आपने अक्सर गौर किया होगा कि, कई बार कोई व्यक्ति आपको बहुत खूबसूरत दिखता है, लेकिन किसी
और को वह व्यक्ति बिलकुल भी सुन्दर नहीं दिखाई पड़ता। ऐसा केवल आपके साथ ही नहीं बल्की बड़े-बड़े
देशों, प्रान्तों में भी हो सकता है, जहां किसी एक देश के नागरिक दूसरे देश की तुलना में अपने देशवासियों
को अधिक खूबसूरत देखते हैं। सुंदरता के इसी रोचक विज्ञान को आगे समझते हैं।
सुंदरता के परिपेक्ष्य में हर व्यक्ति का अपना अलग मत होता है, वैज्ञानिक किसी भी चेहरे की खूबसूरती को
मापने के लिए स्वर्ण अनुपात का सहारा लेते हैं। यूरोपीय पुनर्जागरण के समय कलाकारों और शिल्पकारों
ने
स्वर्ण अनुपात के गणितीय सूत्र का प्रयोग यह जानने के लिए किया कि, कोई चेहरा खूबसूरत है अथवा
नहीं।
● वैज्ञानिकों के अनुसार, एक आदर्श चेहरे के कान की लंबाई उसकी नाक की लंबाई के बराबर होती
है, और आंख की चौड़ाई दोनों आंखों के बीच की दूरी के बराबर होती है।
● साथ ही माथे की हेयरलाइन से लेकर आंखों के बीच के स्थान तक, आंखों के बीच से नाक के नीचे
तक और नाक के नीचे से ठोड़ी के नीचे तक के सभी अनुपात समान हो तो चेहरा सुंदर माना जाता
है।
वैज्ञानिकों के अनुसार यदि सुंदरता को दस में नंबर दिए जाए, तो दुनिया के अधिकांश लोग 4 और 6 के बीच
स्कोर करते हैं, और ज्ञात कोई व्यक्ति का स्कोर कभी भी पूर्ण 10 नहीं रहा है। हालांकि
वैज्ञानिक तौर पर
सुपरमॉडल बेला हदीद (Bella Hadid) को दुनिया की सबसे खूबसूरत महिला माना गया है। क्यों कि उन्होंने
"स्वर्ण अनुपात विज्ञान" की परीक्षा पास की है, उनका स्वर्ण अनुपात (Golden Ratio) 94.35 फीसदी
'सटीक' पाया गया। उसकी आँखें, भौहें, नाक, होंठ, ठुड्डी, जबड़ा और चेहरे का आकार प्राचीन यूनानियों के
खूबसूरती से मापदंडों पर सबसे अधिक खरा उतरा है।
जैसा कि हमने पहले भी चर्चा की थी कोई व्यक्ति किसी देश में बेहद सुन्दर हो सकता है, परंतु किसी दूसरे
देश में वह बिलकुल भी आकर्षक नहीं लगेगा। प्रत्येक व्यक्ति तथा संस्कृति में सुंदरता के प्रति अलग
मापदंड होता है। एक प्रसिद्ध कहावत है "सुंदरता देखने वाले की आंखों में निहित है" दरसल सुंदरता किसी
की परवरिश और सांस्कृतिक परिवेश पर निर्भर करती है, कुछ उदाहरणों से समझते हैं।
1. कोरिया में बड़ी आँखे, हल्का पीला चेहरा, अंग्रेजी के V-आकार के चेहरे, छोटा चेहरा होना, एक्स-
लाइन और एस-लाइन बॉडी शेप, लंबे पैर इत्यादि खूबसूरती के मापदंड हैं। हालाँकि इन कारणों के
पीछे उनके अपने तर्क हैं।
2. अमेरिकी संस्कृति में पतली लड़कियां खूबसूरत नज़र आती हैं, यहां प्लास्टिक सर्जरी का अत्यधिक
प्रचलन है जिसके माध्यम से वे अपने शारीरिक उभारों को अधिक बड़ा प्रदर्शित करना चाहती हैं।
अमेरिकन सोसाइटी ऑफ प्लास्टिक सर्जन के अनुसार, वर्ष 2014 में, संयुक्त राज्य अमेरिका में
15.6 मिलियन कॉस्मेटिक सर्जरी की गईं, जिसमे 2013 से 3 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
3. सऊदी अरब जैसे देशों में महिलाएं आँखों के माध्यम से अधिक खूबसूरत दिखना चाहती हैं। अरब
महिलाएं महंगे मेकअप ब्रांडों पर बहुत पैसा खर्च करती हैं, क्योंकि वे लंबे समय तक अपनी त्वचा
को कोमल बनाए रखना चाहती हैं। साथ ही वहां प्राकृतिक स्नान और ऑर्गेनिक तेल का इस्तेमाल
बालों की सुंदरता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। महिलाओं में तरह-तरह के हेयर ऑयल मशहूर
हैं और अच्छे बालों और चिकनी त्वचा को खूबसूरत माना जाता है।
4. भारत में सुंदरता को किन्हीं निश्चित आयामों में समेटना बिल्कुल भी उचित न होगा। असल में
यहाँ सुंदरता स्थिर नहीं है, क्यों कि यहां हमें भैरव के रूप में शिव या नरसिंह के रूप में विष्णु अथवा
देवी के रूप में क्रूर काली, भैरवी, चामुंडा, छिन्नमस्ता को पूजा जाता है। और इनमे से किसी को
भी आप खूबसूरती और बदसूरती की परिभाषाओं में सीमित नहीं कर सकते। हालांकि मानवीय
स्तर पर घने बाल, चमकदार त्वचा आदि मायने रखती हैं, परंतु साथ-ही-साथ एक शोध में पाया
गया कि भारतीय युवा प्रेम-ईर्ष्या, मानवीय व्यवहार और बौद्धिक स्तर के आधार पर भी किसी को
खूबसूरत देख सकते हैं।
सुंदरता को केवल त्वचा के रंग, बालों की लंबाई, अथवा शारीरिक बनावट के आधार पर नहीं किया जा
सकता, और इस तथ्य का समर्थन और पालन करने वाले लोग दुनिया भर में मिल जायेंगे। मनोविज्ञान
कहता है, कि “परिचित चहरे खूबसूरत लगते हैं, इसी कारण अपने देश के नागरिक अधिक सुंदर दिखाई
पड़ते हैं”। मनुष्य एक जटिल प्राणी है, हमारा दिमाग अवचेतन रूप सामने वाले के स्वास्थ्य, हाव-भाव
इत्यादि का भी आकलन करता है, और इस आधार पर भी वह चेहरों को खूबसूरत दिखता है। कई बार अच्छा
दिखना अच्छे स्वास्थ्य का भी प्रतीक माना जाता है। हालांकि किसी कि मात्र उपस्थिति से भी उसे सुंदर
देखना स्वाभाविक ही है, कई शोधों से यह ज्ञात हुआ है कि मादा पक्षी अच्छे दिखने वाले नर द्वारा ही
आकर्षित हो पाती है। आप हमारे राष्ट्र पक्षी मोर के मादा को आकर्षित करने के लिए, पंख फ़ैलाने के
उदाहरण से भी समझ सकते हैं। अतः यह स्पष्ट होता है कि सुंदरता को मानदंडों में निर्धारित नहीं किया
जा सकता। कुछ मायनों में हर कोई सुंदर होता है, हम एक बार पुनः दोहराएंगे “सुंदरता देखने वाले की आंखों
में निहित है”।
संदर्भ
https://bit.ly/3phVLRK
https://bit.ly/3cAwjSv
https://bit.ly/3uPnpXl
https://bit.ly/2TFW8Ka
https://bit.ly/3uRML6Q
https://bit.ly/3g7VsVx
चित्र संदर्भ
1. स्वर्ण अनुपात के साथ मोनालीसा का एक चित्रण (flickr)
2. स्वर्ण अनुपातिक चहरे का एक चित्रण (oprah.com)
3. स्वर्ण अनुपातिक चहरे का एक चित्रण (oprah.com)
4. दुर्गा पूजा महोस्तव का एक चित्रण (wikimedia)