक संचरण मेंकई जीवों द्वारा अर्जित किए गए नए व्यवहारों को कई दिनों और घंटों में सीखा जा सकता है।मीर्कट्स (Meerkats), सुरीकेटा सुरीकेटा (Suricata suricatta) में खाद्य अधिग्रहण तकनीकों पर एक अध्ययन में,शोधकर्ताओं ने पाया कि मीर्कट्स ने सजातीय जीवों का अनुकरण करके चारा जुटाने के गुर सीखे। इसी प्रकार चिंपैंजी, पक्षी, डॉल्फ़िन, मातृवंशीय व्हेल (Matrilineal Whales) , काला चूहा, मछली आदि ऐसे जीव हैं, जिनमें सांस्कृतिक संचरणस्पष्ट रूप से दिखाई देता है। मनुष्य द्वारा हो रही विभिन्न गतिविधियां भी जानवरों में सांस्कृतिक संचरण का एक कारक हैं, जो उनके लिए एक लचीला व्यवहार अनुकूलन है।कुछ प्रजातियां आनुवंशिक अनुकूलन के माध्यम से मानव द्वारा उत्पन्न अशांति का सामना करती हैं, लेकिन जिन जीवों की जीवन अवधि कम होती है, उनके लिए आनुवंशिक अनुकूलन कम समय में हासिल करना मुश्किल है। ऐसे जीव स्थानीय रूप से बदलती परिस्थितियों के जवाब में एक अन्य रणनीति अपनाते हैं, जिसे प्रेरित व्यवहारिक लचीलापन कहा जा सकता है।
जानवरों में व्यवहारिक लचीलेपन का एक प्रमुख उदाहरण मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन के लिए प्रलेखित अनुकूलन है। यदि इस प्रकार के जलवायु परिवर्तन के लिए होने वाले अनुकूलनसांस्कृतिक मानदंडों में फिट होते हैं,तो यह इस बात का पुख्ता सबूत होगा कि मनुष्य अप्रत्यक्ष रूप से पशु संस्कृतियों को बदलते हैं।

संदर्भ:
https://bit.ly/3DlHnxR
https://bit.ly/3DkE4ao
https://go.nature.com/3cgPErg
https://bit.ly/3cbTcLe

चित्र संदर्भ
1. इशारों में बात करते चिम्पांज़ी को दर्शाता एक चित्रण (istock)
2. माहौल की निगरानी करते मीरकैट्स को दर्शाता एक चित्रण (istock)
3. अपने बच्चे को दुलार करती मादा चिम्पाजी, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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