क्या है, मनुष्यों और जानवरों में पाया जाने वाला मोनोगैमी (Monogamy) व्यवहार

लखनऊ

 02-03-2020 12:00 PM
व्यवहारिक

इस लेख में हम मोनोगैमी (Monogamy) के बारे में अध्ययन करेंगे और इससे सम्बंधित मनुष्य और जीवों के समाज को भी देखेंगे। पशुओं की बात करें तो मोनोगैमी एक ही प्रजाति के दो वयस्क जानवरों में निर्धारित की गयी जोड़ी के रूप में परिभाषित किया गया है। इस प्रकार से यह भी कथन है कि ये जीव आपस में एक दूसरे के साथ मैथुन या प्रजनन करते हैं। मोनोगैमी एक ऐसी प्रणाली होती है जो कि एक दूसरे पर निर्भर होते हैं, यह एक ही विपरीत लिंग प्रजाति के ऊपर निर्धारित होता है। मोनोगैमी को दो भागों में बाँट के देख सकते हैं एक अनुवांशिक और दूसरा है सामाजिक एकाधिकार का। सिक्लिड प्रजातियों की वैरिबिलिच्रोमिस मूरी (cichlid, Variabilichromis moorii) में अंडे की देखभाल जोड़ा करता है परन्तु उसे पैदा एक नर नहीं कर सकता है।

स्तनधारी जीवों में मोनोगैमी एक अत्यंत ही दुर्लभ घटना है इनकी प्रजातियों में मात्र 3-9 फीसद ही मोनोगैमी पायी जाती है। मोनोगैमी में यदि सामाजिक एकाधिकार की बात करें तो यह एक पुरुष और एक महिला के मध्य होने वाले सहवास को संदर्भित करता है। इसमें पितृ सत्ता का स्वभाव निकल कर सामने आता है। यह एक ही महिला के साथ के रिश्ते की बात को स्वीकारता है। कैंब्रिज विश्वविद्यालय (Cambridge University) के डायटर लुकास (Dieter Lukas) ने एक कथन दिया जिसमे उन्होंने कहा मोनोगैमी या एक विवाह प्रथा समस्या है उनका मानना है कि एक पुरुष एक ही समय में कई बार सहवास कर सकता है और वह ज्यादा बच्चे पैदा कर सकता है। यदि हम देखें तो मानव समाज एक विवाह और बहु विवाह के ढाँचे में बटा हुआ है।

यदि धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो हिन्दुओं, सिखों आदि में एक विवाह परंपरा है और वहीँ इस्लाम में बहु विवाह परंपरा को देखा जा सकता है। अपितु अगर जानवरों की बात करें तो गोरिल्लों में देखें तो इसमें मादा गोरिल्ला प्रमुख गोरिल्ला के साथ ही सम्भोग करती है, हमारे पूर्वजों में भी मोनोगैमी के लक्षण दिखाई देते हैं जो कि करीब सात मिलियन साल पहले के हैं। बहुविवाह की बात करें तो यह भारत में गैर कानूनी है और वहीँ जब हम प्राचीन भारत की धारणा को देखते हैं तो यह पता चलता है की प्राचीन भारत में बहुविवाह निषिद्ध नहीं था और अमीर वर्ग के लोग यह किया करते थे। 1860 के भारतीय दंड संहिता की धारा 494 और 495 में ईसाईयों के लिए बहु विवाह प्रथा निषिद्ध है और वहीँ 1955 की दंड संहिता में हिन्दुओं के लिए बहु विवाह प्रथा निषिद्ध कर दी गयी थी। बहुविवाह से अनेकों समस्याओं का भी सूत्रपात होता है जिसके कई बिंदु विभिन्न समयों पर हमारे सामने प्रस्तुत होते रहते हैं।

सन्दर्भ:-
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Monogamy_in_animals
2. https://www.livescience.com/32146-are-humans-meant-to-be-monogamous.html
3. https://www.nytimes.com/2013/08/02/science/monogamys-boost-to-human-evolution.html
4. https://bit.ly/2IcXOSu
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Polygamy_in_India



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